दो समांतर श्रेढ़ियों का सार्व अंतर समान है।

गणित में समान्तर श्रेणी (अंग्रेज़ी: Arithmetic progression) अथवा समान्तर अनुक्रम संख्याओं का एक ऐसा अनुक्रम है जिसके दो क्रमागत पदो का अन्तर नियत होता है। जैसे अनुक्रम 4, 7, 10, 13, 16 ... एक समान्तर श्रेणी है जिसका सार्व अंतर 3 है। £tn=?

अनुक्रम ➡ यदि किसी संख्या समूह को लिखने में एक निश्चित नियम का पालन किया गया हो, उसे अनुक्रम कहते हैं।

पदान्तर ➡ अनुक्रम मे दो क्रमागत पदो का अंतर पदांतर कहलाता है।

यदि किसी समान्तर श्रेणी का प्रथम पद a1{\displaystyle a_{1}}

दो समांतर श्रेढ़ियों का सार्व अंतर समान है।
और सार्व अंतर d है तो श्रेणी का iवाँ पद (ai{\displaystyle a_{i}}
दो समांतर श्रेढ़ियों का सार्व अंतर समान है।
) निम्न प्रकार लिखा जाता है

ai=id+a0{\displaystyle a_{i}=id+a_{0}\,}

और व्यापक [[चित्र:|thumb|right|200px|]]रूप में

 an=am+(n−m)d.{\displaystyle \ a_{n}=a_{m}+(n-m)d.}

समान्तर श्रेणी के परिमित भाग को परिमित समान्तर श्रेणी कहते हैं और सामान्यतः केवल समान्तर श्रेणी कहा जाता है। परिमित समान्तर श्रेणी का योग को समान्तर श्रेणी कहते हैं।

समान्तर श्रेणी का व्यवहार इसके सार्व अन्तर d पर निर्भर करता है। यदि सार्व अन्तर:

  • धनात्मक है तो इसके पद धनात्मक अनन्त की ओर अग्रसर होंगे।
  • ऋणात्मक है तो इसके पद ऋणात्मक अनन्त की ओर अग्रसर होंगे।

यह अनुभाग परिमित समान्तर श्रेणी के बारे में है, अनन्त समान्तर श्रेणी के लिए देखें अनन्त समान्तर श्रेणी.

माना सार्व अंतर = d
पहली श्रेढ़ी का प्रथम पद = a
दूसरी श्रेढ़ी का प्रथम पद = b
तब, पहली श्रेढ़ी का 100वाँ पद = a + 99d
दूसरी श्रेढ़ी का 100वाँ पद = b + 99d
उनके वें पदों में अंतर = 100   [ दिया है ]
⇒ (a + 99d) – (b + 99d) = 100
⇒ a – b = 100    ...(i)
पहली श्रेढ़ी का a1000 = a + 999d
दूसरी श्रेढ़ी का a1000 = b + 999d
अत: उनके 1000वें पदों का अंतर = (a + 999d) (b + 999d) = a – b
= 100   [ (i) द्वारा ]

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प्रश्नानुसार, दो समान्तर श्रेढ़ियाँ क्रमशः a, a + d, a + 2d, .... , a + (n - 1)d

एवं b, b + d, b + 2d,…………, b + (n - 1)d

एवं [a + (100 - 1)d] - [b + (100 - 1)d] = 100

⇒ (a + 99d) - (b + 99a) = 100

⇒ a - b = 100 ….(1)

अब [a + (1000 - 1)d] - [b + (1000 - 1)d]

= (a + 999d) - (b + 999d)

= a - b = 100 [समीकरण (1) से]

अतः हजारवें पदों का अभीष्ट अन्तर = 100 होगा।

निम्नलिखित स्थितिओं में से किन स्थितियों में संबद्ध संख्याओं की सूचि A.P. है और क्यों?
प्रत्येक मीटर की खुदाई के बाद, एक कुआँ खोदने में आई लागत, जबकि प्रथम मीटर कुआँ खोदने में आई लागत 150 रु. है और बाद में प्रत्येक मीटर खुदाई की लागत 50 रु. बढ़ती जाती है।


कुआँ खोदने के लिए पहले मीटर का खर्च = 150 रु. = a1
कुआँ खोदने के लिए दूसरे मीटर का खर्च = 150 + 50 = 200 रु. = a2
कुआँ खोदने के लिए तीसरे मीटर का खर्च = 200 + 50 = 250 रु. = a3
कुआँ खोदने के लिए चौथे मीटर का खर्च = 250 + 50 = 300 रु. = a4
सार्व-अन्तर:
a2 – a4 = 200 - 150 = 50 रु.
a3 – a2 = 250 - 200 = 50 रु.
a4 – a3 = 300 - 250 = 50 रु.
अत: बानी संख्यों की सूची: 150, 200, 250, 300, ... जो कि एक A.P. है जिसका प्रथम पद 150 है और सार्व-अन्तर 50 है।


2 दो समांतर श्रेढ़ियों का सार्व अंतर समान है यदि इनके 100वें पदों का अंतर 100 है तो इनके 1000वें पदों का अंतर क्या होगा?

Solution. अतः हजारवें पदों का अभीष्ट अन्तर = 100 होगा

समांतर श्रेणी का सार्व अंतर क्या होता है?

गणित में समान्तर श्रेणी (अंग्रेज़ी: Arithmetic progression) अथवा समान्तर अनुक्रम संख्याओं का एक ऐसा अनुक्रम है जिसके दो क्रमागत पदो का अन्तर नियत होता है। जैसे अनुक्रम 4, 7, 10, 13, 16 ... एक समान्तर श्रेणी है जिसका सार्व अंतर 3 है।

1000वें पदों का अंतर क्या होगा?

अतः ,1000वें पदों का अंतर 100 ।

सार्व अंतर कैसे निकालते हैं?

सार्व अंतर (Common difference) वह निश्चित संख्या 2, जिसे जोड़ने पर सूची की अगली संख्या प्राप्त होती है, को सार्व अंतर कहते हैं। दूसरे शब्दों में प्रत्येक अगले पद तथा पूर्व पद का अंतर सार्व अंतर कहलाता है।