यूं तो शनि दोष निवारण के लिए नित्य भगवान् शिव के पंचाक्षर मंत्र 'ॐ नमः शिवाय' का जप करना चाहिए तथा महामृत्युंजय मंत्र- 'ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्द्धनं उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्' का जप भी शुभ होता है। यहां प्रस्तुत है शनिदेव के 5 चमत्कारी मंत्र जिन्हें शनिवार के दिन या शनि जयंती पर पढ़ने से हर कष्टों का अंत होता है। Show ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये शन्योरभिस्त्रवन्तु न:। ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम: मंत्र- ॐ ऐं ह्लीं श्रीशनैश्चराय नम:। कोणस्थ पिंगलो बभ्रु: कृष्णो रौद्रोन्तको यम:। सौरि: शनैश्चरो मंद: पिप्पलादेन संस्तुत:।। किसी भी विद्वान ब्राह्मण से या स्वयं शनि के तंत्रोक्त, वैदिक मंत्रों के 23,000 जाप करें या करवाएं। शनि का तंत्रोक्त मंत्र- ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम: शनि मंत्र कितनी बार करना चाहिए?मंत्र जाप कम से कम 108 बार करना चाहिए।
शनि देव का जाप कितना करना चाहिए?किसी भी विद्वान ब्राह्मण से या स्वयं शनि के तंत्रोक्त, वैदिक मंत्रों के 23,000 जाप करें या करवाएं।
शनि का जप कितना होता है?इसे श्री शनि वैदिक मंत्र कहा जाता है। कहा जाता है कि अगर इस मंत्र का जाप किया जाए तो इससे शनिदेव प्रसन्न हो जाता है। साथ ही यह भी माना जाता है कि अगर इस मंत्र का जाप 23000 हजार बार किया जाए तो इससे साढे़साती का प्रभाव कम हो जाता है।
Shani मंत्र का जाप कब करना चाहिए?शनिवार के दिन शनि देव की पूजा का विधान है. ऐसा कहा जाता है कि शनिवार के दिन शनि देव की उपासना करने से उस शख्स के सभी काल, कष्ट, दुख और दर्द दूर होते हैं. इसके साथ सिर्फ शनिवार ही नहीं नियमित रूप से शनि देन की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में खास उन्नति की राह पर गतिशील रहता है.
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