आज के आर्टिकल में हम ताज महल (TAJ MAHAL IN HINDI) के बारे में पढ़ेंगे। इसके अन्तर्गत हम ताजमहल की जानकारी (Taj Mahal ki Jankari), ताजमहल कहाँ है (TajMahal Kahan Hai), ताजमहल किसने बनवाया था (Taj Mahal Kisne Banaya Tha), ताजमहल का रहस्य (Taj Mahal Ka Rahasya), काले ताजमहल का रहस्य (Kale Taj Mahal Ka Rahasya) और जामा मस्जिद (Jama Masjid) के बारे में जानेंगे। Show
ताज महल – TAJ MAHALताज महल की जानकारी – Taj Mahal ki Jankariस्थान – उत्तरप्रदेश राज्य के आगरा शहर मेंकिस नदी पर – नर्मदा नदीकिसने बनाया – शाहजहाँ नेसमय – 1631-1653 ईस्वी (22 साल)किसकी याद में बनाया – मुमताज महलखर्चा – उस समय 20 लाख रुपएवास्तुकार – उस्ताद अहमद लाहौरऊँचाई – 73 मीटरमीनारें – 4 मीनारें (40 मीटर ऊँची) ताज महल (Taj Mahal) दुनिया के सात अजूबों में से एक है जो मुगलकालीन वास्तुकला का सर्वोत्कृष्ट उदाहरण है। ताज महल कुतुबमीनार से भी ऊँचा है, क्योंकि ताज महल की ऊँचाई 73 मीटर, जबकि कुतुबमीनार की ऊँचाई 72.5 मीटर है। दुनिया का हर एक इंसान ताज महल (Taj Mahal) को देखने की चाह रखता है। इसे ’मोहब्बत का मंदिर’ कहा जाता है। यमुना नदी पर स्थित यह इमारत एक विस्मरणीय स्थल है। शाहजहाँ की सबसे प्रिय बेगम मुमताज महल –
ताज महल कहाँ है – TajMahal Kahan Haiताज महल भारत के उत्तरप्रदेश राज्य के आगरा शहर में यमुना नदी के दाहिने किनारे पर बनी एक ऐतिहासिक इमारत है। ताजमहल किसने बनवाया था – Taj Mahal Kisne Banaya Tha
ताजमहल के निर्माण के लिए विभिन्न देशों से कारीगर शाहजहाँ द्वारा बुलवाये गये थे।
ताजमहल के डिजाइनर कौन थे – Taj mahal Ka Design Kisne Banaya Tha
ताज महल के निर्माण की प्रेरणा कहाँ से मिली – Taj Mahal Ke Nirman Ki Prerna Kahan Se Mili
ताज महल किस पत्थर से बना है – Taj Mahal Kis Pathar Se Bana Haiताजमहल सफेद संगमरमर पत्थर से बना है। यह सफेद संगमरमर पत्थर राजस्थान के मकराना से मंगवाया गया था। ताज महल का डिज़ाइन – Taj Mahal Ka Designप्राचीन मुगल काल में प्रायः इमारतों का निर्माण लाल बलुआ पत्थर से किया जाता था, लेकिन शाहजहाँ ने ताज महल का निर्माण सफेद संगमरमर से किया। ताज महल नदी के किनारे बना हुआ है। कहा जाता है कि 37 वास्तुकारों ने मिलकर ताज महल का नक्शा तैयार किया था, ये 37 वास्तुकार दुनिया के दूर-दूर कोने से बुलाये गये थे। ताज महल की नींव बनाते समय ताज महल के चारों ओर बहुत-से कुँए खोदे गये। इन कुँएओं में ईंट, पत्थर के साथ आबनूस और महोगनी की लकङियों के लट्ठे डाले गए। ये कुएँ ताज महल की नींव को मजबूत बनाते है। आबनूस और महोगनी की लकङियों की यह खासियत होती है कि इनको जितनी अधिक नमी मिलती है, यह उतनी ही ज्यादा मजबूत होती जाती है। ताज महल का आधार इन्हीं लकङियों पर बना है। इस नमी को पास में बहने वाली यमुना नदी बनायी रखती है। ताज महल (Taj Mahal) को जाने वाले मुख्य मार्ग के बीच जो फव्वारे लगे है वो किसी पाइप से नहीं जुङे। अभी तो हर फव्वारे के नीचे तांबे का एक टैंक है। ये टैंक एक ही समय में भरते है और दबाव बनने पर एक साथ ही पानी छोङते है। ताज महल के चारों ओर मीनारों की छाया एक अलग ही आयने जैसा प्रतिबिम्ब निर्मित करती है। इसे भी लोग एक चमत्कार ही मनाते है। बल्कि वास्तुशिल्प भी इस रहस्य को समझ नहीं पाये है। ताज महल मनमोहक गार्डन एवं ऐतिहासिक इमारतों से घिरा हुआ है। ताज महल में मकबरे और मेहमानघर का भी समावेश है। साथ ही उनके दोनों और गार्डन भी है। ताज महल में दो समाधियाँ है- एक मुमताज महल की तथा दूसरी शाहजहाँ की। लगभग 17 हैक्टेयर जमीन पर ताज महल का परिसर फैला हुआ है। ताज महल की कुल ऊँचाई लगभग 73 मीटर है। ताज महल कितने रंग बदलता है – Taj Mahal Kitne Rang Badalta Haiताज महल दिन में अलग-अलग समय में अलग-अलग रंगों में दिखाई देता है। सुबह के समय ताज महल हल्का-सा गुलाब और शाम में सफेद तथा रात में हल्का सुनहरा दिखाई पङता है। लोगों का रंगों के बदलने से तात्पर्य महिलाओं के मूल स्वभाव के बदलने से है। ताजमहल के लिए विभिन्न देशों से मंगवाये गये कीमती पत्थर – Taj Mahal Ke Liye Vibhinn Deshon Se Magvaye gye kimti pttharशाहजहाँ ने मुगल वास्तुकला के साथ भारत के प्राचीन इतिहास को मिला दिया था। देशकीमती पत्थरराजस्थान के मकराना सेसफेद संगमरमर पत्थरचीनजेड और क्रिस्टलअफगानिस्तानलैपिज लजूलीतिब्बतटरकोईजपंजाबजैस्परश्रीलंकासैफायर (नीलम)अरबकार्नेलियन
ताज महल के विभिन्न हिस्से – Taj Mahal Ke Vibhinn Hisseबेगम मुमताज महल एवं शाहजहाँ का मकबरा
गुंबद
मीनारें
ताज महल पर लिखे गए सुंदर लेख ताज महल के मुख्य दरवारे पर एक सुलेख लिखा जो वहाँ आने वालों का स्वागत करता है – ’’हे आत्मा ! तू ईश्वर के पास यह सुलेख थुलूट लिपि में है, इसको डिजाइन करने वाला ’अब्दुल हक’ था। जिसे ईरान से बुलाया गया था। शाहजहाँ ने उसकी चकाचौंध करने वाली कला को देखकर उसे उपाधि के तौर पर ’अमानत उल खाँ’ का नाम दिया। ताज महल में बनी छतरियाँ
काले ताज महल का रहस्य – Kale Taj Mahal Ka Rahasyaशाहजहाँ यमुना नदी के दूसरी तरफ काली संगमरमर से ताज महल जैसा ही एक और काला ताज महल बनाना चाहते थे, जिससे वो ताज महल की खूबसूरती को देख सके। साथ ही उनकी इच्छा थी कि उनकी कब्र को काले ताज महल में दफनाया जाये। पर शाहजहाँ को जब उसके बेटे औरगंजेब ने कैद कर लिया, तो उसका ये सपना सिर्फ सपना बनकर रह गया। लेकिन इतिहासकार कहते है कि ये बाद में बनायी गई मनगढ़ंत कहानियाँ है क्योंकि जिस जगह शाहजहाँ काला ताज महल बनाना चाहते थे वहाँ कई बार खुदवाई की जा चुकी है लेकिन ऐसा कोई सबूत नहीं मिला, जिसे यह पता चले कि शाहजहाँ यहाँ काला ताज महल (Kala Taj Mahal) बनाने चाहते थे। ताज महल के बारे में कुछ प्रचलित मान्यता भी है।
ताज महल के कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य – Taj Mahal Ke Kuchh Mahatvpurn Tathya
ताज महल का रहस्य – Taj Mahal Ka Rahasyaसन् 1989 में भारतीय लेखक पुरुषोत्तम नागेश ओक ने “Taj Mahal : The True Story” नामक एक पुस्तक लिखी। इस पुस्तक में उन्होंने कई तर्कों के साथ यह दावा किया था कि ताज महल मकबरा बनने से पहले से यह एक ’शिव मन्दिर’ था और इसका नाम ’तेजो माहाल्य’ था। सन् 2000 में पुरुषोत्तम नागेश ओक ने अपनी बात को सिद्ध करने के लिए ताज महल की साइड खुदाने के लिए सुप्रीम कोर्ट को अर्जी दी थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया। हिंदू पक्ष के लोगों के अनुसार भी ताज महल वास्तव में शिव मन्दिर है, जिसका असली नाम ’तेजोमाहाल्य’ है। भारतवर्ष में 12 ज्योर्तिलिंग है, ऐसा प्रतीत होता है कि ’तेजोमाहाल्य’(ताज महल) उनमें से एक है। जिसे कि ’नागनाथेश्वर’ के नाम से जाना जाता था। क्योंकि उसकी जलहरि को नाग की तरह लपेटा हुआ बनाया गया था। जब से शाहजहाँ ने उस पर कब्जा किया उसकी पवित्रता और हिन्दूत्व समाप्त कर दिया। ताज महल की यह रहस्यमय बात है कि ताज महल कोई मकबरा नहीं है, बल्कि यह एक ’शिव मन्दिर’ है। ताज महल के मुख्य गुम्बद के शिखर पर जो आकृति वह नारियल जैसी है, उसके नीचे आम के पत्ते, उसके नीचे कलश ये सारे हिन्दू मन्दिरों की तरफ दिखते है। इतिहासकार ओक ये लिखते है कि ’महल’ कोई मुस्लिम शब्द नहीं है और अरब, ईरान, अफगानिस्तान जैसे देशों में एक भी मस्जिद ऐसी नहीं है जिनके नाम के पीछे महल लगाया गया हो। ये मत भी गलत है कि ’मुमताज महल’ के नाम पर ’ताज महल’ का नाम पङा है। ताज महल से लगभग 700 चिन्ह खोजने गए है जो बताते है कि वो पहले मन्दिर था। बाद में इस दुबारा बनाया गया। ताज महल में चारों तरफ एक समान चार प्रवेश द्वार है जो हिन्दू-भवन निर्माण का तरीका है। ताज महल में आवाज गूँजने वाला गुम्बद है, ऐसे ही हिन्दू मंदिर में भी गूँज पैदा करने वाले मन्दिर होते है। ताज महल का गुम्बद कमल के आकार का बना है और हजारों हिन्दू मन्दिर कमल की आकृति वाले होते है। इस सब आकृतियों से यह पुष्टि होती है कि ताज महल पहले एक ’शिव मन्दिर’ था। ताजमहल की नकल – Taj Mahal Ki Nakal
ताज महल की मस्जिदजामा मस्जिद – Jama Masjid
जामा मस्जिद (Jama Masjid) दिल्ली में स्थित एक मस्जिद है। जामा मस्जिद का सपना मुगल बादशाह शाहजहाँ ने देखा था। शाहजहाँ ऐसी मस्जिद बनाने चाहते थे कि जिसे देखकर मन में खुदा की बंदगी करने का भाव जागे। शाहजहाँ चाहते थे कि खुदा का दरबार उसके दरबार से ऊँचा हो। इतना ऊँचा कि खुद के घर का फर्श उसके तख्त-ताज के ऊपर हो। इसलिए उनको लाल किले के सामने किसी स्थान की तलाश थी। उनकी तलाश पूरी हुई। लाल किले के ठीक सामने स्थित भोजला नामक छोटी पहाङी को मस्जिद बनाने के लिए चुना गया। यह शाहजहाँ के दरबार के ठीक सामने थी। 6 अक्टूबर 1650 को शाहजहाँ ने मस्जिद का निर्माण शुरू कर दिया। इसको बनने में 6 साल का समय तथा 10 लाख रुपये लगे थे। जामा मस्जिद 80 मीटर लंबी, 27 मीटर चौड़ी है। इस मस्जिद में तीन गुम्बद बनाये गये है। इसके फर्श को काले और सफेद अलंकृत संगमरमर द्वारा बनाया गया। मस्जिद के फर्श पर इबादत करने वाले के लिए 899 काली सीमा (Black Border) बनाई गई। हजारों टन पत्थर से बनी यह एक आलीशन ईमारत है। पहले इसका नाम ’मस्जिद-ए-जाहन’ था जिसका अर्थ है – पूरी दुनिया को देखने वाली मस्जिद। इस मस्जिद के बङे आकार के कारण बङी संख्या में यहाँ लोग जमा होने लगे, अब लोग ने इसे ’जामा मस्जिद (Jama Masjid)’ कहना शुरू कर दिया। जिस दौर में इस मस्जिद का निर्माण उस समय मुगल वास्तुकला अपने चरम पर थी। मस्जिद के नक्काशी हिन्दू और जैन वास्तुकला की छाप छोङी गई। शाहजहाँ की यह जावा मस्जिद अन्तिम स्थापत्य कला थी। मस्जिद के निर्माण के बाद शाहजहाँ इमाम को लेकर परेशान थे क्योंकि बादशाह चाहते थे कि इस खास मस्जिद की इमाम भी खास हो। काफी समय तक इमाम की तलाश की गई। बुखारा से ’सैय्यद अब्दुल गफूर शाह’ का नाम सामने आया। सैय्यद अब्दुल गफूर शाह ने 24 जुलाई 1656 को जामा मस्जिद में पहली बार नमाज अदा की गई। इस दिन शाहजहाँ और उसके दरबारियों में पहली बार जामा मस्जिद में नमाज अदा की। शाहजहाँ ने सैयद अब्दुल गफूर शाह को ’इमाम-ए-सल्तनत’ की उपाधि प्रदान की। इसके बाद में उनका खानदान ही इस मस्जिद की इमाम करता चला आ रहा है। जामा मस्जिद (Jama Masjid) का प्रार्थना-गृह बहुत ही सुन्दर है। इसमें 11 मेहराब है, जिसमें बीच वाला मेहराब अन्य से बहुत बङा है। मस्जिद का मुख्य प्रवेश लाल किले के सामने से पूर्वी तरफ से है। क्योंकि यह पहले भी सम्राटों द्वारा उपयोग में लाया जाता था। यही कारण है कि जामा मस्जिद का पूर्वी दरवाजा केवल शुक्रवार को ही खुलता है। इस दरवाजे के बारे में कहा जाता है कि सुल्तान इसी दरवाजे का इस्तेमाल किया करते थे। लाल बलुआ पत्थर तथा सफेद संगमरमर से बनी इस मस्जिद में उत्तरी-दक्षिणी दरवाजों से अन्दर जाया जाता है। इसके ऊपर बने गुम्बदों को काले और सफेद संगमरमर से सजाया गया है। यह मस्जिद दिल्ली के मुख्य आकर्षणों में से एक है। जामा मस्जिद में 25 हजार लोग एक साथ नमाज पढ़ सकते है। इसमें तीन राशि दरवाजे और 40 मीटर ऊँची चार मीनारें है, जो कि लाल बलुआ पत्थर और सफेद संगमरमर से बनी हुई है। इस मस्जिद में खूबसूरत नक्काशी की गये 260 खम्भे है, जिसमें हिन्दू और जैन वास्तुकला की छाप दिखाई देती है। ताज महल में कितने पत्थर है?इसे बनाने में मुख्यतः राजस्थान के *मकराना* के उजले संगमरमर, सूर्यकांत मणि पत्थर ( jasper) पंजाब से, हरा पत्थर तथा स्फटिक पत्थर चीन से मंगवाए गए थे। इस तरह के कूल 28 पत्थरों का इस्तेमाल इसे बनाने हेतु किया गया है । ताजमहल को बनाने में कितना समय लगा?
ताजमहल का रंग कौन सा है?कोर्ट ने कहा कि सफेद रंग का यह स्मारक पहले पीला हो रहा था लेकिन अब यह भूरा और हरा होने लगा है. ताजमहल के पीले होने के पीछे तो एसिड रेन और प्रदूषण जैसे वजह हैं.
ताजमहल का रंग सफेद ही क्यों है?ताजमहल का रंग सफेद क्यों है? ताजमहल मकराना , राजस्थान के सफेद संगमरमर के पत्थर का बना हुआ है । संगेमरमर या मरमर एक कायांतरित शैल (metamorphic rock) है, जो कि चूना ( lime) पत्थर के कायांतरण का परिणाम है। यह अधिकतर कैलसाइट का बना होता है, जो कि कैल्सियम कार्बोनेट (CaCO3) का स्फटिकीय रूप है।
ताजमहल कौन सा पत्थर से बना हुआ है?दुनिया के सबसे खूबसूरत इमारतों में शामिल आगरा का ताजमहल की खूबसूरती में मकराना के मार्बल का बड़ा योगदान है. पूरा का पूरा ताजमहल मकराना के मार्बल से बना है.
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