अधिगम के प्रकार – Types Of learningअधिगम के प्रकार / Types Of learning Show मनोवैज्ञानिक उसुबेल के अनुसार अधिगम के प्रकार:- अधिगम को विभिन्न मनोवैज्ञानिक ने अपने – अपने तरीके से विभिन्न प्रकारों में बाँटा है I जिस में मनोवैज्ञानिक उसुबेल 1968 ने सीखने के निम्नलिखित चार प्रमुख प्रकार बताये है जो इस प्रकार है 1. अभिग्रहण सीखना।:- अभिग्रहण सीखना में शिक्षार्थी को सीखने वाली सामाग्री बोलकर या लिख कर दे दी जाती है और शिक्षार्थी उन सामग्रियों को आत्मसार्थ कर लेते हैं । दुर्भाग्यवश अधिकतर शिक्षक यही समझते हैं कि अभी ग्रहण सीखना मात्र रटकर ही सिखा जा सकता है परंतु उसूबेल ने स्पष्ट कर दिया है कि यह रटकर भी हो सकता है तथा समझकर भी हो सकता है 2.अन्वेषण सीखना:- अन्वेषण सीखना वैसे सीखना को कहा जाता है जिसमें शिक्षार्थी को दी गई सामग्रियों में से नए संप्रत्यय या कोई नया नियम या विचार की खोज कर उसे सिखाना होता है। दुर्भाग्यवश अधिकतर शिक्षक यही समझते हैं कि अन्वेषण सीखना हमेशा अर्थ पूर्ण ही होता है परंतु उसूबेल ने यह स्पष्ट किया है कि कभी यह अर्थ पूर्ण भी हो सकता है या कभी लौटकर भी संपन्न हो सकता है जैसे – यदि कोई बालक उत्तर में से खोज कर इस अधूरे बांके अर्थात भारत को _ _ _ _ _ मैं आजादी मिली। को पूरा करने की कोशिश करता है तो यह एक ऐसे अन्वेषण सीखना का उदाहरण होगा जरा हटके संपन्न माना जाएगा परंतु यदि छात्र किन्ही ज्ञात तथ्यों को पूर्ण संगठित कर या कोई प्रयोग कर इसी नए नियम की खोज करता है तो एक ऐसा अन्वेषण सीखना कहा जाएगा जो अर्थ पूर्ण प्रक्रिया द्वारा संपन्न हुआ है 3. रटकर सीखना:- वैसे सीखने को कहा जाता है जिसमें शिक्षार्थी दिए गए सामग्रियों के साहचर्य शब्दशह तथा मनमाने ढंग से उसके आशय को बिना समझे हुए सीखते हैं। निरर्थक पदों का सीखना, शब्दों के जोड़े को सीखना, इसी श्रेणी के सीखने का उदाहरण है 4. अर्थपूर्ण सीखना:-उसोबेल के अनुसार इस तरह का सीखना शिक्षा के लिए विशेष महत्व रखता है। इसलिए शिक्षकों में विशेष तरह के सीखने पर अधिक बल डाला जाता है अर्थ पूर्ण सीखना ओवैसी सीखने को कहा जाता है जिसमें सीखने वाले सामग्री के सारतत्व को एक नियम के अनुसार समझ कर तो था उसका संबंध गत ज्ञान से जोड़ते हुए सिखा जाता है गेगनी के अनुसार अधिगम के प्रकारपरिचय – गेगनी (Gagne, 1965) ने अपनी पुस्तक ‘दी कंडिशन्स ऑफ लर्निंग’ (The Conditions of Leaming) में सीखने के मूल आठ प्रकार का वर्णन किया है। गेगनी द्वारा बतलाए गए सभी आठ प्रकार के सीखने की एक खास विशेषता यह है कि वे सभी शृंखलाबद्ध क्रम (hierarchical order) में होते हैं। श्रृंखला में सबसे ऊपर समस्या समाधान सीखना (problem solving learning) है तथा सबसे नीचे सांकेतिक सीखना (signal learning) है (चित्र-13.1 देखें)। श्रृंखला या पिरामिड (pyramid) के किसी भी स्तर पर के सीखने की प्रक्रिया होने के लिए यह आवश्यक है कि उसके नीचे के सभी प्रकार के सीखना हो चुके हों। जैसे शृंखला के चौथे स्तर पर शाब्दिक साहचर्य सीखना (verbal association learning) है जिसे सम्पन्न होने के लिए उसके नीचे के तीनों तरह के सीखने की प्रक्रिया का सम्पन्न होना अनिवार्य है। गेगनी (Gagne) द्वारा बताए गए सभी आठ प्रकार के सीखना / Types Of learning शृंखलाबद्ध क्रम में निम्नांकित हैं— (1) सांकेतिक सीखना (Signal learning)– सांकेतिक सीखना वलासिकी अनुबंधन सीखना (classical conditioning learning) के समान होता है जिसमें कोई तटस्थ उद्दीपन के साथ कोई स्वाभाविक उद्दीपन (natural stimulus or unconditional stimulus) को एक साथ कई बार दिया जाता है। पैवलव (Pavlov) के क्लासिकी अनुबन्धन प्रयोग में घंटी की आवाज (एक तटस्थ उद्दीपन) तथा भोजन (स्वाभाविक उद्दीपन) को साथ-साथ कुछ प्रयास तक देने पर कुत्ता मात्र घंटी की आवाज पर लार का स्राव करना सीख गया था। इस तरह का सीखना सांकेतिक सीखना के उदाहरण हैं। पैवलव के क्लासिकी अनुबन्धन को मनोवैज्ञानिकों ने ‘टाइप-एस अनुबन्धन’ (Type-S conditioning) भी कहा है। (2) उद्दीपन-अनुक्रिया सीखना (Stimulus-Response learning)–वैसे सीखना को उद्दीपन-अनुक्रिया कहा जाता है जिसमें प्राणी किसी उद्दीपन के प्रति एक ऐच्छिक क्रिया (voluntary response) करता है जिसका परिणाम उसपर सुखद होता है और वह धीरे-धीरे उस उद्दीपन के प्रति वही अनुक्रिया सीख लेता है। स्कीन्नर (Skinner) का क्रियाप्रसूत अनुबन्धन (operant conditioning) या जिसे साधनात्मक अनुबन्धन (instrumental conditioning) भी कहा जाता है, एक उद्दीपन-अनुक्रिया का उदाहरण है जिसमें स्कीन्नर बक्स (Skinner box) में चूहा लिभर दबाने की प्रक्रिया को सीख लेता है। स्कीन्नर के साधनात्मक अनुबन्धन को मनोवैज्ञानिकों ने ‘टाइप-आर अनुबन्धन’ (Type-R conditioning) भी कहा है। (3) सरल श्रृंखला का सीखना (Learning of simple chaining)– गेगनी (Gagne) ने इस तरह के सीखना से तात्पर्य एक क्रम (sequence) में होनेवाले अलग-अलग कई उद्दीपन-अनुक्रिया संबंधों के सेट (set) से बताया है। इस प्रकार का सीखना पेशीय सीखना (motor learning) में पाया जाता है। जैसे एक कार चलाना, दरवाजा खोलना, तबला बजाना आदि ऐसे पेशीय सीखना के उदाहरण हैं जिनमें कई छोटी-छोटी अनुक्रियाएँ एक क्रम में सम्मिलित होती हैं। जब ये सारी अनुक्रियाएँ आपस में संबंधित होती हैं, तो व्यक्ति कार चला पाता है या दरवाजा खोल पाता है या तबला बजा पाता है। (4) शाब्दिक साहचर्य सीखना (Verbal association learning)– शाब्दिक साहचर्य सीखना वैसे सीखना को कहा जाता है जिसमें व्यक्ति को उद्दीपन-अनुक्रिया का ऐसा क्रम (sequence) सीखना होता है जिसमें शाब्दिक अभिव्यक्ति (verbalization) निहित होती है। जैसे कविता याद करना, शब्दावली सीखना, कहानी याद करना आदि शाब्दिक साहचर्य के कुछ उदाहरण है। (5) विभेदीकरण सीखना (Learning discrimination)— जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, इसमें व्यक्ति विभिन्न उद्दीपनों के प्रति विभिन्न अनुक्रिया (responses) करना सीखता है। जैसे बालकों द्वारा त्रिभुज एवं चतुर्भुज में अंतर सीखना, अलजबरा तथा अंकगणित में अंतर सीखना, फुटबॉल तथा क्रिकेट में अंतर सीखना विभेदीकरण सीखना के कुछ उदाहरण हैं। (6) संप्रत्यय सीखना (Concept learning)– कई वस्तुओं के सामान्य गुणों के आधार पर कोई विशेष अर्थ को सीखना संप्रत्यय सीखना कहा जाता है। जैसे ‘भालू’, ‘बाघ’, ‘सिंह’ तथा ‘सियार शब्दों में एक सामान्य गुण अर्थात जंगली पशु का संप्रत्यय छिपा है। यहाँ ‘जंगली पशु’ के संप्रत्यय को सीखना संप्रत्यय सीखना का एक नमूना होगा। (7) नियम सीखना (Rule learning)– नियम (rule or principle) का सीखना एक महत्त्वपूर्ण सीखना है। इस तरह का सीखना संप्रत्यय सीखना पर सर्वाधिक आधारित होता है। नियम से दो या दो से अधिक संप्रत्ययों (concepts) के बीच एक नियमित संबंध (regular relationship) का पता चलता है। इस तरह के सीखना से व्यक्ति का ज्ञान-भंडार विकसित होता है। जैसे बालकों द्वारा व्याकरण, गणित, विज्ञान आदि के विभिन्न नियमों का सीखना इसी तरह के सीखने की श्रेणी में आता है। (8) समस्या समाधान सीखना (Problem solving learning )समस्या समाधान सीखना गेगनी (Gagne) के शृंखलाबद्ध सीखना की सबसे ऊपरी अवस्था (highest stage) है। इस तरह के सीखना में व्यक्ति किसी नियम (principle or rule) का उपयोग करके कोई समस्या का समाधान करता है और एक नए तथ्य को सीखता है। गेगनी (Gagne, 1965) ने सीखने के इन आठ प्रकारों (types) को बताते समय एक और महत्त्वपूर्ण तथ्य जो स्पष्ट किया, वह यह था कि इनमें चौथी अवस्था के सौखना अर्थात शाब्दिक साहचर्य (verbal association) का सीखना तथा इससे ऊपर के अन्य सभी स्तरों का सीखना हो शिक्षकों के लिए अधिक महत्त्वपूर्ण है क्योंकि वर्ग में शिक्षकों द्वारा दिया जानेवाला निर्देश (instruction) में मूलतः चौथी अवस्था से आठवीं अवस्था के सीखना निहित होते हैं। पहली अवस्था से तीसरी अवस्था के सीखना का महत्त्व शिक्षकों के लिए मात्र इतना ही है कि वे चौथी अवस्था के सीखना के लिए छात्रों में एक आवश्यक पृष्ठभूमि का निर्माण करने में मदद करते हैं। # Robert M. Gagné ने 1965 में अपनी पुस्तक “कंडीशन ऑफ लर्निंग” में सीखने के मूल आठ प्रकार का वर्णन किया हैये भी पढ़े Thoughts of John Deway | john dewey on education | जॉन डेवी के विचार ctet hindi pedagogy notes CTET Exam – शिक्षा मनोविज्ञान 300 महत्वपूर्ण mcq Chemistry Most important Question CTET 2021 अधिगम की विशेषता एवं प्रकृति – Characteristics and nature of learning Psychoanalysis in Education | शिक्षा में मनोविश्लेषण का योगदान सीखने के मुख्य प्रकार कौन से हैं?सीखने के विभिन्न प्रकार. अधिगम इंप्लिक्ट लर्निंग एक प्रकार की सीख को संदर्भित करता है जो आम तौर पर अनजाने में सीखने वाला होता है और जहां प्रशिक्षु को पता नहीं है कि क्या सीखा गया है. ... . सीखने की व्याख्या ... . साहचर्य अधिगम ... . गैर साहचर्य सीखने (वास और संवेदनशीलता) ... . सार्थक सीख ... . सहकारी शिक्षा ... . सहयोगात्मक शिक्षा ... . भावनात्मक अधिगम. सीखना क्या है और सीखने के प्रकार?सीखना या अधिगम (जर्मन: Gernen, अंग्रेज़ी: learning) एक व्यापक सतत् एवं जीवन पर्यन्त चलनेवाली महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। मनुष्य जन्म के उपरांत ही सीखना प्रारंभ कर देता है और जीवन भर कुछ न कुछ सीखता रहता है। धीरे-धीरे वह अपने को वातावरण से समायोजित करने का प्रयत्न करता है।
अधिगम के दो प्रकार कौन से हैं?संकेत अधिगम>उद्दीपक अनुक्रिया> श्रंखला अधिगम >शाब्दिक अधिगम> विभेदअधिगम> संप्रत्यय अधिगम >सिद्धांत >समस्या समाधान. संकेत अधिगम (Signal Learning). उद्दीपक अनुक्रिया अधिगम (Stimulus-Response Learning). श्रंखला अधिगम (Chain/ Series Learning). शाब्दिक अधिगम (Textual/Verbal Learning). अधिगम के सिद्धांत कितने प्रकार के होते हैं?अधिगम के सिद्धांत Theory Of Learning in hindi. उद्दीपक अनुक्रिया सिद्धांत. अनुकूलित अनुक्रिया सिद्धांत. क्रिया प्रसूत अनुबंधन सिद्धांत (R-S Theory). गेस्टाल्ट सिद्धांत/ सूझ या अंतर्दृष्टि सिद्धांत. जीन पियाजे का संज्ञानात्मक सिद्धांत. |