शादी के गीत हिंदी में pdf - shaadee ke geet hindee mein pdf

जब लड़के या लड़की की शादी होती है तो उनके लिए शादी में कुछ स्पेशल सॉन्ग गाए जाते है जिन्हे बन्ना बन्नी के सॉन्ग कहा जाता है। यह मारवाड़ी परम्परा में बहुत ज्यादा प्रचलित होते है और शादी ब्याह में बहुत ही शुभ माने जाते है। इन गीतों में अमूमन लड़के या लड़की की खूबसूरती या किन्ही विशेषताओं को दर्शाया जाता है। यह गीत लड़के या लड़की के रिश्तेदारों आदि को लेकर भी गए जाते है। आज इस लेख में कुछ ऐसे ही बन्ना बन्नी के गीतों को आप तक लेकर आए हैं।

बन्ना-1

गणेष जी का गीत

पहले गणेष मनाओ मनाओ री बहना
शीश बने के सेहरा सोवै कान बने के मोती सोवै
लड़ियों से अत्तर लगाओ, लगाओ री बहना
पहले गणेश मनाओ मनाओ री बहना
हाथ बने के मेहँदा सोवै घड़ियो से अतर लगाओ-लगाओ री बहना
गौरी गणेश मनाओ मनाओ री बहना
गल बन्ने के चेन सोहे-तोड़े से अत्तर लगाओ-लगाओ री बहना
संग बन्ने के बन्नी सोहे-जोड़ी से अत्तर लगाओ-लगाओ री बहना 

रघुपति राघव राजा राम, ऐसा बन्ना दे भगवान।
रोज सुबह को चाय बनाए, आप पिए और मुझे पिलाए।
फिर कहे पी लो पी लो मेरी जान
ऐसा बन्ना दे भगवान, रघुपति राघव….
रोज शाम को खाना बनाए, आप खाए और मुझे खिलाए।
फिर कहे खा लो खा लो मेरी जान
ऐसा बन्ना दे भगवान, रघुपति राघव राजा राम
रोज-रोज मुझे तोहफे दिलाए, खुद देवे मुझे रिझाए 

और कहे ले लो ले लो मेरी जान
ऐसा बन्ना दे भगवान, रघुपति राघव राजा राम।
रोज रात को जाए पिक्चर खुद जाए मुझे ले जाए।
फिर कहे देखो-देखो मेरी जान
ऐसा बन्ना दे भगवान, रघुपति राघव राजा राम।

बन्ना-3

बन्ना मनाए, बन्नी शरमाए, बन्ना ब्याहने ना आइयो,
मैं तेरे संग ना जाऊंगी, तुम देखते रहियो।
तू मेरे संग ना जाएगी, मैं टीका लेकर आऊँगा, मैं झुमकी लेकर आऊँगा।
टीके की धमकी दिखलाए, टीका वापिस ले जाइयो,
मैं तेरे संग ना जाऊंगी तुम देखते रहियो।
बन्ना मनाए, बन्नी शरमाए…….
(नथनी, कंठा, कंगना, अंगूठी) 

बन्ना-4

ढोलक बाजे मंजीरा बाजे, बाजे सारी रात….2
बन्ने तेरी दादी बड़ी होशियार-बन्ने तेरी ताई बड़ी होशियार
हमसे लड़ के पलंग से सटके, बिछा लई खाट,
मैं कैसे आऊँ, कहाँ से आऊँ, करूँ दो बात।
ढोलक बाजे…….
बन्ने तेरी अम्मा बड़ी होशियार, बन्ने तेरी चाची बड़ी होशियार
हमसे लड़ के पलंग से सटके बिछा लई खाट,
मैं कैसे आऊँ, कहाँ से आऊँ, करूँ दो बात। 

ढोलक बाजे…….
बन्ने तेरी भाभी बड़ी होशियार-बन्ने तेरी बहना बड़ी होशियार
हमसे लड़ के पलंग से सटके, बिछा लई खाट,
मैं कैसे आऊँ, कहाँ से आऊँ, करूँ दो बात।
ढोलक बाजे…….
बन्ने तेरी बुआ बड़ी होशियार-बन्ने तेरी मौसी बड़ी होशियार
हमसे लड़ के पलंग से सटके, बिछा लई खाट,
मैं कैसे आऊँ, कहाँ से आऊँ, करूँ दो बात।
ढोलक बाजे…….
बन्ने तेरी नानी बड़ी होशियार, बन्ने तेरी मामी बड़ी होशियार
हमसे लड़ के पलंग से सटके बिछा लई खाट,
मैं कैसे आऊँ, कहाँ से आऊँ, करूँ दो बात।
ढोलक बाजे…….

बन्नी उड़ी उड़ी डोले, बन्नी फूली फूली डोले
मेरी दूरों से आएगी बारात, मुझे तो ससुराल जाना
वहाँ बाबा नहीं होगें वहाँ दादी नहीं होगीं
मेरे कैसे कटेगें दिन-रात, मुझे तो ससुराल जाना 

बन्नी उड़ी उड़ी डोले, बन्नी फूली फूली डोले
मेरी दूरों से आएगी बारात, मुझे तो ससुराल जाना
वहाँ पापा नहीं होगें वहाँ मम्मी नहीं होगीं
मेरे कैसे कटेगें दिन-रात, मुझे तो ससुराल जाना 

बन्नी उड़ी उड़ी डोले, बन्नी फूली फूली डोले
मेरी दूरों से आएगी बारात, मुझे तो ससुराल जाना
वहाँ भईया नहीं होगें वहाँ भाभी नहीं होगीं
मेरे कैसे कटेगें दिन-रात, मुझे तो ससुराल जाना 

बन्नी उड़ी उड़ी डोले, बन्नी फूली फूली डोले
मेरी दूरों से आएगी बारात, मुझे तो ससुराल जाना
वहाँ जीजा नहीं होगें वहाँ दीदी नहीं होगीं
मेरे कैसे कटेगें दिन-रात, मुझे तो ससुराल जाना

बन्नी 2

इचक दाना बिचक दाना दाने ऊपर दाना इचक दाना……
छज्जे ऊपर बन्नी बैठी बन्ना है दिवाना इचक…
रोज सवेरे उठकर बन्ना गर्म समोसे लाता है
दादी को दिखला-दिखला कर बन्नी को खिलाता है
दादी के मुंह पानी आये कैसा है जमाना है इचक दाना…..
इचक दाना बिचक दाना दाने ऊपर दाना

इचक दाना बिचक दाना दाने ऊपर दाना इचक दाना……
छज्जे ऊपर बन्नी बैठी बन्ना है दिवाना इचक…
रोज सवेरे उठकर बन्ना गर्म समोसे लाता है
मम्मी को दिखला-दिखला कर बन्नी को खिलाता है
मम्मी के मुंह पानी आये कैसा है जमाना है इचक दाना…..
इचक दाना बिचक दाना दाने ऊपर दाना

इचक दाना बिचक दाना दाने ऊपर दाना इचक दाना……
छज्जे ऊपर बन्नी बैठी बन्ना है दिवाना इचक…
रोज सवेरे उठकर बन्ना गर्म समोसे लाता है
भाभी को दिखला-दिखला कर बन्नी को खिलाता है
भाभी के मुंह पानी आये कैसा है जमाना है इचक दाना…..
इचक दाना बिचक दाना दाने ऊपर दाना

शादी विवाह के अवसर पर गीत गाने की परम्परा हमारे देश की संस्कृति का अभिन्न अंग है। इन गीतों के अभाव में विवाह के अवसर को पूर्ण नहीं माना जाता । रुहेलखण्ड में ऐसे अनेक लोक गीत प्रचलित हैं, जिन्हें विवाह के अवसर पर गाया जाता है। परिवार की महिलाएं ढोलक -- मजीरे की ताल पर सामूहिक रुप से इन गीतों को गाती हैं। प्राय: इन गीतों की धुन पर महिलाएं नृत्य करती हैं। इनमें से कुछ गीत इस प्रकार हैं--

गीत
सं० --(i )

बन्ना बुलाए, बन्नो न आए।
मैं कैसे आऊँ , बन्ना मेरी पायल बजनी है।।

बाबा तेरे बैठे नाना तेरे बैठे
मैं कैसे आऊँ , बन्ना मेरी पायल बजनी है।।

नीचे निगाह डाल कै लम्बा घूँघट काढ़ के, पायल उतार के।
आज मेरी बन्नो रे, अटरिया मेरी सूनी पड़ी।।

बन्ना बुलाए, बन्नो न आए।
मैं कैसे आऊँ , बन्ना मेरी पायल बजनी है।।

चाचा तेरे बैठें, ताऊ तेरे बैठे।
मैं कैसे आऊँ , बन्ना मेरी पायल बजनी है।।

नीचे निगाह डाल कै लम्बा घूँघट काढ़ के,पायल उतार के।
आज मेरी बन्नो रे, अटरिया मेरी सूनी पड़ी।।

बन्ना बुलाए, बन्नो न आए।
मैं कैसे आऊँ , बन्ना मेरी पायल बजनी है।।

नीचे निगाह डाल कै लम्बा घूँघट काढ़ के, पायल उतार के।
आज मेरी बन्नो रे, अटरिया मेरी सूनी पड़ीं।।

गीत
सं० --(ii )

लगन आई हरे- भरे
लगन आई मेरे अँगना।
चाचा सज गए. चाची सज गईं,
सज गयी सारी बारात।

रघुनन्दन तो ऐसे सज गए, जैसे श्री भगवान।।

लगन आई हरे- भरे
लगन आई मेरे अँगना।
मामा सज गए. मामी सज गयीं,
सज गयी सारी बारात।

रघुनन्दन तो ऐसे सज गए, जैसे श्री भगवान।।

लगन आई हरे- भरे
लगन आई मेरे अँगना।
भईया सज गए. भाभी सज गयीं,
सज गयी सारी बारात।

रघुनन्दन तो ऐसे सज गए, जैसे श्री भगवान।।

लगन आई हरे- भरे
लगन आई मेरे अँगना।
फूफा सज गए. बुआ सज गयीं,
सज गयी सारी बारात।

रघुन्नदन तो ऐसे सज गए, जैसे श्री भगवान।।


गीत
सं० --(iii )

बन्नो सोहाग भरी किसी को न न लगे। बन्नो
दादी आई सोहाग चढ़ाने माता आई सोहाग चढ़ाने
उसकी मोतिन से मांग भरी।

और फूलों से गोद भरी। किसी ताई आई सोहाग
चढ़ाई चाची आई सोहाग चढ़ाने मोतिन से मांग भरी।

और फूलों से गोद भरी। किसी बुआ आई
सोहाग चढ़ाने मौसी आई सोहाग चढ़ाने
जीजा आई सोहाग चढ़ाने भाभी आई सोहाग
चढ़ाने मोतिन से मांग भरी।

और फूलों से गोद भरी। किसी नानी आई सोहाग
चढ़ाने मामी आई सोहाग चढ़ाने मोतिन से मांग भरी।

और फूलों से गोद भरी। किसी मेरी लाड़ो
सोहाग भरी किसी की न ना लगे।

गीत
सं० --(iv )

सासुल पनिया कैसे लाऊँ रसीले दोऊ नैना
सासुल पनिया कैसे लाऊँ रसीले दोऊ नैना

तुम आए चटक चदरिया, सिर पै रखो गगरिया,
छोटी ननद लै लेओ साथ।
सासुल पनिया कैसे लाऊँ रसीले दोऊ नैना।

मैने ओढ़ी चटक चुनरिया,सिर पै रखी गगरिया,
छोटी ननदी लै लई साथ ।
रसीले दोऊ नैना।

तुम बैठो कदम की छैया, मैं भर लाऊँ ठन्डो पनिया,
ननदी गर मत कहइयो जाय।
रसीले दोऊ नैना।

वह मोसे पहले आई,उसने दो की चार लगाई,
भैया भाभी के दो यार।
रसीले दोऊ नैना।

फाल्गुन में ब्याह कर्रूँगी,बैसाख में गौना कर्रूँगी,
ननदी कबहूँ न लेऊ तेरो नाम।
रसीले दोऊ नैना।

फाल्गुन में ब्याह रचइयो, बैसाख में गौना करइयो,
भाभी तीजो पे लियो बुलाय,
रसीले दोऊ नैना।

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