स्वच्छ विद्यालय योजना महाराष्ट्र कितने स्थानीय है? - svachchh vidyaalay yojana mahaaraashtr kitane sthaaneey hai?

गाजीपुर, संवाददाता। सरकार ने स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार योजना की शुरूआत की है। अब परिषदीय विद्यालयों में भी स्वच्छता के मानकों को परखा...

स्वच्छ विद्यालय योजना महाराष्ट्र कितने स्थानीय है? - svachchh vidyaalay yojana mahaaraashtr kitane sthaaneey hai?

1/ 2गाजीपुर, संवाददाता। सरकार ने स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार योजना की शुरूआत की है। अब परिषदीय विद्यालयों में भी स्वच्छता के मानकों को परखा...

स्वच्छ विद्यालय योजना महाराष्ट्र कितने स्थानीय है? - svachchh vidyaalay yojana mahaaraashtr kitane sthaaneey hai?

2/ 2गाजीपुर, संवाददाता। सरकार ने स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार योजना की शुरूआत की है। अब परिषदीय विद्यालयों में भी स्वच्छता के मानकों को परखा...

Newswrapहिन्दुस्तान टीम,गाजीपुरThu, 17 Mar 2022 03:12 AM

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गाजीपुर, संवाददाता। सरकार ने स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार योजना की शुरूआत की है। अब परिषदीय विद्यालयों में भी स्वच्छता के मानकों को परखा जाएगा। इसमें अबतक 527 विद्यालयों की ओर से फोटो अपलोड़ किया गया है। इस योजना के तहत विद्यालयों में पेयजल, स्वच्छता, शौचालय की सुविधाओं को परखा जाएगा। शासन ने अब स्वच्छता में दक्षता दिखाने का मौका दिया है।

इसमें 2269 परिषदीय विद्यालय, 14 कस्तूरबा सहित मान्यता प्राप्त विद्यालय भी सम्मिलित होगें। इसमें विद्यालयों को छह इंटीकेटर्स (बिदु) पर खरा उतरना होगा। इसमें जिला, प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर खरा उतरने पर विद्यालयों को पुरस्कृत किया जाएगा। शिक्षकों को मोबाइल पर स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार 2021-22 एप डाउनलोड कर विद्यालय में जल, स्वच्छता एवं साफ-सफाई को बढ़ावा देने वाले अच्छी तस्वीर अपलोड़ करेंगे। इसमें आवेदन करने की अंतिम तिथि 31 मार्च निर्धारित की गयी है। इस एप पर फोटो के साथ आवेदन करने को लेकर बीएसए हेमंत राव ने निर्देश जारी कर दिया है। ब्लाक और जिला स्तरीय कमेटी इसका सत्यापन कर एप पर अपनी रिपोर्ट देगी। इनमें विद्यालय में जल, स्वच्छता एवं साफ-सफाई को बढ़ावा देने वाले विद्यालयों को पुरस्कार मिलेगा।

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एक मई से शुरू होगा चयन ::

जिला स्तर पर पुरस्कार को लेकर 15 मई तक विद्यालयों का चयन होगा। इसे लेकर बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से तैयारी पूरी कर ली गयी है। राज्य स्तर पर 22 मई से 30 जून और राष्ट्रीय स्तर पर एक से सात जुलाई तक चयन होगा। संभावित 15 अक्टूबर को विश्व हाथ धुलाई दिवस पर प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति विद्यालय को पुरस्कृत करेंगे।

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ऐसे करें आवेदन

स्वच्छता विद्यालय पुरस्कार के लिएशिक्षक प्ले स्टोर से स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार 2021-22 डाउनलोड करें। इसमें विद्यालय के यू-डायस कोड के जरिए रजिस्ट्रेशन कर स्वयं मूल्यांकन करते हुए आधार पर पूर्ण पारदर्शिता के साथ 59 प्रश्नपत्रों का उत्तर लिखने के साथ हीं फोटों अपलोड़ करें। इस दौरान ऐप पर स्वच्छ व सुंदर फोटो अपलोड़ करें।

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110 नंबर की होगी प्रतियोगिता

स्वच्छ भारत पुरस्कार योजना प्रतियोगिता 110 नंबर का होगा। इसके लिए विद्यालय में सुरक्षा, पेयजल की व्यवस्था, शौचालय और हाथ धोने के लिए पानी की उपलब्धता का विशेष ध्यान रहेंगा। वहीं बालक, बालिकाओं के लिए अलग शौचालय बने हैं या नहीं। यदि बने है तो उसका फोटो रहना जरूरी है। इसके साथ हीं विद्यालय में कोरोना से बचाव को लेकर व्यवस्थाएं, छात्र शिक्षक और कर्मचारी इसका अनुपालन कर रहे हैं या नहीं, विद्यालय में गीले और सूखे कचरे के रख-रखाव और प्रबंधन की व्यवस्था, छात्रों के लिए एमडीएम बनाने वाले रसोइया स्वच्छता से काम कर रहे हैं। इन सभी बिदुओं पर जांच कर नंबर मिलेगा।

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पुरस्कार पाने की होड़::

शासन की ओर से इस कार्ययोजना को शुरू कर दी गयी है। अब विद्यालयों में पुरस्कार पाने की होड़ सी लग गई है। सभी विद्यालयों में तैयारियां भी शुरू हो गई हैं। स्वच्छ विद्यालय मानदंडों के मूल्यांकन के बाद स्टार रेटिंग प्रक्रिया का निर्धारण होगा। विद्यालयों के शिक्षक रेटिंग बढ़ाने को लेकर नए-नए कवायद करने में जुटे है।

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स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार के लिए सभी विद्यालयों को जानकारी दी गई है। इसके लिए 527 विद्यालयों की ओर से अपलोड़ कर दिया गया है। सभी विद्यालयों को प्रतियोगिता में प्रतिभाग करने के निर्देश जारी किया गया है। इसकी जिला स्तर से मानीटरिग की जा रही है। ब्लाक स्तरीय चयन एक मई से शुरू होगा।

स्कूल में बच्चे काफी समय बिताते हैं इसलिए इसमें दो मत नहीं है कि स्कूल का वातावरणउनके स्वास्थ्य और शिक्षा की निरंतरता मेंएक बड़ी भूमिका निभाता है। जब स्कूलों में लड़के और लड़कियों, दोनों के लिए स्वच्छ शौचालय होते हैं, स्वच्छ पानी मिलता है और माहौल स्वास्थ्यवर्धक होता है, तो इससे स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ती है और सीखने में सहयोग मिलता है।

जब स्कूलों में पानी, स्वच्छता और स्वास्थ्य (वॉश) संबंधी सेवाएँउपलब्ध होती हैं,तो अधिक लड़कियां स्कूल पढ़ने जाती हैं, जिससे उनकीजल्दी शादी और गर्भधारण का खतरा कम होता है। ऐसा इसलिए होताहै कि लड़कियां मासिक धर्म के दौरान अक्सर स्कूल नहीं जाती, क्योंकि स्कूल में उपयुक्त सुविधाएं नहीं होती हैं;इससेधीरे-धीरे वो पढ़ाई में पीछे होने लगती हैं और यहां तक कि वे स्कूल छोड़ देती हैं। अध्ययनोंसे पता चला है कि भारत में स्कूल जाने वाली लड़कियों में से एक चौथाई लड़कियां मासिक धर्म के दौरान स्कूल नहीं गईं। इसका एक प्रमुख कारण है स्कूलों में लड़कियों के लिए अलगशौचालय का न होना, सैनिटरी पैड न मिलना और स्कूलों में उपलब्ध शौचालयों का गंदा होना (साथ ही उचित सफाई, पानी और सैनिटरी पैडकेलिएकूड़ेदान की सुविधाओं की कमी होना भी कारण है)[1]।

अध्ययन के अनुसार, भारत में लड़कियों के लिए लगभग 22 प्रतिशत स्कूलों में ठीक तरह से बने शौचालय नहीं थे, और 58 प्रतिशत प्रीस्कूलों में तो शौचालय ही नहीं थे(बच्चोंपरत्वरितसर्वेक्षण2013 - 14)। साथ ही, लगभग 56 प्रतिशत प्री-स्कूलों के परिसर में पानी नहीं था। भारत के कई गाँवों के स्कूलों में साफ़पानी भी एक प्रमुख मुद्दाहै, क्योंकि कई स्कूलों में लोहे, आर्सेनिक या फ्लोराइड जैसे दूषित पदार्थों के परीक्षण के लिए वहाँ पर्याप्त वॉटर ट्रीटमेंट (जल उपचार) की सुविधा नहीं है।

इस समस्या को दूर करने के लिए भारत सरकार ने देशभर में ‘स्वच्छ भारत, स्वच्छ विद्यालय’ (एसबीएसवी) या ‘क्लीन इंडिया, क्लीन स्कूल’ अभियान की शुरुआत साल 2014 में की थी। एसबीएसवी का लक्ष्य बच्चोंतथा उनके परिवारों और आस-पास के लोगोंकी स्वास्थ्य और स्वच्छता संबंधित आदतों में सुधार लाकर बच्चों के स्वास्थ्य और स्वच्छता पर एक दिखने वाला बदलाव लाना है। इसका एक उद्देश्य यह भी है कि स्कूलों के भीतर स्वच्छता प्रथाओं और पानी तथा स्वच्छता सुविधाओं के सामुदायिक स्वामित्व को बढ़ावा दिया जाए और वॉश पाठ्यक्रम और शिक्षण केतरीकों में सुधार हो। इससे बच्चों के स्वास्थ्य, स्कूल में दाखिला, हाज़िरी और उनके स्कूल मेंबनेरहने में सुधार हुआ है;साथ ही नई पीढ़ी के बच्चों के लिए रास्ता मज़बूत हुआ है।

एसबीएसवी अच्छी वॉश प्रथा पर विशेष ध्यान देता है, जिसमें साफ़पानी, सामूहिक हाथ धोना एवं शौचालय और साबुन की व्यवस्था करना शामिल है, ताकि सभी बच्चे और शिक्षक इसका उपयोग स्कूल परिसर में शौचालय के लिए कर सकें। इसमें ऐसेकार्य भी शामिल हैं जो स्कूलों में अच्छी प्रथाओं को बढ़ावा देते हैं तथा जो पानी, सफाई और स्वच्छता से संबंधित बीमारियों को रोकने में मदद करते हैं।


[1] रिव्यूऑफ़मेंस्ट्रुअलहाइजीनमैनेजमेंटइनस्कूल्सइनइंडिया, डिपार्टमेंटऑफ़क्लीनिकलसाइंसेज, लिवरपूलस्कूलऑफ़ट्रॉपिकलमेडिसिन (एलएसटीएम), लिवरपूल, यूकेएंडयूनिसेफ2014 -15      

भारत के हर स्कूल में छह आवश्यक साधन होने चाहिए, जो कि स्कूल में साफ़ पानी, सफाईऔरस्वच्छता(वॉश) कार्यक्रम का निर्माण करती हैं।

  1. लड़के और लड़कियों के लिए अलग-अलग शौचालय और दोनों में साबुन की सुविधाएं।साथ ही उपयुक्त मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन सुविधाएं, कपड़े बदलने के लिए अलग स्थान, कपड़े धोने के लिए पर्याप्त पानी और मासिक धर्म संबंधित कचरों के लिए कूड़ेदान की सुविधाएं भी होनी चाहिए।
  2. कई लोगों के लिए एक साथ हाथ धोने की सुविधाएं होनी चाहिए, जिससे 10-12 छात्र एकही समय में हाथ धो सकें। हाथ धोने का स्थान साधारण, व्यापक करने योग्य और संधारणीय होना चाहिए, जिसमें पानी की खपत भी कम होती हो।
  3. बच्चों के लिए उपयुक्त और लंबे समय तक टिकने वाली सुरक्षित पेयजल व्यवस्था और हाथ धोने के लिए रोज़ाना पर्याप्त पानी की व्यवस्था होनी चाहिए। इसके अलावा, स्कूल की सफाई तथा भोजन की तैयारी एवं उसे पकाने के लिए साफ़ पानी का इंतजाम भी वहाँ होना चाहिए। पूरे विद्यालय में पेयजल के सुरक्षित रखरखाव और भंडारण की व्यवस्था कियाजाना चाहिए।
  4. सभी पानी, स्वच्छता और हाथ धोने की सुविधाओं को स्वच्छ, इस्तेमाल करने योग्य और देख-रेख मेंरखने की आवश्यकता है, जिससे परिणाम सुनिश्चित किए जा सकेंऔर इन प्रणालियों पर किया गया व्यय व्यर्थ ना हो।
  5. पानी, सफाई और स्वच्छता से संबंधित व्यवहार-परिवर्तन का संदेश देने वाली क्रियाएँसभी बच्चों की दिनचर्या का हिस्सा होनी चाहिए। महिला शिक्षकों द्वारा संवेदनशीलऔर सहायक तरीके से लड़कियों को उनके मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन के बारे में सिखाया जाना चाहिए।
  6. कौशल, ज्ञान और अनुभव के सही समावेश को विकसित करने के लिए इस क्षेत्र में विभिन्न स्तरों परयोग्यता में सुधार किए जाने की जरूरत है, ताकि स्कूलों में पानी, सफाई और स्वच्छता कार्यक्रमों को प्रभावशाली ढंग से सुविधा, वित्त, प्रबंधन और निगरानी प्रदान की जा सके।

भारत में स्वच्छ स्कूलों के लिए भागीदारी

‘स्वच्छ भारत, स्वच्छ विद्यालय’ अभियान के लिए यूनिसेफ भारत सरकार का एक मजबूत सहायक है, जो यह सुनिश्चित करने कीकोशिश कर रहा है कि भारत के प्रत्येक स्कूल मेंसफाई और स्वच्छतासंबंधित सुविधाएँ मौजूद हो।

हम यह सुनिश्चित करने के लिए राज्य स्तर पर काम कर रहे हैं कि स्कूलों में स्कूल प्रबंधन समितियों (एसएमसी) और स्कूल विकास योजनाओं के लिए वॉश एक प्रमुख एजेंडा हो।हमारे कार्यक्रम लगातार बच्चों की वॉश के बारे में जानकारी और क्षमताबढ़ाने का प्रयास करते हैं, ताकि वे स्कूलों में वॉश सुविधाओं की माँग का अधिक समर्थन कर सकें।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय के लिए यूनिसेफ द्वारा स्कूलों में स्वच्छता, जागरूकता और अभ्यास किट विकसित किए गए थे। यह किट बच्चों को मज़ेदार तरीके से स्वच्छता की अच्छी आदतों को साझा करना एवं निरंतर पालन करना सिखाती है। यह किट सदैव शौचालय का प्रयोग करने और भोजन से पहले,शौच के बाद और खेलने के बाद साबुन से हाथ धोने पर केंद्रित है।

यूनिसेफ स्कूलों में वॉश कार्यक्रम पर अधिकारियों, शिक्षकों, संसाधन समन्वयकों और स्कूल के अन्य अधिकारियों के प्रशिक्षण में सहयोग कर रहा है, ताकि वॉश सुविधाओं के पर्यवेक्षण, संचालन और रखरखाव में कौशल अंतराल को संबोधित किया जा सके, और आसपास के समुदायों में पानी, सफाई और स्वच्छताकीगतिविधियों को बढ़ाया जा सके।

बच्चों के जीवन में स्कूल एक महत्वपूर्ण संस्थान है,और जब ये साफ-सुथरे होते हैं तो वे स्वच्छ और स्वस्थ समुदायों को बनाने में योगदान करते हैं, वर्तमान और भविष्य, दोनों में।

स्वच्छ विद्यालय योजना महाराष्ट्र कितने स्थानीय है?

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छता ही सेवा अभियान के हिस्से के तहत मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से मंगलवार को देशभर की कुल 52 स्कूलों को स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। पुरस्कार पाने वाली स्कूलों में 37 ग्रामीण क्षेत्र की और शहरी क्षेत्र की 15 स्कूल शामिल है।

स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार के लिए अधिकतम निर्धारित अंक कितने हैं?

स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार के लिए छह कैटेगिरी में कुल 110 अंक निर्धारित किए गए हैअंक कैटेगिरी में विद्यालय को पेयजल के 22, शौचालय के 27, हाथ धोने के साबुन के साथ 14, संचालन एवं रखरखाव के लिए 21, व्यवहार परिवर्तन व क्षमता के 11 और कोविड-19 बचाव के उपायों के लिए 15 अंक निर्धारित किए गए है