धनी आश्रम में क्या काम करता था? - dhanee aashram mein kya kaam karata tha?

उत्तर : (क) धनी ने गांधी जी से सुबह के समय बात करना ठीक समझा होगा। सुबह के समय गांधी जी आश्रम में टहलते थे। उस समय उनके पास कोई काम नहीं होता था।

(ख) धनी बिन्नी की देखभाल कैसे करता था?

उत्तर : (ख) धनी बिन्नी को हरी-हरी घास खिलाता था। बर्तन में पानी पिलाता था। आश्रम में उसको लेकर घूमाता था। उसका पूरा-पूरा ख्याल रखता था।

(ग) धनी को यह कैसे महसूस हुआ होगा कि आश्रम में कोई योजना बनाई जा रही है?

उत्तर : (ग) आश्रम में सभी लोग गांधी जी के साथ बैठकर गंभीर बात कर रहे थे। गांधी जी उन्हें कुछ न कुछ निर्देश भी दे रहे थे। इन सब से धनी को लगा कि आश्रम में कोई योजना बनाई जा रही है।

उत्तर : गांधी जी दाडी यात्रा से लौटे, तो लोगों ने फूलों के हारों से उनका स्वागत किया। धनी ने भी उन्हें माला पहनाई। गांधी जी ने उसे गोद में उठा लिया। वह भागा-भागा गया और अपनी बकरी का दूध ले आया। इस पर हँसते हुए गांधी जी ने कहा, “चलते-चलते थक गया हूँ, अब ताकत लौट आएगी।” धनी ने खुश होकर कहा, “मैं सुबह शाम दूध लेकर आऊँगा, जिससे आप मेरी बिन्नी की तरह मोटे-ताज़े हो जाओगे। उसकी बात सुनकर सब हँस पड़े होंगे।

Quick Revision With Class 4 Hindi Chapter 9 Worksheets and Revision Notes

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नौ साल का धनी अपने माता-पिता के साथ अहमदाबाद के पास महात्मा गाँधी के साबरमती आश्रम में रहता था। इस आश्रम में पूरे भारत से लोग रहने आते थे। गाँधीजी की तरह वे सब भी भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ रहे थे। आश्रम में सबको कोई न कोई काम करना होता, जैसे खाना पकाना, बर्तन धोना, गाय और बकरियों का दूध दुहना आदि। धनी का काम था बिन्नी नाम की बकरी की देखभाल करना।

उस दिन जब धनी बिन्नी को घास खिला रहा था उस समय सभी गाँधीजी के कमरे में बैठकर कोई योजना बना रहे थे। धनी को सब बच्चा समझते थे लेकिन धनी का दावा था कि वह सबकुछ समझता है। वह बिन्नी को लेकर रसोईघर की ओर चला जहाँ उसकी माँ चूल्हा फेंक-फूककर खाना पका रही थी। माँ ने उसे बताया कि वे सब यात्रा पर जा रहे हैं। धनी कुछ और जानने के लिए तुरंत पूछ बैठा-कहाँ की यात्रा पर जा रहे हैं? लेकिन माँ ने डॉटकर उसे वहाँ से भगा दिया। इसके बाद धनी सीधा बिंदा चाचा के पास गया जो खेत में आलू खोद रहा था। बिंदा चाचा ने उसे बताया-गाँधीजी और उनके कुछ साथी गुजरात में पैदल चलते हुए, दांडी नाम की जगह पर समुद्र के पास पहुँचेंगे और वहाँ नमक बनाएंगे। नमक के नाम पर धनी चौंक उठा। उसकी नजर में नमक जब दुकान में मिल रहा है तो उसे बनाने की जरूरत नहीं है। उसने बिंदा चाचा से पूछा-गाँधीजी नमक को लेकर विरोध क्यों कर रहे हैं? यह तो समझदारी वाली बात नहीं है। इस पर बिंदा चाचा ने धनी को बताया कि सभी-भारतवासी को, चाहे वह कितना भी गरीब क्यों न हो उसे नमक पर कर देना पड़ता है। और तो और ब्रिटिश सरकार की ओर से भारतीय लोगों को नमक बनाने की मनाही भी है। महात्मा गाँधी ने ब्रिटिश सरकार को कर हटाने को कहा लेकिन उन्होंने यह बात ठुकरा दी। इसलिए उन्होंने निश्चय किया कि वे दांडी चलकर जाएंगे और समुद्र के पानी से नमक बनाएंगे। इतना सुनते ही धनी कहने लगा-तब तो गाँधीजी बड़े अक्लमंद हैं।

धनी ने मन-ही-मन निश्चय कर लिया कि वह भी दांडी जाएगा। दोपहर के समय वह सीधा अपने पिता के पास पहुँचा और अपना निर्णय उन्हें सुना दिया। पिताजी ने लाख समझाया लेकिन वह अपने निर्णय से नहीं हटा।

फिर उन्होंने कहा-सिर्फ वे लोग जाएंगे जिन्हें महात्माजी ने खुद चुना है। इसपर धनी बोला-ठीक है मैं उन्हीं के पास जाऊँगा और उनसे अनुमति मागूंगा।

अगले दिन धनी सुबह-सुबह गाँधीजी को ढूंढ़ने निकला। वे गौशाला में गायों को देख रहे थे। फिर सब्जी के बगीचे में चले गए। अंत में, गाँधीजी अपनी झोंपड़ी की ओर चले । बरामदे में चरखे के पास बैठकर उन्होंने स्वयं धनी को पुकार लिया। खुशी-खुशी धनी उनके पास गया और हिम्मत करके उनसे पूछ ही लिया-क्या मैं आपके साथ दांडी चल सकता हूँ? गाँधीजी ने मुस्कुराते हुए कहा-तुम अभी छोटे हो, बेटा। सिर्फ तुम्हारे पिता जैसे नौजवान ही मेरे साथ दांडी की दूरी तय कर पाएँगे। इसपर धनी बोला–पर आप तो नौजवान नहीं हैं। आप नहीं थक जाएंगे? गाँधीजी कुछ सोचकर बोले-अगर तुम मेरे साथ जाओगे तो बिन्नी की देखभाल कौन करेगा? इतना चलने के बाद, मैं तो कमजोर हो जाऊँगा। इसलिए, जब मैं वापस आऊँगा तो मुझे खूब सारा दूध पीना पड़ेगा, जिससे कि मेरी ताकत लौट आए। धनी गाँधीजी की बात तुरंत समझ गया। उसने कहा-ठीक है, मैं आपके लिए बिन्नी की देखभाल करूंगा और आपका इंतजार भी।

शब्दार्थ : बुडू-मूर्ख । उतावला होना-धीरज खो बैठना। खिलाफ-विरोध। मनाही-रोक। ठुकरा देना-मानने से इन्कार कर देना। हिम्मत-साहस । ताकत-शक्ति।

धनी कहाँ जाने की जिद कर रहा था?

उत्तर: धनी यात्रा पर जाने के लिए इसलिए उत्सुक था क्योंकि वह देश की स्वतंत्रता की लड़ाई में भाग लेना चाहता है। गाँधीजी को अपना सहयोग देना चाहता था। अगर मैं धनी की जगह होता तो मैं भी यात्रा पर जाने की जिद करता क्योंकि धनी की तरह मैं भी जागरूक हूँ।

धनी बिनी का ख्याल कैसे रखता था?

(ख) धनी बिन्नी को हरी-हरी घास खिलाता था। बर्तन में पानी पिलाता था। आश्रम में उसको लेकर घूमाता था। उसका पूरा-पूरा ख्याल रखता था

क्या तुम गांधीजी के तर्क से सहमत हो क्यों?

क्या तुम गांधी जी के तर्क से सहमत हो? क्यों? उत्तर : (ख) गांधी जी ने धनी को बिन्नी की देखभाल के लिए राजी करके मनाया। हाँ, हम गांधी जी के तर्क से सहमत हैं क्योंकि इतनी लंबी यात्रा बच्चे नहीं कर सकते।

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