दक्षिण मुखी हनुमान जी की विशेषता - dakshin mukhee hanumaan jee kee visheshata

सकलडीहा (चंदौली): भारतीय अध्यात्म की दुनिया में दक्षिण मुखी हनुमानजी की अपनी अलग ही महत्ता है। दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर भारत में चंद स्थानों पर हैं। औड़ौली स्थित हनुमान मंदिर में स्वयंभू हनुमान की मूर्ति अलौकिक व आस्था की प्रतीक है। यहां हनुमान जयंती के अवसर पर विधिवत कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। मान्यता है कि मंदिर की चौखट पर सिर झुकाने वालों की मुराद अवश्य पूरी होती है।

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मंदिर में उध्र्वाकार दक्षिण मुखी हनुमानजी को लेकर क्षेत्र में तमाम किवदंतियां प्रचलित है। बुजुर्गो के अनुसार मंदिर का इतिहास लगभग सात सौ वर्ष पुराना है। उस समय वहां झाड़ झंखाड़ व जंगल हुआ करता था। कुछ ग्रामीण उस स्थान पर फावड़े से खोदाई कर रहे थे। तभी उनका फावड़ा किसी कठोर वस्तु से टकराया। सावधानीपूर्वक खुदाई करने पर मिट्टी के नीचे हनुमान जी मूर्ति आकार लेने लगी। लेटे मुद्रा में हनुमान जी को देख ग्रामीणों ने मूर्ति को सीधे करने के उद्देश्य से और गहरी खुदाई की और उसे मंदिर का आकार दे दिया। कालांतर में ग्रामीण परदेशी राय के नेतृत्व में वर्षो पूर्व पुन: मूर्ति को खड़ा करने का प्रयास किया गया। आज मंदिर के दक्षिण दिशा में मुंह किए हनुमानजी की लेटी हुई मुद्रा की मूर्ति आस पास के जनपदों के भक्तों की आस्था की केंद्र है।

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रामायण के एक प्रसंग में हनुमान के Panchamukha Hanuman बनने का उल्लेख मिलता है। जब प्रभु श्री राम और रावण के बीच भीषण युद्ध चल रहा था उस समय रावण को यह आभास हो चुका था कि वह अपनी हार के अत्यंत निकट है। ऐसे में रावण को एक चालाकी सूझी और उसने अपने मायावी, तंत्र-मंत्र के विख्याता और मां भवानी के परम भक्त अहिरावण को बुलाया। अहिरावण ने आते ही भीषण युद्ध कर रही पूरी सेना को गहरी निद्रा में सुला दिया।  इसके बाद वह प्रभु श्री राम और भाई लक्ष्मण को अपने संग पाताल लोक ले गया।  

गहरी निद्रा में सोई हुई सेना जब जाएगी और विभीषण ने पूरी घटना को जांचा परखा तो पाया कि यह कार्य अहिरावण के सिवाय कोई और नहीं कर सकता है। फिर विभीषण ने hanuman ji को भगवान राम और लक्ष्मण को अहिरावण के चंगुल से बचाने के लिए पाताल लोक भेजा।

Hanumantha god जैसे ही पाताल लोक पहुंचे वहां द्वार पर उन्हीं का पुत्र मकरध्वज पहरा लगाते हुए नज़र आया। अपने पुत्र को हराकर ही वे भगवान राम और लक्ष्मण तक पहुँच पाए।  

हनुमान जी अब उस स्थान पर पहुँच चुके थे जहाँ भगवान राम और लक्ष्मण को बंदी बनाया गया था। उन्होंने देखा कि पाँचों दिशा में दीपक जल रहा है जिसे अहिरावण ने मां भवानी के लिए जलाया था।  इन दीपक को एक साथ बुझाने से ही अहिरावण का वध भी निश्चित था इसे देखते हुए हनुमान जी ने 5 mukhi hanuman रूप धारण किया और इन पांच दीपक को एक साथ बुझा दिया।  

इस तरह से हनुमान जी ने पंचमुखी रूप धारण कर प्रभु श्री राम और लक्ष्मण को अहिरावण की कैद से मुक्त कराया और दैत्य का नाश भी कर दिया।  

पंचमुखी हनुमान में कौन-कौन से देवता है? ( Who are the Gods in Panchmukhi Hanuman? )

1. Panchamukhi Hanuman में पांच देवताओं का वास है और ये पांचों देवता पांच दिशाओं की ओर मुख किये हुए हैं।  

2. हनुमान जी का वानर मुख पूर्व दिशा की तरफ मुख किये हुए है जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
  
3. गरुड़ मुख पश्चिम दिशा में मुख किये है जो जीवन में आने वाली सभी अड़चनों का नाश करता है।  

4. वराह मुख उत्तर दिशा की ओर है। यह मुख दीर्घायु, लोकप्रियता और साहस प्रदान करता है।  

5. दक्षिण दिशा की ओर मुख किये हुए नरसिंह मुख है। यह व्यक्ति की समस्त चिंताओं को दूर करता है।  

6. हनुमान जी का अश्व मुख आकाश की तरफ है जो व्यक्ति की हर इच्छा को पूरा करता है।  

हनुमान का जन्म कब और कैसे हुआ? ( When did Hanuman God born? )

हनुमान जी का जन्म अंजनी नामक अप्सरा के गर्भ से हुआ था जिन्हें एक श्राप का फल भोगते हुए धरती पर वानर के रूप में जन्म लेना पड़ा। उन्हें वरदान प्राप्त था कि एक पुत्र को जन्म देने के बाद वे श्राप से हमेशा के लिए मुक्त हो जाएंगी वाल्मीकि रामायण के अनुसार हनुमान के पिता केसरी और माता अंजनी ने भगवान शिव की कठोर तपस्या की थी इसके बाद जाकर उन्हें हनुमान पुत्र की प्राप्ति हुई थी।

वहीँ एक पौराणिक कहानी में जिक्र इस बात का भी मिलता है कि जब मारुती वन में अंजनी को देखकर उनपर मोहित हो गए थे जिसके बाद अंजनी गर्भवती हो गई थी। इस प्रकार पवन पुत्र हनुमान ने जन्म लिया।  

एक कथा तो यह भी कहती है कि महाराजा दशरथ ने पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ का आयोजन किया था। उस समय तीनों रानियों को पुत्र प्राप्ति के लिए खीर खिलाई गई थी। उस खीर का एक भाग कौआ अंजनी के पास ले गया। मां अंजनी ने उस खीर को प्रसाद समझकर चख लिया जिसके बाद हनुमान ने जन्म लिया।  

हनुमान जी का नाम बालाजी क्यों पड़ा? ( Hanuman ji ka naam balaji kyon pada? )

हनुमान जी को बालाजी ( Bala ji ) इसलिए कहा जाता है क्योंकि कई जगह हनुमान जी के बालपन की पूजा-अर्चना की जाती है। इसके पीछे भी एक कहानी प्रचलित है जिसके अनुसार भगवान श्री राम आज से 500 वर्ष पूर्व कलयुग की धरती पर आये थे। उन्होंने हनुमान जी को यहाँ लोगों के दुःख-दर्द दूर करने का आदेश दिया था।  साथ ही यह भी कहा था कि तुम्हारे द्वार पर आने वाले सभी भक्तों के रोगों और भूत-प्रेत बाधा को ठीक करना होगा।   

इसी तरह एक दिन एक ब्राह्मण ने अपने सपने में हनुमान जी को देखा, जो ब्राह्मण को पहाड़ी के नीचे खुदाई करने का आदेश दे रहे थे। वह ब्राह्मण हनुमान जी के निर्देशानुसार उस स्थान पर पहुंचा और जमीन खोदना शुरू कर दिया। कुछ देर खोदने के बाद उन्हें हनुमान जी की एक मूर्ति मिली जो बाल रूप में थी।

हनुमान जी ने अपने बाल रूप में ब्राह्मण को वहां एक मंदिर बनाने के लिए कहा जो सभी प्रभावित लोगों को ठीक कर देंगे। काला जादू, शोक या गंभीर बीमारी के शिकार लोगों को इन सभी समस्याओं से छुटकारा दिलाएंगे। इस प्रसंग के बाद से ही हनुमान जी के बाल रूप की पूजा की जाने लगी। ऐसा भी माना जाता है कि कलयुग में बालाजी ( balaji ) में ही भगवान राम निवास करते हैं।  

हनुमान जी की कृपा पाने का सबसे सरल उपाय क्या है? ( Hanuman ji ki kripa pane ka sabse saral upay? )

हनुमान जी की कृपा पाने का सबसे सरल उपाय है panchmukhi hanuman kavach को धारण कर लिया जाए। रोजमर्रा की भागती दौड़ती इस ज़िन्दगी में सभी नियमित तौर पर पूजा पाठ करने में सक्षम नहीं हो पाते हैं। इस तरह कवच एक ऐसा उपाय है जिसे एक बार विधिवत पूजा पाठ कर धारण कर लिया तो हनुमान जी का साथ सदैव भक्त के साथ बना रहेगा।  

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हनुमान जी के जीवन से हमें क्या प्रेरणा मिलती है? ( Hanuman ji ke jeevan se hume kya prerna milti hai? )

हनुमान जी का जीवन सदैव ही चुनौतियों से भरा रहा है लेकिन उन्होंने विकट परिस्थितियों में भी कभी हार नहीं मानी। यह हनुमान जी का पहला ऐसा गुण है जो हमें प्रेरणा देता है। उन्होंने हर उस कार्य और इच्छा को पूरी दृढ़ता के साथ पूरा किया फिर चाहे सूर्य को फल समझकर खाने की भूल हो या लक्ष्मण के प्राणों की रक्षा के लिए उठाया गया पर्वत हो।

दूसरा गुण है सेवा भाव का। उन्होंने अपने प्रभु श्री राम की सेवा में कोई कसर नहीं छोड़ी। उनमें सेवा का भाव इतना अधिक था कि वे अहिरावण से भगवान राम और लक्ष्मण को बचाने के लिए अपने पुत्र तक से लड़ गए।  

तीसरा गुण जिसे हमें सीखने की जरूरत है वह निडरता है।  वे हर बुरे संकट में निडर होकर लगे रहे किसी भी कार्य को करते हुए उनमें किसी तरह का डर नहीं था। तभी तो उन्होंने रावण की लंका में अपनी पूँछ से आग लगा डाली। यदि आप रामायण के हर एक पात्र का गहराई से आकलन करेंगे तो उन सभी में कोई न कोई ऐसा गुण विद्यमान है जो हमें प्रेरणा प्रदान करता है। 

पंचमुखी हनुमान की तस्वीर घर में कहाँ लगाए? ( Panchmukhi hanuman ji ki tasvir ghar me kaha lagaye? )

ऐसा माना जाता है कि hanuman ji ki tasvir को दक्षिण दिशा में लगाना चाहिए। इससे हनुमान जी की कृपा अति शीघ्र प्राप्त होगी और वह प्रभावशाली अधिक होगी। साथ ही घर में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा का भी नाश होगा।  

पंचमुखी हनुमान कवच सुनने से क्या होता है? ( Panchmukhi Hanuman Kavach sunne se kya hota hai? )

पंचमुखी हनुमान कवच सुनने से व्यक्ति को भूत-प्रेत की बाधा और बुरी शक्तियों से मुक्ति मिलती है। यह कवच किसी भी बड़े से बड़े संकट को शीघ्र टालने में सक्षम है। कहा तो यहाँ तक जाता है कि कवच पाठ से उस व्यक्ति में भी जान आ जाती है जिसके प्राण निकल रहे हों। यह काले जादू और तंत्र-मंत्र से भी रक्षा प्रदान करता है।     

पंचमुखी हनुमान जी का मुंह किधर होना चाहिए? ( Panchmukhi Hanuman ji ka muh kidhar hona chahiye? )

पंचमुखी हनुमान का मुख दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए। इससे हनुमान जी कृपा जल्दी प्राप्त होती है और लम्बे समय तक प्रभावशाली भी रहती है।  

हनुमान जी की कौन सी तस्वीर घर में लगाना चाहिए? ( Hanuman ji ki kaun si tasveer ghar me lagana chahiye? )

हनुमान जी की पंचमुखी तस्वीर को घर में लगाने से घर में मौजूद सभी परेशानियां दूर हो जाती है।

हनुमान जी के पुत्र का नाम क्या है? ( Hanuman ji ke putra ka naam kya hai? )

हनुमान जी के पुत्र का नाम मकरध्वज है। ये वही मकरध्वज है जिनसे हनुमान जी का युद्ध हुआ था जब वे अहिरावण के चंगुल से भगवान राम और लक्ष्मण को बचाने गए थे।   

हनुमान जी का 12 नाम क्या है? ( Hanuman ji ke 12 naam kya hai? )

1. ॐ हनुमान2. ॐ अंजनी सुत
3. ॐ वायु पुत्र
4. ॐ महाबल
5. ॐ रामेष्ठ
6. ॐ फाल्गुण सखा
7. ॐ पिंगाक्ष
8. ॐ अमित विक्रम
9. ॐ उदधिक्रमण
10. ॐ सीता शोक विनाशन
11. ॐ लक्ष्मण प्राण दाता
12. ॐ दशग्रीव दर्पहा

बालाजी और हनुमान में क्या अंतर है? ( Balaji aur Hanuman me kya antar hai? )

बालाजी हनुमान का बाल रूप है जबकि हनुमान उनका प्रौढ़ावस्था रूप है। बालाजी स्वाभाव से बेहद चंचल और शरारती प्रवृति के माने जाते हैं जबकि हनुमान जी दृढ संकल्पित है जो अपने उद्देद्श्य को पूरा करने के बाद ही दम भरते हैं।

हनुमान जी का मुंह दक्षिण दिशा में क्यों रहता है? ( Hanuman ji ka muh Dakshin disha me kyon rehta hai? )

हनुमान जी का मुख दक्षिण दिशा में होने की प्रमुख वजह यह है कि अब तक उन्होंने अपने जितने भी प्रभाव दिखाएं है वह सभी दक्षिण दिशा में ही दिखाएँ हैं। इसी दिशा में लंका है साथ ही सीता की खोज से लेकर लंका दहन और राम-रावण का भीषण युद्ध भी दक्षिण दिशा में ही किया गया था।

हनुमान चालीसा 7 बार पढ़ने से क्या होता है? ( Hanuman chalisa 7 baar padhne se kya hota hai? )

हनुमान चालीसा का निरंतर 7 बार पाठ करने से व्यक्ति के सभी चिंताएं दूर हो जाती हैं। भक्तों को भूत-पिसाच की समस्या से मुक्ति मिलती है। यदि आप हनुमान चालीसा का पाठ नहीं कर पाते है तो hanuman chalisa kavach locket धारण कर सकते हैं। चालीसा का पाठ करने और चालीसा कवच लॉकेट को धारण करने के प्रभाव लगभग एक समान है।  

हनुमान जी शिव के कौन से अवतार हैं? ( Hanuman ji shiv ke kaun se avtar hai? )

हनुमान जी भगवान शिव के 11 वें रूद्र अवतार हैं।  अपने इस अवतार में उन्होंने प्रभु श्री राम की सेवा की, रावण का वध करने और सीता माता को छुड़ाने में सहायता की।  

हनुमान जी का मुंह किधर होना चाहिए?

दक्षिण दिशा की ओर मुख करके हनुमानजी का चित्र इसलिए अधिक शुभ है क्योंकि हनुमानजी ने अपना प्रभाव सर्वाधिक इसी दिशा में दिखाया है। हनुमानजी का चित्र लगाने पर दक्षिण दिशा से आने वाली हर बुरी ताकत हनुमानजी का चित्र देखकर लौट जाती है।

दक्षिण मुखी हनुमान जी का क्या महत्व है?

दक्षिणामुखी हनुमान हनुमानजी की जिस प्रतिमा जिसका मुख दक्षिण दिशा की ओर होता है, वह हनुमानजी का दक्षिणमुखी स्वरूप है। दक्षिण दिशा काल यानी यमराज की दिशा मानी जाती है। हनुमानजी रुद्र यानी शिवजी के अवतार हैं, जो काल के नियंत्रक हैं। इसलिए दक्षिणामुखी हनुमान की पूजा करने पर मृत्यु भय और चिंताओं से मुक्ति मिलती है।

हनुमान जी की कौन सी फोटो घर के लिए अच्छी नहीं है?

वास्तु शास्त्र में कहा गया है कि घर अपवित्र स्थान, सीढ़ियों के नीचे, किचन में हनुमान जी की फोटो लगाने से बचना चाहिए. कहते हैं कि घर की दक्षिण दिशा में हनुमान जी की लाल रंग की बैठी हुई फोटो लगाने से नेगेटिव एनर्जी का प्रभाव कम होता है.

हनुमान जी के पैर के नीचे कौन है?

इस मंदिर की खासियत यह है कि इसमें जो मूर्ति स्थापित है, उसमें शनिदेव हनुमानजी के पैर के नीचे स्त्री रूप में बैठे दिखाई देते हैं।