राष्ट्रीय एकता का अर्थ-राष्ट्रीय एकता को राष्ट्रीय एकीकरण भी कहा जाता है। किसी देश की उन्नति के लिए उसके देशवासियों में राष्ट्रीयता की भावना का होना अति आवश्यक है। जिस देश के नागरिकों में राष्ट्रीय एकता की भावना नहीं है, . वह देश उन्नति के पथ पर अग्रसर नहीं हो सकता। अन्य शब्दों में राष्ट्रीय एकता का अर्थ अपने देश के प्रति वफादारी आदर व भक्ति की भावना रखना है। जब कोई व्यक्ति अपने देश की भाषा, सभ्यता, इतिहास, साहित्य, मूल्यों, रीति-रिवाजों व परम्पराओं से प्रेम करता है और उन मूल्यों व आदर्शों को अपने व्यवहार में अपनाता है तो उसे राष्ट्रवादी कहा जाता है। राष्ट्रीय एकता वह शक्ति है जो देश के नागरिकों को एकता के सूत्र में पिरोती है।
राष्ट्रीय एकता का महत्त्व- भारतवर्ष कई राज्यों की इकाइयों का संघ है। इसमें अनेक भाषा बोलने वाले, अनेक धर्मों को मानने वाले और अनेक विचारधाराओं के लोग रहते हैं। ऐसी स्थिति में राष्ट्रीय एकता का महत्त्व और भी बढ़ जाता है। किन्त भारतवर्ष की परम्पराएँ और संस्कति एक है और हमारा संविधान भी एक है। राष्ट्रीय एकता हमारे राष्टीय गौरव का पती- क्ति को अपने राष्ट पर गर्व नहीं है, वह निंदा के योग्य है। मैथिलीशरण गुप्त ने कहा भी है
राष्ट्रीय एकता का बढ़ान क तरीके या उपाय- राष्ट्रीय एकता को निम्नलिखित तरीकों या उपायों द्वारा बढ़ाया जा सकता है
(i) भारत में विभिन्न धर्मों के लोग निवास करते हैं। इसलिए हमें सभी धर्मों के विचारों का आदर करना चाहिए। हम सदा मिलजुल कर रहना चाहिए।
(ii) दश का स्वतत्रता राष्ट्रीय एकता पर निर्भर करती है। इसके अभाव में हमारी स्वतंत्रता को खतरा हो सकता है। इसलिए हम
सभा वैर-विरोध भुलाकर एकता के सत्र में बंध जाना चाहिए, क्योंकि राष्ट्र की उन्नति हमारी अपनी उन्नति है।
(iii) देश के हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह राष्ट्रीय एकता को स्थिर रखने के लिए तन-मन और धन से कार्य करे। उसे उन भावनाओं और विचारों से दूर रहना चाहिए जो राष्ट्रीय एकता को हानि पहुँचाते हैं।
(iv) खेलों के माध्यम से राष्ट्रीय एकता को बढ़ाया जा सकता है, क्योंकि खेलों में देश के प्रत्येक भाग से खिलाड़ी सम्मिलित होते हैं और वे सभी विविधताओं को भुलाकर एकजुट होकर अपनी टीम को विजयी बनाने का
प्रयास करते हैं। इस प्रकार के तालमेल से खिलाडियों एवं दर्शकों में राष्ट्रीय एकता का विकास होता है।
(v) सांप्रदायिकता, जातीयता, प्रांतीयता और भाषागत अनेकता आदि समस्याओं ने राष्ट्रीय एकता के विकास में बाधाएँ उत्पन्न की हैं। हमें इन समस्याओं का तत्परता से मिलकर समाधान करना चाहिए। हमें राष्ट्रभाषा, संविधान, राष्ट्रीय चिह्नों, राष्ट्रीय पर्व व सामाजिक समानता तथा उसकी उत्कृष्टता पर विशेष ध्यान देना चाहिए।