रात को सोने के बाद क्या होता है - raat ko sone ke baad kya hota hai

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रात के वक्त लाइट ऑफ करके सोना चाहिए.

Sleep And Light Connection: आपने कई बार महसूस किया होगा कि अंधेरे में आपको अच्छी नींद आती होगी. लाइट जलने पर नींद अक्सर टूट जाती है. आखिर इसकी क्या वजह है? इस बारे में विस्तार से जान लीजिए.

  • News18Hindi
  • Last Updated : October 01, 2022, 06:30 IST

हाइलाइट्स

अधिकतर लोगों को रात में बेडरूम में अंधेरा होने पर अच्छी नींद आती है.लाइट की वजह से हमारे शरीर की इंटरनल क्लॉक प्रभावित हो जाती है.

Light in Bedroom Harmful: अधिकतर लोगों को रात के वक्त लाइट ऑफ करके सोना पसंद होता है. कुछ लोग लाइट ऑन करके सोते हैं. आपने शायद ही कभी सोचा होगा कि इसका भी हमारी हेल्थ पर असर पड़ता है. सोते वक्त लाइट ऑफ करना हेल्थ के लिए फायदेमंद होता है, जबकि लाइट ऑन रहने से स्वास्थ्य पर नेगेटिव असर पड़ता है. लाइट जलाकर सोने से कई तरह की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. यह सभी बातें आपने आज से पहले शायद ही सुनी होंगी. आपको बताएंगे कि  बेडरूम में रात के वक्त लाइट्स ऑन रहने से हमारा स्वास्थ्य किस तरह प्रभावित होता है.

स्टडी में हुआ खुलासा
कुछ महीने पहले एक स्टडी सामने आई थी, जिसमें खुलासा हुआ था कि सोते वक्त लाइट ऑन रहने से अनजाने में हमारा नर्वस सिस्टम जगा हुआ रहता है, जो हेल्थ के लिए नुकसानदायक होता है. वेब एमडी की रिपोर्ट के मुताबिक इस स्टडी में पता चला कि लाइट की वजह से सोते वक्त लोगों का हार्ट रेट अपेक्षाकृत ज्यादा था. लाइट जलाकर सोने वाले लोगों में अगले दिन इंसुलिन लेवल में भी बदलाव देखने को मिला. इंसुलिन हमारे शरीर में बनने वाला एक जरूरी हार्मोन है, जो ब्लड शुगर को कंट्रोल करता है. इसकी कमी होने पर लोग डायबिटीज का शिकार हो जाते हैं. इसके अलावा भी हमारी बॉडी की फंक्शनिंग लाइट से प्रभावित होती है.

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ऐसे शरीर पर होता है असर
रात के वक्त बेडरूम में अंधेरा होने पर बेहतर नींद आती है, जबकि थोड़ी बहुत लाइट भी हेल्थ को प्रभावित करती है. जो बुजुर्ग सोने के दौरान नाइट लाइट, स्मार्टफोन, टेबलेट या टीवी ऑन करके सो जाते हैं, उनमें मोटापा, ब्लड प्रेशर और डायबिटीज का खतरा वयस्कों की अपेक्षा ज्यादा होता है. स्टडी में वयस्कों पर इसका असर कम देखने को मिला. लाइट की वजह से हमारी सरकेडियन रिदम पर असर पड़ता है. दिन में सूरज की रोशनी और रात में अंधेरा शरीर की सरकेडियन रिदम को मेंटेन करने के लिए जरूरी होता है. यह हमारे शरीर की इंटरनल क्लॉक कही जाती है. इसका नींद, मेटाबॉलिज्म और हार्मोन रिलीज करने में अहम योगदान होता है.

नींद भी होती है डिस्टर्ब
आज के दौर में इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का खूब इस्तेमाल किया जा रहा है. इन सभी में ब्लू या अन्य तरह की लाइट होती है. ब्लू लाइट हमारी आंखों से लेकर पूरे शरीर के लिए खतरनाक मानी जाती है. ब्लू लाइट की वजह से हमारे शरीर में मेलाटोनिन हार्मोन रिलीज होता है, जो हमारी नींद को प्रभावित करता है. हार्मोन की वजह से नींद आने के बावजूद हमारा शरीर जगा हुआ रहता है. ऐसा होने से इम्यून सिस्टम पर भी असर पड़ता है.

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Tags: Better sleep, Health, Lifestyle, Trending news

FIRST PUBLISHED : October 01, 2022, 06:30 IST

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अधिकतर लोगों को लगता है कि सोते वक्त उनका शरीर और दिमाग दोनों ही बिल्कुल निष्क्रिय अवस्था में चले जाते हैं. लेकिन ये सच नहीं है. जब आप सोते हैं तो आपके शरीर और दिमाग में इतनी सारी गतिविधियां होती रहती हैं कि शायद आपको यकीन ही ना हो. नींद के दौरान शरीर और दिमाग आपकी सेहत के लिए जरूरी कई काम निपटाते रहते हैं.

(Photo: Fine Art America)

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हम सोने-जगने को जितनी आसान प्रक्रिया समझते हैं, उतनी भी सरल नहीं है. नींद के दो चरण होते हैं- रैपिड आई मूवमेंट (Rapid Eye Movement, REM) और नॉन आरईएम (Non Rapid Eye Movement) मूवमेंट.

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नॉन-आरईएम स्लीप-
जब आप सोना शुरू करते हैं तो वह अवस्था नॉन-आरईएम स्लीप कही जाती है और आप अपने आराम का ज्यादातर वक्त इसी में गुजारते हैं. सबसे पहले हल्की नींद की N1 स्टेज आती है और फिर गहरी N3 स्टेज. इस दौरान आपका दिमाग धीरे-धीरे बाहरी दुनिया की तरफ कम रिस्पॉसिंव होता जाता है और जगना मुश्किल होता जाता है. आपके विचार और शरीर के ज्यादातर काम सुस्त पड़ जाते हैं. आप अपनी नींद का आधे से ज्यादा हिस्सा N2 फेज में बिताते हैं जहां पर वैज्ञानिकों के मुताबिक, आप लॉन्ग टर्म मेमोरीज मिटाने का काम करते हैं.

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आरईएम स्टेज (REM Stage)
इसका नाम ही इसलिए ऐसा रखा गया है क्योंकि इस दौरान आपकी आंखों की पुतली पलकों के पीछे तेजी से मूवमेंट करती है. इस स्टेज में आप सबसे ज्यादा सपने देख रहे होते हैं. आपकी धड़कन, शरीर का तापमान, सांस लेना, ब्लड प्रेशर दिन के स्तर पर आ जाता है. आपका सिंपैथेटिक नर्वस सिस्टम जो स्वत: ही प्रतिक्रिया देता है, सक्रिय हो जाता है. लेकिन इसके बावजूद भी आपका शरीर स्थिर ही रहता है.

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नींद के चक्र-
पूरी नींद के दौरान आप कम से कम 3 से 5 बार सारी स्टेज से होकर गुजरते हैं. पहली बार की REM स्टेज केवल कुछ मिनटों की होती है लेकिन नए सायकल के साथ यह लंबी होती जाती है- करीब डेढ़ घंटे तक. जबकि N3 स्टेज हर नए सायकल के साथ छोटी होती जाती है. अगर आपकी REM स्लीप किसी भी वजह से खराब हो जाती है तो आपका शरीर अगली रात में इसकी भरपाई करने की कोशिश करता है.

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शरीर का तापमान-
आपके शरीर का तापमान थोड़ा नीचे गिरता है और जगने के 2 घंटे पहले सबसे कम हो जाता है. REM नींद के दौरान आपका दिमाग आपके शरीर के थर्मामीटर को भी ऑफ कर देता है. इसी दौरान आपको बेडरूम में सर्दी या गर्मी सबसे ज्यादा प्रभावित करती है. सामान्य तौर पर, ठंडा कमरा आपको अच्छी नींद दिलाने में मदद करता है. जब आप जगते हैं तो पुश-अप्स या हिलने-डुलने की वजह से आपके शरीर का तापमान बढ़ता है और आप ज्यादा अलर्ट हो जाते हैं.

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ब्रीदिंग-
जब आप जगते हैं तो सांस लेने की प्रक्रिया सबसे ज्यादा बदल जाती है. जब आप गहरी नींद में होते हैं तो आप धीरे-धीरे सांस लेते हैं लेकिन जैसे ही REM स्टेज में पहुंचते हैं तो आपकी ब्रीदिंग तेज हो जाती है और इसमें ज्यादा बदलाव आने लगते हैं.

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हार्ट रेट-
गहरी या नॉन आरईएम नींद आपके ब्लड प्रेशर को कम कर देती है जिससे आपके हार्ट और रक्त धमनियों को आराम करने और रिकवर होने का मौका मिल जाता है.

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दिमाग क्या कर रहा होता है?
जब आप अपनी आंखें बंद करते हैं तो नॉन आरईएम नींद में पहुंचना शुरू करते हैं, आपके दिमाग की कोशिकाएं दिन की तुलना में व्यवस्थित होती हैं. लेकिन जब आप सपने देखने लगते हैं तो आपके दिमाग की कोशिकाएं सक्रिय हो जाती हैं. वास्तव में इस दौरान आपके दिमाग की गतिविधि लगभग दिन में जगे होने की तरह ही होती है.

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सपने देखना-
हम सालों से सपनों के बारे में बात करते आ रहे हैं लेकिन आज भी ये किसी रहस्य से कम नहीं हैं. यह साफ नहीं है कि सपने क्यों आते हैं और उनके पीछे का मकसद क्या है. REM स्टेज के दौरान सबसे ज्यादा सपने आते हैं, खासकर अगर सपने खूब सारे दृश्यों से भरे हुए हों. हालांकि आप नींद की दूसरी अवस्थाओं में भी सपने देख सकते हैं. रात में कई बार शरीर के जम जाने का एहसास और पैनिक होने की स्थिति नींद की गहरी अवस्था में होने के दौरान ही होती है.

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गहरी नींद के दौरान आपका शरीर मांसपेशियों, अंगों व अन्य कोशिकाओं की मरम्मत का भी काम करता है. प्रतिरक्षा तंत्र (इम्यून सिस्टम) को मजबूत करने वाले रसायनों का प्रवाह खून में होने लगता है. जब आप युवा और स्वस्थ होते हैं तो इस दौरान रात की नींद का पांचवा हिस्सा गहरी नींद में ही खर्च करते हैं. लेकिन जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती जाती है और 65 की उम्र पार कर जाते हैं तो यह स्टेज जीरो तक पहुंच सकती है.

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दिमाग का कूड़ा निकलता है-
वैज्ञानिकों का मानना है कि REM स्टेज की नींद दिमाग के कचरे को निकालने का काम करती है. आपका दिमाग नींद की इस अवस्था के दौरान उन सारी जानकारियों को डिलीट करने की कोशिश करता है जिसकी आपको जरूरत नहीं है. कई कठिन पजल्स का जवाब तब लोग ज्यादा अच्छे से दे पाते हैं जब वे नींद लेकर उठते हैं. नींद लेने के बाद लोग चीजें ज्यादा बेहतर ढंग से याद कर पाते हैं और कई काम भी अच्छे से कर पाते हैं. जिन लोगों को नींद की दूसरी अवस्थाओं के मुकाबले पर्याप्त REM नींद नहीं मिलती है, वे लोग इस फायदे से वंचित हो जाते हैं.

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ब्रेनस्टेम-
दिमाग का यह हिस्सा नींद के दौरान कई अहम भूमिकाएं निभाता है. यह दिमाग की एक अन्य संरचना हाइपोथैल्मस से बात करता है ताकि आपको सोने-जगने में मदद मिल सके. साथ मिलकर दोनों GABA नाम का रसायन निकालते हैं जो उत्तेजित केंद्रों को शांत कराता है. ये केंद्र आपको नींद में जाने से रोक सकते हैं. आरईएम नींद के दौरान ब्रेनस्टेम अस्थायी तौर पर निष्क्रिय मांसपेशियों को सिग्नल भेजते रहता है जिससे आपका शरीर, हाथ और पैर का मूवमेंट होता रहता है. यही आपको अपने सपने के कामों को असलियत में करने से भी रोकता है.

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हार्मोन सिंफनी-

सोने के दौरान आपका शरीर कुछ हार्मोन्स ज्यादा बनाता है और कुछ हार्मोन्स कम. उदाहरण के तौर पर, ग्रोथ हार्मोन बढ़ जाते हैं और तनाव से जुड़ा कॉर्टिसोल हार्मोन कम बनता है. कुछ वैज्ञानिकों को लगता है कि अनिद्रा शरीर के हार्मोन बनाने की प्रक्रिया में समस्या से भी जुड़ी हो सकती है. नींद की कमी से भूख को नियंत्रित करने वाले हार्मोन्स का भी स्तर प्रभावित हो सकता है और इससे आप कितना खाते हैं, यह भी बदल सकता है.

(सोर्स- WEBMD)

रात में सोने के बाद क्या करते हैं?

रात में सोने के बाद हमारे साथ क्या क्या होता है? - Quora. अनैक्षिक क्रियाएँ (जैसे हृदय का धड़कना, रक्त सञ्चार, पाचन, उत्सर्जन इत्यादि) निरन्तर चल रही होती हैँ, ऐक्षिक क्रियाएँ मन्द पड़ जाती हैँ या बिल्कुल ही बन्द हो जाती हैँ। वह सूक्ष्म शरीर ही है जो स्वप्न के समय सक्रिय रहता है।

हमें रात में कितने बजे सोना चाहिए?

कई रिसर्च बताते है की हमको रात को 9 या 10 बजे सो जाना चाहिए और 6 या 7 बजे वापस उठ जाना चाहिए। क्योंकि कई शोधकर्ताओं का मानना है की अलग-अलग व्यक्ति की नींद की जरूरतें कम या ज्यादा हो सकती हैं इसलिए कम से कम 6 घंटे और ज्यादा से ज्यादा 9 घंटे तक की नींद सही मानी जाती है।

दिन रात सोने से क्या होता है?

दिन में सोने के नुकसान-Side Effects Of Sleeping In Daytime जी हां, हर कोई जो दिन में सोता है, उसकी रात की स्लीप साइकिल डिस्टर्ब हो जाती है । ये आपकी रात की नींद में बाधा डालती है जो कि शरीर सूजन को बढ़ाने और हृदय रोग, अल्जाइमर और हाई बीपी जैसी कई समस्याओं का कारण बन सकता है।

उम्र के हिसाब से कितना सोना चाहिए?

13-18 साल के युवाओं को हर दिन 8 से 10 घंटे तक नींद लेनी चाहिए. 18-60 साल के लोगों के लिए प्रतिदिन 7 घंटे की नींद पर्याप्त मानी जाती है. 61-64 साल के लोगों के लिए हर दिन 7 से 9 घंटे सोना जरूरी होता है. 65 साल या इससे अधिक उम्र के बुजुर्गों को कम से कम 7 से 8 घंटे तक सोना चाहिए.

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