स्थानीय शासन में कितने पद महिलाओं के लिए आरक्षित हैं? - sthaaneey shaasan mein kitane pad mahilaon ke lie aarakshit hain?

Sl. NoName of State1Andhra Pradesh2Assam3Bihar4Chhattisgarh5Gujarat6Haryana7Himachal Pradesh8Jharkhand9Karnataka10Kerala11Madhya Pradesh12Maharashtra13Odisha14Punjab15Rajasthan16Sikkim17Tamil Nadu18Telangana19Tripura20Uttarakhand21West Bengal

जयपुर/जोधपुर. जनवरी में हुए पंचायत चुनावों को लेकर राज्य सरकार हाईकोर्ट की अवमानना मामले में फंस सकती है। दरअसल पंचायत चुनावों में महिलाओं को हाईकोर्ट की रोक के बावजूद 50% आरक्षण दे दिया, जबकि नियमानुसार 33% आरक्षण ही दिया जाना था। इस गंभीर चूक से पुरुष उम्मीदवारों को 17% सीटों का नुकसान हुआ। अब मामला खुलने पर दो वरिष्ठ लिपिकों हरीश नरयानी आैर धर्मसिंह राठौड़ को निलंबित कर दिया गया है। इन दोनों के साथ पंचायतीराज विभाग के तत्कालीन संयुक्त सचिव के एल बाड़ेतिया को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।

मामला यह : हाईकोर्ट ने पांच साल पहले ही लगा दी थी रोक

7 साल पहले 50% किया था महिला आरक्षण

पूर्ववर्ती गहलोत सरकार ने 2008 में पंचायत व स्थानीय निकाय चुनावों में महिलाओं का आरक्षण 33 से 50% किया था। राजस्थान पंचायतीराज एक्ट में संशोधन भी कर दिया।

2010 में हाईकोर्ट ने रोक लगा दी

मामला हाईकोर्ट पहुंचा तो कोर्ट ने 19 मई, 2010 को सरकार के फैसले को निरस्त कर दिया। इसके बाद नगरपालिकाओं के चुनाव महिलाओं को 33% आरक्षण पर हुए। लेकिन पंचायतीराज विभाग ने एक्ट में संशोधन नहीं किया।

सरकार सुप्रीम कोर्ट गई, लेकिन केस का नंबर नहीं आया

सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को सु्प्रीम कोर्ट में चुनौती भी दी, लेकिन केस अभी नंबर पर ही नहीं आया।

सरकार ने कोर्ट के आदेश के बावजूद महिलाओं को 50% आरक्षण के साथ चुनाव करवा लिए।

वह पत्र ही नहीं खोला, जिसमें लिखा था आरक्षण 50 की जगह 33% देना है

अतिरिक्त महाधिवक्ता ने 15 जनवरी, 2015 को पंचायतीराज विभाग को पत्र भेजा, लेकिन विभाग के लीगल अफसर ने पत्र पढ़ा ही नहीं। अगले दिन 16 जनवरी से चुनाव शुरू हो गए। पत्र में साफ था कि चुनाव में महिलाओं को 50 नहीं 33% आरक्षण दिया जाना है। हालांकि अतिरिक्त महाधिवक्ता को पत्र लिखने के बजाय तत्काल पंचायतीराज के किसी शीर्ष अधिकारी से बात करनी चाहिए थी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

आगे क्या : फैसला हाईकोर्ट पर ही निर्भर होगा। सरकार के पास जुलाई में होने वाली सुनवाई में माफी मांगने के अलावा रास्ता नहीं है। सरकार तर्क दे सकती है कि पंचायत चुनाव हो चुके हैं। इन्हें दोबारा कराने पर धन और समय की काफी बर्बादी होगी।

भारत में, महिलाओं की आबादी आधी है, लेकिन निर्णय लेने की प्रक्रिया में उनका प्रतिनिधित्व बहुत कम है। यह केवल भारत की समस्या नहीं है; दुनिया भर में महिलाओं को स्थानीय सरकार में कम प्रतिनिधित्व दिया जाता है। 

इस मुद्दे को हल करने के लिए, कुछ देशों ने ऐसी नीतियां लागू की हैं जो महिलाओं के लिए एक निश्चित संख्या में सीटें आरक्षित करती हैं।

आइए जानते हैं, इस संघर्ष की कहानी में कैसे भारत के 28 राज्यों में से अब 21 राज्यों में पंचायती राज्य के पदों पर 50% महिला आरक्षण हो चुका है.

स्थानीय शासन में कितने पद महिलाओं के लिए आरक्षित हैं? - sthaaneey shaasan mein kitane pad mahilaon ke lie aarakshit hain?

भारत में मौजूदा समय कुल 28 राज्य हैं. जैसा कि आप खबरों में सुन चुके होंगे जम्मू कश्मीर अब राज्य नहीं है वह अब एक केंद्र शासित प्रदेश है. इसीलिए राज्यों की संख्या 29 से घटकर 28 हो गई है.

Table of Contents hide

1 पंचायत में 50% महिलाओं आरक्षण भारत के किन-किन राज्यों में है?

2 महिला आरक्षण क्या है?

3 पंचायती राज में महिलाओं के आरक्षण का आधार क्या है?

4 राजस्थान में महिलाओं को 50% आरक्षण कब दिया गया

5 उत्तराखंड में महिलाओं को पंचायतों में 50 प्रतिशत आरक्षण कब दिया गया था

6 बिहार में पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं के लिए कितनी सीटें आरक्षित हैं?

7 पंचायती राज में महिलाओं को 50 आरक्षण देने वाला पहला राज्य कौन है?

8 क्या महिलाओं के लिए आरक्षण होना चाहिए?

9 भारतीय महिलाओं को अंतत: स्थानीय सरकारों में प्रतिनिधित्व प्राप्त हुआ

10 Conclusion Point

पंचायत में 50% महिलाओं आरक्षण भारत के किन-किन राज्यों  में है? 

भारत के 28 राज्यों में से ,अब 21 राज्यों में महिलाओं को पंचायती राज्य के पदों पर 50% आरक्षण प्राप्त है.

1 आंध्र प्रदेश

2 असम

3 बिहार

4 छत्तीसगढ़

5 गुजरात

6 हरियाणा

7 हिमाचल प्रदेश

8 झारखंड

9 कर्नाटक

10 केरल

11 मध्य प्रदेश

12 महाराष्ट्र

13 ओडिशा

14 पंजाब

15 राजस्थान

16 सिक्किम

17 तमिलनाडु

18 तेलंगाना

19 त्रिपुरा

20 उत्तराखंड

21 पश्चिम बंगाल. 

महिला आरक्षण क्या है?

भारत में महिला आरक्षण एक ऐसी नीति है जो लोकसभा और राज्य विधानसभाओं, ग्राम पंचायतों, सरकारी पदों एवं गैर सरकारी पदों के साथ स्कूल कॉलेज में दाखिला के लिए महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित करती है।

नीति पहली बार 1948 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी द्वारा प्रस्तावित की गई थी, और इसे अंततः 1993 में लागू किया गया था।

भारतीय विधान सभाओं और संसद में महिलाओं के लिए सीटों का एक निश्चित प्रतिशत आरक्षित करने की नीति 1993 में अपनाई गई थी। नीति का घोषित लक्ष्य निर्वाचित कार्यालय में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को बढ़ाना और महिलाओं के दृष्टिकोण को शामिल करके निर्णय लेने की समग्र गुणवत्ता में सुधार करना है। .

पंचायती राज में महिलाओं के आरक्षण का आधार क्या है? 

गैर-शहरी क्षेत्रों के लिए पंचायती राज अधिनियम, 1992 ने महिलाओं को काफी समर्थन दिया है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारत में इस कानून के पारित होने से महिलाओं की स्थिति में अत्यधिक सुधार हुआ है। 

आपको बता दें, संविधान के 73वें संशोधन 1992 में महिलाओं को पंचायतों में एक तिहाई (33) आरक्षण दिया गया है। इस बीच, कई राज्यों ने इस आरक्षण के लिए इस सीमा को बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया है।

राजस्थान में महिलाओं को 50% आरक्षण कब दिया गया

राजस्थान सरकार 2008 के मई महीने के आखिरी सप्ताह में पंचायती राज (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2008 को ध्वनि मत से पारित कर दिया किया था. 

पंचायती राज मंत्री केएल गुर्जर द्वारा विधेयक पेश किए जाने पर मुख्य विपक्षी कांग्रेस के सदस्यों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया और भाजपा सरकार के खिलाफ नारेबाजी की थी।

आपको बता दें कि राजस्थान में सरकारी पदों पर नौकरी में महिलाओं को 30% आरक्षण दिया हुआ है. 

उत्तराखंड में महिलाओं को पंचायतों में 50 प्रतिशत आरक्षण कब दिया गया था 

उत्तराखंड सरकार ने 2022 के जुलाई महीने के आखिरी सप्ताह में वन पंचायतों में सरपंच पद के लिए महिलाओं के लिए 50% आरक्षण की घोषणा कर दिया है. इस तरह से 50% महिला आरक्षण के मामले में भारत का उत्तराखंड का 21वां राज्य बन गया है.

बिहार में पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं के लिए कितनी सीटें आरक्षित हैं? 

2006 का बिहार पंचायत राज अधिनियम ऐतिहासिक था क्योंकि इसने एक नया कानून बनाया जिसमें सभी स्तरों पर सरकार में 50 प्रतिशत पद महिलाओं के लिए आरक्षित दिया गया था.

पंचायती राज्य के सभी सीटों पर 50% की महिलाओं को आरक्षण है. देखा जाए तो पंचायती राज के लगभग 61 परसेंट पदों पर बिहार में महिला राज कर रही हैं.

पंचायती राज में महिलाओं को 50 आरक्षण देने वाला पहला राज्य कौन है? 

श्री नीतीश कुमार के कार्यकाल को इतिहासिक माना जा सकता है क्योंकि बिहार ही उनके समय पहली बार 50% महिला आरक्षण दिया था. 50% महिला आरक्षण लागू करने वाला बिहार देश का प्रथम राज्य है. 

क्या महिलाओं के लिए आरक्षण होना चाहिए?

भारत में महिलाओं के लिए आरक्षण के विचार को लेकर महत्वपूर्ण बहस चल रही है। तर्क के एक तरफ, लोगों का कहना है कि ऐतिहासिक नुकसान के कारण महिलाओं को शिक्षा और रोजगार के अवसरों में तरजीह दी जानी चाहिए। 

तर्क के दूसरी तरफ, कुछ लोगों का तर्क है कि महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित करना केवल लिंग आधारित भेदभाव को और मजबूत करने का काम करेगा।

इस प्रश्न के बारे में सोचने के कुछ अलग तरीके हैं। इस तक पहुंचने का एक तरीका सकारात्मक कार्रवाई के नजरिए से है।

सामान्य तौर पर, सकारात्मक कार्रवाई कार्यक्रम हाशिए के लोगों की मदद करने के लिए डिज़ाइन किए जाते हैं, जैसे कि महिलाएं और रंग के लोग, समाज में संस्थागत नुकसान का सामना करते हैं। 

इसलिए, इस दृष्टिकोण से, यह तर्क दिया जा सकता है कि महिलाओं के लिए आरक्षण होना चाहिए ताकि खेल के मैदान को समतल करने में मदद मिल सके।

भारतीय महिलाओं को अंतत: स्थानीय सरकारों में प्रतिनिधित्व प्राप्त हुआ

भारतीय महिलाओं को लंबे समय से हाशिए पर रखा गया है और स्थानीय सरकार की निर्णय लेने की प्रक्रियाओं से बाहर रखा गया है। हालांकि, हाल ही में कानून में बदलाव ने उन्हें इन महत्वपूर्ण मंचों पर आवाज दी है। 

नए कानून के अनुसार स्थानीय परिषदों की सभी सीटों में से एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होनी चाहिए। इस उपाय से यह सुनिश्चित करने में मदद मिलने की उम्मीद है कि भारतीय महिलाओं की चिंताओं को ध्यान में रखा जाता है जब उनके समुदायों के बारे में निर्णय लिया जाता है।

Conclusion Point 

भारत के ज्यादातर 21 बड़े राज्यों में ग्राम पंचायत के पदों में महिलाओं को 50% आरक्षण प्राप्त है. इसका सीधा मतलब यह हुआ कि, पंचायती राज के पद में महिलाओं के लिए 50% सीट सुरक्षित यानी Reversed है.

ग्राम पंचायतों में महिलाओं के लिए 50% सीटों का आरक्षण सही दिशा में एक कदम है। यह अधिक महिलाओं को राजनीतिक प्रक्रिया में लाने में मदद करेगा और उन्हें अपने जीवन को प्रभावित करने वाले निर्णयों में आवाज उठाने की अनुमति देगा। 

हालाँकि, यह सुनिश्चित करने के लिए और अधिक किए जाने की आवश्यकता है कि महिलाएं लोकतांत्रिक प्रक्रिया में पूरी तरह से भाग लेने में सक्षम हों और अपने समुदायों के शासन में समान रूप से शामिल हों।

स्थानीय सरकार में महिलाओं के लिए कितने स्थान आरक्षित हैं 1 ⁄ 2 1 ⁄ 3 1 ⁄ 4 other?

Solution : संविधान (74वें संशोधन) अधिनियम, 1992 ने संविधान में एक नया भाग IXA पेश किया जो महिलाओं के लिए नगर पालिकाओं में 1/3 सीटों को आरक्षित करने के लिए प्रदान करता है। इसी प्रकार, 73वें संविधान संशोधन, 1992 ने संविधान में, एक नया भाग IX जोड़ा जिसके अंतर्गत पंचायतों में महिलाओं के लिए 1/3 सीटें आरक्षित की जानी चाहिए।

स्थानीय सरकार में महिलाओं के लिए कितनी सीटें आरक्षित हैं?

सही उत्‍तर पंचायती राज निकाय है। भारत में, पंचायत राज निकायों में महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित हैं जो स्थानीय स्वशासी निकाय हैं। 73वें संशोधन अधिनियम के अनुसार, कुल सीटों के अलावा 1/3 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हैं

पंचायतों में महिलाओं के लिए कितने प्रतिशत स्थान आरक्षित है?

इन संस्थाओं में महिलाओं की संख्या और उनका प्रतिषत इस प्रकार है- जिला पंचायत में 41 प्रतिषत, मध्यवर्ती पंचायत में 43 प्रतिषत और ग्राम पंचायत में 40 प्रतिषत। पंचायतों में माध्यम से महिलाओं के सषक्तिकरण का कार्य किया जा रहा है। पंचायतों में महिलाओं की भागीदारी उनके लिए आरक्षित 33 प्रतिषत की न्यूनतम सीमा से अधिक है।

भारत में महिला के लिए शासन के कौन से स्टार प्रति सीट को आरक्षित किया गया?

1993 में संविधान में 73वें और 74वें संशोधन के तहत पंचायतों और नगरपालिकाओं में महिलाओं के लिये 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित की गईं। 1996 में महिला आरक्षण विधेयक को पहली बार एच.डी. देवगौड़ा सरकार ने 81वें संविधान संशोधन विधेयक के रूप में संसद में पेश किया