दुर्योधन को कैसे पता चला की कर्ण कुंती पुत्र है - duryodhan ko kaise pata chala kee karn kuntee putr hai

विषयसूची

  • 1 दुर्योधन को कैसे पता चला कर्ण कुंती पुत्र है?
  • 2 करण और अर्जुन पूर्व जन्म में कौन थे?
  • 3 कर्ण के कितने पुत्र थे?
  • 4 कर्ण की मृत्यु के बाद क्या हुआ?
  • 5 अर्जुन ने कर्ण को कितनी बार हराया?
  • 6 दुर्योधन की मृत्यु के बाद भानुमति का क्या हुआ?

दुर्योधन को कैसे पता चला कर्ण कुंती पुत्र है?

जन्म के समय उसे माता कुंती ने नदी में बहा दिया लेकिन उसका पालन पोषण राधा और अधिरथ ने किया था।

  • गुरू द्रोणाचार्य ने कर्ण को शिक्षा देने से मना नहीं किया था।
  • रंगभूमि में दुर्योधन ने कर्ण को अंग देश का राजा बना दिया था।
  • कर्ण ने अपने कवच और कुंडल देने से पहले वासवी शक्ति मांग की थी।
  • करण और अर्जुन पूर्व जन्म में कौन थे?

    इसे सुनेंरोकेंमहाभारत की कथा में एक ही व्यक्ति था जिसके बारे में मान्यता थी कि उसने कवच कुंडल के साथ जन्म लिया था यह कोई और नहीं बल्कि कर्ण ही थे। दरअसल कर्ण ही पूर्वजन्म में दंभोद्भवा नामक असुर था। कर्ण का वध करने के लिए ही कृष्ण और अर्जुन को वापस पुनर्जन्म लेना पड़ा था।

    कर्ण ने अर्जुन को क्यों नहीं मारा?

    इसे सुनेंरोकेंकवच और कुंडल : भगवान कृष्ण और अर्जुन के पिता देवराज इंद्र यह भली-भांति जानते थे कि जब तक कर्ण के पास उसका कवच और कुंडल है, तब तक उसे कोई नहीं मार सकता। तब श्री कृष्ण की युक्ति अनुसार देवराज इंद्र ने ब्राह्मण बन दानवीर कर्ण से दान में कवच और कुंडल मांग लिए।

    कर्ण ने दुर्योधन का साथ क्यों दिया?

    इसे सुनेंरोकेंवहीं, दुर्योधन नहीं चाहता था कि यह प्रतियोगिता अर्जुन जीत जाए, इसलिए दुर्योधन ने कर्ण को अंग देश का राज सौंप दिया और उसे अंगराज घोषित कर दिया। इस तरह दुर्योधन ने कर्ण को अर्जुन से मुकाबला करने की योग्यता दी। इस घटना के बाद कर्ण सदा दुर्योधन का आभारी रहा और उसे अपना परम मित्र मानने लगा।

    कर्ण के कितने पुत्र थे?

    इसे सुनेंरोकेंरुषाली और सुप्रिया से कर्ण के नौ पुत्र थे। वृशसेन, वृशकेतु, चित्रसेन, सत्यसेन, सुशेन, शत्रुंजय, द्विपात, प्रसेन और बनसेन। कर्ण के सभी पुत्र महाभारत के युद्ध में शामिल हुए, जिनमें से 8 वीरगति को प्राप्त हो गए।

    कर्ण की मृत्यु के बाद क्या हुआ?

    इसे सुनेंरोकेंये तीनों और समस्त पांडव सेना कर्ण के मृत्यु के पश्चात् अत्यंत प्रसन्न थे क्यूंकि कर्ण उनके विजय पथ में अंतिम रोड़ा था। हालांकि जब युधिष्ठिर को कर्ण के रहस्य के बारे में मालूम हुआ, तब वे अत्यंत शोकाकुल हो उठे। उन्होंने कर्ण का अंतिम संस्कार किया और समस्त नारी जाति को शाप तक दे दिया।

    अर्जुन पूर्व जन्म में क्या था?

    इसे सुनेंरोकें3/11पूर्वजन्म में अर्जुन अर्जुन के बारे में यह बात तो आप जान ही चुके हैं कि वह पूर्वजन्म में नारायण के जुड़वां भाई नर थे। नर और नारायण ने दंभोद्भवा नामक असुर का वध करने के लिए जन्म लिया था। दंभोद्भवा ने भगवान सूर्य की तपस्या करके उनसे एक हजार कवच का वरदान मांग लिया था।

    कलयुग किसका पुत्र है?

    इसे सुनेंरोकेंभविष्य पुराण के अनुसार, कलयुग में युधिष्ठिर वत्सराज नाम के रजा के पुत्र बने और कलयुग में उनका नाम मलखान हुआ।

    अर्जुन ने कर्ण को कितनी बार हराया?

    इसे सुनेंरोकेंजबकि युद्ध में योद्धा एक दूसरे पर अस्त्र शस्त्र से प्रहार करते हैं, और घायल भी करते हैं। इन प्रहारों को हार या जीत नहीं कहा जा सकता। कर्ण भक्तों को खुश होने के लिए बस यही बचा है। विराटपर्व में अर्जुन द्वारा कर्ण को दो बार परास्त किया गया तथा दोनों ही बार कर्ण कायरों की तरह वहाँ से पीठ दिखा कर भाग गया.

    दुर्योधन की मृत्यु के बाद भानुमति का क्या हुआ?

    इसे सुनेंरोकें7/7दुर्योधन की मृत्यु के बाद भानुमती ने किया इनसे विवाह लेकिन किस्मत को कुछ और मंजूर था। महाभारत युद्ध में दुर्योधन और कर्ण दोनों मारे गए। महाभारत युद्ध में अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु ने भानुमती के पुत्र लक्ष्मण का वध कर दिया।

    कर्ण और दुर्योधन की दोस्ती कैसे हुई?

    इसे सुनेंरोकेंदुर्भाग्य से कर्ण एक सार्थी का पुत्र था। उसी सभा में जब दुर्योधन ने कर्ण के चेहरे पर तेज और साहस देखा तो वह उस से अधिक प्रभावित हुआ। उसने उसी समय कर्ण को अंगराज राज्य देकर उसे राजा घोषित कर दिया। उस दिन संध्या हो जाने पर कर्ण और अर्जुन के बीच युद्द तो नहीं हो सका लेकिन दुर्योधन और कर्ण के बीच एक अटूट मित्रता हो गई।

    महाभारत में कुंती पुत्र कर्ण को अधिरथ और राधा ने पाला था। वह बालक गंगा में बहता हुआ एक किनारे से जा लगा। उस किनारे पर ही धृतराष्ट्र का सारथी अधिरथ अपने अश्व को जल पिला रहा था। उसकी दृष्टि मंजूषा में रखे इस शिशु पर पड़ी। अधिरथ ने उस बालक को उठा लिया और अपने घर ले गया। अधिरथ निःसंतान था। अधिरथ की पत्नी का नाम राधा था। राधा ने उस बालक का अपने पुत्र के समान पालन किया। उस बालक के कान बहुत ही सुन्दर थे इसलिए उसका नाम कर्ण रखा गया। इस सूत दंपति ने ही कर्ण का पालन-पोषण किया था इसलिए कर्ण को 'सूतपुत्र' कहा जाता था तथा राधा ने उसे पाला था इसलिए उसे 'राधेय' भी कहा जाता था।


    कर्ण दुर्योधन का पक्का मि‍त्र था। दुर्योधन ने उसे अंगदेश का राजा बना दिया था। कर्ण यह नहीं जानता था कि उसकी असली मां कौन है, परंतु उसे यह पता चल गया था कि उसके पिता सूर्यदेव हैं। बहुत समय तक कर्ण और दुर्योधन साथ रहे, परंतु भीष्म पितामह ने यह कभी नहीं बताया कि तुम कुंती पुत्र हो और पांडवों के भाई हो। भीष्म जानते थे कि कर्ण पांडवों का ही भाई है लेकिन उन्होंने ये बात कौरव पक्ष से छिपाकर रखी। कर्ण का सत्य छिपाना भी महाभारत युद्ध का एक बड़ा कारण बना। यह बात भीष्म ने ही नहीं श्रीकृष्ण ने भी छिपा कर रखी। खुद कर्ण भी जब युद्ध तय हो गया तब जान पाया।

    कुंती भी राजमहल में कौरवों के बीच ही बहुत समय तक रही और बाद में वह महात्मा विदुर के यहां रहने लगी थी। कुंती भी यह जानती थी कि कर्ण मेरा पुत्र है और उसका एवं कर्ण का कई बार सामना हुआ परंतु कुंती ने भी यह बात तब तक जाहिर नहीं की जब तक की युद्ध तय नहीं हो गया।


    यही बात श्रीकृष्ण को भी बहुत पहले से पता था और वे भी कर्ण से कई बार मिले परंतु उन्होंने भी कभी इस बात को जाहिर नहीं किया। हालांकि यह बात श्रीकृष्ण ने ही पहली बार कर्ण को बताई थी कि तुम कुंती के पुत्र है। श्रीकृष्ण यह बात तब बताई थी जबकि वे कौरवों से पांडवों की ओर से अंतिम बार शांति प्रस्ताव लेकर गए थे और वहां उन्होंने पांच गांव की मांग की थी, परंतु जब दुर्योधन ने उनकी मांग ठुकरा दी तो फिर श्रीकृष्ण को समझ आ गया कि अब युद्ध तय हो चुका है। ऐसे में उन्होंने महात्मा विदुर के यहां रुकने के दौरान कर्ण को बुलाया और वे दोनों एकांत में गए वहां श्रीकृष्ण ने कर्ण को यह राज बता दिया कि तुम्हारी माता कुंती है और पांडव तुम्हारे भाई है। यह जानकर कर्ण को बहुत धक्का लगा था और उन्होंने श्रीकृष्‍ण से वचन लिया कि आप यह बात पांडवों को नहीं बताओगे। इसके बाद कर्ण से मिलने के लिए कुंती भी माता एकांत में गई थी और उन्होंने कर्ण से इसके लिए क्षमा मांगी थी।

    कुंती कर्ण के पास गई और उससे पांडवों की ओर से लड़ने का आग्रह करने लगी। कर्ण को मालूम था कि कुंती मेरी मां है। कुंती के लाख समझाने पर भी कर्ण नहीं माने और कहा कि जिनके साथ मैंने अब तक का अपना सारा जीवन बिताया उसके साथ मैं विश्‍वासघात नहीं कर सकता। तब कुंती ने कहा कि क्या तुम अपने भाइयों को मारोगे? इस पर कर्ण ने बड़ी ही दुविधा की स्थिति में वचन दिया, 'माते, तुम जानती हो कि कर्ण के यहां याचक बनकर आया कोई भी खाली हाथ नहीं जाता अत: मैं तुम्हें वचन देता हूं कि अर्जुन को छोड़कर मैं अपने अन्य भाइयों पर शस्त्र नहीं उठाऊंगा।'

    जब कर्ण का वध हो गया उसके बाद उसके दाह संस्कार के समय ही दुर्योधन को यह बात पता चली की कर्ण कुंती पुत्र था। यह जानकर सभी हैरान रह गए थे।

    दुर्योधन को कैसे पता चला की कर्ण कुंती का पुत्र है?

    कर्ण की वास्तविक माँ कुन्ती थीं और कर्ण और उनके छ: भाइयों के धर्मपिता महाराज पांडु थे। कर्ण के वास्तविक पिता भगवान सूर्य थे। कर्ण का जन्म पाण्डु और कुन्ती के विवाह के पहले हुआ था। कर्ण दुर्योधन का सबसे अच्छा मित्र था और महाभारत के युद्ध में वह अपने भाइयों के विरुद्ध लड़ा।

    दुर्योधन अपने पिछले जन्म में कौन था?

    राजा का पहला पुत्र होने के नाते, वह कुरु वंश और उसकी राजधानी हस्तिनापुर का राजकुमार था। परंतु दुर्योधन अपने चचेरे भाई युधिष्ठर से छोटा था। कर्ण दुर्योधन का सबसे करीबी मित्र थादुर्योधन महाभारत युद्ध का एक प्रमुख योद्धा व पात्र था

    पांडवों को कब पता चला की कर्ण उनका भाई है?

    उनके कोई पुत्र न था, इसलिए उनके छोटे भाई विचित्रवीर्य हस्तिनापुर की राजगद्दी पर बैठे।

    अर्जुन और कर्ण पूर्व जन्म में कौन थे?

    दरअसल कर्ण ही पूर्वजन्म में दंभोद्भवा नामक असुर था। कर्ण का वध करने के लिए ही कृष्ण और अर्जुन को वापस पुनर्जन्म लेना पड़ा था। पूर्वजन्म में जब दंभोद्भवा का कवच टूटता और नर नारायण में से एक की मृत्यु होती तो दूसरा अपने तप से दूसरे को जीवित कर देता और दंभोद्भवा से युद्ध करने लगता तब तक दूसरा भाई तप करता रहता।