मुहावरों के प्रयोग से भाषा आकर्षक बनती है। मुहावरे वाक्य के अंग होकर प्रयुक्त होते हैं। इनका अक्षरश: अर्थ नहीं बल्कि लाक्षणिक अर्थ लिया जाता है। पाठ में अनेक मुहावरे आए हैं। टोपी को लेकर तीन मुहावरे हैं; जैसे-कितनों को टोपी पहनानी पड़ती है। शेष मुहावरों को खोजिए और उनका अर्थ ज्ञात करने का प्रयास कीजिए। Show कितनों को टोपी पहनाना-अपने कार्य को करने हेतु बहुतों को मूर्ख बनाना। 992 Views गवरइया और गवरे की बहस के तर्कों को एकत्र करें और उन्हें संवाद के रूप में लिखें। गवरइया और गवरे की बहस तीन तर्कों पर हुई- 1866 Views गवरइया और गवरा के बीच किस बात पर बहस हुई और गवरइया को अपनी इच्छा पूरी करने का अवसर कैसे मिला? गवरइया व गवरा के बीच आदमी के कपड़े पहनने पर बहस हुई। गवरइया का कहना था कि आदमी कपड़े पहनकर जँचता है जबकि गवरा का कहना था कि आदमी कपड़े पहनकर अपनी कुदरती सुंदरता को ढक लेता है। 2240 Views किसी कारीगर से बातचीत कीजिए और परिश्रम का उचित मूल्य नहीं मिलने पर उसकी प्रतिक्रिया क्या होगी? ज्ञात कीजिए और लिखिए। एक मज़दूर था जो मकान बनाने का काम करता था। उसके मालिक ने एक दिन उसके द्वारा थोड़ा-सा सही कार्य न करने पर पूरे दिन की मज़दूरी काट ली, जबकि उसे सौ रुपए प्रतिदिन के हिसाब से मिलते थे। उस दिन वह बेचारा बहुत परेशान था। वह मेरे घर के पास ही रहता था। इसलिए उसके रोते बच्चे को देखकर मैं पूछ ही बैठा कि बच्चा इतना क्यों रो रहा है? उसने मुझे बात बताई और कहा कि आज उसे मजदूरी नहीं मिली। घर में खाना खाने को पैसे नहीं। में तो ताजा कमाता हूँ और ताजा ही खाता हूँ। में अब कहाँ से कुछ खाने को लाऊँ वह बेचारा अपने-आप में पछतावा कर रहा था। उसकी आँखें आँसुओं से भरी थीं। ऐसे में वह मालिक को भी भला-बुरा कह रहा था। लेकिन वह लाचार था क्योंकि अगले दिन फिर उसे वहीं काम करने जाना था। 1286 Views गवरइया की इच्छा पूर्ति का क्रम घूरे पर रुई के मिल जाने से प्रारंभ होता है। उसके बाद वह क्रमश: एक-एक कर कई कारीगरों के पास जाती है और उसकी टोपी तैयार होती है। आप भी अपनी कोई इच्छा चुन लीजिए। उसकी पूर्ति के लिए योजना और कार्य-विवरण तैयार कीजिए। मुझे एक छोटा-सा सुंदर मोती मिला। मन में इच्छा जागृत हुई कि सुंदर रुमाल हो उस पर में यह मोती टाँक लूँ। मैं एक कपड़े वाले बजाज के पास गया उससे थोड़ा कपड़ा माँगा उसने मुझे बचे कपड़ों में से बिना दाम के ही दे दिया। फिर में एक दर्जी के पास गया उसे अपनी दिनभर की मिली दस रुपए की खर्ची में से दो रुपए देने तय हुए और उसने कपड़े को रुमाल के रूप में काटकर सिल दिया। फिर मैंने ढूँढा मोती टाँकने वाले को, उसने एक रुपए पचास पैसे में मेरा सुंदर मोती रुमाल पर टाँक दिया। फिर मैंने रुमाल को राजाना भी चाहा, मैं मनियारे वाले के पास गया और दो रुपए की सुंदर लैस खरीदी। फिर से मुझे दर्जी के पास जाना पड़ा उसने दो रुपए और लिए और उस रुमाल पर सुंदर लैस लगा दी। मेरा रुमाल खिल उठा। मेरी प्रसन्नता का ठिकाना न था। मेरे सात रुपए पचास पैसे तो लग गए लेकिन रुमाल बहुत सुंदर बना। 692 Views टोपी बनवाने के लिए गवरइया किस किस के पास गई? टोपी बनने तक के एक-एक कार्य को लिखें। गवरइया को कूड़े के ढेर पर चुगते-चुगते कई का एक फाहा मिल गया। उसे लगा कि अब वह अपनी टोपी पहनने की इच्छा पूरी कर सकेगी। सबसे पहले वह धुनिए के पास गई। उसने रुई को धुनवाया, इसके बाद वह कोरी के पास सूत कतवाने गई। सूत कत जाने पर वह बुनकर को खोजने लगी। बुनकर के मिलने पर उसने बहुत सुंदर कपड़ा बुनवाया फिर गई वह दर्जी के पास। दर्जी से प्रार्थना करने पर गवरइया की फुँदने वाली सुंदर टोपी तैयार हो गई। इन सबके कार्यों के लिए गवरइया ने सही पारिश्रमिक भी दिया। 1398 Views टोपी पहनाना मुहावरे का अर्थ क्या है *?बेवकूफ़ बनाना; झाँसा देना।
टोपी उछालना * मुहावरे का क्या अर्थ है?टोपी उछालना मुहावरे का अर्थ topi uchalna muhavare ka arth – अपमानित करना या निरादर करना ।
कितनों को टोपी पहनानी पड़ती हैनहीं कि टोपी उछलते देर नहीं लगती। अपनी टोपी सलामत रहे, इसी फिकर में कितनों को टोपी पहनानी पड़ती है। ...
टोपी सलामत रहना मुहावरे का अर्थ क्या है?1 . टोपी सलामत रखना- अपनी इज़्ज़त बचाना। 2. इसकी टोपी उसके सिर- लोगों को मूर्ख बनाना।
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