माटी वाली कहानी का उद्देश्य क्या है? - maatee vaalee kahaanee ka uddeshy kya hai?

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लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न.1. ‘माटीवाली’ पाठ के आधार पर बताइए कि वर्तमान में सामाजिक जीवन में कौन-कौन से परिवर्तन हो रहे हैं?
उत्तर. 

  • वर्तमान में सामाजिक जीवन में अनेक परिवर्तन हो रहे हैं। लोग असंवेदनशील और औपचारिक होते जा रहे हैं। उन्हें किसी के दुःख और तकलीफ से कोई लेना देना नहीं है। इसी के साथ गरीबों को पुनर्वास और विस्थापन की तकलीफ भी झेलनी पड़ती है। 
  • प्रस्तुत पाठ में गरीब माटीवाली को भी टिहरी बाँध के टूटने के कारण गाँव से विस्थापित होने का दंश झेलना पड़ता है। सरकार के द्वारा भी केवल उन्हीं लोगों को मुआवजा और विस्थापन का लाभ मिलता है, जिनके पास उनके घरों के प्रमाण-पत्र होते हैं। शेष इसके लाभ से वंचित रह जाते हैं।

प्रश्न.2. वर्तमान समय में सामाजिक योजनाओं का लाभ कौन उठा रहा है?
उत्तर. 

  • वर्तमान समय में सरकारी योजनाओं और मुआवजों का लाभ केवल समर्थ और सक्षम व्यक्ति ही उठा पाते हैं, जबकि गरीब विस्थापित और इन योजनाओं से संबंधित प्रमाण-पत्रों के अभाव वाले व्यक्ति इनसे वंचित रह जाते हैं। 
  • अतः ऐसा प्रयास किया जाना अति आवश्यक है कि लाभ का अधिकार सर्वप्रथम निचले और गरीब तबके को मिले, जिससे वह अपना जीवन ठीक से बसर कर सकें।

प्रश्न.3. माटी वाली कौन थी ? उसके द्वारा किए जाने वाले कार्यों से हमें क्या प्रेरणा मिलती है ?
[C.B.S.E. 2014 Term II, VE7X3IC]
उत्तर. 

  • माटी वाली एक गरीब अनुसूचित जाति की महिला थी। वह बूढ़ी महिला पूरे टिहरी शहर में घर-घर लाल मिट्टी देने जाती थी जो लिपाई-पुताई के काम आती है। वह जिस प्रकार का जीवन जी रही थी उससे हमें मेहनत और ईमानदारी से जीवन व्यतीत करने की प्रेरणा मिलती है। 
  • परिवार के प्रति निष्ठावान रहने की सीख भी उसके जीवन से हमें प्राप्त होती है। साथ ही यह भी प्रेरणा मिलती है कि जीवन में पढ़ना-लिखना कितना आवश्यक है।

प्रश्न.4. जिसके विषय में मिट्टी से भरा कंटर नीचे उतारने की बात कही गई है, वह कौन थी तथा उसका व्यवसाय क्या था?
[C.B.S.E. 2013 Term II, C 1022 GK]

अथवा
‘शहरवासी सिर्फ माटी वाली को नहीं, उसके कंटर को भी अच्छी तरह पहचानते हैं।’ आपकी समझ से वे कौन-से कारण रहे होंगे जिनके रहते ‘माटी वाली’ को सब पहचानते थे?
उत्तर. 

  • माटी वाली को सब लोग पहचानते थे क्योंकि घर-घर में लाल मिट्टी देते रहने से उस काम को करने वाली वह बूढ़ी नाटे कद व खुले कनस्तर वाली एक मात्र महिला स्त्री थी। कोई भी दूसरा मिट्टी देने वाला न था। उसके बिना चूल्हा जलना कठिन था। 
  • प्रत्येक घर में प्रतिदिन चूल्हा-चैका लीपने के लिए तथा साल-दो-साल में मकान-दीवारों की लिपाई के लिए मिट्टी की आवश्यकता पड़ती थी। इसी कारण से सब मिट्टी लेते थे तथा मिट्टी वाली को, उसके कंटर से पहचानते थे।

प्रश्न.5. माटीवाली का चरित्र चित्रण कीजिए। 
उत्तर. 
‘माटी वाली’ के चरित्र की विशेषताएँ निम्न प्रकार हैं, जो हमें प्रभावित करती हैं:

  • वह मेहनती एवं ईमानदार महिला है।
  • पति परायण है।
  • संवेदनशील महिला है।
  • लोकप्रिय है।
  • विनम्र स्वभाव की महिला है।

प्रश्न.6. माटी वाली का ढक्कन रहित कंटर उसके व्यक्तित्व के किस पक्ष को प्रतिबिंबित करता है? अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर.

  • दरिद्रता की झलक।
  • सरलता व सादापन।
  • नीचे उतारने में आसानी।
  • कार्य कुशलता व निपुणता।

प्रश्न.7. टिहरी शहरवासियों के लिए माटी वाली का क्या महत्त्व था ? वे माटी वाली को किस तरह पहचानते थे ?
उत्तर. 

  • टिहरी निवासी माटी वाली को भली-भाँति जानते थे। हर घर वाला, बच्चा, किराएदार सब जानते थे क्योंकि हर घर में लाल मिट्टी देने वाली वह अकेली स्त्री थी। उसके बिना टिहरी शहर में चूल्हे जलाना कठिन था। लोगों के सामने रसोई और भोजन के बाद चूल्हे-चैके की लिपाई करने की समस्या पैदा हो जाएगी। 
  • हर घर में रोज लाल मिट्टी की जरूरत पड़ती थी। इसलिए माटी खाने से लाल मिट्टी लाकर हर घर में मिट्टी देने वाली को हर कोई जानता था।

प्रश्न.8. ‘माटी वाली’ कहानी का आधार या उद्देश्य क्या है? 
उत्तर. 
‘माटी वाली’ कहानी के उद्देश्य:

  • विस्थापन की समस्या को उजागर करना।
  • पुनर्वास के दुःख को लोगों तक पहुँचाना।
  • आर्थिक तंगी के प्रति जागरुकता पैदा करना।
  • भावनात्मक तथा गरीबों के प्रति सहानुभूति का वातावरण प्रस्तुत करना। 
  • प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार लाना।
  • लोगों को यथासम्भव मजदूरी देना। 

प्रश्न.9. ‘माटीवाली’ कहानी में निहित समस्या व उसका परिणाम बताइए। 
उत्तर. ‘माटीवाली’ कहानी में निहित समस्या विस्थापन की समस्या है। जिसके कारण गरीब लोग लाचार व बेबस हो जाते हैं। वे कहाँ जाएँ? क्या करें? इसलिए इस समस्या का निराकरण सरकार व हर भारतवासी को मिलकर करना होगा।

प्रश्न.10. ‘माटी वाली’ कहानी में एक बूढ़ी माटी वाली के माध्यम से लेखक ने किस समस्या को उठाया और उसका क्या परिणाम हुआ ?
[C.B.S.E. 2012 Term II, HA-1061]
उत्तर.

  • माटी वाली अनपढ़ व दलित महिला थी, न जमीन थी, न जायदाद, और न कोई ठिकाना। मिट्टी खोदकर व उसे बेचकर अपना व पति का पेट पालने वाली बूढ़ी व लाचार महिला, रोटियों को छिपाती, लाचारी और बेबसी का प्रतीक है। 
  • माटी वाली के माध्यम से लेखक ने विस्थापन की समस्या से उपजी परेशानी को दर्शाया है जिसके परिणाम स्वरूप गरीब, बेघर व्यक्ति अपने स्थान पर से उजड़ने के बाद पुनः नहीं बस पाता। माटी वाली जैसे लोगों के पास किसी प्रकार की चल-अचल सम्पत्ति न होने पर वे पूरी तरह बर्बाद हो जाते हैं।

प्रश्न.11. ‘माटी वाली सचमुच दलित, शोषित और लाचार है’ स्पष्ट कीजिए।
[C.B.S.E. 2012 Term II, HA-1055]
उत्तर. 

  • माटी वाली गरीब, लाचार, बेबस है। आज की सुख-सुविधाओं से वंचित, न काम, न मकान, सिर्फ एक झोंपड़ी है जो ठाकुर की ज़मीन पर है, उसका रोटियाँ गिनना उसकी स्थिति दर्शाता है। बूढ़े, लाचार पति के लिए सब कुछ करने को तैयार है। 
  • लेकिन वक्त की मार बूढ़े की मौत, झोंपड़ी का बाढ़ में बह जाना, विस्थापन की समस्या, कहाँ जाए, क्या करे, उसकी बेबसी को प्रकट करता है।

प्रश्न.12. माटीवाली के पास अपने अच्छे या बुरे भाग्य के बारे में ज्यादा सोचने का समय क्यों नहीं था?
उत्तर. 

  • माटीवाली के पास अच्छे या बुरे भाग्य के बारे में ज्यादा सोचने का समय नहीं था। वह सुबह जल्दी उठती, माटाखान जाती, मिट्टी खोदती। फिर मिट्टी को अपने कंटर में भर शहर के घर-घर में बेचती थी। वह अपने बीमार पति की चिंता में भी घुलती रहती। 
  • उसकी देखभाल भी वही करती थी। अपनी इस दिनचर्या को उसने अपनी नियति मान लिया था और इसी तरह बस जिए जा रही थी। ऐसे में उसके पास अपने अच्छे या बुरे भाग्य के बारे में ज्यादा सोचने का समय ही नहीं था।

प्रश्न.13. ‘भूख मीठी कि भोजन मीठा’ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर. 

  • उक्त पंक्ति का आशय है कि जब मनुष्य भूखा होता है तो उसे भोजन स्वयंमेव स्वादिष्ट व रूचिकर लगता है। वह उस समय स्वादिष्ट भोजन की खोज नहीं करता बल्कि जो भी भोजन उसे मिलता है, वही उसे स्वादिष्ट लगता है। 
  • अतः हम कह सकते हैं कि हमेशा भूख ही मीठी होती है, भोजन मीठा नहीं होता। भूख खुद ही भोजन में मिठास पैदा कर देती है। जब कि भूख न लगने पर स्वादिष्ट भोजन भी अच्छा नहीं लगता ।

प्रश्न.14. ‘पुरखों की गाढ़ी कमाई से हासिल की गई चीजों को हराम के भाव बेचने को मेरा दिल गवाही नहीं देता।’ मालकिन के इस कथन के आलोक में विरासत के बारे में अपने विचार व्यक्त कीजिए।उत्तर. 

  • हमारे पुरखों (पूर्वजों) द्वारा दी गई चीजें एक विरासत के रूप में होती है। ये पीढ़ियों से चली आ रही एक धरोहर होती हैं। मालकिन को विरासत के रूप में पीतल के बर्तन मिले थे और वह उन्हें बहुत संभालकर रखती थीं क्योंकि उसके मन में अपनी धरोहर या विरासत के लिए प्रेम, आदर व सम्मान की भावना थी। वह जानती थी कि उसके पूर्वजों ने कड़ी मेहनत करके और अभाव में भी इन्हें (पीतल के बर्तन) खरीदा होगा। 
  • विरासत की ये चीजें उसके लिए अमूल्य थीं। उसने उन बर्तनों को किसी भी दाम पर बेचा नहीं। अतः अपने पूर्वजों की विरासत को, उनकी यादों को नष्ट न करके, उनको सहेजकर रखना चाहिए।

प्रश्न.15. माटी वाली का रोटियों का इस तरह हिसाब लगाना उसकी किस मजबूरी को प्रकट करता है?उत्तर. 

  • माटीवाली का रोटियों का इस तरह हिसाब लगाना उसकी गरीबी को प्रकट करता है। वह काम तो करती है, लेकिन फिर भी उसकी आवश्यकताए° पूरी नहीं होतीं। 
  • उसे अपना व अपने पति का भी पेट भरना होता था। इसलिए वह रोटियों को गिनकर हिसाब लगाती थी कि उसका भी पेट भर जाए और उसके पति का भी पेट भर सके।

प्रश्न.16. आज माटीवाली बुड्डे को कोरी रोटियाँ नहीं देगी इस कथन के आधार पर माटीवाली के हृदय के भावों को अपने शब्दों में लिखिए। 
उत्तर. 

  • माटीवाली अभावग्रस्त जीवन जी रही थी। अपनी गरीबी के कारण वह अपने लिए व अपने पति के लिए अच्छा भोजन भी नहीं जुटा पाती थी। परन्तु उस दिन वह अपने पति के लिए केवल रोटियाँ ही नहीं ले जा रही थी बल्कि उसने अपनी आमदनी से उसके लिए प्याज भी खरीदा था। 
  • अब वह घर जाकर प्याज की सब्जी बनाकर उसके साथ अपने पति को खाना परोसेगी। आज उसके पति को रूखा-सूखा नहीं खाना पड़ेगा। प्रश्न में दिया हुआ कथन, माटीवाली के अपने पति के प्रति असीम स्नेह व कर्तव्य को दर्शाता है।

प्रश्न.17. ‘गरीब आदमी का श्मशान नहीं उजड़ना चाहिए।’ इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर. 

  • ‘गरीब आदमी का श्मशान नहीं उजड़ना चाहिए’ इस कथन में लेखक ने गहरा व्यंग्य दर्शाया है। किसी भी गरीब का घर नहीं उजड़ना चाहिए क्योंकि जब किसी का घर छिनता है या उजड़ता है या वह विस्थापित किया जाता है तो उसे बहुत पीड़ा महसूस होती है। 
  • उसके लिए तो घर और श्मशान एक जैसे प्रतीत होने लगते हैं। जैसे एक दिन घर पहुँचने पर माटीवाली को पता चलता है कि उसके पति की मृत्यु हो चुकी है तो उसे उसके अंतिम संस्कार की चिंता होती है क्योंकि बाढ़ के कारण श्मशान पानी में डूब चुके थे और उसे अपना घर ही शमशान की तरह लग रहा था।

प्रश्न.18. ‘विस्थापन की समस्या’ पर एक अनुच्छेद लिखें।
उत्तर. 

  • नागरिकों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर बसाना विस्थापन कहलाता है। विस्थापन वर्तमान समाज की एक गंभीर समस्या है। यह लोगों पर विपत्ति आने के कारण या किसी अन्य कारण से होता है। जैसे भूकम्प के कारण, बाढ़ के कारण, बाँध के लिए, बिजली परियोजना के लिए। 
  • इसके कारण लोगों का विकास अवरु( होता है। इससे उनका कमाई का जरिया, उनका घर-जमीन आदि सब छिन जाते हैं। बच्चों का विकास रुक जाता है। लोग इस दुःख को सह नहीं पाते, मुश्किल तब और ज्यादा होती है जब उनके पास जमीन का कोई प्रमाण-पत्र न होने के कारण उनको नई जगह पर आवास बनाना अत्यंत कठिन हो जाता है। 
  • विस्थापन के कारण ही हुए विरोधों के कारण नर्मदा आंदोलन हुआ था। हम सब को इस विषय पर मंथन करना होगा कि हमारा विकास इस प्रकार होना चाहिए कि गरीब व असहाय वर्ग को दुखः व पीड़ा सहन न करनी पड़े।

माटी वाली पाठ का सार यहाँ से पढ़ें।
माटी वाली पाठ को इस वीडियो की मदद से समझें।

माटी वाली कहानी का आधार या उद्देश्य क्या है?

'माटी वाली' कहानी के उद्देश्य: विस्थापन की समस्या को उजागर करना। पुनर्वास के दुःख को लोगों तक पहुँचाना। आर्थिक तंगी के प्रति जागरुकता पैदा करना।

माटी वाली कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है?

माटी वाली पाठ से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें विरासत में जो चीजें मिलती हैं वे हमारे पुरखों की वर्षों की कमाई का नतीजा होती हैं। विरासत में केवल भौतिक संपत्ति ही नहीं मिलती बल्कि पुरखों की कमाई हुई इज्जत भी मिलती है। इसलिए हमेशा विरासत में मिली हुई चीजों की इज्जत करनी चाहिए।

माटी वाली कहानी की प्रमुख समस्या क्या है?

उत्तर=माटी वाली कहानी की समस्या इस प्रकार है कि वह टोकरी लेकर दूसरों के घर में काम करने जाती थी उसे जो पैसा मिलता था उस पैसे से वो खाना खाती थी। ना रहने के लिए घर था। यह माटी वाली की समस्या है।

माटी वाली कहानी के माध्यम से लेखक किस समस्या को संबोधित किया है और कैसे?

'माटी वाली' नामक इस पाठ में लेखक ने गरीबों के विस्थापन की समस्या को अत्यंत प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया है। लेखक ने टिहरी से विस्थापित होने वाले लोगों के दर्द को अत्यंत गहराई से महसूस किया है। माटी वाली के पास न अपनी कोई जमीन थी और न माटाखान का कोई कागज। वह तो गाँव के ठाकुर की जमीन पर झोंपड़ी डालकर रहती है।

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