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Question विषुवतीय प्रदेश अथवा शांत पेटी (डोलड्रम) में किस प्रकार की वर्षा होती है?संवहनीय वर्षा (Convectional Rainfall) Right on! Give the BNAT exam to get a 100% scholarship for BYJUS courses पर्वतीय वर्षा (Orographic rainfall) No worries! We‘ve got your back. Try BYJU‘S free classes today! Solution The correct option is A संवहनीय वर्षा (Convectional Rainfall)इसकी उत्पत्ति गर्म एवं आर्द्र पवनों के ऊपर उठने से होती है जब भूतल बहुत गर्म हो जाता है तथा इसके संपर्क में रहने वाली पवनें गर्म होकर ऊपर उठती है तो संवहनीय धाराओं का निर्माण होता है। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});पृथ्वी पर उपलब्ध जल के वाष्पीकरण होने से वाष्प वायुमंडल में पहुँचता है तथा ऊँचाई पर तापमान कम होने से उसका संघनन होता है। फलस्वरूप मेघ बनते हैं तथा वर्षा बूंदों का निर्माण होता है। जब जलवाष्प की बूंदें जल के रूप में पृथ्वी पर गिरती हैं उसे वर्षा (Rainfall) कहते हैं। जब जलवाष्प युक्त वायु ऊपर की तरफ उठती है तो तापमान में कमी होने के कारण उसका संघनन होने लगता है। इस तरह बादलों का निर्माण होता है। कुछ समय बाद जलवाष्प की मात्रा अधिक होने के कारण वायुमंडल उसे संभाल नहीं पाता है और जलवाष्प वर्षा की बूंदों में परिवर्तित हो जाता है। तथा वर्षा होने लगती है। वर्षा के प्रकारवर्षा तीन प्रकार की होती है :
(1) सवहनीय वर्षाइसकी उत्पत्ति गर्म एवं आर्द्र पवनों के ऊपर उठने से होती है। विषुवतीय प्रदेशों अथवा शान्त पेटी में यही वर्षा होती है। उच्च तापमान तथा आर्द्रता के कारण इन क्षेत्रों में दोपहर 2 से 3 बजे के बीच घनघोर बादल छा जाते है। कुछ क्षणों की मूसलाधार वर्षा के बाद सायं 4 बजे तक वर्षा रूक जाती है। आसमान साफ हो जाता है। (2) पर्वतीय वर्षाजब जलवाष्प से लदी हुई गर्म वायु को किसी पर्वत या पठार की ढलान के साथ ऊपर चढ़ना होता है तो यह वायु ठण्डी होने लगती है। ठण्डी होने से यह संतृप्त हो जाती है और संघनन की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। संघनन के पश्चात होने वाली इस प्रकार की वर्षा को 'पर्वतीय वर्षा' कहते है। यह वर्षा उन क्षेत्रों में अधिक होती है जहाँ पर्वत श्रेणी समुद्र तट के निकट तथा उसके समानान्तर हो। संसार की अधिकांश वर्षा इसी रूप में होती है। जिस पर्वतीय ढाल पर वर्षा होती है, उसे वर्षा पोषित या पवनाभिमुख क्षेत्र कहते हैं, जबकि विमुख ढाल पर वर्षा नहीं होती है तथा इसे वृष्टि छाया प्रदेश कहते हैं। (3) चक्रवाती वर्षाचक्रवातों के कारण होने वाली वर्षा को चक्रवाती वर्षा कहते है। इस प्रकार की वर्षा शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवातीय क्षेत्रों में होती है। या चक्रवातों द्वारा होने वाली वर्षा को चक्रवातीय या वाताग्री वर्षा कहते हैं। दो विपरीत स्वभाव वाली हवाएं जब आपस में टकराती हैं तो वाताग्र का निर्माण होता है। इस वाताग्र के सहारे गर्म वायु ऊपर की ओर उठती है और वर्षा होती है। यह वर्षा मुख्य रूप से मध्य एवं उच्च अक्षांशों में होती है। वर्षा को प्रभावित करने वाले कारक (Factros affecting Reianfall)पृथ्वी पर वर्षा का वितरण सर्वत्र एकसमान नहीं है। इसे कुछ कारक प्रभावित करते है जो निम्नलिखित है:
विश्व में वर्षा का वितरणविश्व में औसत वार्षिक वर्षों के वितरण सम्बन्धी महत्वपूर्ण तथ्य निम्नलिखित है:
कृत्रिम वर्षा (Artificial Precipipation)कृत्रिम वर्षा को मेघों का कृत्रिम बीजारोपण भी कहा जाता है। इसका तात्पर्य वस्तुतः उस प्रक्रिया से है जिसमें एक विशेष प्रकार के मेघों को संतृप्त करके वर्षा कराई जाती है। सिल्वर आयोडाइड' प्रविधि द्वारा कृत्रिम वर्षा हेतु प्रयास किया जाता है। इसमें बहुत ऊँचे तापमान पर गर्म करने पर सिल्वर आयोडाइड वाष्पीकृत हो जाता है एवं शीतल होने पर इसे सिल्वर आयोडाइड के अत्यंत सूक्ष्म कणों (व्यास 0.01 से 0.1 माइक्रॉन) का निर्माण हो जाता है जो धुएँ के रूप में अति शीतलित जल कणों से निर्मित मेघों में जमा हो जाते है। ये -5°C से निम्न तापमान पर अति सूक्ष्म नाभिकों के रूप में कार्य करते है जिन पर हिम का निर्माण होता है। इस प्रकार ये मेघों को हिमकणों से निर्मित मेघों में तत्काल परिवर्तित कर देते है एवं इनके सूक्ष्म कणों पर हिम क्रिस्टलों का विकास होने लगता है। इन सूक्ष्म नाभिकों व हिम कणों को संरचना में समानता होती है, अतः अतिशीलता कपासी वर्षा मेघों में इनके कणों को छोड़े जाने पर गत्यात्मक प्रभाव दिखाई पड़ता है। सिल्वर आयोडाइड को इन मेघों में पहुँचने के लिए पहले इसके घोल को एसीटोन नामक अत्यधिक ज्वलनशील तरल पदार्थ में गर्म किया जाता है जिनसे सूक्ष्म क्रिस्टलों का निर्माण होता है। धरातल पर जेनरेटरों को थोडी-थोडी दूरी पर एक पंक्ति में रखकर यदि कई घंटे तक सिल्वर आयोडाइड को मेघों की ओर छोडा जाये तो मेघों में संतृप्त होने व संघनन की यह प्रक्रिया संभव हो पाती है। वर्षा : महत्वपूर्ण तथ्य
संवहनीय वर्षा कहाँ होती है?संवहनीय वर्षा
जब यह ऊपरी वायुमंडल में पहुँचती है तो कम तापमान के कारण ठंडी हो जाती है। इसके परिणामस्वरूप संघनन की क्रिया होती है तथा कपासी मेघों का निर्माण होता है। इससे अल्पकाल के लिये बिजली कड़कने तथा गरज के साथ मूसलाधार वर्षा होती है। यह वर्षा प्रायः विषुवतीय क्षेत्रों में महाद्वीपों के भीतरी भागों में होती है।
6 संवहनीय वर्षा क्या है?संवहनीय वर्षा- गर्म प्रदेशों में और समुद्रतटीय भागों में समुद्रों व अन्य जलाशयों से तेज गर्मी के कारण पानी, भाप ( वाष्प ) बनता है। यह वाष्प गर्म हवाओं के साथ ऊपर काफी ऊंचाई पर पहुँच कर संघनित होकर बूँदों के रूप में बरसती है। इस क्रिया को 'संवहन' कहते हैं। इसीलिए ऐसी वर्षा को संवहनीय वर्षा कहते हैं।
सविनय वर्षा क्या है?वर्षा बिजली की चमक तथा बादलों की गरज के साथ होती हैं। इस तरह की वर्षा मुख्य रूप से भूमध्य रेखिय भागों में होती हैं, जहां पर प्रतिदिन दोपहर तक धरातल के गर्म होने के कारण संवाहन धाराएं उठने लगती हैं तथा २.३ बजे के आस-पास तक घनघोर बादल छा जाते हैं। पूर्ण अंधेरा छा जाता हैं तथा क्षणों में ही जोरो की वर्षा होने लगती हैं।
भारत में कितने प्रकार की वर्षा होती है?वर्षा तीन प्रकार की होती है :. संवहनीय वर्षा (Convectional rain). पर्वतकृत वर्षा (Orographical rain). चक्रवातीय वर्षा (Cyclonic rain). |