त्वरण ऋणात्मक होने स्थित समय ग्राफ कैसा प्राप्त होगा ? - tvaran rnaatmak hone sthit samay graaph kaisa praapt hoga ?

केस (d) ऋणात्मक त्वरण के साथ वस्तु की गति जो समय t1 पर दिशा बदलती है। 0 से t1 समयावधि में यह धनात्मक x की दिशा में गति करती है जबकि t1 एवं t2 के मध्य वह विपरीत दिशा में गतिमान है।

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वेग–समय ग्राफ से गतिमान वस्तु के विस्थापन की गणना

वेग-समय ग्राफ के अंतर्गत आने वाला क्षेत्रफल वस्तु के विस्थापन को व्यक्त करता है।

मान लिया कि एक वस्तु एकसमान गति u से चल रही है जिसका गति-समय ग्राफ चित्र में दिया गया है।

पुन: मान लिया कि यह वस्तु समय t = 0 से समय t = T तक चलती है।

इस गतिमान वस्तु का गति-समय ग्राफ निम्नांकित है

त्वरण ऋणात्मक होने स्थित समय ग्राफ कैसा प्राप्त होगा ? - tvaran rnaatmak hone sthit samay graaph kaisa praapt hoga ?

अत: इस गतिमान वस्तु द्वारा दिये गये समय में तय की गयी दूरी = ग्राफ में बने हुए आयत जिसकी ऊँचाई u और आधारT है का क्षेत्रफल

= लम्बाई × ऊँचाई

= u × T = uT

अत: ग्राफ द्वारा बने हुए आयत का क्षेत्रफल = uT

अर्थात ग्राफ द्वारा बने हुए आयत का क्षेत्रफल = वस्तु द्वारा दिये गये समय में तय की गयी दूरी = uT

यह क्षेत्रफल uT दिये गये गतिमान वस्तु के समयांतराल 0 से T समय में तय की गयी दूरी के बराबर है।

अत: गति-समय ग्राफ द्वारा गतिमान वस्तु के विस्थापन की गणना की जा सकती है।

इसका अभिप्राय यह है कि वेग तथा त्वरण किसी क्षण सहसा नहीं बदल सकते बल्कि परिवर्तन हमेशा सतत होता है।

एकसमान त्वरण से गतिमान वस्तु का शुद्धगतिकी संबंधी समीकरण

मान लिया कि एक सूक्ष्म आकार की वस्तु एकसमान त्वरण a से गति कर रहा है।

पुन: मान लिया कि इस वस्तु का समय 0 में प्रारंभिक वेग u है तथा समय t में अंतिम वेग = v है।

अत: त्वरण

`a=(dv)/(dt)`

`=>dv =a\ dt `

समीकरण के दोनों ओर समाकलित (integrate) करने पर हम पाते हैं कि

` int_(u)^(v) dv = int_(0)^(t)adt`

चूँकि यहाँ पर जब समय 0 से t होता है तब वेग u से v हो जाता है।

`:. [v]_u^v = a[t]_0^t `

⇒ v – = at

⇒ v = u + at - - - - - (i)

अब ऊपर के समीकरण को निम्नांकित तरीके से लिखा जा सकता है।

` (dx)/(dt) = u + at`

`=> dx = (u +at)dt`

पुन: दोनों ओर समाकलित करने पर

` => int_0^xdx=int_0^t(u+at)dt`

[t = 0 पर वस्तु x = 0 पर है लेकिन जब समय 0 से t होता है तब वस्तु की स्थिति 0 से बदलकर x हो जाती है।]

` =>[x]_0^x=int_0^tu\ dt + int_0^tatdt `

`=>x=uint_0^t\dt+a\int_0^t\tdt`

`=>x=u[t]_0^t+a[t^2/2]_0^t`

`=>x=ut+1/2at^2` - - - - - (ii)

अब समीकरण (i) से

v = u + at

दोनों ओर वर्ग करने पर हम पाते हैं कि

v2 = (u + at)2

⇒ v2 = u2 + 2 uat + a2t2

⇒ v2 = 2a(ut + 1/2 at2)

[ x= ut + 1/2 at2 का मान समीकरण (ii) से रखने पर हम पाते हैं कि]

⇒ v2 = u2 + 2ax - - - - (iii)

इस प्रकार हमें किसी वस्तु के सरल रेखा के अनुदिश एकसमान त्वरण के साथ गति की स्थिति में हमें तीन समीकरण प्राप्त होते हैं।

`v=u+at`

`x=ut+1/2at^2`

`v^2=u^2+2ax`

इन समीकरणों में प्रारंभिक वेग (u), अंतिम वेग (v) और त्वरण (a) का धनात्मक या ऋणात्मक होना वस्तु की गति की दिशा के धनात्मक या ऋणात्मक होने पर निर्भर होता है।

मुक्त पतन (फ्री फॉल)

जब किसी वस्तु को वायु के प्रतिरोध को शून्य मानते हुए पृथ्वी के गुरूत्वाकर्षण में एक ऊँचाई से छोड़ा जाता है तो वस्तु पृथ्वी की ओर नीचे गिरने लगती है, और इसे मुक्त पतन (फ्री फॉल) कहा जाता है।

मुक्त पतन (फ्री फॉल) में त्वरण को g से निरूपित किया जाता है तथा त्वरण, g का परिमाण 9.8 ms–2 होता है।

अत: मुक्त पतन (फ्री फॉल) एक समान त्वरण में सरल रेखा के अनुदिश गति होती है।

प्राय: किसी वस्तु के पृथ्वी की ओर गिरने की दिशा में पृथ्वी के गुरूत्वाकर्षण (g) का मान ऋणात्मक लिया जाता है और उस गुरूत्वाकर्षण (g) का मान – 9.8 ms–2 होता है।

लेकिन जब वस्तु को ऊपर की ओर गुरूत्वाकर्षण के विरूद्ध फेंका जाता है तब इस स्थिति में गुरूत्वाकर्षण (g) का मान प्राय: धनात्मक लिया जाता है।

सापेक्ष वेग या सापेक्ष गति या आपेक्षिक गति (रिलेटिव वेलोसिटी)

किसी गतिमान वस्तु का वेग दूसरे गतिमान वस्तु के सापेक्ष वेग को सापेक्ष वेग या सापेक्ष गति या आपेक्षिक गति (रिलेटिव वेलोसिटी) कहा जाता है।

मान लिया कि दो वस्तुएँ A और B क्रमश: औसत वेग vA और vB से एक ही विमीय क्षेत्र में यथा x-अक्ष के अनुदिश एक ही दिशा में चल रही है।

तथा यदि वस्तु A की स्थिति xA(0) और वस्तु B की स्थिति xB(o) समय t=0, पर है, तो उन दोनों वस्तु की स्थितियाँ किसी क्षण समय t में निम्नांकित होगी

xA(t) = xA(o) + vAt

xB(t) = xB(o) + vBt

अब वस्तु A और वस्तु B के बीच विस्थापन

xBA(t) = x B(t) – x A(t)

= [xB(o) – x A(o)] + (vB – vA)t

उपरोक्त इन समीकरणों को देखने से पता चलता है कि जब वस्तु A से देखते हैं तो वस्तु B का वेग vB – vA होता है क्योंकि A से B तक विस्थापन एकांक समय में vB–vA की दर से अनवरत बदलता रहता है।

अत: हम यह कहते हैं कि वस्तु B का वेग वस्तु A के सापेक्ष vB–vA है

अर्थात vBA=vB – vA

उसी प्रकार वस्तु A का वेग वस्तु B के सापेक्ष

vAB=vA – vB

इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि, vBA = –vAB

आपेक्षिक वेग के तीन केस (तीन स्थितियों में आपेक्षिक वेग)

मान लिया कि कोई दो वस्तुएँ A और B सरल रेखा के अनुदिश एक ही दिशा में चल रही है तथा उनके वेग क्रमश: vA और vB हैं।

Case–I: जब दो वस्तुओं का वेग समान हो

अब यदि वस्तु A का वेग, vA = vB (वस्तु B का वेग)

तो समय t में (xBA)

= xB(t)–xA = xB(0) – xA(0)

इसका अर्थ यह है कि दोनों वस्तुएँ एक दूसरे से हमेशा स्थिर दूरी (xB – xA(0)) पर हैं।

त्वरण ऋणात्मक होने स्थित समय ग्राफ कैसा प्राप्त होगा ? - tvaran rnaatmak hone sthit samay graaph kaisa praapt hoga ?

इस स्थिति में दोनों वस्तुओं का वेग या गति समान है। इन दोनों समान गति से चल रहे वस्तुओं का स्थिति-समय ग्राफ की रेखाएँ समांतर हैं। और इनका आपेक्षिक वेग, vBA या vAB शून्य के बराबर है।

केस –II: जब वस्तु B की गति वस्तु A की गति से अधिक है

इस स्थिति में वस्तु B की गति वस्तु A की गति से अधिक है ।

अर्थात, vB > vA

इसका अर्थ है कि, vB–vA का मान ऋणात्मक है।

त्वरण ऋणात्मक होने स्थित समय ग्राफ कैसा प्राप्त होगा ? - tvaran rnaatmak hone sthit samay graaph kaisa praapt hoga ?

इस स्थिति में एक वस्तु का स्थिति-समय ग्राफ दूसरे वस्तु के ग्राफ के ढ़ाल की अपेक्षा अधिक है।

केस–III: जब दोनों वस्तुएँ एक दूसरे के विपरीत दिशा में गतिमान हो अर्थात दोनों वस्तुओं के वेगों के चिन्ह विपरीत हैं

यदि दोनों वस्तुओं के वेग विपरीत चिन्हों के हैं। इसका अर्थ यह है कि दोनों वस्तुएँ एक दूसरे के विपरीत दिशाओं में चल रहे हैं। अर्थात एक के वेग का चिन्ह धनात्मक है तो दूसरी वस्तु के वेग का चिन्ह ऋणात्मक।

अर्थात वस्तु B का वेग = –vB

तथा वस्तु A का वेग = vA

त्वरण ऋणात्मक होने स्थित समय ग्राफ कैसा प्राप्त होगा ? - tvaran rnaatmak hone sthit samay graaph kaisa praapt hoga ?

इस केस में दोनों वस्तुओं के वेग के चिन्ह विपरीत हैं। इस स्थिति में दोनों वस्तुओं के स्थिति-समय का ग्राफ एक उभयनिष्ठ बिन्दु पर एक दूसरे को काटते हैं।

त्वरण समय ग्राफ का समय अक्ष के बीच का क्षेत्रफल क्या प्रदर्शित करता है?

त्वरण-समय आलेख के अधीन क्षेत्रफल वेग में परिवर्तन का प्रतिनिधित्व करता है।

त्वरण को ऋणात्मक कब लिया जाता है?

Solution : जब एक गतिशील वाहन के ब्रेक लगाने है तो वह वेग में मंदन प्रदर्शित करता है, जो ऋणात्मक त्वरण है ।

स्थिति समय ग्राफ से क्या प्राप्त होता है?

यह क्षेत्रफल uT दिये गये गतिमान वस्तु के समयांतराल 0 से T समय में तय की गयी दूरी के बराबर है। अत: गति-समय ग्राफ द्वारा गतिमान वस्तु के विस्थापन की गणना की जा सकती है। इसका अभिप्राय यह है कि वेग तथा त्वरण किसी क्षण सहसा नहीं बदल सकते बल्कि परिवर्तन हमेशा सतत होता है

ऋणात्मक त्वरण क्या होता है?

मंदन/ऋणात्मक त्वरण : जब निकाय का त्वरण वेग की विपरित दिशा में होता है, तो अवत्वरण कहलाता है । यह निकाय का एक ऋणात्मक त्वरण है।