तालाब की तैयारी कैसे की जाती है? - taalaab kee taiyaaree kaise kee jaatee hai?

मछली पालन के लिए तालाब का निर्माण कैसे करवाए –  दोस्तों आपको पता होगा की मछली ओमेगा -3, फैटी एसिड, खनिज और अन्य पोषक तत्वों का बढ़िया प्रोटीन स्रोत हैं.पूरे विश्व भर में मछली की मांग रहती हैं. इसकी मांग के साथ इसकी कीमतें भी बढती रहती हैं.  नतीजतन, व्यावसायिक मछली उत्पादन एक लाभदायक व्यवसाय बन गया है.

मछली पालन से सम्बंधित एक विषय के बारें में चर्चा करेंगे की – मछली पालन के लिए तालाब का निर्माण कैसे करें?

  • मछली पालन के लिए तालाब का निर्माण(pond for fish farming)
    • मछली पालन के लिए तालाब निर्माण का महत्व
    • मछली पालन में तालाब कितने प्रकार के होते हैं
    • मछली पालन के लिए तालाबों की प्रकृति
  • मछली पालन के लिए सूखे तालाब की तैयारी
  • मछली पालन के लिए तैयार तालाब में उपचार

बरसात या दुसरे स्रोतों का पानी खरा हो सकता हैं, जिससे मछली पालन में कुछ दिक्कते आ सकती हैं. मीठे पानी में मछली पालन सबसे महत्वपूर्ण मछली उत्पादन प्रणालियों में से एक है. मछली पालन के लिए तालाब टैंक, तालाब या दुसरे बड़े जल स्रोतों पर बनाया जा सकता हैं.

लोकेशन देखने के बाद मछली पालन के लिए तालाब का निर्माण करना सबसे महत्वपूर्ण कदम होता हैं. अगर तालाब का निर्माण सही तरीके से नहीं किया जाए तो आपकी उपज पर फर्क पड़ सकता हैं.

हम मछली पालन के लिए तालाब का निर्माण की प्रक्रिया के बारे में जानेंगे और कैसे मछली किसानों को अपना उत्पादन बढ़ाने में मदद कर सकता है.

मछली पालन के लिए तालाब निर्माण का महत्व

इस बात में कोई दोराय नहीं हैं की मछली पालन का का सबसे महत्वपूर्ण और अहम हिस्सा तलब का निर्माण करना हैं. अच्छी तरह से तैयार तालाब के निर्माण के बिना मछली पालन व्यवसाय स्थापित करना या चलाना संभव नहीं है.

एक बेहतर तालाब के अनेक फायदे होते हैं, जैसे मछली के लिए हानिकारक जलीय पौधों और जानवरों को नियंत्रित किया जा सकता हैं.

कुछ मछलियाँ जिनका पालन नहीं किया जाता हैं, उनको हटाया जा सकता हैं.

तालाब को स्व्च्छ रखा जा सकता हैं, और आवास की सुरक्षा की जा सकती हैं.

पानी को न तो क्षारीय रखा जाना चाहिए न ही अम्लीय, इसलिए लिए पानी के ph को बैलेंस किया जाता हैं. जब मछली पालन के लिए तालाब का निर्माण किया जाता हैं तो हम ph मान को नियंत्रित कर सकते हैं.  

तालाब में हमेशा चारा उपलब्ध रहता है.

 चलिए अब आपको कुछ तालाबों के प्रकारों के बारें में बताते हैं, जो बनाये जाते हैं.

मछली पालन में तालाब कितने प्रकार के होते हैं

एक बड़े तालाब को कई भागों में बांटा जाता हैं ताकि मछली के उत्पादन से लेकर निकास तक हर स्टेप को अलग किया जा सके. मीठे पानी की मछली पालन इकाई के अंदर विभिन्न प्रकार के तालाब घटकों का उपयोग किया जाता है, जिसमें नर्सरी तालाब, पालन तालाब, उत्पादन, प्रजनन / स्पॉनिंग पूल शामिल होते हैं.

तालाब आयताकार होना चाहिए.

मछली के बढ़ते उम्र एक साथ उसको अलग अलग तालाबो में शिफ्ट किया जाता हैं. ताकि एक बेहतर प्रक्रिया और सफाई से काम पूरा हो सके.  

इन सभी तालाबो को अलग अलग रखा जाता हैं यहाँ आपको इनके प्रतिशत में आंकड़े बताते हैं. ताकि आपको एक आईडिया मिल सके.

नर्सरी तालाब: नर्सरी तालाब को पूरे तालाब के 3% प्रतिशत हिस्से में रखा जाना चाहिए.

पालन ​​तालाब: पालन तालाब को 11% हिस्से में रखा जाना चाहिए.

उत्पादन तालाब: उत्पादन तालाब को 60% हिस्से में रखा जाना चाहिए.

पृथक्करण तालाब: 1% हिस्से में पृथक्करण तालाब रखा जाना चाहिए.

प्रजनन तालाब: 25% हिस्से में प्रजनन तालाब को रखा जाना चाहिए.

मछली पालन के लिए तालाबों की प्रकृति

नर्सरी तालाब: नर्सरी तलब को उथला बनाया जाना चाहिए.

पालन-पोषण तालाब: पालन-पोषण तालाब को मध्यम गहरा रखना चाहिए.

उत्पादन तालाब: उत्पादन तालाब को भी मध्यम गहरा रखा जाना चाहिए.

पृथक्करण तालाब: इस तालाब की गहराई मध्यम रखनी चाहिए.

प्रजनन तालाब: प्रजनन तालाब को मध्यम गहरा रखना चाहिए.

बड़े फार्म के लिए जल का स्तर दो से तीन मीटर तक रखे.  

मछली पालन के लिए सूखे तालाब की तैयारी

  • तालाब की मिटटी की जाँच करवाना

सबसे पहले जिस स्थान पर तालाब का निर्माण किया जाता हैं, वहां के मिटटी का सैंपल लेकर उसक परिक्षण किया जाना चाहिए. तालाब के तल और दीवारों से मिटटी क लेना चाहिए. इस मिटटी से तालाब के ph और कार्बनिक पदार्थों की जांच की जाती हैं. ph जाँच करने से मिटटी की अम्लीयता और क्षारियता का पता चलता हैं. इसी के आदह्र आर यह तय किया जाता हैं की इसमें कितना चुना डाला जायेगा. मछली पालन के लिए नए तालाब की मिटटी की जाँच अवश्य करानी चाहिए.    

  •  डी-मडिंग की प्रक्रिया करना

तालाब की तैयारी में सबसे महत्वपूर्ण चरणों में से एक तालाब को “डी-मडिंग” करना है. शब्द “डी-मड” तालाब से कीचड़ को हटाने की प्रक्रिया को संदर्भित करता है जिसका स्थान को हम तालाब के लिए हम उपयोग करना चाहते हैं. डी-मडिंग का प्राथमिक लक्ष्य मछली पालन के लिए इसकी उपयुक्तता में सुधार करना है.

तालाब से कीचड़ को हटाकर डी-मडिंग की जा सकती है, यहीं सबसे आसान तरीका है. या फिर कीचड़ को हटाने की बजाय हम अपने तालाब को और अधिक गहरा कर सकते हैं, लेकिन यह तभी करना चाहिए, जब बड़े स्तर पर उत्पादन करना हो.

  • तालाब को सुखाना

जब तक तालाब गीला रहता हैं तो उसमे कुछ न कुछ हानिकारक तत्व रहते हैं, इसलिए पहले तालाब को पूरी तरह से सुख जाने दे. जब तालाब सुख जाता हैं तो खतरानाक यौगिकों का ऑक्सीकरण हो जाता हैं, और जितन एभि कार्बनिक पदार्थ वहां रहते हैं, वे सभी मिटटी में मिल जाते हैं.   

  • तालाब के बांध को ऊंचा करना

अधिकांश तालाबों के लिए बरसात के मौसम में सबसे आम समस्या यह है कि बाढ़ तालाब की मछलियों को बहा कर ले जाती है. यदि तालाब किसी नदी या नाले के पास स्थित है, तो एक लम्बे और ऊँचे तटबंध या बांध की आवश्यकता होती है.

मछली पालन के लिए बनाये गए तालाब को पानी के उच्चतम स्तर से कम से कम 2 से 3 फीट ऊंचा रखना चाहिए.

यह काम खुदाई या डी-मडिंग करते समय बेहद आसानी से और स्वचालित रूप से पूरा किया जा सकता है. डी-मडिंग/खुदाई के दौरान खुदाई की गई रेत का उपयोग लम्बे डाइक बनाने के लिए किया जा सकता है. या फिर आप रेत के कट्टों को भरकर चारो और से सुसज्जित कर सकते हैं.

  • तालाब में इनलेट और आउटलेट सिस्टम बनाना  

एक बार तालाब को शुरू करने के बाद पानी को बदलना होता हैं. इसलिए तालाब सिस्टम के सफल संचालन के लिए एक कुशल इनलेट और आउटलेट सिस्टम महत्वपूर्ण होता है.  यह काम अक्सर एक पाइप के माध्यम से होता हैं. इस पाइप के माध्यम से पानी सिस्टम में प्रवेश करता है और बाहर निकलता है. कोशिश यह करनी चाहिए कि तालाब में आने वाला पानी का पाइप कुछ मोटा होना चाहिए.  

एक उचित इनलेट और आउटलेट सिस्टम भारी बारिश या मामूली बाढ़ की स्थिति में तालाब को ओवरफ्लो होने से रोकता है. यह पानी की गुणवत्ता के उचित प्रबंधन के लिए बेहद फायदेमंद है.

मछली पालन के लिए तैयार तालाब में उपचार

  • हानिकारक जलीय पौधों और जानवरों को नियंत्रित करना

तैयार किये गए तालाब में जलीय खरपतवार और कीड़े दोनों मछली पालन के लिए बेहद हानिकारक हो सकते हैं, क्योंकि खरपतवार व्यावहारिक रूप से सभी पोषक तत्वों को खा जाते हैं और ऑक्सीजन की मात्रा को सीमित कर देते हैं. इसलिए हानिकारक जलीय पौधों और जानवरों को नियंत्रित करना बहुत आवश्यक हैं. इनकी वृद्धि को कुशलतापूर्वक नियंत्रित किया जाना चाहिए ताकि तालाब में कोई समस्या न हो.

अवांछित मछलियों को हटाना बहुत महत्वपूर्ण कदम है. इन्हें तालाब को सुखाकर या तालाब में जहर डालकर हटाया जा सकता है. इस उद्देश्य के लिए रोटेनोन पाउडर सबसे अच्छा विकल्प है.

  • तालाब की कंडीशनिंग

मिटटी की अम्लीयता को बैलेंस करने के लिए तालाब के तल पर चुने या कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड की एक परत फैलाकर कंडीशनिंग की जाती है. यह काम अक्सर दो सप्ताह में एक बार किया जाता हैं. यह मिट्टी की अम्लता को कम करता है, और उन जीव जंतुओं को दूर रखता हैं जो या तो पानी को ख़राब करते हैं या मछलियों को नुकसान पहुंचाते हैं.  

तालाब में चुला लगाने की प्रक्रिया तीन तरीकों से की जा सकती हैं,

पहला, एक सूखे तालाब में की जा सकती हैं, जिसमे दीवारें और तल शामिल होते हैं.  

दूसरा, पानी में मिलाकर या छिडकाव करके लीमिंग की जा सकती हैं.  

तीसरा, तलब में बहने वाले पानी को कम करके लीमिंग(चुना लगाया) जा सकता हैं. 

  • खाद डालना

एक बार चुना लगाने का काम पूरा होने के बाद खाद और डालना होता हैं. खाद डालने का काम चुना लगाने का काम 15 दिनों के बाद किया जाना चाहिए. खाद कोई भी डाल सकते हैं, खाद जैविक या उर्वरक भी हो सकता हैं. गाय का गोबर, पोल्ट्री फार्म का खाद या रासायनिक उर्वरक को मिटटी की सांद्रता के अनुसार डालना चाहिए.

मछली पालन के लिए तालाब का निर्माण के बारें मे आपने क्या सीखा  

मीठे पानी की मछली पालन में बुनियादी और प्रारंभिक कदम मछली तालाब की तैयारी करना है. तालाब से मछली की उत्पादकता बढ़ाने के लिए तालाब की तैयारी अच्छी तरह से की जानी चाहिए.

अगर हम तालाब के तल को ठीक से तैयार किए बिना मछली पालन की प्रक्रिया शुरू करते हैं, तो हमें कई कठिनाइयों और कम गुणवत्ता वाली उपज का सामना करना पड़ सकता हैं. तालाब की तैयारी के मामले में, मछली की उत्पादकता बढ़ाने के लिए सही तरीके से किया जाना चाहिये.

हमने आपको यहाँ विभिन्न चरणों के माध्यम से बताया की किस तरह एक तालाब का निर्माण किया जाना चाहिए.   

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तालाब कैसे बनता है?

तालाब के मिटटी की पहचान.
जहां तालाब बनाना है उस स्थान पर 3 x 3 फीट के क्षेत्र में तीन से पाँच फीट का गड्ढा बना कर मिटटी निकाले |.
उस मिटटी को पाने में गीला कर 3 इंच व्यास का गोला बनाएं एवं 3-4 फीट तक हवा में उछाले | यदि होला टूट जाए तो मिटटी तलाब बनाने के उपयुक्त नहीं हैं, यदि गोला नहीं टूटे तो तालाब के लिए उपयुक्त है |.

सबसे जल्दी बढ़ने वाली मछली कौन सी है?

वैज्ञानिक नाम :- कतला सामान्य नाम :- कतला, भाखुर भौगोलिक निवास एवं वितरण कतला एक सबसे तेज बढ़ने वाली मछली है यह गंगा नदीय तट की प्रमुख प्रजाति है। भारत में इसका फैलाव आंध्रप्रदेश की गोदावरी नदीं तथा कृष्णा व कावेरी नदियों तक है।

मछली को जल्दी बड़ा करने के लिए क्या खिलाए?

फिशलिव को चारे में मिला कर देने से मछलियों का लीवर ठीक रहता है और उनकी ग्रोथ भी बहुत तेजी से होती है। उपयोग की विधि: एक किलोग्राम फिशलिव प्रति 100 कि. ग्रा. चारे में मिला कर दें।

मछली कितने दिन में तैयार हो जाती है?

25 दिन में तैयार होती है फसल हर जिले में मछली पालन विभाग होता है, जो मछली पालकों को हर तरह की मदद मुहैया करता है. नया काम शुरू करने वालों को मछली पालन की ट्रेनिंग भी दी जाती है.