मुर्दा शांति से भर जाना और हमारे सपनों का मर जाना- इनको सबसे खतरनाक माना गया है। आपकी दृष्टि में इन बातों में परस्पर क्या संगीत है और ये क्यों सबसे खतरनाक हैं?
जब किसी व्यक्ति में मुर्दे जैसी शांति समा जाए अर्थात् वह किसी भी स्थिति पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर न करे, भले ही वह स्थिति विपरीत ही क्यों न हो। ऐसी तटस्थता निश्चय ही सबसे खतरनाक स्थिति है।
‘हमारे सपनों का मर जाना’ उस स्थिति की ओर संकेत करता है, जिसमें हम अपने सुनहरे भविष्य की कल्पना को खो बैठते हैं। हम प्रगति के सपने लेने तक छोड़ देते हैं और यथास्थिति को स्वीकार कर लेते हैं। इस स्थिति में संघर्ष का अभाव रहता है। इन दोनों बातों में पर्याप्त संगति है। ये दोनों स्थितियाँ सबसे अधिक खतरनाक हैं।
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सबसे खतरनाक वह घड़ी होती है/आपकी कलाई पर चलती हुई भी जो/आपकी निगाह में रुकी होती है। इन पंक्तियों में घड़ी शब्द की व्यंजना से अवगत कराइए।
'घड़ी' शब्द में यह व्यंजना है कि वह समय सबसे खतरनाक होता है जो आगे बढ़ने के स्थान पर एक बिंदु पर आकर रुक जाता है। यह ‘ठहराव’ उस घड़ी को सूचित करता है। ‘घड़ी’ समय बताने का यंत्र भी है। जब व्यक्ति की आगे बढ़ने की चाह समाप्त हो जाती है तब उसे ‘रुकी घड़ी’ कहा जाता है।
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सबसे खतरनाक शब्द के बार-बार दोहराए जाने से कविता में क्या असर पैदा हुआ?
'सबसे खतरनाक' शब्द के बार-बार दोहराए जाने से कविता-कथ्य अधिक प्रभावशाली ढंग से हमारे सामने आता है। हम ‘खतरनाक’ और ‘सबसे खतरनाक’ में अंतर जान जाते हैं। कविता और भी प्रभावशाली ढंग से कहने में समर्थ हो जाती है।
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कवि ने किस आशय से मेहनत की लूट, पुलिस की मार, गद्दारी-लोभ को सबसे खतरनाक नहीं माना?
कवि ने इस आशय से मेहनत की लूट, पुलिस की मार, गद्दारी-लोभ को सबसे खतरनाक नहीं माना है, क्योंकि इन क्रियाओं में व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता बनी रहती है, वह पूरी तरह से नष्ट नहीं होती। ये सभी स्थितियाँ खतरनाक होते हुए भी बदली जा सकती हैं, अत: सबसे अधिक खतरनाक नहीं हैं। इनसे भी बहुत अधिक खतरनाक कई अन्य बातें हैं।
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कवि ने कविता में कई बातों को ‘बुरा है’ न कहकर ‘बुरा तो है’ कहा है। ‘तो’ ‘प्रयोग से कथन की भंगिमा में क्या बदलाव आया है, स्पष्ट कीजिए?
कवि ने कई बातों के लिए ‘बुरा तो है’ का प्रयोग किया है। इसमें ‘तो’ शब्द पर बल है। इससे कथन की भंगिमा में यह बदलाव आया है कि यह खतरनाक की श्रेणी में होते हुए भी अन्य सबसे खतरनाक बातों से अलग है। अर्थात् इस ‘तो’ के प्रयोग से बुरेपन की धार कम हो जाती है। इससे तुलनात्मक स्थिति का भी पता चल जाता है।
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