Here we are providing Class 12 Hindi Important Extra Questions and Answers Aroh Chapter 2 पतंग. Important Questions for Class 12 Hindi are the best resource for students which helps in class 12 board exams. पतंग Class 12 Important Extra Questions Hindi Aroh Chapter 2प्रश्न 1. एक ओर शरद ऋतु का चमकीला संकेत है जहाँ तितलियों की रंगीन दुनिया है। बच्चों की किलकारियों से दिशाएँ भी मृदंग के समान बजती हैं। पच्ची भी उनकी कोमलता को छूने हेतु स्वयं उनका स्पर्श करना चाहती है। वे हर बार नवीन पतंगों का सबसे ऊँचा उझने का साहस लिए बार-बार भादों (अंधेरे) के पश्चात शरद (उजाले) की प्रतीक्षा करते है। प्रश्न 2, बच्चे यदि छतों के खतरनाक किनारों से बच जाते हैं तो क्या होता है? प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. प्रश्न 12. प्रश्न 13. प्रश्न 14. सप्रसंग व्याख्या, अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर सबसे तेज बौछारें गई भादों गया शब्दार्थ : भादों-बरसात का एक महीना। इशारों से-संकेतों से। रंगीन-रंग-बिरंगी। नाजुक-कोमल, निश्छल। शरद-शरद ऋतु, उजाला। झुंड-समूह । मुलायम-कोमल। प्रसंग : प्रस्तुत काव्यांश हमारी हिंदी की पाठ्य-पुस्तक ‘आरोह भाग-2’ में संकलित कवि ‘आलोक धन्या’ द्वारा रचित ‘पतंग’ नामक कविता से अवतरित है। इसमें कवि ने प्राकृतिक परिवर्तन के साथ-साथ बाल-मन की सुलभ चेष्टाओं का मनोहारी चित्रण किया है। व्याख्या : कवि का कथन है कि प्रकृति का अद्भुत सौंदर्य परिवर्तित हो गया है। तन-मन को भिगो देने वाली तेज बौछारें समाप्त हो गई हैं तथा भादों मास समाप्त हो गया है। खरगोश की आँखों के समान लालिमा और चमक से युक्त सवेरा हो गया है। दूसरी ओर शरद का महीना भी अनेक झड़ियों और बौछारों को पार करके आ गया है। कवि शरद का मानवीकरण करते हुए कहता है कि शरद अपनी नई चमकदार साइकिल को तेज गति से चलाते हुए तथा जोर-शोर से उसकी घंटी बजाकर पतंग उड़ाने वाले बच्चों के समूह को सुंदर संकेतों के माध्यम से बुला रहा है। उसने अपने चमकदार संकेतों और मधुर ध्वनियों से आकाश को भी इतना कोमल बना दिया है कि पतंग इस असीम आकाश में ऊपर उठ सके। कवि कल्पना करता हुआ कहता है कि ताकि दुनिया की सबसे हल्की, कोमल व रंग-बिरंगी वस्तु उड़ सके। संसार के पहले पतले कागज़ के साथ बाँस की सबसे पतली कमानी भी इसके साथ उड़ जाए और इनको उड़ता हुआ देखकर बच्चों की सीटियाँ और किलकारियाँ गूंज सकें तथा कोमल तितलियाँ मधुर गुंजार करने लगे। अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर प्रश्न
7. खरगोश की आँखों जैसा लाल सवेरा और शरद का साइकिल। 2. जन्म से ही वे अपने साथ लाते हैं कपास शब्दार्थ कपास-रूई, कोमलता का भाव। नरम-कोमल। पेंग भरना-झूला-झूलना, झूला झूलते हुए इधर-उधर जाने की क्रिया। अकसर-प्रायः । बेसुध-बेहोश। मृदंग-नगाड़ा। डाल-शाखा, टहनी। प्रसंग प्रस्तुत काव्यांश हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘आरोह भाग-2’ में संकलित तथा ‘आलोक धन्वा’ द्वारा रचित ‘पतंग’ नामक कविता से अवतरित है। इसमें कवि ने कोमल बच्चों की इच्छाओं और क्रियाकलापों का चित्रण किया है। व्याख्या : कवि बाल-मन की चेष्टाओं का मनोहारी चित्रण करते हुए कहता है कि बालक जन्म से अत्यंत नाजुक और कोमल होते हैं। वे अपने जन्म के साथ ही कोमलता का भाव लेकर आते हैं। बच्चों की कोमलता को स्पर्श करने के लिए पृथ्वी भी लालायित रहती है। जब वे मकान की छतों को अपने कोमल पाँवों से कोमल बनाते हुए बेसुध होकर दौड़ते हैं तो पृथ्वी भी उनके बेचैन पाँवों के पास उनका स्पर्श करने हेतु घूमती हुई आती है। बच्चे अपनी किलकारियों के द्वारा सभी दिशाओं को नगाड़ों की तरह बजाते प्रतीत होते हैं। वे प्रायः वृक्ष की शाखा की भाँति कोमल लचीले वेग के साथ इधर-उधर झूलते हुए से अपनी मस्ती में डूबकर दौड़े आते हैं। अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर प्रश्न
3 छतों के खतरनाक किनारों तक शब्दार्थ : रोमांचित-रोमांच से परिपूर्ण, चंचल, गतिशील। महज़-केवल, मात्र । थाम लेती है-सहारा देती हैं। रंधों-सुराखों, छिद्रों। प्रसंग : प्रस्तुत काव्यांश हिंदी की पाठ्य-पुस्तक ‘आरोह भाग-2’ में संकलित कवि ‘आलोक धन्वा’ द्वारा रचित ‘पतंग’ नामक कविता से लिया गया है। इसमें कवि ने बाल सुलभ इच्छाओं और क्रियाकलापों का सजीव चित्रण किया है। व्याख्या : कवि कोमल बच्चों के क्रिया-कलापों का चित्रण करते हुए कहता है कि जब बच्चे अपनी पतंगों को उड़ाने के लिए मकानों की छतों के खतरनाक किनारों पर दौड़ते हैं तो उन्हें अन्य कोई बचाने नहीं आता बल्कि उनके रोमांचित शरीर का संगीत ही उनकी रक्षा करता है, उन्हें गिरने से बचाता है। जो पतंग मात्र एक धागे के सहारे असीम आकाश में उड़ रही होती है तो वह भी अपनी डोलती ऊँचाइयों से कोमल बच्चों को सहारा प्रदान करती है। ये कोमल बच्चे असीम आकाश में उड़ने वाले पतंगों के साथ-साथ अपने रोमछिद्रों के सहारे स्वयं भी उड़ रहे हैं। बाल-मन भी ऊँचाइयों को छू रही पतंगों के साथ आकाश में उड़ना चाहता है। वह उनकी हदों को पार करना चाहता है। वैसे भी इन कोमल बच्चों का कोमल मन भी इन्हीं पतंगों के साथ आकाश में उड़ रहा होता है। अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर प्रश्न
4. अगर वे कभी गिरते हैं छतों के खतरनाक किनारों से शब्दार्थ : सुनहले सूरज-सुनहरा सूर्य। प्रसंग : प्रस्तुत पद्यांश हिंदी की पाठ्य-पुस्तक ‘आरोह भाग-2’ में संकलित कविता ‘पतंग’ से अवतरित किया गया है जिसके कवि आलोक धन्वा हैं। इसमें कवि ने बाल सुलभ चेष्टाओं का चित्रण किया है। व्याख्या : कवि का कथन है कि अगर बच्चे अपनी पतंगों को उड़ाते कभी छतों के खतरनाक किनारों से गिर जाते हैं और यदि वे बच जाते हैं तो उनमें और साहस और निडरता पैदा हो जाती है। इन खतरनाक किनारों से बचने के बाद वे और भी निडरता के साथ सुनहरे सूर्य के सामने आते हैं। कोमल बच्चों की बाल-चेष्टाओं, निडरता और साहस को देखकर पृथ्वी भी उनके बेचैन पाँवों के पास और भी तेज गति से घूमने लगती है। |