1) यूक्रेन ने कश्मीर मुद्दे पर UNO में भारत के खिलाफ वोट दिया था।
— Ashoke Pandit (@ashokepandit) February 25, 2022
2) यूक्रेन ने परमाणु परीक्षण मुद्दे पर UNO में भारत के खिलाफ वोट दिया था।
3)यूक्रेन ने UNO की सिक्योरिटी कौंसिल में भारत की स्थायी सदस्यता के खिलाफ वोट किया था।
4)यूक्रेन पाकिस्तान को हथियार सप्पलाई करता है।
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जब से यूरेनियम के भंडार सोनभद्र में होने का पता चला है, तब से भूवैज्ञानिक वहां लगातार इसके लिए खुदाई कर रहे हैं। सोनभद्र में एक ऐसा पार्क मौजूद है, जहां लगभग 14 मिलियन वर्ष पुराने फॉसिल्स पाए गए थे। इस पार्क का नाम सोनभद्र जीवाश्म पार्क है, इसी पार्क में यूरेनियम होने की बात सालों से कही जाती है। अब भी वहां वैज्ञानिक रिसर्च कर रहे हैं। आइए अब हम आपको इसकी पूरी कहानी बताते हैं।
अब आप लोग सोच रहे होंगे कि अचानक से हम यूरेनियम की बात क्यों कर रहे हैं? तो हम आपको बताना चाहते हैं कि जो रूस और यूक्रेन में लड़ाई चल रही है, उसमें रूस ने दुनिया को हस्तक्षेप करने पर परमाणु हमले की धमकी दी है। हम आपको बताने जा रहे हैं कि उसमें यूरेनियम की कितनी महत्वपूर्ण भूमिका है।
यूरेनियम परमाणु ऊर्जा का कीमती स्रोत
क्या आप जानते हैं कि परमाणु बम में उपयोग होने वाला मुख्य पदार्थ यूरेनियम है? यूरेनियम दुनिया के सबसे कीमती धातुओं में से एक है, इसे खुले में छोड़ने पर हवा के सम्पर्क में आने पर अपने आप जल उठता है। उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के फॉसिल्स पार्क में इसका भंडार मिलने के संकेत मिले हैं। यह संकेत करीब 22 साल पहले मिले थे और उसके बाद कई अलग-अलग स्थानों पर सर्वे में वैज्ञानिकों ने यूरेनियम पाए जाने की संभावना जताई है।
सोनभद्र के पार्क में मिलते हैं दुनिया के सबसे पुराने जीवाश्म।
सोनभद्र में दुनिया का सबसे पुराना फॉसिल्स पार्क
यूपी के सोनभद्र इलाके के इस फॉसिल्स पार्क में लगभग डेढ़ सौ करोड़ वर्ष पुराने जीवाश्म हैं। यह अमेरिका के बेहद प्रसिद्ध 'येलो स्टोन नेशनल' पार्क के जीवाश्म से लगभग 40 करोड़ साल पुराने हैं। इसी पार्क में वैज्ञानिकों को यूरेनियम का भंडार मिलने की उम्मीद है। इसके लिए उनकी रिसर्च लगातार जारी है।
सोनभद्र के 150 करोड़ साल पुराने जीवाश्म
वैज्ञानिकों ने सोनभद्र की कुद्री पहाड़ी पर भी यूरेनियम पाए जाने की आशंका जताई है। यहां लगभग 100 टन यूरेनियम पाया जा सकता है। इसके लिए वैज्ञानिक इस पहाड़ी पर तीन जगह खुदाई भी करवा चुके हैं। हालांकि, अभी किसी भी तरह की सफलता नहीं मिल पाई है। साथ ही उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले भी यूरेनियम की मौजूदगी के संकेत मिल चुके हैं।
यूरेनियम का भंडार मिला तो इससे बिजली भी बनाई जा सकती है।
यूरेनियम के मिलने से लाभ
यह तो निश्चित तौर पर कहा जा सकता है कि अगर वैज्ञानिक इसे खोजने में सफल हो जाते हैं तो यह भारत के लिए बहुत बड़ी बात होगी। परमाणु ऊर्जा में इसका प्रयोग बिजली बनाने में सबसे ज्यादा किया जाता है और एक किलो यूरेनियम से लगभग 24 वॉट तक बिजली उत्पादन किया जा सकता है, इससे भारत को परमाणु ऊर्जा विभाग को मजबूत करने में मदद मिलेगी।
यूरेनियम दुनिया की सबसे कीमती धातु
यूरेनियम विश्व की सबसे कीमती धातुओं में गिनी जाती है। भारत में इसके पाए जाने की आशंका एक बड़े चमत्कार की उम्मीद की तरह है। अगर भू-वैज्ञानिक इसे खोजने में सफल होते हैं तो यह भारत की आर्थिक तरक्की में बहुत बड़ा सहयोग होगा। भारत में अब तक 2.30 लाख टन यूरेनियम के भंडार मिले हैं। भारत में 7 परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में 22 रिएक्टर हैं, जिसमें 478 टन यूरेनियम हर साल इस्तेमाल होता है।
यह रिएक्टर लगभग 6780 मेगावॉट की क्षमता के साथ बिजली पैदा करते हैं। भारत की 2030 तक 40,000 मेगावॉट ऊर्जा क्षमता करने की तैयारी है, जो वर्तमान में लगभग 7,000 मेगावॉट है। यह बहुत ही शक्तिशाली और सक्रिय तत्व है। आंध्र प्रदेश और झारखंड यूरेनियम के सबसे बड़ा उत्पादक है। झारखंड में इसकी गुणवत्ता बेहद खराब बताई गई है।
Russia Ukraine War: अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा है कि उनकी ओर से यूक्रेन को ऐसे रॉकेट सिस्टम नहीं दिए जाएंगे जो रूस तक पहुंच सकें.
रूस के साथ जंग लड़ रहे यूक्रेन (Ukraine) के पास अब हथियारों और गोला बारूद की कमी देखने को मिल रही है. जर्मनी भी उसे कम हथियार सप्लाई कर रहा है. इस बीच अमेरिका (United States) ने भी यूक्रेन को झटका देने वाली बात कही है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) ने कहा है कि उनकी ओर से यूक्रेन को ऐसे रॉकेट सिस्टम नहीं दिए जाएंगे जो रूस तक पहुंच सकें. ऐसे में यह यूक्रेन के लिए झटका समझा जा रहा है. वहीं चीन (China) ने दावा किया है कि उसे यूरेनियम का भंडार मिला है. उसके अनुसार इसके बाद उसकी यूरेनियम भंडार की मात्रा बढ़कर 2 मिलियन टन हो गई है. देखिए ये रिपोर्ट…
वॉशिंगटनप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया विदेश यात्राओं का एक मकसद यह भी रहा है कि न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (NSG) की मेंबरशिप के लिए भारत को ग्लोबल लेवल पर सपॉर्ट हासिल हो जाए। इस समय NSG के 48 देश सदस्य हैं। NSG परमाणु रिऐक्टरों के लिए जरूरी यूरेनियम के निर्यात को कंट्रोल करता है। दुनिया के कुछ ही चुनिंदा देशों में यूरेनियम पाया जाता है, जहां इनका उत्खनन होता है।
वर्ल्ड न्यूक्लियर ऑर्गनाइजेशन के आंकड़ों के अनुसार दुनिया में रिकवरबेल (उत्खनन योग्य) यूरेनियम भंडार वाले 10 प्रमुख देश हैं:
1. दुनिया के ज्ञात यूरेनियम भंडार का 29 फीसदी ऑस्ट्रेलिया में है। यहां इसकी 17 लाख टन मात्रा है।
2. कजाख्स्तान में 12 फीसदी (6.8 लाख टन) यूरेनियम है।
3. रूस में 5 लाख टन यूरेनियम के साथ 9 फीसदी भंडार है।
4. कनाडा में 8 फीसदी (4.9 लाख टन) है।
5. नाइजर में 7 फीसीदी (4 लाख टन) है।
6. नामीबिया में 6 फीसदी (3.8 लाख टन) है।
7. साउथ अफ्रीका में 6 फीसदी (3.4 लाख टन) है।
8. ब्राजील में 5 फीसदी यूरेनियम के साथ 2.7 लाख टन भंडार है।
9. अमेरिका इस लिस्ट में नौवें नंबर पर है। उसके पास दुनिया का 4 फीसदी यूरेनियम यानी दो लाख टन का स्टोर है।
10. चीन 4 फीसदी यूरेनियम (1.9 लाख टन) के साथ इस लिस्ट में दसवें स्थान पर है।
इसके अलावा शेष 10 फीसदी यूरेनियम दुनिया के अन्य देशों में है। यह मात्रा सात लाख टन के करीब है। साल 2013 में दुनिया में उत्खनन योग्य यूरेनियम का 65 फीसदी हिस्सा केवल पांच देशों से निकाला जा रहा था। यह देश हैं, ऑस्ट्रेलिया, कजाख्स्तान, रूस, कनाडा और नाइजर।