शैवाल और कवक में क्या अंतर है? - shaivaal aur kavak mein kya antar hai?

शैवाल पर्णहरिमयुक्त (Chlorophyllous) ,संवहन ऊतक रहित (Non-Vescular) थैलोफाइट्स (Thallophytes) होते हैं (Thallophytes-Thallophytes का अर्थ thallus Plants अर्थात ऐसे पौधे जिसे जड़ ,तने तथा पत्तियों में विभाजित नहीं कर सकते हैं। जैसे -शैवाल ,कवक बैक्टीरिया।)
इसमें सूक्ष्म एककोशिकीय पौधौं से लेकर विशालकाय बहुकोशिकीय पौधे पाए जाते हैं। इनमें क्लोरोफिल होने के कारण यह अपना भोजन स्वयं बना सकते हैं लेकिन कुछ Thallophytes परजीवी तथा मृतोपजीवी भी होते हैं जैसे कवक। Algae में भोजन स्टार्च के रूप में संचित रहता है। 


कवक (Fungi) का परिचय

कवक (Fungi) पर्णहरिम रहित (Achlorophyllous), संवहन ऊतक रहित (non- vascular), थैलोफाइटा (thallophyta) हैं। शैवालों की तरह इनमें भी जड़ ,तना तथा पत्ती नहीं होती। कवक परजीवी तथा मृतोपजीवी होते हैं और बीजाणु द्वारा जनन करते हैं। कुछ कवक सहजीवी भी होते हैं।

वनस्पति विज्ञान की वह शाखा इसके अंतर्गत कवकों का अध्ययन करते हैं कवक विज्ञान कहलाती है। इन कवकों द्वारा पौधों में उत्पन्न रोगों के अध्ययन को पादप विकृति विज्ञान कहते हैं।


शैवाल तथा कवक में कई अंतर हैं जिनके द्वारा इन्हें एक दूसरे से अलग माना जाता है। इन अंतरों का वर्णन इस प्रकार है -


शैवाल (Algae) तथा कवक (Fungi) में अन्तर

  1. सभी शैवालों में chlorophyll उपस्थित होता है, यद्यपि कुछ शैवालों, जैसे नीली-हरी (blue-green), लाल (red) और भूरी (brown) में यह रंग दूसरे वर्णकों (pigments) की अधिकता के कारण छुपा रहता है। जबकि कवकों में पर्णहरिम (chlorophyll) अनुपस्थित होता है।
  2. शैवाल स्वपोषी होते हैं, अर्थात् अपने कार्बनिक भोजन पदार्थों का निर्माण स्वयं करते हैं। जबकि कवक अपना भोजन स्वयं निर्माण नहीं करते हैं। ये परजीवी, सहजीवी अथवा मृतोपजीवी के रूप में बाह्य स्रोत से अपना भोजन लेते हैं।
  3. शैवाल में थैलस (Thallus) का निर्माण वास्तविक मृदूतक (true parenchyma) से होता है। जबकि कवक में आभासी मृदूतक (pseudoparenchyma) होता है। इसका निर्माण महीन नलिका रूपी (tubular) सूत्रों (hyphae) के एक दूसरे से गुँथे रहने से होता है।
  4. शैवाल में कोशिका-भित्ति सेलुलोस (cellulose) की बनी होती है। जबकि कवक में कोशिका-भित्ति काइटिन (chitin) की बनी होती है।
  5. शैवाल में प्रायः संचित भोजन स्टार्च या तेल बिन्दुओं (oil globules) के रूप में होता है। इनमें ग्लाइकोजन अनुपस्थित होता है। जबकि कवक में संचित भोजन ग्लाइकोजन (glycogen) के रूप में होता है।
  6. शैवाल प्रायः ऐसे स्थान पर पाये जाते हैं जहाँ प्रकाश उपलब्ध होता है। जबकि कवक को प्रकाश की आवश्यकता नहीं होती है। यह कहीं पर भी पाए जा सकते हैं।
  7. शैवाल जल, भीगी मृदा पर पाये जाते हैं अथवा कभी-कभी अधिपादप (epiphytes) अथवा अन्तःपादप (endophytes) होते हैं। जबकि
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    शैवाल एक शब्द है जिसका उपयोग यूकेरियोटिक, प्रकाश संश्लेषक जीवों के एक बड़े, विविध समूह का वर्णन करने के लिए किया जाता है। शैवाल एककोशिकीय हो सकते हैं, कालोनियों में रह सकते हैं, या बहुकोशिकीय भी हो सकते हैं। विस्तृत विविधता वाले शैवाल उन्हें वर्गीकृत करने के लिए कठिन बनाते हैं। शैवाल दोनों स्थलीय और समुद्री वातावरण में फैलते हैं, लगभग कहीं भी पानी और सूरज की रोशनी बढ़ती है। पौधों की तरह शैवाल, प्रकाश संश्लेषक जीव हैं। शैवाल का एक समूह, हरे शैवाल, पौधों के साथ भी वर्गीकृत किया जाता है क्योंकि जीव समान हैं।

    शैवाल और कवक में क्या अंतर है? - shaivaal aur kavak mein kya antar hai?
    शैवाल तथा कवक में क्या अंतर है

    कवक की परिभाषा

    कवक एकल कोशिका वाले या बहुत जटिल बहुकोशिकीय जीव होते हैं। ये बस किसी भी निवास स्थान में पाए जाते हैं, लेकिन ज्यादातर जमीन पर रहते हैं, मुख्य रूप से समुद्र या ताजे पानी के बजाय मिट्टी या पौधों की सामग्री पर।

    शैवाल और कवक में अंतर ( Diffrences between algae and fungi in hindi :: बोर्ड परीक्षा में अक्सर कवक और शैवाल में अंतर हमेशा ही पूछा जाता हैं। इसिकिये आज hindivaani आप सभी के लिए कवक और शैवाल में अंतर आदि की जानकारी प्रदान करेगा। जिसके अंतर्गत आपको कवक किसे कहते है, शैवाल किसे कहते है, कवक के लक्षण क्या है, शैवाल के लक्षण क्या है,शैवाल और कवक में अंतर आदि की जानकारी प्रदान करेगा। ताकि यदि आपसे परीक्षा में यह पूछा जाए कि कवक और शैवाल में अंतर बताइए। तो इसका उत्तर आसानी से आप दे पाएंगे।

    अनुक्रम

    • शैवाल और कवक में अंतर ( Diffrences between algae and fungi in hindi)
    • शैवाल किसे कहते हैं
    • शैवाल के साधारण लक्षण( Charactestics of algae)
    • कवक किसे कहते हैं ?(Fungi)
    • कवक के लक्षण ( characteristics of fungi )
    • शैवाल और कवक में अंतर ( Diffrences between algae and fungi in hindi)

    शैवाल और कवक में अंतर ( Diffrences between algae and fungi in hindi)

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    शैवाल किसे कहते हैं

    शैवाल को साधारण भाषा में कई के नाम से भी जाना जाता है। शैवाल सामान्यतः नदी नालों, तालाब ,झीलों आदि में पाए जाते हैं।शैवाल की कुछ जातियां नम दीवारों और नम मिट्टी पर भी मिलती हैं।

    शैवाल के साधारण लक्षण( Charactestics of algae)

    शैवाल के लक्षण निम्नलिखित हैं।

    1. शैवाल सामान्य रूप से नदी ,झील ,तालाब तथा पौधों की छाल या पुरानी इमारतों के नाम दीवारों पर पाए जाते हैं।
    2. शैवाल को काई के नाम से भी जाना जाता हैं।
    3. समुद्री शैवाल की लंबाई लगभग 40 – 60 मीटर के बीच पाई जाती हैं।
    4. शैवाल में पर्णहरित उपलब्ध होता हैं। इस कारण से यह अपना भोजन स्वयं बनाते हैं।

    कवक किसे कहते हैं ?(Fungi)

    कवक सामान्य रूप से सड़े गले पदार्थो, अचार मुरब्बो , खाने की सामग्री, खाद व चमड़े आदि में पाए जाते है। कुछ कवक परवीजी के रूप में मनुष्य ,पौधों आदि को नुकसान भी पहुचाते हैं।

    कवक के लक्षण ( characteristics of fungi )

    कवक के लक्षण निम्नलिखित हैं।

    1. कवक में पर्णहरित नही पाया जाता हैं। जिस वजह से यह अपना भोजन स्वयं नही बनाते है। इन्हें परपोषी कहा जाता हैं।
    2. कवक का शरीर कवक जाल का बना होता हैं।
    3. कवक में भ्रूण का निर्माण नही होता हैं।
    4. कवक की कोशिका भित्ति सेलुलोस या काइटिन की बनी होती हैं।

    कवक को निम्नलिखित तीन समुदायों में बांटा गया हैं।

    1. शाइजोमाइकोफाइटा
    2. मिक्सोमाइकोफाइटा
    3. यूमाइकोफाइटा

    शैवाल और कवक में अंतर ( Diffrences between algae and fungi in hindi)

    शैवाल और कवक में अंतर निम्नलिखित हैं।

    शैवाल (Algae)कवक(Fungi)शैवाल में पर्णहरित उपलब्ध होता हैं।कवक में पर्णहरित उपलब्ध नही होता हैं।शैवाल अपना भोजन का निर्माण स्वयं करते है।कवक अपने भोजन का निर्माण स्वयं नही करते हैं। इस वजह से इन्हें परपोषी कहते है।इनका बहुकोशिकीय शरीर मृदुतक कोशिकाओं का बना होता हैं।कवक का शरीर आभासी मृदुतक का बना होता हैं।शैवाल की कोशिका भित्ति सेलुलोस की बनी होती हैं।कवक की कोशिकाभित्ति कवक सेलुलोस अथवा काइटिन की बनी होती हैं।शैवाल अधिक प्रकाश में तेजी से बढ़ते हैं।कवक अंधेरे में अधिक विकसित होते है।शैवाल में भोजन मण्ड के रूप में संचित होता हैं।कवक में भोजन ग्लाइकोजन के रूप में संचित होता हैं।शैवाल के उदाहरण – यूलोथ्रिक्स,स्पाइरोगायराकवक के उदाहरण- म्युकर, राइजोपस आदि।

    आशा हैं कि हमारे शैवाल और कवक में अंतर ,Diffrences between algae and fungi की दी गयी जानकारी आपको पसन्द आयी होगी। इसे अपने दोस्तों से जरूर शेयर करे।

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    कवक व शैवाल में क्या अंतर है?

    शैवाल एवं कवक के बीच अंतर शैवाल में पर्णहरित मौजूद होता हैं। कवक में पर्णहरित मौजूद नही होता हैं। शैवाल अपने भोजन का निर्माण स्वयं करते है। कवक अपने भोजन का निर्माण स्वयं नही करते हैं।

    शैवाल और लाइकेन में क्या अंतर है?

    वास्तव में लाइकेन दो पूर्णतया भिन्न वनस्पतियों से बना एक द्वैध पादप होता है। इन वनस्पतियों में से एक है शैवाल (algae) और दूसरा है कवक (fungus), किंतु इन दोनों में इतना निकटतम साहचर्य होता है कि इनसे बना लाइकेन एक ही पौधा प्रतीत होता है।

    शैवाल और कवक के बीच संबंध का नाम क्या है?

    सहजीवन का एक अच्छा उदाहरण लाइकेन (lichen) है, जिसमें शैवाल (algae) और कवक के (fungus) के बीच पारस्परिक कल्याणकारक सहजीविता होती है। बहुत से कवक बांज (oaks), चीड़ इत्यादि पेड़ों की जड़ों के साथ सहजीवी होकर रहते हैं।

    कवक क्या है इन हिंदी?

    फफूंद या कवक एक प्रकार के जीव हैं जो अपना भोजन सड़े गले म्रृत कार्बनिक पदार्थों से प्राप्त करते हैं। ये संसार के प्रारंभ से ही जगत में उपस्थित हैं। इनका सबसे बड़ा लाभ इनका संसार में अपमार्जक के रूप में कार्य करना है। इनके द्वारा जगत में से कचरा हटा दिया जाता है।