Authored by Rakesh Jha | नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated: May 1, 2022, 8:01 PM
स्त्री पुरुष समाज के दो ऐसे स्तंभ है जिन पर पूरी दुनिया टिकी हुई है। विपरीत लिंगी होने के कारण दोनों के मध्य आकर्षण होना भी स्वाभाविक और सत्य बात है। यह दोनों एक-दूसरे के पूरक है। एक-दूसरे के बिना दोनों अधूरे हैं। इसी क्रम में दोनों का परस्पर मिलन भी एक सामान्य बात है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार स्त्री-पुरुष का संगम यदि परंपराओं के अनुसार होता है, तो यह एक पवित्र घटना होती है। सरल शब्दों में देखें तो दोनों का मिलन अगर समाज द्वारा बनाए गए विधि-विधान से होता है तो यह एक सामान्य घटना है।
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क्या है धार्मिक मान्यता
विवाह एक धार्मिक संस्कार ही माना गया है, इसके अंतर्गत स्त्री-पुरुष का मिलन एक निकृष्ट कर्म है। विवाह के बाद स्त्री-पुरुष के संबंध को शुभ और मान्यताओं के अनुरूप ही माना जाता है, लेकिन क्या आपने सोचा है कि वैवाहित दंपत्ति को भी कुछ विशेष दिनों पर एक-दूसरे से दूर रहना चाहिए। हिंदू धर्म में कुछ ऐसी तिथियां बताई गई हैं जिन पर पति-पत्नी को शारीरिक संबंध नहीं स्थापित करने चाहिए। ब्रह्मवैवर्तपुराण के अनुसार इस दिन मिलन होने से कई तरह के नुकसान होने का डर रहता है। आइए हम आपको बताते हैं कि किन दिनों शारीरिक संबंध बनाने को वर्जित माना गया है।
नवरात्र का पावन पर्व
नवरात्र के नौ दिन देवी मां की आराधना में लीन रहने के लिए होते हैं। कुछ लोग पूरे नौ दिन का व्रत रखते हैं और कुछ प्रथम और अंतिम। नवरात्र के पवित्र दिनों में सभी लोग विधि-विधान से माता की पूजा एवं कलश स्थापित करते हैं। ऐसे में नवरात्र के दौरान स्त्री-पुरुष के बीच शारीरिक संबंध स्थापित होना निषेध बताया गया है।
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पड़ता है नकारात्मक प्रभाव
शास्त्रों में उल्लेख है कि अमावस्या के दिन पति-पत्नी को एक दूसरे से दूर रहना चाहिए अर्थात् शारीरिक संबंध बनाने से बचना चाहिए। ऐसा करने के पीछे मान्यता है कि इससे उनके वैवाहिक जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा पूर्णिमा की रात भी दंपती को एक दूसरे से अलग ही रहना चाहिए। बुरी शक्तियां इस दिन ऊर्जावान रहती हैं इसलिए इसका असर रिश्ते पर पड़ सकता है, इस वजह से इस दिन संबंध बनाने से बचना चाहिए।
संक्राति पर भी बचना चाहिए
संक्रांति की तिथि पर भी पति-पत्नी को संबंध नहीं बनाने चाहिए। माना जाता है कि इस दौरान भी नजदीकी कायम करना अशुभ होता है। उनके रिश्ते पर इसका दुष्प्रभाव पड़ सकता है, इसलिए संक्रांति पर संभलकर रहना चाहिए।
चतुर्थी-अष्टमी पर भी रहना चाहिए दूर
पुराणों के अनुसार, माह की चतुर्थी और अष्टमी तिथि पर भी पति-पत्नी को एक-दूसरे से दूरी बनाए रखनी चाहिए। पुराणों के अनुसार रविवार का दिन भी पति-पत्नी के मिलन के लिए सही नहीं है। इसलिए इस दिन एक-दूसरे से दूर ही रहना चाहिए। शारीरिक संबंधों के लिए यह समय उचित नहीं होता है।
श्राद्ध पर साथी के निकट जाने से बचना चाहिए
श्राद्ध का समय पितरों को स्मरण करते हुए उनकी पूजा-अर्चना करने का होता है। पंद्रह दिनों तक लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पूजा,यज्ञ और हवन करवाते हैं, इसलिए मन,तन कर्मवचन से शुद्धि बहुत जरूरी होती है। इसलिए श्राद्ध या पितृ पक्ष के दौरान भी पति-पत्नी को संबंध बनाने के विषय में सोचना तक नहीं चाहिए। मन में अच्छे विचार लाने चाहिए।
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व्रत में संभोग उचित नहीं
धार्मिक मान्यता है कि जो मनुष्य जिस भी दिन किसी भी भगवान के लिए व्रत रखें, उस दिन पवित्रता और शुद्धता का खास ख्याल रखना चाहिए। पूर्णतया साफ मन से पूजा करते हुए विधि विधान से व्रत करना चाहिए। शास्त्रों में भी कहा गया है कि व्रती को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। तब ही व्रत का पूर्ण लाभ मिलता है। चाहे स्त्री हो या पुरुष जो भी व्रत रखते हैं, उस दिन किसी प्रकार से अपने साथी के करीब जाना या संभोग करना सही नहीं बताया गया है।
संतान प्राप्ति में आ सकती हैं समस्याएं
अगर कोई दंपती संतान प्राप्ति के लिए संबंध बनाने की सोच रहे हैं, तो उन्हें वर्जित दिनों पर संबंध बिल्कुल भी स्थापित नहीं करने चाहिए। ऐसा करने पर भयानक परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। जिस दिन उन्हें यह विचार मन से बिलकुल निकाल देना चाहिए।
खड़ी होती हैं परेशानियां
किन्नर हो सकती है संतान
हिंदू धर्मपुराण गर्भ उपनिषद में स्त्री-पुरुष के संबंध बनाने से गर्भ में शिशु के जन्म और उसके विकसित होने का उल्लेख किया गया है। साथ ही शिशु गर्भ के भीतर 9 महीने तक क्या विचार करता है, इस बारे में भी बताया गया है। गर्भ उपनिषद के अनुसार, अनुचित समय पर शारीरिक संबंध बनाने से एक किन्नर की उत्पत्ति होती है। इस रहस्य को गर्भ उपनिषद में बताया गया है।