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साइटिका नर्व आपकी रीढ़ की हड्डी से शुरू होकर आपके कूल्हों से लेकर आपके पैरों तक जाती है। यह मानव शरीर की सबसे महत्वपूर्ण तंत्रिकाओं में से एक है। आमतौर पर यह दर्द लोगों को 30 साल के बाद ही होता है। यूं तो साइटिका पेन एक अस्थाई
दर्द ही है जो खुद भी ठीक हो जाता है और इसके लिए दवा और कुछ उपायों की आवश्यकता भी हो सकती है। साइटिका नर्व में हुई समस्या से जूझ रहे मरीजों को कमर दर्द, पैरों में सुन्नपन आ जाना या दर्द अनुभव होता है। साइटिका को कटिस्नायुशूल के नाम से भी जाना जाता है। आइए जानते हैं इस दर्द की वजह या कारणों के बारे में। किस वजह से होता है साइटिकासाइटिका की समस्या के पैदा होने की यूं तो कई वजह होती हैं। लेकिन डॉक्टर अमोद बताते हैं कि इस दर्द की मुख्य वजह स्लिप डिस्क होती है। आपको बता दें कि हमारी रीढ़ की हड्डी में बहुत सी हड्डियां होती हैं और इसके आगे एक डिस्क होती है, जिसे आप किसी कुशन की तरह समझ सकते हैं। इसकी वजह से हम आसानी से कमर को मोड़ सकते हैं। लेकिन जब यह डिस्क अपनी जगह से हिल जाती हैं तो इसके पीछे निकलने वाली नसों पर दबाव पड़ने लगता है। अब यह नस जहां तक जाती हैं वहां तक साइटिका का दर्द हो सकता है। लेकिन ऐसा नहीं है कि साइटिका के दर्द का केवल यही कारण है। इसकी कई वजह हो सकती हैं जो कुछ इस प्रकार हैं। धूम्रपान-खराब लाइफस्टाइल बनते हैं साइटिका का कारण
आमतौर पर लोगों को लगता है कि साइटिका की स्थिति के बारे में जानने के लिए उन्हें एक्सरे कराना होगा। जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है। एक्सरे दूसरी कई समस्या में काम आ सकता है। लेकिन साइटिका के बारे में सही जानकारी प्राप्त करने के लिए आपको MRI ही करवाना होता है। साइटिका दर्द के लक्षण, कारण और उपाय
Sciatica Pain: साइटिका दर्द के लक्षण, कारण और उपाय साइटिका से जुड़े भ्रम और सचसाइटिका
के दर्द को लेकर राहत की बात यह है कि यह तीन महीने के अंदर-अंदर ठीक भी हो सकती है। हालांकि कुछ लोगों को ऐसा लगता है कि साइटिका की स्थिति में केवल सर्जरी ही एक विकल्प होता है। जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है क्योंकि इस स्थिति में महज 1 प्रतिशत लोगों को ही सर्जरी की जरूरत पड़ती है। बाकि अन्य साधारण उपाय से भी ठीक हो जाते हैं। गर्म या ठंडी, दर्द और सूजन को दूर करने लिए कौन सी सिकाई है बेहतर, जानें इनके प्रकार और इलाज का सही तरीका साइटिका का उपचार का तरीकासाइटिका के दर्द से राहत दिलाने और इसे हील करने के लिए डॉक्टर आपको कई तरह की पेन किलर दवाओं का सेवन करने की सलाह दे सकते हैं। इन दवाओं से आपको काफी हद तक आराम मिल सकता है। पेन किलर दवाओं का असर ना होने पर कई मामलों में डॉक्टर साइटिका की समस्या में आपके उसी हिस्से पर इंजेक्शन लगाते हैं जहां दर्द हो। इलाज की इस प्रक्रिया से जल्दी ही दर्द से राहत मिलने लगती है। वहीं अगर इनमें से कोई भी उपाय काम नहीं करता तो डॉक्टर आपको सर्जरी कराने का विकल्प देते हैं। कैसे ठीक होता है साइटिकाअगर आपको साइटिका की समस्या है तो डॉक्टर आपको वजन घटाने, धूम्रपान छोड़ने, और एक सही जीवन शैली का पालन करने की सलाह दे सकते हैं। डॉक्टर अमोद कहते हैं कि इस समस्या में सर्जरी का विकल्प सबसे आखिरी होता है। वहीं दवाओं और इंजेक्शन के माध्यम से सर्जरी को टाला जा
सकता है। जबकि कई मामलों में यह स्थिति खुद भी ठीक हो जाती है। Navbharat Times News App: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म... पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें डाउनलोड करें NBT ऐप लेटेस्ट न्यूज़ से अपडेट रहने के लिए NBT फेसबुकपेज लाइक करें साइटिका का सफल इलाज क्या है?साइटिका का सबसे कारगर इलाज है मालिश। नारियल तेल या सरसों के तेल के अलावा प्रसारिणी तेल, निर्गुन्डी औषधि, महानारायण तेल, दशमूल तेल, सहचारी तेल, तिल का तेल का उपयोग कर सकते हैं। साइटिका का दर्द ठंड के दिनों में ज्यादा परेशान करता है। ऐसे में सरसों के तेल को थोड़ा गर्म करके इस्तेमाल करें।
साइटिका कितने दिन तक रहता है?साइटिका के दर्द को लेकर राहत की बात यह है कि यह तीन महीने के अंदर-अंदर ठीक भी हो सकती है। हालांकि कुछ लोगों को ऐसा लगता है कि साइटिका की स्थिति में केवल सर्जरी ही एक विकल्प होता है।
आपको कैसे पता चलेगा कि साइटिका कब ठीक हो रही है?यह जानना जितना आसान है कि दर्द "पीछे हट रहा है या जा रहा है" या दर्द अधिक तीव्र हो रहा है या नहीं। इसके बारे में सोचें, यदि दर्द एक दिन आपके नितंब में है और अगले दिन आपके पैरों के नीचे है, तो दर्द की संभावना अधिक हो गई है और इसमें सुधार नहीं हो रहा है। और अगर दर्द "छोड़" रहा है तो साइटिका में सुधार हो रहा है।
साइटिका की जांच कैसे होती है?साइटिका के लक्षण क्या हैं?. कमर में धीरे-धीरे दर्द का बढ़ना. पैर के पीछे के भाग में दर्द महसूस होना. बैठने पर पैर के पीछे के भाग में दर्द का बढ़ जाना. कूल्हों में दर्द. पैरों में जलन या झुनझुनी महसूस होना. पैर के पिछले हिस्से में एक तरफ दर्द होना. उठते-बैठते वक्त पैरों में तेज दर्द महसूस होना. |