धारा 320 में क्या सजा है - dhaara 320 mein kya saja hai

अपराधों का शमन-(1) नीचे दी गई सारणी के प्रथम दो स्तम्भों में विनिर्दिष्ट भारतीय दंड संहिता (1860 का 45) की धाराओं के अधीन दंडनीय अपराधों का शमन उस सारणी के तृतीय स्तम्भ में उल्लिखित व्यक्तियों द्वारा किया जा सकता है :-

 

[सारणी

अपराध

भारतीय दंड संहिता की धारा जो लागू होती है

वह व्यक्ति जिसके द्वारा अपराध का शमन किया जा सकता है

1

2

3

किसी व्यक्ति की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के विमर्शित आशय से शब्द उच्चारित करना, आदि ।

298

वह व्यक्ति जिसकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचना आशयित  है ।

स्वेच्छया उपहति कारित करना ।

323

वह व्यक्ति जिसे उपहति कारित की गई है ।

प्रकोपन पर स्वेच्छया उपहति कारित करना ।

334

यथोक्त ।

गंभीर और अचानक प्रकोपन पर स्वेच्छया घोर उपहति कारित करना ।

335

वह व्यक्ति जिसे उपहति कारित की गई है ।

किसी व्यक्ति का सदोष अवरोध या परिरोध ।

341, 342

वह व्यक्ति जो अवरुद्ध या परिरुद्ध किया गया है ।

किसी व्यक्ति का तीन या अधिक दिनों के लिए सदोष परिरोध ।

343

परिरुद्ध व्यक्ति ।

किसी व्यक्ति का दस या अधिक दिनों के लिए सदोष परिरोध ।

344

यथोक्त ।

किसी व्यक्ति का गुप्त स्थान में सदोष परिरोध ।

346

यथोक्त ।

हमला या आपराधिक बल का प्रयोग ।

352, 355, 358

वह व्यक्ति जिस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग किया गया है ।

चोरी ।

379

चुराई हुई संपत्ति का स्वामी ।

संपत्ति का बेईमानी से दुर्विनियोग ।

403

दुर्विनियोजित संपत्ति का स्वामी ।

वाहक, घाटवाल, आदि द्वारा आपराधिक   न्यासभंग ।

407

उस संपत्ति का स्वामी, जिसके संबंध में न्यासभंग किया गया है ।

चुराई हुई संपत्ति को, उसे चुराई हुई जानते हुए बेईमानी से प्राप्त करना ।

411

चुराई हुई संपत्ति का स्वामी ।

चुराई हुई संपत्ति को, यह जानते हुए कि वह चुराई हुई है, छिपाने में या व्ययनित करने में सहायता करना ।

414

यथोक्त ।

छल ।

417

वह व्यक्ति जिससे छल किया गया है ।

प्रतिरूपण द्वारा छल ।

419

यथोक्त ।

लेनदारों में वितरण निवारित करने के लिए संपत्ति आदि का कपटपूर्वक अपसारण या छिपाना ।

421

उससे प्रभावित लेनदार ।

अपराधी का अपने को शोध्य ऋण या मांग का लेनदारों के लिए उपलब्ध किया जाना कपटपूर्वक निवारित करना ।

422

यथोक्त ।

अंतरण के ऐसे विलेख का, जिसमें प्रतिफल के संबंध में मिथ्या कथन अंतर्विष्ट है, कपटपूर्वक निष्पादन ।

423

उससे प्रभावित व्यक्ति ।

संपत्ति का कपटपूर्वक अपसारण या छिपाया जाना ।

424

उससे प्रभावित व्यक्ति ।

रिष्टि, जब कारित हानि या नुकसान केवल प्राइवेट व्यक्ति को हुई हानि या नुकसान है ।

426, 427

वह व्यक्ति, जिसे हानि या नुकसान हुआ है ।

जीवजन्तु का वध करने या उसे विकलांग करने के द्वारा रिष्टि ।      

428

जीवजन्तु का स्वामी ।

ढोर आदि का वध करने या उसे विकलांग करने के द्वारा रिष्टि ।

429

ढोर या जीवजन्तु का स्वामी ।

सिंचन संकर्म को क्षति करने या जल को दोषपूर्वक मोड़ने के द्वारा रिष्टि, जब उससे कारित हानि या नुकसान केवल प्राइवेट व्यक्ति को हुई हानि या नुकसान है ।

430

वह व्यक्ति, जिसे हानि या नुकसान हुआ है ।

आपराधिक अतिचार ।

447

वह व्यक्ति जिसके कब्जे में ऐसी संपत्ति है जिस पर अतिचार किया गया है ।

गृह-अतिचार ।

448

यथोक्त ।

कारावास से दंडनीय अपराध को (चोरी से भिन्न) करने के लिए गृह-अतिचार ।

451

वह व्यक्ति जिसका उस गृह पर कब्जा है जिस पर अतिचार किया गया है ।

मिथ्या व्यापार या संपत्ति चिह्न का उपयोग ।

482

वह व्यक्ति, जिसे ऐसे उपयोग से हानि या क्षति कारित हुई है ।

अन्य व्यक्ति द्वारा उपयोग में लाए गए व्यापार या संपत्ति चिह्न का कूटकरण ।

483

यथोक्त ।

कूटकृत संपत्ति चिह्न से चिह्नित माल को जानते हुए विक्रय या अभिदर्शित करना या विक्रय के लिए या विनिर्माण के प्रयोजन के लिए कब्जे में रखना ।

486

यथोक्त ।

सेवा संविदा का आपराधिक भंग ।

491

वह व्यक्ति जिसके साथ अपराधी ने संविदा की है ।

जारकर्म ।

497

स्त्री का पति ।

विवाहित स्त्री को आपराधिक आशय से फुसलाकर ले जाना या ले जाना या निरुद्ध रखना ।

498

स्त्री का पति और स्त्री ।

मानहानि, सिवाय ऐसे मामलों के जो उपधारा (2) के नीचे की सारणी के स्तंभ 1 में भारतीय दंड संहिता (1860 का 45) की धारा 500 के सामने विनिर्दिष्ट किए गए हैं ।

500

वह व्यक्ति जिसकी मानहानि की गई है ।

मानहानिकारक जानी हुई बात को मुद्रित या उत्कीर्ण करना ।

501

यथोक्त ।

मानहानिकारक विषय रखने वाले मुद्रित या उत्कीर्ण पदार्थ का यह जानते हुए बेचना कि उसमें ऐसा विषय अंतर्विष्ट   है ।

502

यथोक्त ।

लोक-शांति भंग कराने को प्रकोपित करने के आशय से अपमान ।

504

अपमानित व्यक्ति ।

अपराधिक अभित्रास ।

506

अभित्रस्त व्यक्ति ।

किसी व्यक्ति को यह विश्वास करने के लिए उत्प्रेरित करके कि वह दैवी अप्रसाद का भाजन होगा, कराया गया कार्य ।

508

वह व्यक्ति जिसे उत्प्रेरित किया गया ।]

(2) नीचे दी गई सारणी के प्रथम दो स्तम्भों में विनिर्दिष्ट भारतीय दंड संहिता (1860 का 45) की धाराओं के अधीन दंडनीय अपराधों का शमन उस न्यायालय की अनुज्ञा से, जिसके समक्ष ऐसे अपराध के लिए कोई अभियोजन लंबित है, उस सारणी के तृतीय स्तंभ में लिखित व्यक्तियों द्वारा किया जा सकता है ।

[सारणी

अपराध

भारतीय दंड संहिता की धारा जो लागू होती है

वह व्यक्ति जिसके द्वारा अपराध शमन किया जा सकता है

1

2

3

गर्भपात कारित करना ।

312

वह स्त्री जिसका गर्भपात किया गया है ।

स्वेच्छया घोर उपहति कारित करना ।

325

वह व्यक्ति जिसे उपहति कारित की गई है ।

ऐसे उतावलेपन और उपेक्षा से कोई कार्य करने के द्वारा उपहति कारित करना जिससे मानव जीवन या दूसरों का वैयक्तिक क्षेम संकटापन्न हो जाए ।

337

यथोक्त ।

ऐसे उतावलेपन और उपेक्षा से कोई कार्य करने के द्वारा घोर उपहति कारित करना जिससे मानव जीवन या दूसरों का वैयक्तिक क्षेम संकटापन्न हो जाए ।

338

यथोक्त ।

किसी व्यक्ति का सदोष परिरोध करने के प्रयत्न में हमला या आपराधिक बल का प्रयोग ।            

357

वह व्यक्ति जिस पर हमला किया गया या जिस पर बल का प्रयोग किया गया था ।

लिपिक या सेवक द्वारा स्वामी के कब्जे की संपत्ति की चोरी ।

381

चुराई हुई संपत्ति का स्वामी ।

आपराधिक न्यासभंग ।

406

उस संपत्ति का स्वामी, जिसके संबंध में न्यास भंग किया गया है ।

लिपिक या सेवक द्वारा आपराधिक न्यासभंग ।

408

उस संपत्ति का स्वामी, जिसके संबंध में न्यास भंग किया गया है ।

ऐसे व्यक्ति के साथ छल करना जिसका हित संरक्षित रखने के लिए अपराधी या तो विधि द्वारा या वैध संविदा द्वारा आबद्ध था ।

418

वह व्यक्ति, जिससे छल किया गया है ।

छल करना या संपत्ति परिदत्त करने अथवा मूल्यवान प्रतिभूति की रचना करने या उसे परिवर्तित या नष्ट करने के लिए बेईमानी से उत्प्रेरित करना ।

420

वह व्यक्ति, जिससे छल किया गया है ।

पति या पत्नी के जीवनकाल में पुनः विवाह करना ।

494

ऐसे विवाह करने वाले व्यक्ति का पति या पत्नी ।

राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति या किसी राज्य के राज्यपाल या किसी संघ राज्यक्षेत्र के प्रशासक, या किसी मंत्री के विरुद्ध, उसके लोक कृत्यों के संबंध में मानहानि, जब मामला लोक अभियोजक द्वारा किए गए परिवाद पर संस्थित है ।

500

वह व्यक्ति जिसकी मानहानि की गई  है ।

स्त्री की लज्जा का अनादर करने के आशय से शब्द कहना या ध्वनियां करना या अंगविक्षेप करना या कोई वस्तु प्रदर्शित करना या किसी स्त्री की एकांतता का अतिक्रमण करना ।

509

वह स्त्री जिसका अनादर करना आशयित था या जिसकी एकांतता का अतिक्रमण किया गया था ।]

[(3) जब कोई अपराध इस धारा के अधीन शमनीय है तब ऐसे अपराध के दुष्प्रेरण का, अथवा ऐसे अपराध को करने के प्रयत्न का (जब ऐसा प्रयत्न स्वयं अपराध हो) अथवा जहां अभियुक्त भारतीय दंड संहिता (1860 का 45) की धारा 34 या धारा 149 के अधीन दायी हो, शमन उसी प्रकार से किया जा सकता है ।]

(4) (क) जब वह व्यक्ति, जो इस धारा के अधीन अपराध का शमन करने के लिए अन्यथा सक्षम होता, अठारह वर्ष से कम आयु का है या जड़ या पागल है तब कोई व्यक्ति जो उसकी ओर से संविदा करने के लिए सक्षम हो, न्यायालय की अनुज्ञा से, ऐसे अपराध का शमन कर सकता है ।

(ख) जब वह व्यक्ति, जो इस धारा के अधीन अपराध का शमन करने के लिए अन्यथा सक्षम होता, मर जाता है तब ऐसे व्यक्ति का, सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 (1908 का 5) में यथापरिभाषित, विधिक प्रतिनिधि, न्यायालय की सम्मति से, ऐसे अपराध का शमन कर सकता है ।

(5) जब अभियुक्त विचारणार्थ सुपुर्द कर दिया जाता है या जब वह दोषसिद्ध कर दिया जाता है और अपील लंबित है, तब अपराध का शमन, यथास्थिति, उस न्यायालय की इजाजत के बिना अनुज्ञात न किया जाएगा जिसे वह सुपुर्द किया गया है, या जिसके समक्ष अपील सुनी जानी है ।

(6) धारा 401 के अधीन पुनरीक्षण की अपनी शक्तियों के प्रयोग में कार्य करते हुए उच्च न्यायालय या सेशन न्यायालय किसी व्यक्ति को किसी ऐसे अपराध का शमन करने की अनुज्ञा दे सकता है जिसका शमन करने के लिए वह व्यक्ति इस धारा के अधीन सक्षम है ।

धारा 320 में सजा का क्या प्रावधान है?

धारा 320 का विवरण दोनों में से किसी भी नेत्र की दृष्टि का स्थायी विच्छेद। दोनों में से किसी भी कान की सुनने की शक्ति का स्थायी विच्छेद। किसी भी अंग या जोड़ का विच्छेद। किसी भी अंग या जोड़ की शक्तियों का नाश या स्थायी नुक़सान पहुंचना।

मारपीट के मामले में कौन सी धारा लगती है?

- धारा 323: अगर कोई अपनी इच्छा से किसी को चोट या नुकसान पहुंचाता है, तो ऐसा करने पर उसे 1 साल तक की कैद या 1 हजार रुपये का जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है. - धारा 506: अगर कोई व्यक्ति किसी को आपराधिक धमकी देता है, तो ऐसा करने पर उसे 2 साल की कैद या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है.

धारा 325 में क्या सजा है?

आईपीसी की धारा 325 के तहत स्वेच्छा से गंभीर चोट पहुंचाने की सजा: यह धारा सजा देती है यदि कोई व्यक्ति, धारा 335 के तहत प्रदान किए गए मामले को छोड़कर, स्वेच्छा से किसी अन्य व्यक्ति को गंभीर चोट पहुँचाता है, तो उसे या तो विवरण के कारावास की सजा दी जाएगी।

धारा 308 कब लगती है?

गैर इरादतन हत्या के प्रयास का अपराध आपराधिक संहिता की धारा 308 के अंतर्गत आता है। यह धारा तब लागू होती है जब कोई व्यक्ति इस आशय या ज्ञान के साथ कार्य करता है कि यदि उसके कार्यों के परिणामस्वरूप मृत्यु हुई है, तो वह गैर इरादतन हत्या का दोषी होगा, न कि हत्या का।

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