मनोविज्ञान के इतिहास में कुछ पुराने दार्शनिकों की महत्वपूर्ण भूमिका रही हैं। इनमें से प्लेटो (Plato) तथा अरस्तु (Aristotle) का नाम काफी मशहूर है। इन लोगों ने सामाजिक व्यवहार के अध्ययन में काफी रुचि दिखालाई थी। बाद में कुछ हाल के दार्शनिकों जैसे हॉब्स (Hobbes, 1651 ), लॉक (locke. 1690), ह्यूम (Hume. 1739) तथा कामटे (Comte) जिन्हें समाजशास्त्र का जनक (Father of Sociology) भी कहा जाता है, की विचारधारा से समाज मनोविज्ञान की उत्पत्ति में काफी सहायता मिली। फ्रेंच क्रांति (French revolution) के बाद इन्हें ऐसा ज्ञात हुआ कि समाज में व्यक्तियों का व्यवहार किसी नियम द्वारा निर्देशित होना चाहिए। ऐसा होने से विभिन्न सामाजिक परिस्थितियों में व्यक्तियों के व्यवहारों का पूर्वकथन ( Prediction) करना आसान हो सकता है। 18 वीं शताब्दी तथा 19 वीं शताब्दी में सामाजिक व्यवहार से संबंधित दार्शनिक विचारों की महत्ता धीरे-धीरे बढ़ने लगी। इस समय के कुछ प्रमुख दार्शनिक जैसे जेरेमी बेंथम(Jeremy Bentham), जॉन स्टुअर्ट मिल (John Stuart Mill), हरबर्ट स्पेंसर (Herbert Spencer) ने इस क्षेत्र में संयुक्त रूप से कुछ महत्वपूर्ण योगदान किए। Show आलपोर्ट(Allport, 1968) ने समाज मनोविज्ञान के इतिहास का पुनरीक्षण (Review) करते हुए कहा कि इस संयुक्त योगदान के फलस्वरुप सामाजिक व्यवहार का साधारण एवं सार्वभौमिकता सिद्धांतों(Simple and Sovereign theories of social behavior) का जन्म हुआ। इसमें कई अलग-अलग सिद्धांत थे जिनके सहारे एक विशेष प्रकार की सामाजिक व्यवहार की व्याख्या होती थी। आजकल सामाजिक व्यवहार के संबंध में प्रतिपादित इन ऐकिक दार्शनिक सिद्धांतों की मान्यता करीब-करीब समाप्त हो गई है। अब यह माना जाने लगा कि मानव अंतः क्रियाएं (Human interaction) एक जटिल प्रक्रिया है. जिनकी व्याख्या साधारण एवं ऐकिक सिद्धांतों द्वारा नहीं की जा सकती है। फिर भी इतना तो स्पष्ट है कि इन ऐकिक दार्शनिक सिद्धांतों के प्रतिपादन के फलस्वरुप समाज मनोविज्ञान(Social psychology) को दो कारणों से एक स्वतंत्र एवं वैज्ञानिक शाखा के रूप में उभरने में काफी मदद मिली। पहला कारण तो यह था कि इन सिद्धांतों के प्रतिपादन से यह स्पष्ट हो गया कि सामाजिक अंतः क्रिया की व्याख्या साधारण बोलचाल की भाषा में न होकर एक ठोस एवं यथार्थ (Precise) तथ्य के रूप में हो सकता है। दूसरा कारण यह था कि सामाजिक अंतर्क्रिया अन्य स्वाभाविक घटनाओं (Natural events) के समान पूर्वानुमेय (Predictable) तथा विधिसंगत (Lawful) होती है। जैसे-जैसे सामाजिक अंतः क्रिया उपर्युक्त दोनों कारणों को बल मिलता गया समाज मनोविज्ञान दार्शनिक चिंतन से दूर हटकर मनोविज्ञान की एक वैज्ञानिक शाखा के रूप में उभरता गया और 19वीं शताब्दी के अंतिम दशक में यह करीब-करीब दार्शनिक चिंतन से पूर्णरूपेण स्वतंत्र होकर मनोविज्ञान की एक शाखा के रूप में लोगों के सामने आ गया। इस नई शाखा का रूप प्रयोगात्मक अधिक था तथा दार्शनिक बहुत ही कम ट्रिप्लेट (Triplet) ने 1897 में समाज मनोविज्ञान के क्षेत्र मैं सबसे पहला प्रयोगशाला प्रयोग (Laboratory experiment) किया इस प्रयोग में उन्होंने प्राकल्पना (Hypothesis) की जांच की कि जब व्यक्ति एक दूसरे के साथ प्रतियोगिता की भावना से किसी कार्य को करता है तो उसका निष्पादन ( Performance) उस परिस्थिति से अच्छा होता है जब वह उसी कार्य को अकेले बिना किसी प्रतियोगिता की भावना के करता है। PSYCHOLOGY शब्द कि उत्पत्ति लैटिन भाषा के दो शब्दो PSYCHE+LOGOS से मिलकर हुई हैं, PSYCHE का अर्थ होताहै ” आत्मा का” तथा LOGOS का अर्थ होता हैं “अध्ययन करना ” ।इस शाब्दिक अर्थ के आधार पर सर्वप्रथम प्लेटो, अरस्तु और डेकार्ट के द्वारा मनोविज्ञान को ” आत्मा का विज्ञान (Science of soul)” माना गया । आत्मा शब्द की स्पष्ट व्याख्या नहीं होने के कारण 16वीं शताब्दी के अंत मे यह परिभाषा अमान्य हो गई । 17वीं शताब्दी मे इटली के मनोवैज्ञानिक पॉम्पोनोजी ने मनोविज्ञान को ” मन या मस्तिष्क का विज्ञान ” माना । बाद मे यह परिभाषा भी अमान्य हो गई । 19वीं शताब्दी में विलियम वुन्ट, विलियम जेम्स, वाइव्स और जेम्स सली आदि के द्वारा मनोविज्ञान को ” चेतना का विज्ञान ” माना गया था, अपूर्ण अर्थ होने के कारण यह परिभाषा भी अमान्य हो गई । 20वीं शताब्दी में मनोविज्ञान को ” व्यवहार का विज्ञान ” माना हैं और आज तक यह परिभाषा प्रचलित हैं । व्यवहार का विज्ञान मानने वाले प्रमुख मनोवैज्ञानिक हैं – वाटसन, इसके अलावा वुडवर्थ , स्किनर , थॉर्नडॉइक और मैक्डुगल आदि मनोवैज्ञानिकों ने भी मनोविज्ञान को ” व्यवहार का विज्ञान ” माना है विलियम वुन्ट ने जर्मनी के ” लिपजिग ” स्थान पर 1879 ई. में प्रथम ” मनोवैज्ञानिक प्रयोगशाला ” स्थापित की, इसलिए विलियम वुन्ट को ” प्रयोगात्मक मनोविज्ञान का जनक ” माना जाता हैं विलियम मैक्डुगल ने अपनी पुस्तक ” आउट लाइन साइकोलॉजी (Outline psychology)” के पृष्ट संख्या 16 पर ” चेतना शब्द ” की भरसक निन्दा की हैं । “मनोविज्ञान व्यवहार का शुध्द विज्ञान हैं “- वाटसन । “तुम मुझे कोई भी बालक दे दो में उसे वैसा बनाउँगा जैसा मैं उसे बनाना चाहता हूँ ” – वाटसन । ” मनोविज्ञान ने सर्वप्रथम अपनी आत्मा का त्याग किया ,फिर मन का त्याग किया ,फिर चेतना का त्याग किया और आज मनोविज्ञान व्यवहार के विधि के स्वरूप को स्वीकार करता हैं ” – वुड़वर्थ । मनोविज्ञान की मुख्य शाखाएँ या क्षेत्र :- शिक्षा मनोविज्ञान का शाब्दिक अर्थ है : शिक्षा मनोविज्ञान की परिभाषाएँ : 2. क्रो व क्रो : शिक्षा मनोविज्ञान, व्यक्ति के जन्म से वृद्धावस्था तक सिखाने के अनुभवों का वर्णन और व्याख्या करता है। 3. कॉलसनिक : शिक्षा मनोविज्ञान, मनोविज्ञान के सिद्धान्तों और अनुसन्धान का शिक्षा में प्रयोग है। 4. स्टीफन : शिक्षा मनोविज्ञान शैक्षणिक विकास का क्रमिक अध्ययन है। 5. सॉरे व टेलफ़ोर्ड : शिक्षा मनोविज्ञान का मुख्य सम्बन्ध सिखने से है। यह मनोविज्ञान का वह अंग है, जो शिक्षा के मनोवैज्ञानिक पहलुओ की वैज्ञानिक खोज से विशेष रूप से सम्बन्धित है। उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर कहा जा सकता है, कि… 1. शिक्षा मनोविज्ञान शैक्षिक परिस्थितियों में मानव व्यवहार का अध्ययन करता है। 2. शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षण अधिगम की प्रक्रिया को अधिक सरल व सुगम बनाता है। 3. शिक्षा मनोविज्ञान की प्रकृति वैज्ञानिक है, क्योंकि इसके अध्ययन में वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग होता है। 4. शिक्षा मनोविज्ञान में मनोविज्ञान के सिद्धांतो व विधियों का प्रयोग होता है। ट्रिक विशेष मनोविज्ञान की उत्पत्ति दर्शनशास्त्र के अंग के रूप में हुई। कालान्तर में मनोविज्ञान के अर्थ में परिवर्तन होता गया। जो इस प्रकार है : TRICK-“आत्मा से आप यू अड़े” 1. आत्मा से-इन सभी दार्शनिको ने मनोविज्ञान को आत्मा का विज्ञान माना 2. मस्तिष्क का विज्ञान : 17वीं शताब्दी में दर्शनीको ने मनोविज्ञान को मन या मस्तिष्क का विज्ञान कहा। इनमे इटली के प्रसिद्ध दार्शनिक पॉम्पोनॉजी के अलावा लॉक और बर्कली भी प्रमुख है। कोई भी विद्वान मन की प्रकृति तथा स्वरुप का निर्धारण नही कर सका, अतः यह परिभाषा भी मान्यता नही पा सकी। TRICK-“पलक की बाई मस्ति में” 3. चेतना का विज्ञान : 19वीं शताब्दी के मनोविज्ञानकों विलियम वुन्ट, विलियम जेम्स, वाइव्स और जेम्स सल्ली आदि ने मनोविज्ञान को चेतना का विज्ञान माना। इनका मानना था, कि मनोविज्ञान मनुष्य की चेतन क्रियाओ का अध्ययन करता है। TRICK-“चेतना को विलियम ने सजवाइ” 4. व्यवहार का विज्ञान : 20वीं शताब्दी के प्रारम्भिक दौर में मनोविज्ञान के अनेक अर्थ सुझाए गए, इनमे से “मनोविज्ञान व्यवहार का विज्ञान है।” अर्थ सर्वाधिक मान्य रहा। इस सम्बन्ध में कुछ महत्त्वपूर्ण परिभाषाएँ निम्नलिखित है : 1. वाटसन : मनोविज्ञान, व्यवहार का निश्चित विज्ञान है। 2. वुडवर्थ : मनोविज्ञान वातावरण के सम्बन्ध में व्यक्ति की क्रियाओ का वैज्ञानिक अध्ययन है। 3 स्किनर : मनोविज्ञान, जीवन की सभी प्रकार की परिस्थितियों में प्राणी की प्रक्रियाओं का अध्ययन करता है। मनोविज्ञान, व्यवहार और अनुभव का विज्ञान है। उपर्युक्त तथ्यों के आधार पर हम वुडवर्थ के शब्दों में इस निष्कर्ष पर पहुँचते है : “सबसे पहले मनोविज्ञान ने अपनी आत्मा का त्याग किया। फिर उसने अपने मन या मस्तिष्क का त्याग किया। उसके बाद उसने चेतना का त्याग किया। अब वह व्यवहार की विधि को स्वीकार करता है।” समाज मनोविज्ञान की विधिवत स्थापना कब हुई?सन् 1912 ई. के कुछ ही बाद मैक्डूगल (1871-1938) के प्रयत्नों के फलस्वरूप समाज मनोविज्ञान की स्थापना हुई, यद्यपि इसकी बुनियाद समाज वैज्ञानिक हरबर्ट स्पेंसर (1820-1903) द्वारा बहुत पहले रखी जा चुकी थी।
समाज मनोविज्ञान का संस्थापक कौन है?सामाजिक मनोविज्ञान की स्थापना का श्रेय किसी एक व्यक्ति या इसके विकास का श्रेय किसी निश्चित काल को देना सम्भव नहीं है, क्योंकि इसके स्वरूप को निश्चित करने में अनेकानेक विद्वानों तथा विचारकों का योगदान रहा है । फिर भी सामाजिक मनोविज्ञान के अधुनिक स्वरूप को समझने के लिए इसकी ऐतिहासिक प्रष्ठभूमि की समीक्षा अपेक्षित है ।
सामाजिक मनोविज्ञान के जनक कौन है?"सामाजिक मनोविज्ञान के जनक" के रूप में पहचाने जाने वाले लेविन ने लोगों के साथ गतिशील बातचीत पर ध्यान देने सहित अनुशासन के कई महत्वपूर्ण विचारों को विकसित किया।
मनोविज्ञान की शुरुआत कब हुई?17वीं शताब्दी मे इटली के मनोवैज्ञानिक पॉम्पोनोजी ने मनोविज्ञान को ” मन या मस्तिष्क का विज्ञान ” माना । बाद मे यह परिभाषा भी अमान्य हो गई । 19वीं शताब्दी में विलियम वुन्ट, विलियम जेम्स, वाइव्स और जेम्स सली आदि के द्वारा मनोविज्ञान को ” चेतना का विज्ञान ” माना गया था, अपूर्ण अर्थ होने के कारण यह परिभाषा भी अमान्य हो गई ।
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