स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात सामाजिक व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए नियोजित विकास का सहारा लेना आवश्यक समझा गया क्योंकि यह अनुभव किया गया कि गरीबी, बेकारी जैसी अनेक गंभीर सामाजिक समस्यायें उचित विकास न होने के कारण ही हमारे समाज में व्यापक रूप से विद्यमान है सामाजिक समस्याओं को और अधिक तेज करना तथा इससे होने वाले लाभों को आम जनता में न्यायपूर्ण ढंग से बाँटना आवश्यक समझा गया और इसलिए सरकार के लिए यह आवश्यक हो गया कि वह अपनी सामाजिक नीति को उचित रूप से निर्धारित कर लागू करें। Show
सामाजिक नीति की अवधारणासामाजिक नीति सामाजिक संरचना की कमियों को दूर करती है असंतुलन को रोकती हैं तथा असंतुलन वाले क्षेत्र से इसे दूर करने का प्रयास करती है:- गोखले के मत में सामाजिक नीति एक साधन है, जिसके माध्यम से आकांक्षाओं तथा पेर्र कों को इस प्रकार विकसित किया जाता है कि सभी के कल्याण की वृद्धि हो सके। सामाजिक नीति द्वारा मानव एवं भौतिक दोनों प्रकार के संसाधनों में वृद्धि की जाती है जिससे पूर्व सेवायोजन की स्थिति उत्पन्न होती है तथा निर्धनता दूर होती है। कण्री ‘‘नीति कथन उस ओढ़ने के वस्त्र के ताने-बाने के धागे हैं जिनको पिरो कर तैयार होता है। ........यह सूक्ष्म ढाँचा होता है जिसमें सूक्ष्म क्रियाओं को अर्थपूर्ण ढंग से समाजिह किया जाता है।’’ लिडग ‘‘सामाजिक नीति सामाजिक जीवन के उन पहलुओं के रूप में मानी जाती है जिसकी उतनी अधिक विशेषता ऐसा विनिमय नहीं होता है जिसमें एक पाउण्ड की प्राप्ति उसके बदले में किसी चीज को देते हुये की जाती है जितना कि एक पक्षीय तांतरण जिन्हें प्रस्थिति, वैधता, अस्मिता या समुदाय के नाम पर उचित ठहराया जाता है।’’ सामाजिक नीति के लक्ष्य एवं कार्य
भारत सरकार ने सामाजिक नीति तथा नियोजित विकास के उद्देष्यों का उल्लेख किया है : -
सामाजिक नीति के क्षेत्रसामाजिक नीति के तीन प्रमुख क्षेत्र हैं, जिनके कार्यों को समुचित निदेषन देना तथा उन्हें पूरा करना आवश्यक समझा जाता है : - 1. सामाजिक कार्यक्रम तथा उनसे सम्बन्धित कार्य
2. समुदाय के विभिन्न वर्गों से सम्बन्धित सामाजिक नीतिप्रत्येक ऐसे समुदाय में जहाँ औद्योगीकरण तथा आधुनिकीकरण तीव्रगति से होता है, दो वर्गों का अभ्युदय स्वाभाविक है। एक वर्ग ऐसा होता है जो उत्पन्न हुये नये अवसरों से पूरा लाभ उठाता है। उदाहरण के लिये, उद्योगपति, बड़े-बड़े व्यवसायी, प्रबन्धक तथा बड़े कृशक। दूसरा वर्ग वह होता है जो जीवन की मुख्य धारा से अलग होता है और जिसे वर्तमान योजनाओं के लाभ नहीं मिल पाते। उदाहरण के लिये, भूमिहीन खेतिहर मजदूर, जन-जातियों के सदस्य, मलिन बस्तियों के निवासी, असंगठित उद्योगों में लगे हुये मजदूर इत्यादि। 3. सामाजिक दृष्टि से महत्वपूर्ण समाज के विभिन्न वर्गों से सम्बन्धित सामाजिक नीतिप्रत्येक समाज के कुछ ऐसे महत्वपूर्ण वर्ग होते हैं जिनका कल्याण आवश्यक माना जाता है। उदाहरण के लिये, कम आयु के बच्चे, विद्यालय का लाभ न उठा पाने वाले बच्चे, अध्ययन के दौरान ही कुछ अपरिहार्य कारणों से विद्यालय को छोड़कर चले जाने वाले बच्चे तथा नौजवान। सामाजिक नीति का उद्देश्यसामान्य रूप से सामाजिक नीति का उद्देश्य ग्रामीण तथा नगरीय, धनी तथा निर्धन, समाज के सभी वर्गों को अपना जीवन-स्तर ऊँचा उठाने के अवसर प्रदार करना तथा विभिन्न गम्भीर सामाजिक समस्याओं का समुचित निदान करते हुये उनका निराकरण करना है ताकि किसी भी वर्ग के साथ अन्याय न हो। तारलोक सिंह का मत है, ‘‘सामाजिक नीति का मूल उद्देष्य ऐसी परिस्थितियों का निर्माण करना होना चाहिये जिनमें प्रत्येक क्षेत्र, नगरीय अथा ग्रामीण तथा अपनी विशिष्ट एवं पहचाने जाने योग्य समस्याओं सहित प्रत्येक समूह अपने को ऊपर उठाने, अपनी सीमाओं को नियंत्रित करने तथा अपनी आवासीय स्थितियों एवं आर्थिक अवसरों को उन्नत बनाने और इस प्रकार समाज सेवाओं के मौलिक अंग बनने में समर्थ हो सके।’’ सामाजिक नीति से सम्बन्धित प्रमुख कारक
सामाजिक नीति में मूल्य एवं विचार धाराक्योंकि सामाजिक नीति का प्रमुख उद्देश्य लोगों को सामाजिक न्याय दिलाते हुये चौमुखी सामाजिक - आर्थिक विकास करना है, इसलिए इसे प्रभावपूर्ण बनाने की दृष्टि से सामाजिक नीति में मानवीय मूल्यों एवं वैचारिकी का होना आवश्यक है जिसे निम्न बिन्दुओं के आधार पर समझा जा सकता है :
सामाजिक नीति के प्रारूप1. कल्याणकारी प्रारूपसमाज कल्याण प्रारूप से तात्पर्य सामाजिक विकास हेतु बनायी गयी उन रणनीतियों से है। जिसके अन्तर्गत कल्याणकारी राज्य की अवधारणा परिलक्षित होती है। कल्याणकारी राज्य से आशय ऐसे राज्य से है, जो समाज के प्रत्येक व्यक्ति समूह, समुदाय एवं एक व्यापक समाज प्रजाति, जाति, धर्म सभी के विकास हेतु वचन बद्ध है। कल्याणकारी राज्य समाज के सभी वगांर् े के विकास की बात करता है। खासकर उन लोगों के लिए विशेष सुविधायें प्रदान करता है, जो किसी भी समस्या से ग्रसित होते हैं। 2. सामाजिक सुरक्षा प्रारूपसमाज के द्वारा ऐसी सुरक्षा व कानून प्रदान किये जा सके जिससे समाज में रहने वाले लोगों को सुरक्षा प्रदान की जा सके। सामाजिक सुरक्षा के अन्तर्गत सामाजिक नीतियाँ इस प्रकार बनायी जायेंगीं। ताकि समाज के प्रत्येक वर्ग की सुरक्षा हो सके समाज में उत्पन्न समस्याओं के समाधान का इस प्रकार प्रारूप तैयार किया जायेगा। ताकि उन समस्त समस्याओं का निदान किया जा सके। व्यक्ति, समूह, समुदाय किसी में भी यदि असंतुलन उत्पन्न होता है तो समाज में खतरा उत्पन्न होता है। सामाजिक सुरक्षा में लोगों के विकास हेतु विभिन्न प्रकार की योजनाएं चलायी जाती हैं। जैसे - बीमा, विभिन्न प्रकार के अधिनियम, कानून। 3. उदारीकरण प्रारूपइस प्रकार के प्रारूप में ऐसी नीतियां बनायी जाती हैं कि समाज में प्रत्येक वर्ग के लोग राज्य के द्वारा चलाये गये कार्यक्रमों में प्रदान किये गये साधनों में सम्पूर्ण रूप से अपनी भागीदारी निभा सके। क्योंकि समाज सामाजिक सम्बन्धों का जाल है। जिसका निर्माण सामान्यत: चेतना पर आधारित है। समानता की चेतना ही परस्पर सहभागिता की आधारशिला है। उदारीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके तहत सरकार अपनी नीतियों को इस प्रकार से लागू करती है। कि लोगों के कार्य व्यवसाय इत्यादि करने में कठिना न आये अर्थात् एक व्यक्ति आसानी से एक देश से दूसरे देश में अपने व्यवसाय को कर सकता है। अत: वस्तुओं का क्रय-विक्रय एक देश से दूसरे देश में आसान हो जाता है। यह प्रक्रिया सार्वभौमिकीकरण एवं निजीकरण को बढ़ावा देती है। सामान्यत: यह प्रारूप व्यक्तियों के व्यक्तिगत सामुदायिक हितों को पूरा करने हेतु नीतियां बनाता है। प्रजातान्त्रिक प्रारूप -इस प्रारूप के तहत नीतियां इस पक्र ार से बनायी जाती हैं कि उन नीतियों का लाभ राज्य के सम्पूर्ण लोगों को समूहों समुदायों में मिल सके। अर्थात् लोकतान्त्रिक प्रारूप के तहत नीतियां इस प्रकार बनायी जाती हैं। जिसके तहत कोइर् व्यक्ति कानून के दायरे में रहकर अपने व्यक्तित्व का सवांर्ग ीण विकास कर सकें। यदि को किसी प्रकार की बाधाओं से ग्रसित है तो उन बाधाओं को दूर कर उसका विकास किया जाता है। सामाजिक नीति के उद्देश्य क्या हैं?सामान्य रूप से सामाजिक नीति का उद्देश्य ग्रामीण तथा नगरीय, धनी तथा निर्धन, समाज के सभी वर्गों को अपना जीवन-स्तर ऊँचा उठाने के अवसर प्रदार करना तथा विभिन्न गम्भीर सामाजिक समस्याओं का समुचित निदान करते हुये उनका निराकरण करना है ताकि किसी भी वर्ग के साथ अन्याय न हो।
सामाजिक नीति का क्या अर्थ है?सामाजिक नीति का अर्थ समाज के सभी सदस्यों के व्यक्तिगत और सामूहिक हितों में सामंजस्य स्थापित करना होता है। यह वह माध्यम है जिसके जरिए समाज के सभी सदस्यों का हितवर्धन होता है। यह सामाजिक संरचना में विद्यमान कमियों का पहचानने, उन्हें दूर करने का प्रयास करती है।
सामाजिक नीति क्या है भारत की शिक्षा एवं स्वास्थ्य नीति की चर्चा कीजिए?सामाजिक नीति के जरिए सभी को व्यक्तित्व विकास के अवसर समान रूप से उपलब्ध कराए जाते हैं जिससे सशक्त समाज का निर्माण हो सके। सामाजिक नीति विभिन्न भेदभावों, बाधाओं और अन्ययों को समाप्त कर समाज को एकजुट रखते हुए उन्नति का मार्ग प्रशस्त करती है।
सामाजिक नियोजन से आप क्या समझते हैं?सामाजिक नियोजन किसी समाज अथवा इसके किसी भाग हेतु, पूर्व निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु निर्मित कार्यक्रम का विकास है। दूसरे शब्दों में, नियोजन इस बारे में निर्णय है कि हमें क्या करना है, किसके लिए करना है तथा इसमें प्रभावित लोगों को किस प्रकार सम्मिलित किया जाता है।
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