संकलित साखियों और पदों के आधार पर कबीर के धार्मिक और सांप्रदायिक सद्भाव संबंधी विचारों पर प्रकाश डालिए।
प्रस्तुत दोहों में कबीरदास जी ने धार्मिक एकता तथा साम्प्रदायिक सद्भावना के विचार को व्यक्त किया है। उन्होंने हिंदु-मुस्लिम एकता का समर्थन किया तथा धार्मिक कुप्रथाओं जैसे - मूर्तिपूजा का विरोध किया है। ईश्वर मंदिर, मस्जिद तथा गुरुद्वारे में नहीं होते हैं बल्कि मनुष्य की आत्मा में व्याप्त हैं। कबीरदास जी का उद्देश्य समाज में एकता स्थापित कर कुप्रथाओं को नष्ट करना था। इसी संदर्भ में कबीरदास जी कहते हैं -
"जाति-पाति पूछै नही कोए।
हरि को भजै सो हरि का होए।"
Concept: पद्य (Poetry) (Class 9 A)
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कबीर की संकलित साखियों और पदों के आधार पर कबीर के धार्मिक और सांप्रदायिक सद्भाव संबंधी विचारों पर प्रकाश डालिए?
कबीरदास ने प्रस्तुत दोहों के माध्यम से धार्मिक एकता तथा साम्प्रदायिक सद्धभावना के विचार को व्यक्त किया है। कबीर ने अपने विचारों द्वारा जन मानस की आँखों पर धर्म तथा संप्रदाय के नाम पर पड़े परदे को खोलने का प्रयास किया है। उन्होंने हिंदु- मुस्लिम एकता का समर्थन किया तथा धार्मिक कुप्रथाओं जैसे मूर्तिपूजा का विरोध किया है।
संकलित साखियों के आधार पर कबीर की भक्ति भावना पर प्रकाश डालिए?
कबीर की भक्ति में एकाग्रता, साधना, मानसिक पूजा अर्चना, मानसिक जाप और सत्संगति का विशेष महत्व दिया गया है । कबीर की भक्ति में सभी मनुष्य के लिए समानता की भावना है । यह भक्ति ईश्वर के दरबार में सबकी समानता और एकता की पक्षधर है । इस प्रकार कबीर की भक्ति भावना बहुत ही अद्भुत है ।
पठित पदों के आधार पर कबीर के विचारों को अपने शब्दों में लिखिए?
पठित दोहों के आधार पर कबीर के विचारों को स्पष्ट कीजिए। Solution : कबीर एक महान संत कवि थे, वह पढ़े-लिखे नहीं थे परन्तु उन्होंने अपने मार्मिक विचारों को अनपढ़ भाषा में बड़े अच्छे ढंग से प्रस्तुत किया था । उनके विचार सार्वकालिक और सार्वभौमिक माने जा सकते हैं। उन्होंने जो भी विचार दिए वह सर्वविदित हो गए।
कबीर के पदों का संकलन क्या कहलाता है?
Answer: कबीर के पद को भदोही या चौपाई कहा जाता है।