These NCERT Solutions for Class 6 Hindi Vasant & Bal Ram Katha Class 6 Questions and Answers Summary Chapter 6 दंडक वन में दस वर्ष are prepared by our highly skilled subject experts. Bal Ram Katha Class 6 Question Answers Chapter 6 पाठाधारित प्रश्न अतिलघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. प्रश्न 12. प्रश्न
13. प्रश्न 14. प्रश्न 15. प्रश्न 16. लघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न
2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. मूल्यपरक प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. अभ्यास प्रश्न लघु उत्तरीय प्रश्न 1. चित्रकूट अयोध्या से कितनी दूरी पर था? दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 1. अकंपन कौन था? उसने रावण से क्या कहा? Bal Ram Katha Class 6 Chapter 6 Summary भरत अपनी प्रजा तथा सेना के साथ अयोध्या लौट चुके थे। राम पर्णकुटी के बाहर एक शिलाखंड पर बैठे थे। वे किसी सोच-विचार में मग्न थे। चित्रकूट अयोध्या से केवल चार दिन की दूरी पर था। लोगों का आना-जाना लगा रहता था। अयोध्या से लोग वहाँ आते रहते थे। कई कार्यों की राय माँगते थे और कई तरह के प्रश्न करते थे। इसलिए राम चित्रकूट से दूर जाना चाहते थे। तीनों वनवासी मुनि अत्रि से विदा लेकर दंडक वन की ओर चल पड़े। यह वन घना था। इसमें अनेक तपस्वियों के आश्रम थे। राक्षस भी वहाँ बहत थे। राम को देखकर मुनिगण बहुत प्रसन्न हुए। मुनियों ने राम से कहा कि “आप मायावी राक्षसों से हमारी रक्षा कीजिए। वे राक्षस हमारे आश्रम को अपवित्र करते हैं तथा हमारी तपस्या भंग करते हैं।” सीता राक्षसों का अकारण वध करना नहीं चाहती थी। राम लक्ष्मण और सीता दंडकारण्य में दस वर्षों तक रहे। वे स्थान और आश्रम बदलते रहे। वे क्षरभंग मुनि के आश्रम में पहुँचे। मुनि ने राम को राक्षसों के अत्याचार की कहानी बताई और आश्रमवासियों ने राम को हड्डियों का ढेर दिखाया। ये ऋषियों के कंकाल थे जिन्हें राक्षसों ने मार डाला था। मुनि ने राम को अगस्त्य ऋषि से भेंट करने की सलाह दी। मुनि ने राम को गोदावरी नदी के तट पर जाने को कहा। उस स्थान का नाम पंचवटी था। वनवास का शेष समय दो राजकुमारों और सीता ने वहीं बिताया। पंचवटी के मार्ग में राम को जटायु मिला जिसे देखकर सीता डर गई। जटायु ने कहा कि-डरो मत, मैं तुम्हारे पिता का मित्र हूँ। वन में मैं तुम्हारी सहायता करूँगा। ‘राम जटायु को प्रणामकर आगे बढ़ गए। पंचवटी में लक्ष्मण ने एक सुंदर कुटिया बनाई। कुटिया ने उस पंचवटी को और सुंदर बना दिया। इस बीच जो भी राक्षस आश्रम पर आक्रमण करते राम उसका संहार कर देते। वन से सभी राक्षसों का अंत हो गया। अब तपस्वी शांति से तप करने लगे। एक दिन लंका के राजा रावण की बहन शूर्पणखा वहाँ आई। वह राम को देखकर उन पर मोहित हो गई। वह राम के पास जाकर बोली ‘मैं तुमसे विवाह करना चाहती हूँ। राम ने कहा कि “मैं विवाहित हूँ, ये मेरी पत्नी है।” अब वह लक्ष्मण के पास आई। लक्ष्मण ने उसे पुनः राम के पास भेज दिया। वह कभी राम के पास जाती तो कभी लक्ष्मण के पास। क्रोध में आकर झपट्टा मारा। लक्ष्मण ने तत्काल उठाकर तलवार खींच ली और उसकी नाक काट डाली। खून से लथ-पथ शूर्पणखा रोती हुई अपने भाई खर-दूषण के पास पहुँची। शूर्पणखा की दशा देखकर खर-दूषण ने क्रोध में चौदह राक्षसों को भेजा। राम जानते थे कि राक्षस इस अपमान का बदला लेने ज़रूर आएँगे। अतः उन्होंने सीता को लक्ष्मण के साथ सुरक्षित स्थान पर भेज दिया। राक्षस राम के सामने टिक नहीं सके। वे सभी मारे गए। इसके बाद खर-दूषण राक्षसों की पूरी सेना लेकर आए। घमासान युद्ध में राम की विजय हुई। खर और दूषण मारे गए तथा शेष राक्षस भाग गए। यह खबर अकंपन नामक राक्षस ने रावण को जाकर दी। उसने बताया कि राम कुशल योद्धा हैं उन्हें कोई नहीं मार सकता। उनको हराने का एक ही उपाय है सीता का अपहरण। रावण सीता के हरण के लिए तैयार हो गया। पर मारीच ने रावण को सीता का हरण न करने के लिए कहा। उसने रावण से कहा-सीता का हरण करना विनाश को आमंत्रण देना है। रावण मारीच की बात मानकर लौट आया। थोड़ी देर में शूर्पणखा रोती बिलखती रावण के पास गई और सारी घटना बताई। वह रावण को धिक्कारते हुए बोली ‘आप महाबली हैं। आपके रहते हुए यह दुर्गति।’ उसने रावण को राम-लक्ष्मण के अत्यंत बलशाली होने तथा सीता को अति सुंदरी बताया। रावण फिर मारीच के पास गया। इस बार भी उसने सीता का हरण करने से मना किया किंतु इस बार रावण नहीं माना। उसने डाँटकर मारीच को आज्ञा दी कि तुम मेरी मदद करो। विवश होकर उसे रावण की आज्ञा माननी पड़ी। रथ पर बैठकर रावण और मारीच पंचवटी पहुँचे। कुटी के निकट आकर मायावी मारीच ने सोने के हिरण का रूप धारण कर लिया और कुटी के आस पास घूमने लगा। इधर रावण तपस्वी का वेश धारण कर पेड़ की छाया में छिपा था। सीता इस संदर हिरण को देखकर मोहित हो गई और राम से हिरण पकड़ने के लिए कहा। राम को हिरण पर संदेह था। वे सोचने लगे कि वन में सोने का हिरण कहाँ से आएगा पर सीता के आग्रह पर राम उसके पीछे चले गए। कुटी से निकलते समय राम ने लक्ष्मण को सीता की रक्षा करने का आदेश दिया। राम की आज्ञा मानकर लक्ष्मण कुटी के बाहर खड़े हो गए। शब्दार्थ: पृष्ठ संख्या 33 पृष्ठ संख्या 35 पृष्ठ संख्या 36 पृष्ठ संख्या 37 पृष्ठ
संख्या 39 पृष्ठ संख्या 40 रावण ने पंचवटी कितने राक्षसों को भेजा?बहन का प्रतिशोध लेने के लिए खर ने 14 भयंकर राक्षसों को उन तीनों को मारने के लिए भेजा। ये 14 राक्षस शूर्पणखा के साथ पंचवटी में राम के आश्रम के पास गए।
रावण ने कितने राक्षसों को राम और लक्ष्मण की निगरानी के लिए भेजा था?राम का गुणगान सुनकर रावण चिंतित हो गया। उसने आठ राक्षसों को बुलाकर पंचवटी भेज दिया ताकि वे राम-लक्ष्मण पर निगरानी रख सकें।
सीता को पकड़ने वाले राक्षस का क्या नाम था?उत्तर - सीता को पकड़ने वाले राक्षस का नाम विराध था ।
रावण और मारीच ने पंचवटी पहुंचकर किसका वेश धारण किया?उत्तर: रथ पर बैठकर रावण और मारीच पंचवटी पहुंचे। कुटिया के निकट आकर मारीच ने सोने के हिरण का रूप धारण कर लिया और कुटिया के आसपास घूमने लगा। रावण एक पेड़ के पीछे छुप गया। रावण ने तपस्वी का वेश धारण कर लिया था।
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