रोमन साम्राज्य के पूर्वी भाग में कौन सी भाषा बोली जाती थी? - roman saamraajy ke poorvee bhaag mein kaun see bhaasha bolee jaatee thee?

रोमन साम्राज्य

रोमन साम्राज्य के पूर्वी भाग में कौन सी भाषा बोली जाती थी? - roman saamraajy ke poorvee bhaag mein kaun see bhaasha bolee jaatee thee?

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अपने महत्तम विस्तार पर 117 इस्वी में '''रोमन साम्राज्य''' रोमन साम्राज्य का उत्थान एवं पतन रोमन साम्राज्य (27 ई.पू. –- 476 (पश्चिम); 1453 (पूर्व)) यूरोप के रोम नगर में केन्द्रित एक साम्राज्य था। इस साम्राज्य का विस्तार पूरे दक्षिणी यूरोप के अलावे उत्तरी अफ्रीका और अनातोलिया के क्षेत्र थे। फारसी साम्राज्य इसका प्रतिद्वंदी था जो फ़ुरात नदी के पूर्व में स्थित था। रोमन साम्राज्य में अलग-अलग स्थानों पर लातिनी और यूनानी भाषाएँ बोली जाती थी और सन् १३० में इसने ईसाई धर्म को राजधर्म घोषित कर दिया था। यह विश्व के सबसे विशाल साम्राज्यों में से एक था। यूँ तो पाँचवी सदी के अन्त तक इस साम्राज्य का पतन हो गया था और इस्तांबुल (कॉन्स्टेन्टिनोपल) इसके पूर्वी शाखा की राजधानी बन गई थी पर सन् १४५३ में उस्मानों (ऑटोमन तुर्क) ने इसपर भी अधिकार कर लिया था। यह यूरोप के इतिहास और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण अंग है। .

189 संबंधों: चाप, चांसलर, ऍस॰ऍन॰१८५, एंगारी, ड्यूक, डैन्यूब नदी, तबाशीर, तानाशाही, तुर्की का इतिहास, त्राजान, त्रिपोली (लेबनान), तोलेदो, स्पेन, द लास्ट लीजन, द कॉमेडी ऑफ एरर्स, दंत-क्षरण, दक्षिण प्रान्त (लेबनान), द्यौष्पिता, धर्मप्रचार (ईसाई), नबाती, नापोलि, नागरिकता, निजी अंतरराष्ट्रीय कानून, निजीकरण, न्यायशास्त्र, पलमीरा, पश्चिमी रोमन साम्राज्य, पश्चिमी संस्कृति, पहलवी साम्राज्य, पाउंड (मुद्रा), पिरिक जीत, पिशाच, पवित्र रोम साम्राज्य, पुराना यरुशलम शहर, प्राच्य चर्च, प्राचीन दमिश्क शहर, प्राचीन मिस्र, प्राचीन यूनान, प्राचीन आनातोली लोग, प्रांत, प्राइमस इंटर पारेस, फ़िलिस्तीनी राज्यक्षेत्र, फ़्रान्सीसी भाषा, फ़्रांस का इतिहास, फ़्रैंक लोग, फ़ोनीशिया, फ़ीनिक्स (मिथक), फिराज की लड़ाई, फ्रांस का सैन्य इतिहास, फ्रांसिस प्रथम (फ्रांस का राजा), फैरो की सूची, ..., बाइज़ेंटाइन साम्राज्य, बिलेसिक प्रांत, बुतरिन्त झील, बुसरा अल शाम, ब्लॅस्टियम, बृहस्पति (ग्रह), बेन-हर (1959 की फ़िल्म), बेक़आ वादी, भारत और रोम के व्यापारिक सम्बन्ध, भारत का विदेश व्यापार, भारतीय वस्त्र, भितरी, भीतरी (गाँव), मध्ययुग, मादक पेय, मानव बलि, मानविकी, मानी धर्म, मिलानो, मुक्केबाज़ी, मॉनमाउथ हेरिटेज ट्रेल, यहूदी एवं बाइबलीय मापन इकाइयाँ, यहूदी इतिहास, यातायात संकेत (ट्रैफिक साइन), युद्धपोत, यूनानी भाषा, यूनाइटेड किंगडम का इतिहास, यूरोप, यूरोप में विश्व धरोहर स्थलों की सूची, यूरोप का इतिहास, राजनय, राजनयिक दूत, राजनयिक इतिहास, राजा आर्थर, रिओ तिन्तो (नदी), रक्तखेल, रेशम मार्ग, रोम, रोम गणतंत्र, रोमन थिएटर, रोमन थिएटर पलमीरा, रोमन लीजन, रोमन संख्यांक, रोमन सेना, रोमन गणराज्य, रोमन गाल, रोमन गृहयुद्ध, रोमानिया, रीताई लोग, लातिन भाषा, लंदन, लैटिन साहित्य, लैवेंडर, शब्दकोशों का इतिहास, शारलेमेन, शारीरिक दण्ड, शास्त्रीय प्राचीनकाल, शेयर एक्सचेंज, सबसे बड़े साम्राज्यों की सूची, सर्वहारा, सामंतवाद, साम्राज्य, साल्ज़बर्ग, सांता अग्वेदा का महल, सिंह (पशु), सिकन्दरिया, स्टर्लिंग किला, स्पा, स्पार्टाकस, स्वर्ण होड़, स्विट्ज़रलैण्ड, स्कॉट्लैण्ड का इतिहास, सौर मण्डल, सेंट एलीयन चर्च, सॉसेज, सोग़दा, सीरिया, हरक्यूलिस का टावर, हूण लोग, हेद्रिअन, जर्मनी का इतिहास, जहाजरानी का इतिहास, जाति, जुपीटर मंदिर (रोमन हेलीओपोलिस), जुपीटर मंदिर, दमिश्क, जॉर्डन, ईरान का इतिहास, ईसा इब्न मरियम, ईसाई समाजवाद, विम कडफिसेस, विश्व का इतिहास, विश्वमारी, विष का इतिहास, विंचेस्टर, व्याख्यान शास्त्र, वृहद भारत, वैन्डल, वैलेंटाइन दिवस, वैश्वीकरण, वैस्पाज़िअन्, वेतन, वोरार्लबर्ग, खसरा, खुसरू प्रथम, गुप्त राजवंश, ग्लैडीएटर, गृहयुद्धों की सूची, गोथ, ऑगस्टस, औरोक्स, आयो (उपग्रह), आर्किमिडीज़, आलमा माटर, आशुलिपि, इटली, इटली का इतिहास, इत्रस्की सभ्यता, इस्लाम से पहले का अरब, इंग्लैण्ड, क़ुरआन, क़ुस्तुंतुनिया, कार्थेज, कुषाण कला, कुस्तुन्तुनिया का पतन, क्रूसेड, कॉकस, कोलोन, कोलोसियम, अत्तिला, अधिदेवता, अफ़्रीका, अब्द, अर-रक्का, अल्बानिया, अग्निदाह, अंक विद्या, अंकारा, तुर्की, अकसूम राज्य, उत्तरी रेशम मार्ग। सूचकांक विस्तार (139 अधिक) »

चाप

ईंट से निर्मित एक चाप 1. Keystone 2. Voussoir 3. Extrados 4. Impost 5. Intrados 6. Rise 7. Clear span 8. Abutment वास्तुशिल्प में चाप या मेहराब (अंग्रेज़ी: arch, आर्च) वृत्त के चाप की सी संरचना को कहते हैं जो दो आलम्बों के बीच की दूरी को पाटता है तथा अपने ऊपर भार वहन करता है। जैसे पत्थर की दीवार में दरवाजे के लिये बनायी गयी संरचना। वैसे तो वास्तुशास्त्र में चाप का उपयोग दो हज़ार वर्ष से भी पुराना है, किन्तु इसका विधिवत उपयोग प्राचीन रोमवासियों द्वारा आरम्भ हुआ दिखाई पड़ता है। .

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चांसलर

चांसलर (Chancellor) एक आधिकारिक पद जिसका प्रयोग अधिकतर उन राष्ट्रों में होता है जिनकी सभ्यता प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में रोमन साम्राज्य से पैदा हुई है। मौलिक रूप में, चांसलर रोमन न्यायाधीश थे जिनके लिये न्यायालयों में एक पर्दे के पीछे बैठने की व्यवस्था थी। यह पर्दा श्रोताओं और न्यायाधीशों के बीच हुआ करता था। .

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ऍस॰ऍन॰१८५

आर॰सी॰डब्ल्यू॰ ८६ (RCW 86) नामक गैस का छल्ला जो ऍस॰ऍन॰१८५ (SN 185) महानोवा धमाके का अवशेष माना जाता है ऍस॰ऍन॰१८५ (SN 185) एक महानोवा (सुपरनोवा) विस्फोट था जो सन् १८५ ईसवी में मित्र तारे की दिशा में परकार और नरतुरंग तारामंडलों के बीच देखा गया था। चीनी खगोलशास्त्रियों ने "पश्चात हान की पुस्तक" में इसे "मेहमान तारा" का नाम दिया और संभव है कि रोमन साहित्य में भी इसका वर्णन किया गया हो। इसे आठ महीने तक आसमान में देखा जा सका था और माना जाता है कि यह पहला महानोवा धमाका था जिसका वर्णन लिखित रूप में किया गया। माना जाता है कि आर॰सी॰डब्ल्यू॰ ८६ (RCW 86) नामक गैस का छल्ला इस महानोवा का बचा-कुचा अवशेष है। इसका अध्ययन करके पता लगा है कि जिस महानोवा का वर्णन इतिहास में किया गया है, यह छल्ला उस से मेल खाता है। यह छल्ला हमसे लगभग ९,१०० प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। .

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एंगारी

एंगारी (Angary; लैटिन: jus angariae; फ्रेंच: droit d'angarie; जर्मन: Angarie; ग्रीक: ἀγγαρεία, angareia से व्युत्पन्न) शब्द प्राचीन फारस की राजकीय संदेशहर सेवा (रायल कीरियर सर्विस) के नामकरण से प्राप्त हुआ है। वहाँ से ग्रीक और लातिनी में 'दूत' के अर्थ में यह शब्द प्रचलित हुआ। वर्तमान में यह अन्तरराष्ट्रीय विधि से सम्बन्धित एक शब्द है। वर्तमान अंतरराष्ट्रीय विधि में एंगारी किसी देश की युद्धकाल में या राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए यह अधिकार प्रदान करता है कि जलयान, हवाईजहाज, रेल का सामान या यातायात के अन्य साधन जो दूसरे देशों के हैं, परन्तु उनके अधिक्षेत्र में उपस्थित हैं, अपने काम में ले आए। परंतु उस देश को यातायात के साधनों के उन मालिकों की पूरी क्षतिपूर्ति करनी होगी। किन्तु वर्तमान काल में नाविकों या अन्य चालकों की सेवाएँ नहीं प्राप्त की जा सकती हैं। .

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ड्यूक

डयूक (Duke) यूरोप में सामंती घरानों और कुछ प्रभुसतासंपन्न शासकों के लिये प्रयुक्त की जानेवाली एक उच्च सम्मानास्पद उपाधि है। ड्यूक मूलत: लैटिन भाषा के शब्द 'डक्स' (Dux) से बना है, जिसका अर्थ होता है - नेता या जनरल; सामान्य अर्थ में नेता लेकिन विशिष्ट रूप में एक सैनिक अधिकारी। अंग्रेजी साहित्य में इसका प्रयोग जनरल के ही रूप में किया जाता है, परंतु इसका यह अर्थ अब लुप्त हो गया है। ड्यूक के वर्तमान अर्थ का उद्भव दो रूपों में हुआ है। रोमन साम्राज्य में सर्व प्रथम सम्राट् हाद्रिअन के शासनकाल में डूक्स का प्रयोग प्रारंभ हुआ। र्गोर्दियन्स के शासनकाल में इसने रोमन साम्राज्य के प्रशासन में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त कर लिया। एक आक्रमण का नेतृत्व करने के लिये जनरल के सथान में इसका प्रयोग हुआ था और ड्यूक का हाययर्य विशुद्ध ससैनिक था। चौथी शताब्दी में सैनिक और असैनिक प्रशासन के पृथक्करण के पश्चात् साम्राज्य के प्रत्येक सीमांत प्रदेश में ड्यूक सेना की एक टुकड़ी के नेता का कार्य करता था। इसके बाद ड्यूकों की संख्या बढ़ती गई और छठी तथा सातवीं शताब्दी में राम, नेपल्स, रिमिनी, वेनिस तथा पेरूगिआ में भी ड्यूकों की नियुक्ति हुई। साम्राज्य की ड्यूक उपाधि की अपेक्षा काउंट की उपाधि अधिक संमानास्पद है जिसका सीधा संबंध सम्राट् से होता है। ड्यूक का कार्यक्षेत्र कभी निश्चित और निर्धारित नहीं रहा। उसका पद भी कभी तो स्सथायी रहा और कभी अस्थायी। दसवीं शताब्दी में साम्राज्यवादी शक्ति के क्षीण होने के साथ ड्यूकों का महत्व भी घट और अनका प्रभाव सथानविशेष तक सीमित हो गया। उनकी संख्या भी निर्धारित हो गई और ड्यूक उपाधि वंश परंपरागत बन गई। श्रेणी:यूरोप का इतिहास.

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डैन्यूब नदी

डैन्यूब नदी के मार्ग का नक़्शा डैन्यूब नदी (अंग्रेज़ी: Danube, जर्मन: Donau) मध्य यूरोप में बहने वाली एक नदी है। यह जर्मनी के काले वन के पहाड़ों में स्थित दोनाउएशिंगन कस्बे के पास शुतु होती और और फिर दक्षिण-पूर्व को बहती है। अपनी २,८७२ किमी (१,७८५ मील) की लम्बाई में यह चार मध्य और पूर्वी यूरोपीय देशों की राजधानियों से गुज़रती है और फिर युक्रेन और रोमानिया में एक डेल्टा (नदीमुख) बनाकर कृष्ण सागर में मिल जाती है। डैन्यूब दस देशों से गुज़रती है या उनकी अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर स्थित है - जर्मनी, ऑस्ट्रिया, स्लोवेकिया, हंगरी, क्रोएशिया, सर्बिया, बुल्गारिया, मोल्दोवा, युक्रेन और रोमानिया। प्राचीन काल में कुछ अरसे के लिए यह रोमन साम्राज्य की सरहद होने के लिए भी प्रसिद्ध है। वोल्गा नदी के बाद डैन्यूब यूरोप की दूसरी सबसे लम्बी नदी है।, Jerome Delli Priscoli, Aaron T. Wolf, Cambridge University Press, 2009, ISBN 978-0-521-63216-4,...

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तबाशीर

तबाशीर बाँस से आता है सन् १९१५ में छपी एक पुस्तक में तबाशीर के कुछ टुकड़ों का चित्र तबाशीर या बंसलोचन बांस की कुछ नस्लों के जोड़ों से मिलने वाला एक पारभासी (ट्रांसलूसॅन्ट) सफ़ेद पदार्थ होता है। यह मुख्य रूप से सिलिका और पानी और कम मात्रा में खार (पोटैश) और चूने का बना होता है। भारतीय उपमहाद्वीप की आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सा प्रणालियों की दवा-सूचियों में इसका अहम स्थान है। पारम्परिक चीनी चिकित्सा के कई नुस्ख़ों में भी इसका प्रयोग होता है। .

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तानाशाही

वर्तमान समय में तानाशाही या अधिनायकवाद (डिक्टेटरशिप) उस शासन-प्रणाली को कहते हैं जिसमें कोई व्यक्ति (प्रायः सेनाधिकारी) विद्यमान नियमों की अनदेखी करते हुए डंडे के बल से शासन करता है। एकाधिनायकत्व, अधिनायकवाद या डिक्टेटरशिप उस एक व्यक्ति की सरकार है जिसने शासन उत्तराधिकार के फलस्वरूप नहीं वरन् बलपूर्वक प्राप्त किया हो तथा जिसे पूर्ण संप्रभुत्ता प्राप्त हो-अर्थात् संपूर्ण राजनीतिक शक्ति न केवल उसी के संकल्प से उद्भूत हो वरन् कार्यक्षेत्र और समय की दृष्टि से असीमित तथा किसी अन्य सत्ता के प्रति उत्तरदायी नहीं-और वह उसका प्रयोग बहुधा अनियंत्रित ढंग से विधान के बदले आज्ञप्तियों द्वारा करता हो। .

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तुर्की का इतिहास

तेरहवीं शताब्दी का एक मंगोल तीरबाज तुर्की के इतिहास को तुर्क जाति के इतिहास और उससे पूर्व के इतिहास के दो अध्यायों में देखा जा सकता है। सातवीं से बारहवीं सदी के बीच में मध्य एशिया से तुर्कों की कई शाखाएँ यहाँ आकर बसीं। इससे पहले यहाँ से पश्चिम में आर्य (यवन, हेलेनिक) और पूर्व में कॉकेशियाइ जातियों का बसाव रहा था। तुर्की में ईसा के लगभग ७५०० वर्ष पहले मानव बसाव के प्रमाण यहां मिले हैं। हिट्टी साम्राज्य की स्थापना १९००-१३०० ईसा पूर्व में हुई थी। १२५० ईस्वी पूर्व ट्रॉय की लड़ाई में यवनों (ग्रीक) ने ट्रॉय शहर को नेस्तनाबूत कर दिया और आसपास के इलाकों पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया। १२०० ईसापूर्व से तटीय क्षेत्रों में यवनों का आगमन आरंभ हो गया। छठी सदी ईसापूर्व में फ़ारस के शाह साईरस ने अनातोलिया पर अपना अधिकार जमा लिया। इसके करीब २०० वर्षों के पश्चात ३३४ इस्वीपूर्व में सिकन्दर ने फ़ारसियों को हराकर इसपर अपना अधिकार किया। बाद में सिकन्दर अफ़गानिस्तान होते हुए भारत तक पहुंच गया था। इसापूर्व १३० इस्वी में अनातोलिया रोमन साम्राज्य का अंग बना। ईसा के पचास वर्ष बाद संत पॉल ने ईसाई धर्म का प्रचार किया और सन ३१३ में रोमन साम्राज्य ने ईसाई धर्म को अपना लिया। इसके कुछ वर्षों के अन्दर ही कान्स्टेंटाईन साम्राज्य का अलगाव हुआ और कान्स्टेंटिनोपल इसकी राजधनी बनाई गई। छठी सदी में बिजेन्टाईन साम्राज्य अपने चरम पर था पर १०० वर्षों के भीतर मुस्लिम अरबों ने इसपर अपना अधिकार जमा लिया। बारहवी सदी में धर्मयुद्धों में फंसे रहने के बाद बिजेन्टाईन साम्राज्य का पतन आरंभ हो गया। सन १२८८ में ऑटोमन साम्राज्य का उदय हुआ और सन् १४५३ में कस्तुनतुनिया का पतन। इस घटना ने यूरोप में पुनर्जागरण लाने में अपना महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। .

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त्राजान

त्राजान त्राजान (लातिनी: Marcus Ulpius Nerva Trajanus Augustus, मार्कस उल्पियस नर्वा त्राजानस औगस्तस, जन्म: १८ सितम्बर ५३, मृत्यु: ९ अगस्त ११७) सन् ९८ ईसवी से लेकर ११७ ईसवी तक रोमन साम्राज्य का सम्राट था। सन् ८९ ई॰ में, जब वह स्पेन में रोमन सेना का सिपहसालार था, उसने उस समय के सम्राट (Domitian, दोमितीयन) के विरुद्ध उठे एक विद्रोह को कुचलने में सहायता की थी। दोमितीयन के बाद एक नर्वा (Nerva) नामक निःसंतान सांसद सम्राट बना लेकिन वह सेना को अप्रिय निकला। उसी के रक्षकों ने विद्रोह कर के उसे त्राजान को अपना गोद-लिया पुत्र बनाने पर मजबूर किया, क्योंकि त्राजान सेना को पसंद था। नर्वा का २७ जनवरी ९८ को देहांत हो गया और तब ताज त्राजान को गया। त्राजान ने अपने राजकाल में रोम में बहुत से निर्माण करवाए, जिनमें से कई अभी तक खड़े हैं, जैसे की त्राजान का स्तम्भ (इतालवी: Colonna Traiana), त्राजान का बाज़ार (Mercati di Traiano) और त्राजान का सभास्थल (Forum Traiani)। अपने राज के आरम्भ में ही उसने मध्य पूर्व के नबाती राज्य को परास्त करके उसका रोमन साम्राज्य में विलय कर लिया। उसने आधुनिक रोमानिया के भी कई क्षेत्रों पर क़ब्ज़ा किया, जो वहाँ सोने की कई खाने होने से रोम के लिए बहुत लाभदायक रहा। उसकी सेनाओं ने आर्मीनिया और मेसोपोटामिया के कई भागों को भी रोम के साम्राज्य में शामिल कर लिया। उसके अभियानों से रोमन साम्राज्य का क्षेत्रफल अपनी चरम सीमा पर पहुँच गया। सन् ११७ में रोम की तरफ़ लौटते हुए त्राजान की तबियत ख़राब हुई और एक दौरा पड़ने से उसकी मृत्यु हो गई। रोम की संसद ने उसके मरणोपरांत उसे एक देवता घोषित कर दिया और उसकी अस्तियों को त्राजान के स्तम्भ के नीचे दफ़ना दिया गया। उसके बाद राज की बागडोर उसके गोद-लिए पुत्र हेड्रियन (Hadrian) ने संभाली। समय के साथ त्राजान की ख्याति बनी रही। उसके बाद हर नया सम्राट चुनने पर रोम की संसद उसे "औगस्तस से अधिक भाग्य पाओ और त्राजान से अच्छे बनो" (felicior Augusto, melior Traiano) का आशीर्वाद देने लगी। .

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त्रिपोली (लेबनान)

त्रिपोली शहर के कुछ नज़ारे त्रिपोली या तराबुलुस (अरबी:, अंग्रेज़ी: Tripoli) उत्तरी लेबनान का सबसे बड़ा शहर और (बेयरूत के बाद) उस पूरे देश का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। बेयरूत से ८५ किमी उत्तर में स्थित यह शहर लेबनान के उत्तर प्रान्त की राजधानी भी है। यह नगर भूमध्य सागर के पूर्वी तट पर स्थित है और इसके नज़दीक समुद्र में चार द्वीपों का एक समूह भी है। त्रिपोली शहर अल-मीना की बंदरगाह से जुड़ा हुआ है।, Anthony Ham, pp.

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तोलेदो, स्पेन

टोलेडो की स्पेन में स्थिति। right टोलेडो स्पेन में एक नगर का नाम है जिसकी जनसंख्या ७५,००० के लगभग है। यह एक ऐतिहासिक नगर है और यहाँ कई स्मारक हैं। यह नगर रोमन काल से लेकर १८वीं शताब्दी तक एक प्रमुख नगर था। यह स्पेन के कैस्टिले-ला मांचा के स्वायत्तशासी समुदाय और टोलेडो प्रांत की राजधानी है। बहुत से प्रसिद्ध व्यक्ति या तो इस नगर में रहे हैं या जन्में हैं, जैसे गार्सिलास्को दी ला वेगा, एल्फोन्सो एक्स और एल ग्रेसो। यहाँ के लोग बहुत दयालु प्रवृत्ति के थे। .

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द लास्ट लीजन

द लास्ट लीजन डॉग लेफ़लर द्वारा निर्देशित २००७ की चलचित्र है। यह फिल्म 5वीं सदी में रोमन साम्राज्य के पतन और किंग आर्थर की दंतकथा पर आधारित है। इसमें मुख्य किरदार कॉलिन फर्थ, बेन किंग्सले और ऐश्वर्या राय ने निभाए हैं। श्रेणी:ब्रिटिश फ़िल्में श्रेणी:2007 की फ़िल्में.

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द कॉमेडी ऑफ एरर्स

प्रदर्शन का पोस्टर द कॉमेडी ऑफ एरर्स विलियम शेक्सपियर के शुरूआती नाटकों में से एक है, ऐसा माना जाता है कि इसे 1592 से 1594 के बीच लिखा गया था। यह उनके सबसे छोटे और सबसे हास्यास्पद हास्य-नाटकों में से एक है, अनेकार्थी शब्दों और शब्दों के खेल के अतिरिक्त इसके हास्य का एक प्रमुख हिस्सा तमाशे और गलत पहचान से निकलकर आता है। दी कॉमेडी ऑफ़ एरर्स (दी टेमपेस्ट सहित) शेक्सपियर के उन दो नाटकों में से एक है जिनमें पारंपरिक एकता का अवलोकन किया जा सकता है। इसे ओपेरा, मंच, स्क्रीन और संगीत थिएटर के लिए अनुकूलित किया गया है। द कॉमेडी ऑफ एरर्स एक रूप वाले जुड़वां भाईयों के दो जो़ड़ों की कहानी बयान करता है, जो दुर्भाग्यएवश अपने जन्म के समय अलग हो गए थे। सि‍रैक्यूज का एंटीफॉलस और उसका नौकर, सि‍रैक्यूज का ड्रोमि‍यो, एफिसस पहुंचते हैं जहां उनके जुड़वां भाई, एफिसस का एंटिफॉलस और उसका नौकर एफिसस का ड्रोमि‍यो भी रहते हैं। जब सि‍रैक्यूजन का अपने जुड़वा भाईयों के मि‍त्रों और परि‍वार से सामना हुआ, तो गलत पहचान के कारण अजीबो-गरीब घटनाओं के क्रम ने गलत व्यक्ति के साथ मार-पि‍टाई और यौन व्यवहार, एफिसस के एंटीफॉलस की गि‍रफ्तारी तथा बेवफाई का आरोप, चोरी, पागलपन तथा प्रेतावि‍ष्ट आधि‍पत्य‍ की अनेक हास्यास्पद घटनाओं को जन्म हुआ। .

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दंत-क्षरण

दंत क्षरण, जिसे दंत-अस्थिक्षय या छिद्र भी कहा जाता है, एक बीमारी है जिसमें जीवाण्विक प्रक्रियाएं दांत की सख्त संरचना (दन्तबल्क, दन्त-ऊतक और दंतमूल) को क्षतिग्रस्त कर देती हैं। ये ऊतक क्रमशः टूटने लगते हैं, जिससे दन्त-क्षय (छिद्र, दातों में छिद्र) उत्पन्न हो जाते हैं। दन्त-क्षय दो जीवाणुओं के कारण प्रारंभ होता है: स्ट्रेप्टोकॉकस म्युटान्स (Streptococcus mutans) और लैक्टोबैसिलस (Lactobacillus).

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दक्षिण प्रान्त (लेबनान)

दक्षिण प्रान्त (अरबी:, अंग्रेज़ी: South) लेबनान का एक प्रान्त है।, Paul Doyle, Bradt Travel Guides, 2012, ISBN 978-1-84162-370-2 .

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द्यौष्पिता

द्यौष्पिता या द्यौष्पितृ प्राचीन हिन्दू धर्म के एक देवता हैं जिनका उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है। उनके नाम का अर्थ 'आकाश (द्यौ) पिता' है और उनकी संगिनी 'पृथ्वी माता' बताई गई हैं। ऋग्वेद, अग्नि, इन्द्र और उषस इन्हीं की सन्तति है। वे आर्यों के सबसे प्राचीन देवताओं में से एक माने जाते हैं।, William Joseph Wilkins, pp.

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धर्मप्रचार (ईसाई)

बाइबिल में लिखा है कि ईसा ने अपने स्वर्गारोहण के पूर्व अपने शिष्यों को आदेश दिया था कि वे संसार भर में उनके धर्म का प्रचार करें। अत: प्रारंभ से ही धर्मप्रचार ईसाई धर्म की एक प्रधान विशेषता रही है। .

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नबाती

सीरिया के बुसरा अल शाम क़स्बे में आज तक खड़े नबाती स्तम्भ नबाती या नबाताई (अरबी:, अल-अनबात; अंग्रेजी: Nabatean, नैबटीयन) प्राचीन काल में दक्षिणी जोर्डन, सीरिया और लेबनान और अरबी प्रायद्वीप के उत्तरी भाग में बसने वाली एक जाति थी। उन्होंने इस क्षेत्र में व्यापार पर आधारित संस्कृति विकसित की, जिसके केंद्र रेगिस्तान में जगह-जगह पर स्थित नख़लिस्तान (ओएसिस) थे। रोमन साम्राज्य के सम्राट त्राजान (Trajan, ५३ ईसवी - ११७ ईसवी) ने नबाती इलाकों पर आक्रमण करके इन्हें पराजित कर दिया और इनका विलय अपने साम्राज्य में कर लिया। समय के साथ-साथ नबाती पहचान हमेशा के लिए लुप्त हो गई। उनके द्वारा लिखित शिलालेख और निर्मित इमारतों के खंडर कई जगह मिलते हैं, जिनमें सब से मशहूर जोर्डन में स्थित पेत्रा का ऐतिहासिक नगर है। .

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नापोलि

नेपोलि (ग्रीक: नेपोलिस, अंग्रेज़ी: नेपल्स) इटली का तीसरा सबसे बड़ा नगर है और दक्षिण-पश्चिमी तट पर बसा है। ऐतिहासिक रूप से यह एक यूनानी उपनिवेश हुआ करता था जो ईसापूर्व चौथी सदी में रोमन साम्राज्य का अंग बन गया। रोमनों के पतन के बाद जर्मन और जर्मानी और इसके बाद सोलहवीं सदी में स्पेन शासनाधीन रहा। श्रेणी:इटली के नगर श्रेणी:इटली में विश्व धरोहर स्थल.

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नागरिकता

नागरिकता (Citizenship) एक विशेष सामाजिक, राजनैतिक, राष्ट्रीय, या मानव संसाधन समुदाय का एक नागरिक होने की अवस्था है। सामाजिक अनुबंध के सिद्धांत के तहत नागरिकता की अवस्था में अधिकार और उत्तरदायित्व दोनों शामिल होते हैं। "सक्रिय नागरिकता" का दर्शन अर्थात् नागरिकों को सभी नागरिकों के जीवन में सुधार करने के लिए आर्थिक सहभागिता, सार्वजनिक, स्वयंसेवी कार्य और इसी प्रकार के प्रयासों के माध्यम से अपने समुदाय को बेहतर बनाने की दिशा में कार्य करना चाहिए.

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निजी अंतरराष्ट्रीय कानून

निजी अंतर्राष्ट्रीय कानून (Private international law) से तात्पर्य उन नियमों से है जो किसी राज्य द्वारा ऐसे वादों का निर्णय करने के लिए चुने जाते हैं जिनमें कोई विदेशी तत्व होता है। इन नियमों का प्रयोग इस प्रकार के वाद विषयों के निर्णय में होता है जिनका प्रभाव किसी ऐसे तथ्य, घटना अथवा संव्यवहार पर पड़ता है जो किसी अन्य देशीय विधि प्रणाली से इस प्रकार संबद्ध है कि उस प्रणाली का अवलंबन आवश्यक हो जाता है। 'निजी अंतर्राष्ट्रीय कानून' नाम से ऐसा बोध होता है कि यह विषय अंतर्राष्ट्रीय कानून की ही शाखा है। परंतु वस्तुतः ऐसा है नहीं। निजी अंतर्राष्ट्रीय कानून और सार्वजनिक अंतर्राष्ट्रीय कानून (Public international law) में किसी प्रकार की पारस्परिकता नहीं है। .

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निजीकरण

निजीकरण व्यवसाय, उद्यम, एजेंसी या सार्वजनिक सेवा के स्वामित्व के सार्वजनिक क्षेत्र (राज्य या सरकार) से निजी क्षेत्र (निजी लाभ के लिए संचालित व्यवसाय) या निजी गैर-लाभ संगठनों के पास स्थानांतरित होने की घटना या प्रक्रिया है। एक व्यापक अर्थ में, निजीकरण राजस्व संग्रहण तथा कानून प्रवर्तन जैसे सरकारी प्रकार्यों सहित, सरकारी प्रकार्यों के निजी क्षेत्र में स्थानांतरण को संदर्भित करता है। शब्द "निजीकरण" का दो असंबंधित लेनदेनों के वर्णन के लिए भी उपयोग किया गया है। पहला खरीद है, जैसे किसी सार्वजनिक निगम या स्वामित्व वाली कंपनी के स्टॉक के सभी शेयर बहुमत वाली कंपनी द्वारा खरीदा जाना, सार्वजनिक रूप से कारोबार वाले स्टॉक का निजीकरण है, जिसे प्रायः निजी इक्विटी भी कहते हैं। दूसरा है एक पारस्परिक संगठन या सहकारी संघ का पारस्परिक समझौता रद्द कर के एक संयुक्त स्टॉक कंपनी बनाना.

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न्यायशास्त्र

लॉ के फिलोज़ोफर्स पूछते है "कानून क्या है?"और "यह क्या हो सकता है?" न्यायशास्त्र कानून (विधि) का सिद्धांत और दर्शन है। न्यायशास्त्र के विद्वान अथवा कानूनी दार्शनिक, विधि (कानून) की प्रवृति, कानूनी तर्क, कानूनी प्रणालियां एवं कानूनी संस्थानों का गहन ज्ञान पाने की उम्मीद रखते हैं। आधुनिक न्यायशास्त्र की शुरुआत 18वीं सदी में हुई और प्राकृतिक कानून, नागरिक कानून तथा राष्ट्रों के कानून के सिद्धांतों पर सर्वप्रथम अधिक ध्यान केन्द्रित किया गया। साधारण अथवा सामान्य न्यायशास्त्र को प्रश्नों के प्रकार के द्वारा उन वर्गों में विभक्त किया जा सकता है अथवा इन प्रश्नों के सर्वोत्तम उत्तर कैसे दिए जायं इस बारे में न्यायशास्त्र के सिद्धांतों अथवा विचारधाराओं के स्कूलों दोनों ही तरीकों से पता लगाकर जिनकी चर्चा विद्वान करना चाहते हैं। कानून का समकालीन दर्शन, जो सामान्य न्यायशास्त्र से संबंधित हैं, समस्याओं की चर्चा मोटे तौर पर दो वर्गों में करता है:शाइनर, "कानून के दार्शनिक", कैंब्रिज डिक्शनरी ऑफ़ फिलोज़ोफी.

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पलमीरा

पलमीरा (पल्मायरी: तदमोर; تَدْمُر तदमुर) एक प्राचीन सामीती नगर है जो कि वर्तमान में होम्स प्रान्त, सीरिया में स्थित है। पुरातात्विक सर्वेक्षणों में यह नगर नवपाषाण काल का बताया गया है और नगर का पहला दस्तावेज द्वितीय सहस्राब्दी के पूर्वार्द्ध में मिलता है। रोमन साम्राज्य से पूर्व पलमीरा नगर बहुत से साम्राज्यों के उत्थान-पतन का साक्षी रहा है। .

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पश्चिमी रोमन साम्राज्य

इतिहास लेखन में, पश्चिमी रोमन साम्राज्य (Western Roman Empire) से आशय रोमन साम्राज्य के पश्चिमी प्रदेशो से है जिनका प्रशासक पूर्वी रोमन साम्राज्य से अलग था। श्रेणी:रोमन साम्राज्य.

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पश्चिमी संस्कृति

पश्चिमी संस्कृति (जिसे कभी-कभी पश्चिमी सभ्यता या यूरोपीय सभ्यता के समान माना जाता है), यूरोपीय मूल की संस्कृतियों को सन्दर्भित करती है। यूनानियों के साथ शुरू होने वाली पश्चिमी संस्कृति का विस्तार और सुदृढ़ीकरण रोमनों द्वारा हुआ, पंद्रहवी सदी के पुनर्जागरण एवं सुधार के माध्यम से इसका सुधार और इसका आधुनिकीकरण हुआ और सोलहवीं सदी से लेकर बीसवीं सदी तक जीवन और शिक्षा के यूरोपीय तरीकों का प्रसार करने वाले उत्तरोत्तर यूरोपीय साम्राज्यों द्वारा इसका वैश्वीकरण हुआ। दर्शन, मध्ययुगीन मतवाद एवं रहस्यवाद, ईसाई एवं धर्मनिरपेक्ष मानवतावाद की एक जटिल श्रृंखला के साथ यूरोपीय संस्कृति का विकास हुआ। ज्ञानोदय, प्रकृतिवाद, स्वच्छंदतावाद (रोमेन्टिसिज्म), विज्ञान, लोकतंत्र और समाजवाद के प्रयोगों के साथ परिवर्तन एवं निर्माण के एक लंबे युग के माध्यम से तर्कसंगत विचारधारा विकसित हुई.

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पहलवी साम्राज्य

पहलवी साम्राज्य (Parthian Empire 247 ईसा पूर्व – 224 ईस्वी), प्राचीन ईरान और ईराक का प्रमुख राजनैतिक और सांस्कृतिक केन्द्र था। इसका संस्थापक पार्थिया का अश्क प्रथम, जो कि पर्णि कबीले का प्रमुख भी था, ने तृतीय शताब्दी ईसा पूर्व में पार्थिया क्षेत्र को जीत कर की थी। मिहर्दत प्रथम (शासनकाल 171–138 ईसा पूर्व) ने सेल्युकसी साम्राज्य से मीदि व मेसोपोटामिया छीनकर और अधिक विस्तार किया। अपने उत्कर्ष काल में यह साम्राज्य फ़रात नदी तक फैल गया था, जो क्षेत्र वर्तमान में उत्तर-पूर्वी तुर्की से लेकर पूर्वी ईरान तक है। यह साम्राज्य रेशम मार्ग पर स्थित था, जो कि उस समय रोमन साम्राज्य व हान राजवंश के मध्य प्रमुख व्यापारिक मार्ग था। इस कारण से यह साम्राज्य व्यापारिक व वाणिज्यिक केन्द्र बन गया था। पहलवों ने कला, वास्तु-कला, धार्मिक मान्यताएँ और राजचिह्न वृहत स्तर पर अपने समकालीन सांस्कृतिक साम्राज्यों सी ली थी, जो कि पर्शियन व हेलिनिस्टिक कालखण्ड को परलक्षित करते हैं। इस साम्राज्य के प्रथम अर्ध कालखण्ड पर यूनानी संस्कृति की छाप दिखती हैं, जो कि धीरे-धीरे अंत तक ईरानी संस्कृति में परिवर्तित हो जाती है। पहलवी साम्राज्य के शासकों को "राजाधिराज" को उपाधि प्राप्त थी क्योंकि ये स्वयं को हख़ामनी साम्राज्य का वास्तविक उत्तराधिकारी मानते थे। प्रारम्भ में पहलवों के शत्रु पश्चिम में सेल्युकसी साम्राज्य व पूर्व में शक थे। जैसे-जैसे इनके साम्राज्य का पश्चिम की ओर विस्तार हुआ, उनका सीधा संघर्ष आर्मेनियाई साम्राज्य व रोम गणतन्त्र से होने लगा। रोमनों व पहलवों में आर्मेनिया के राजाओं को अपने कठपुतली के रूप में स्थापित करने की होड़ लगी रहती थी। पहलवों ने रोमन गवर्नर मार्कस लिसीनियस क्रास्सस को 53 ईसा पूर्व में कार्रहाए के युद्ध में निर्णायक रूप से हराकर 40–39 ईसा पूर्व तक टायर को छोड़कर पूरे लेवांट क्षेत्र पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया। तथापि मार्क एन्टोनी ने जवाबी आक्रमण करके एक सीमित सफलता प्राप्त की। इस तरह से कुछ शताब्दियों तक रोमन-पहलव युद्ध चलता रहा। इन युद्धों में कई बार रोमनों ने सेल्युसिया व तेसीफोन नगरों पर नियंत्रण तो किया परन्तु वे लम्बे समय तक इसे अपने हाथ में नहीं रख पाये। इसी बीच सिंहासन के लिये पहलवों के मध्य ही गृह युद्ध होने लग गये जो कि विदेशी आक्रमण से भी अधिक खतरनाक थे। पहलव साम्राज्य का पतन तब हुआ जब फ़ार्स के इश्तकिर के शासक अर्दशीर प्रथम ने पहलवों के विरुद्ध बगावत कर दी व अंतिम शासक अर्ताबनुस पंचम की हत्या करके सासानी साम्राज्य की स्थापना की, जो कि ईरान पर मुस्लिम आक्रमण के पहले सातवीं शताब्दी तक अस्तित्व में रहा। पहलवी व यूनानी में लिखे मूल पहलव स्रोत सासानी व हख़ामनी की तुलना में बहुत ही दुर्लभ है। फैले हुए कीलाकर फलकों, शिलालेखों, द्राच्मा सिक्कों तथा कुछ चर्मपत्रों के अतिरिक्त पहलवों का इतिहास बाहरी स्रोतों से ही प्राप्त हुए हैं। .

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पाउंड (मुद्रा)

 पाउंड कुछ देशों की मुद्रा की इकाई है। इस शब्द की उत्पत्ति हुई ग्रेट ब्रिटेन में एक पाउंड (वजन) चाँदी से । शब्द पाउंड  (pound) लैटिन शब्द पोंडो (pondo) का अंग्रेज़ी अनुवः है, जिसका मतलब है "तराजू पर तोला गया" और रोमन साम्राज्य के खाते की इकाई थी।.

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पिरिक जीत

प्राचीन यूनान के राजा पिरस रोमन साम्राज्य से दो बारी जीते तो, लेकिन यह जीतें उन्हें भारी पड़ीं किसी मुक़ाबले में पिरिक जीत (अंग्रेजी: Pyrrhic victory, पिरिक विक्ट्री) ऐसी जीत को कहा जाता है जिसको पाने के लिए विजेता को इतनी भारी हानि उठानी पड़े कि वास्तव में यह असली जीत ही न हो। यह आधुनिक भाषा में एक सूत्रवाक्य बन चुका है जिसका अर्थ है "ऐसी जीत जो ली तो जा सकती है, लेकिन अपने ही भले के लिए लेनी नहीं चाहिए।" .

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पिशाच

फिलिप बर्न-जोन्स द्वारा पिशाच, 1897 पिशाच कल्पित प्राणी है जो जीवित प्राणियों के जीवन-सार खाकर जीवित रहते हैं आमतौर पर उनका खून पीकर.

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पवित्र रोम साम्राज्य

पवित्र रोम साम्राज्य (Holy Roman Empire; लैटिन: Imperium Romanum Sacrum) केन्द्रीय यूरोप का एक बहुजातीय जटिल राजनैतिक संघ था जो ९६२ से १८०६ तक अस्तित्व में रहा। पवित्र रोम साम्राज्य न ही पवित्र था और ना ही रोमन। मध्ययुग में यह मध्य यूरोप का हिस्सा था और आरंभिक आधुनिक काल में यह पवित्र रोमन सम्राट के अंदर आ गया। पवित्र रोम साम्राज्य के पहले सम्राट का राज्याभिषेक 962 में हुआ। .

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पुराना यरुशलम शहर

पुराना शहर (העיר העתיקה, हा'लर हा'अतिकाह, البلدة القديمة, अल-बलद अल-कदीम) वर्तमान यरुशलम के अंतर्गत एक 0.9 वर्ग किलीमीटर दीवारों से घिरा क्षेत्र है। पुराना शहर कई महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों का घर है: टेम्पल माउंट और पश्चिमी दीवार यहूदियों के लिये, पवित्र कब्र वाला चर्च ईसाईयों के लिये तथा डोम ऑफ़ द रॉक और अल-अक्सा मस्जिद मुस्लिमों के लिये पवित्र धार्मिक स्थल है। युनेस्को ने इसे 1981 में इसे विश्व धरोहर घोषित किया। पारम्परिक रूप से पुराना शहर चार खण्डों में विभक्त है; ये हैं मुस्लिम खण्ड, ईसाई खण्ड, अर्मेनियाई खण्ड और यहूदी खण्ड। शहर की रक्षा प्राचीरें तथा द्वार उस्मान साम्राज्य के सुल्तान सुलेमान प्रथम द्वारा 1535–1542 ईस्वी के मध्य बनवायी गयी थी। 2007 के अनुसार पुराने शहर में 27,500 मुस्लिम, 5,681 ईसाई, 790 अर्मेनियाई तथा 3,089 यहूदी रहते हैं। अरब-इजराइल युद्ध (१९४८) के बाद जॉर्डन ने पुराने शहर पर कब्ज़ा कर लिया और यहूदियों को यहाँ से बाहर निकाल दिया। छः दिन के युद्ध के दौरान इजराइल ने पुराने शहर सहित पूरे पूर्व यरुशलम पर कब्ज़ा कर लिया और इसे पश्चिम यरुशलम के साथ मिला दिया। वर्तमान में यह पूरा क्षेत्र इसरायली सरकार के नियंत्रण में है, जो इसे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का अंग मानती है। हालांकि इसरायली सरकार के 1980 के यरुशलम एकीकरण को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अमान्य घोषित कर दिया है। पूर्व यरुशलम को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय अब फिलिस्तानी क्षेत्र का अंग मानता है। .

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प्राच्य चर्च

जो ईसाई समुदाय, पूजा तथा शासन के विषय में अंतिओक, येरुसलेम, सिकंदरिया और कुस्तुंतुनिया जैसे प्राचीन ईसाई केंद्रों की प्रणाली अपनाते हैं उन्हें प्राच्य चर्च (चर्च ऑफ द ईस्ट) कहा जाता है क्योंकि वे केंद्र रोम के पूरब में हैं। इन समुदायों के सदस्य आजकल पश्चिम यूरोप तथा अमरीका में भी पाए जाते हैं। अधिकांश तो वे रोम के चर्च से अलग हो गए हैं किंतु उनमें सब मिलाकर लगभग डेढ़ करोड़ रोमन काथलिक हैं, जो रोम का शासन स्वीकार करते हैं यद्यपि वे अन्य प्राच्य चर्च वालों की भाँति पूजा में अपनी ही प्राचीन पद्धति पर चलते हैं और अन्य रोमन काथलिक समुदायों की तरह लैटिन भाषा का प्रयोग नहीं करते। रोम से संयुक्त रहने वाले प्राच्य चर्चों को और उनके सदस्यों को यूनिएट (एकतावादी) कहते हैं। रोम से अलग रहने वाले प्राच्य चर्चों की सिंहावलोकन उनके अलग हो जाने के कालक्रमानुसार यहाँ प्रस्तुत है।.

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प्राचीन दमिश्क शहर

प्राचीन दमिश्क शहर, सीरिया का ऐतिहासिक शहर है जो वर्तमान में सीरिया की राजधानी आधुनिक दमिश्क से भिन्न है। पुराना शहर, जो दुनिया के सबसे पुराने लगातार बसे हुए शहरों में से एक है। दमिश्क में कई ऐतिहासिक चर्च और मस्जिद शामिल हैं। कई संस्कृतियों ने अपना प्रभाव छोड़ा है, विशेषकर हेलेनिस्टिक, रोमन, बाइजांटाइन और इस्लामी, रोमन युग की दीवारों से घिरे शहर को वर्ष 1979 ईस्वी में ऐतिहासिक रूप से यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था। जून 2013 में, यूनेस्को ने सीरियाई गृहयुद्ध की वजह से खतरे की चेतावनी देने के लिए खतरे में विश्व धरोहर स्थलों की सूची में दमिश्क शहर को शामिल किया था।.

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प्राचीन मिस्र

गीज़ा के पिरामिड, प्राचीन मिस्र की सभ्यता के सबसे ज़्यादा पहचाने जाने वाले प्रतीकों में से एक हैं। प्राचीन मिस्र का मानचित्र, प्रमुख शहरों और राजवंशीय अवधि के स्थलों को दर्शाता हुआ। (करीब 3150 ईसा पूर्व से 30 ई.पू.) प्राचीन मिस्र, नील नदी के निचले हिस्से के किनारे केन्द्रित पूर्व उत्तरी अफ्रीका की एक प्राचीन सभ्यता थी, जो अब आधुनिक देश मिस्र है। यह सभ्यता 3150 ई.पू.

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प्राचीन यूनान

एथेंस के ऐक्रोपोलिस स्थल में स्थित पारथ़ेनोन, जो अथ़ीना नामक देवी का मंदिर है प्राचीन यूनानी सभ्यता उस संस्कृति को कहते हैं जो यूनान और उसके नज़दीकी क्षेत्रों में लगभग आठवी शताब्दी ईसा-पूर्व से लगभग छठी शताब्दी इसाई तक (यानि क़रीब 1,300 वर्षों तक) विस्तृत थी। आधुनिक पश्चिमी संस्कृतियों की सब से गहरी जड़ इसी सभ्यता को माना जाता है, इसलिए पश्चिमी इतिहासकारों के लिए यूनानी सभ्यता हमेशा बहुत महत्वपूर्ण रही है। माना जाता है के इस सभ्यता के बाद आने वाले रोमन साम्राज्य पर प्राचीन यूनान का गहरा असर था और उस साम्राज्य और संस्कृति के कई पहलुओं में यूनानी संस्कृति की छाप देखी जा सकती है। .

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प्राचीन आनातोली लोग

पामफ़िलिया की राजधानी पेरगा के कुछ खँडहर प्राचीन आनातोलिया का नक़्शा (नोर्वीजियाई भाषा में) हत्ती क्षेत्र से मिले इस बैल-रुपी बर्तन से शराब या अन्य द्रव पिया जाता था प्राचीन आनातोली या प्राचीन आनातोलियाई (Ancient Anatolians) सुदूर पश्चिमी एशिया के आनातोलिया क्षेत्र (आधुनिक तुर्की) में बसने वाले लोग थे जो हिन्द-यूरोपीय भाषा परिवार की आनातोली भाषाएँ बोलते थे। आनातोली भाषा-परिवार पूरे हिन्द-यूरोपीय परिवार की एक शाखा था जो समय के साथ विलुप्त हो गया, हालांकि सम्भव है कि उसके कुछ चिह्न अर्मेनियाई भाषा जैसी स्थानीय भाषाओं में रह गए हों। .

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प्रांत

प्रान्त एक प्रादेशिक इकाई है, जो कि लगभग हमेशा ही एक देश या राज्य के अंतर्गत एक प्रशासकीय खंड होता है। .

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प्राइमस इंटर पारेस

प्राइमस इंटर पारेस (अंग्रेज़ी और लातिनी: primus inter pares) लातिनी भाषा का एक सूत्रवाक्य है, जिसका अर्थ है "बराबरों में प्रथम"। इसका प्रयोग ऐसी स्थिति के लिए किया जाता है जिसमें किसी समूह में सभी सदस्यों का औपचारिक दर्जा बारबार का होता है लेकिन उनमें से एक व्यक्ति वास्तव में उस समूह का नेता होता है। कभी-कभी भारत या ब्रिटेन जैसे संसदीय गणतंत्रों के सरकारी मंत्रिमंडल के बारे में कभी-कभी कहा जाता है कि सभी मंत्री एक जैसे हैं लेकिन उनमें से प्रधान मंत्री कहलाने वाला एक मंत्री इन बराबरों के समूह में प्रथम है। इस सूत्रवाक्य की उत्पत्ति प्राचीन रोमन साम्राज्य से हुई। वहाँ, रोमन सम्राट को औपचारिक रूप से अपने आप को एक गणतंत्र का ही नागरिक कहना पड़ता था जो लोकशक्ति के अधीन है, लेकिन वास्तव में वह तानाशाह होता था। .

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फ़िलिस्तीनी राज्यक्षेत्र

फ़िलिस्तीन का ध्वज फ़िलिस्तीन (अरबी: فلسطين‎) दुनिया का एक राज्यक्षेत्र है। यह इस क्षेत्र का नाम है जो लेबनान और मिस्र के बीच था के अधिकांश हिस्से पर इसराइल के राज्य की स्थापना की गई है। १९४८ से पहले सभी क्षेत्र फ़िलिस्तीन कहलाता था। जो खिलाफ़त उस्मानिया में स्थापित रहा लेकिन बाद में अंग्रेजों और फ़्रांसीसियों ने इस पर कब्जा कर लिया। १९४८ में यहाँ के अधिकांश क्षेत्र पर इस्राइली राज्य की स्थापना की गई। इसका राजधानी बैतुल मुक़द्दस था पर १९६७ में इसराइल ने कब्जा कर लिया। बैतुल मुक़द्दस को इस्राइली येरुशलम कहते हैं और यह शहर यहूदियों, ईसाइयों और मुसलमानों तीनों के पास पवित्र है। मुसलमानों का क़िबला प्रथम यही है। .

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फ़्रान्सीसी भाषा

फ़्रांसीसी भाषा (फ़्रांसीसी: français उच्चारण: फ़्रांसे) एक रोमांस भाषा है जो विश्वभर में लगभग ९ करोड़ लोगों द्वारा प्रथम भाषा के रूप में बोली जाती है। मूल रूप से इस भाषा को बोलने वाले अधिकांश लोग फ़्राँस में रहते हैं जहाँ इस भाषा का जन्म हुआ था। इस भाषा को बोलने वाले अन्य क्षेत्र ये हैं- अधिकांश कनाडा, बेल्जियम, स्विटज़रलैंड, अफ़्रीकी फ़्रेंकोफ़ोन, लक्ज़म्बर्ग और मोनाको। फ्रांसी भाषा १९ करोड़ लोगों द्वारा दूसरी भाषा के रूप में और अन्य २० करोड़ द्वारा अधिग्रहित भाषा के रूप में बोली जाती है। विश्व के ५४ देशों में इस भाषा को बोलने वालों की अच्छी भली संख्या है। फ़्रांसीसी रोमन साम्राज्य की लैटिन भाषा से निकली भाषा है, जैसे अन्य राष्ट्रीय भाषाएँ - पुर्तगाली, स्पैनिश, इटालियन, रोमानियन और अन्य अल्पसंख्यक भाषाएँ जैसे कैटेलान इत्यादि। इस भाषा के विकासक्रम में इसपर मूल रोमन गौल की कैल्टिक भाषाओं और बाद के रोमन फ़्रैकिश आक्रमणकारियों की जर्मनेक भाषा का प्रभाव पड़ा। यह २९ देशों में एक आधिकारिक भाषा है, जिनमें से अधिकांशतः ला फ़्रेंकोफ़ोनी नामक फ़्रांसीसी भाषी देशों के समुह से हैं। यह सयुंक्त राष्ट्र की सभी संस्थाओं की और अन्य बहुत से अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की भी आधिकारिक भाषा है। यूरोपीय संघ के अनुसार, उसके २७ सदस्य राष्ट्रों के १२.९ करोड़ (४९,७१,९८,७४० का २६%) लोग फ़्रांसीसी बोल सकते हैं, किसमें से ६.५ करोड़ (१२%) मूलभाष्ई हैं और ६.९ करोड़ (१४%) इसे दूसरी भाषा के रूप में बोल सकते हैं, जो इसे अंग्रेज़ी और जर्मन के बाद संघ की तीसरी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा बनाता है। इसके अतिरिक्त २० वीं शताब्दी के प्रारंभ में अंग्रेज़ी के अधिरोहण से पहले, फ़्रांसीसी यूरोपीय और औपनिवेशिक शक्तियों के मध्य कूटनीति और संवाद की प्रमुख भाषा थी और साथ ही साथ यूरोप के शिक्षित वर्ग की बोलचाल की भाषा भी थी। .

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फ़्रांस का इतिहास

९८५ से लेकर १९४७ तक की अवधि में फ्रांस की सीमाओं का विस्तार तथा संकुचन फ्रांस का प्राचीन नाम 'गॉल' था। यहाँ अनेक जंगली जनजातियों के लोग, मुख्य रूप से, केल्टिक लोग, निवास करते थे। सन्‌ 57-51 ई.पू.

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फ़्रैंक लोग

पश्चिमी यूरोप में रोमन साम्राज्य के अंत के बाद फ़्रैंकी तेज़ी से फैलने लगे क्लोविस प्रथम (466-511), एकत्रित फ्रैंकों का पहला राजा फ़्रैंकी राजा क्लोथार द्वितीय (584-628) द्वारा गढ़ा गया एक सिक्का फ़्रैंक लोग (लातिनी: Franci) पश्चिमी यूरोप में बसने वाली और एक पश्चिमी जर्मैनी भाषा बोलने वाली जाति थी। तीसरी सदी ईसवी में इनके क़बीले राइन नदी के उत्तरपूर्वी भाग में रहते थे। उस समय इस पूरे क्षेत्र पर रोमन साम्राज्य का क़ब्ज़ा था और इनकी आपस में झड़पें होती रहती थीं। एक सालिया नामक फ़्रैंकी उपशाखा की रोमनों के साथ मित्रता थी और उनका अपना राज्य था। जब रोमन साम्राज्य का सूर्यास्त हो गया तो, लगभग पाँचवी सदी ईसवी में, सालियाई फ़्रैंकों का एक मेरोविंजी नामक राजकुल तेज़ी से आधुनिक फ़्रांस के अधिकतर क्षेत्र पर हावी हो गया और उनका राज्य आरम्भ हुआ। समय के साथ-साथ फ़्रैंक शब्द का कोई विशेष जातीय अर्थ नहीं रह गया, लेकिन इन्ही फ़्रैंकों की वजह से ही "फ़्रांस" का नाम "फ़्रांस" पड़ा था। मध्य-पूर्व में रहने वाले लोगों (जैसे की अरबों) के लिए पश्चिमी यूरोप के सारे लोगों का नाम फ़्रैंक पड़ गया। धीरे-धीरे यही शब्द हिन्दी में भी प्रवेश कर गया, जिस वजह से भारतीय उपमहाद्वीप में यूरोप (विशेषकर पश्चिमी यूरोप) के लोगों को "फ़िरंकी" या "फ़िरंगी" बुलाया जाने लगा। अरबी भाषा में आज भी यूरोप को "फ़िरंजा" बुलाते हैं। .

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फ़ोनीशिया

फ़ोनीशिया का प्रभाव पूरे भूमध्य सागर क्षेत्र में समुद्री व्यापार के ज़रिये फैल गया फ़ोनीशिया मध्य-पूर्व के उर्वर अर्धचंद्र के पश्चिमी भाग में भूमध्य सागर के तट के साथ-साथ स्थित एक प्राचीन सभ्यता थी। समुद्री व्यापार के ज़रिये यह 1550 से 300 ईसा-पूर्व के काल में भूमध्य सागर के दूर​-दराज़ इलाक़ों में फैल ग​ई। उन्हें प्राचीन यूनानी और रोमन लोग "जमुनी-रंग के व्यापारी" कहा करते थे क्योंकि रंगरेज़ी में इस्तेमाल होने वाले म्यूरक्स घोंघे से बनाए जाने वाले जामुनी रंग केवल इन्ही से मिला करता था। इन्होने जिस अक्षरमाला का इजाद किया उसपर विश्व की सारी प्रमुख अक्षरमालाएँ आधारित हैं। कई भाषावैज्ञानिकों का मानना है कि देवनागरी-सहित भारत की सभी वर्णमालाएँ इसी फ़ोनीशियाई वर्णमाला की संताने हैं। .

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फ़ीनिक्स (मिथक)

फ़ीनिक्स पक्षी का एक चित्रण फ़ीनिक्स या अमरपक्षी या मायापंछी (अंग्रेज़ी: Phoenix, यूनानी: Φοίνιξ, अर्मेनियाई: Փիւնիկ, फ़ारसी: ققنوس, अरबी: العنقاء أو طائر الفينيق, चीनी: 鳳凰 or 不死鳥, हिब्रू: פניקס) एक प्राचीन मृथक ज्वलन्त-पक्षी है जो अरब, ईरानी, यूनानी, रोमन, मिस्र, चीनी और भारतीय मृथकों व दंतकथाओं में पाया जाता है। फ़ीनिक्स एक बेहद रंगीन पक्षी है जिसकी दुम सुनहरी या बैंगनी होती है (कुछ कथाओं के अनुसार हरी या नीली).

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फिराज की लड़ाई

श्रेणी:रोमन साम्राज्य.

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फ्रांस का सैन्य इतिहास

फ्रांस के सैन्य इतिहास में आधुनिक फ्रांस, यूरोपीय महाद्वीप और दुनिया भर के विभिन्न क्षेत्रों में 2,000 से अधिक वर्षों तक चले संघर्षों का एक विशाल काल शामिल है। आज आधुनिक फ्रांस के क्षेत्र में सबसे पहला बड़ा युद्ध गैलो-रोमन संघर्ष था, जो कि 60 ईसा पूर्व से 50 ईसा पूर्व तक लड़ा गया। अंततः रोमन,जूलियस सीज़र के अभियानों के माध्यम से विजयी हुए। रोमन साम्राज्य के पतन के बाद, एक जर्मनिक जनजाति,जिसे फ्रैंक्स के नाम से जाना जाता था, ने प्रतिस्पर्धा वाले जनजातियों को हराकर गॉल पर नियंत्रण कर लिया। "फ्रांसीया की भूमि", जिस से फ्रांस को अपना नाम मिला है, को राजा 'क्लोविस मैं' और 'शारलेमेन' ने विस्तरित किया। इन्होंने भविष्य के फ्रांसीसी राज्य के केंद्र का निर्माण किया था। मध्य युग में, इंग्लैंड के साथ प्रतिद्वंद्विता ने 'नोर्मन विजय' और;सौ साल के युद्ध' जैसे प्रमुख संघर्षों को प्रेरित किया। केंद्रीकृत राजतंत्र के साथ, रोमन काल के बाद पहली बड़ी पैदल सेना और तोपखाने का इस्तेमाल कर, फ्रांस ने अपने क्षेत्र से अंग्रेजो को निष्कासित कर दिया और मध्य युग में यूरोप के सबसे शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में जाना गया। ये स्थिति रोमन साम्राज्य और 'स्पेन इतालवी युद्धों' में हार के बाद बदली। 16 वीं शताब्दी के अंत में धर्मयुद्धों ने फ्रांस को कमजोर किया, लेकिन 'तीस साल के युद्ध' में स्पेन पर एक बड़ी जीत ने फ्रांस को एक बार फिर महाद्वीप पर सबसे शक्तिशाली राष्ट्र बनाया। समानांतर में, फ्रांस ने अपना पहला औपनिवेशिक साम्राज्य एशिया, अफ्रीका और अमेरिका में विकसित किया। फ्रांस ने,लुई XIV के तहत अपने प्रतिद्वंद्वियों पर सैन्य वर्चस्व हासिल किया, लेकिन तेजी से शक्तिशाली होते दुश्मन गठबंधनों और बढ़ते संघर्ष ने फ़्रांसिसी महत्वाकांक्षाओं को रोका और 18 वीं शताब्दी के प्रारम्भ में राज्य को दिवालिया कर दिया। फ्रांसीसी सेनाओं ने स्पेनिश, पोलिश और ऑस्ट्रियाई राजशाही के खिलाफ वंशवादी संघर्षों में जीत हासिल की। इसी समय, फ़्रांस अपनी उपनिवेशों पर हो रहे दुश्मनो के हमलों को रोक रहा था। 18 वीं शताब्दी में, ग्रेट ब्रिटेन के साथ वैश्विक प्रतिस्पर्धा ने सात साल के युद्ध की शुरुआत की, जहां फ्रांस ने अपने उत्तरी अमेरिकी हिस्सेदारी खो दी। यूरोप और अमेरिकी क्रांतिकारी युद्ध में प्रभुत्व के रूप में फ्रांस को सफलता मिली, जहां धन और हथियारों के रूप में व्यापक फ्रेंच सहायता और अपनी सेना और नौसेना की प्रत्यक्ष भागीदारी ने अमेरिका की आजादी का नेतृत्व किया। अंततः आंतरिक राजनीतिक उथल-पुथल और फ्रांसीसी क्रांतिकारी युद्धों और नेपोलियन युद्धों में निरंतर संघर्ष के 23 साल गुजर गए। फ्रांस इस अवधि के दौरान अपनी शक्ति के चरम पर पहुंच गया, नेपोलियन बोनापार्ट के शासन काल में, एक अभूतपूर्व शक्ति के रूप में यूरोपीय महाद्वीप पर हावी रहा। हालांकि, 1815 तक, इसे उसी सीमा तक सीमित कर दिया गया था जो क्रांति से पहले नियंत्रित था। शेष 1 9वीं शताब्दी में दूसरी फ्रांसीसी औपनिवेशिक साम्राज्य के विकास के साथ ही बेल्जियम, स्पेन और मेक्सिको में फ्रांसीसी हस्तक्षेप हुआ। अन्य प्रमुख युद्ध,रूस के खिलाफ क्रिमिया में,इटली के खिलाफ ऑस्ट्रिया में और फ्रांस के भीतर प्रशिया के खिलाफ लड़े गए। फ्रेंको-प्रुसीयन युद्ध में हार के बाद, प्रथम विश्व युद्ध में फिर से फ्रेंको-जर्मन प्रतिद्वंद्विता उभर आयी। फ्रांस और उसके सहयोगी इस बार विजयी रहे थे। संघर्ष के मद्देनजर सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक उथल-पुथल द्वितीय विश्व युद्ध के रूप में परिणीत हुआ, जिसमें फ्रांस ने लड़ाई में एक्सिस राष्ट्रों को हराया गया और फ्रांसीसी सरकार ने जर्मनी के साथ एक युद्धविराम पर हस्ताक्षर किए। निर्वासन में एक मुक्त फ्रांसीसी सैनिक सरकार की अगुआई वाली मित्र राष्ट्रों की सेना ने अंततः एक्सिस पॉवर्स के ऊपर विजयी प्राप्त की। नतीजतन, फ्रांस ने जर्मनी में एक व्यवसाय क्षेत्र और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक स्थायी सीट हासिल की। पहले दो विश्व युद्धों के पैमाने पर तीसरे फ्रेंको-जर्मन संघर्ष से बचने की अनिवार्यता ने 1950 के दशक में शुरू होने वाले यूरोपीय एकीकरण के लिए मार्ग प्रशस्त किया। फ्रांस एक परमाणु शक्ति बन गया और 20 वीं शताब्दी के अंत तक, नाटो और उसके यूरोपीय सहयोगियों के साथ मिलकर सहयोग किया गया है। जुलाई में 1453 में फ्रांसीसी सेना ने अपने ब्रितानी विरोधियों को कैस्टिलो की लड़ाई में पराजित किया .

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फ्रांसिस प्रथम (फ्रांस का राजा)

फ्रांसिस प्रथम (१४९४-१५४७) फ्रांस का राजा जो वैलोई के चार्ल्स का पुत्र था। सन् १४९८ में लूई बारहवें के सिंहासनारूढ़ होने पर फ्रांसिस राज्य का संभावित उत्तराधिकारी मान लिया गया। सन् १५१९ में वह रोमन साम्राज्य के सिंहासन के लिए उम्मीदवार बना। इस पद पर चार्ल्स पंचम के चुन लिए जाने पर दोनों नरेशों में जो प्रतिद्वंद्विता प्रारंभ हुई, उसके परिणामस्वरूप १५२१-२९, १५३६-३८ और १५४२-४४ के युद्ध हुए। १५२५ के इटैलियन अभियान में बहादुरी से लड़ने के बाद पेविया नामक स्थान में उसे गहरी शिकस्त उठानी पड़ी। वह बंदी बना लिया गया और अपमानजनक संधि पर हस्ताक्षर होने के बाद ही उसे छुटकारा मिला। वह बड़ी ही ढुलमुल नीति और अस्थिर विचारों का व्यक्ति था। उसके शासन काल में राज्य के अधिकारों और शक्ति में वृद्धि हुई। स्टेट्स जनरल (जनता, अमीरों तथा चर्च के प्रतिनिधियों की सभा) की बैठक बुलाई नहीं जाती थी और 'पार्लमेंट' के विरोध की परवाह नहीं की जाती थी। उसके खर्चीलेपन पर कोई नियंत्रण न था और अपनी प्रेमिकाओं तथा कृपापात्रों को उपहार तथा पेंशन आदि देकर वह मनमाना द्रव्य उड़ाया करता था जिससे प्रजा पर शासन का भार बढ़ता जाता था। वह साहित्यप्रेमी अवश्य था और विद्वानों का आदर करता था जिनमें उसके प्रशंसकों की कमी न थी। श्रेणी:फ्रांस के राजा.

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फैरो की सूची

इस लेख में प्राचीन मिस्र के सभी फैरोगण की सूची है। यह मिस्र का आरंभिक राजवंश काल जो लगभग ३००० ई.पू. था, से लेकर प्टॉल्मिक राजवंश तक, जब कि मिस्र ३० ई.पू. में अगस्तर सीज़र के अधीन प्राचीन रोम का एक प्रांत बना, तब तक की है। .

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बाइज़ेंटाइन साम्राज्य

समय के साथ बाईज़न्टाइन साम्राज्य के क्षेत्र में परिवर्तन बाईज़न्टाइन साम्राज्य (या 'पूर्वी रोमन साम्राज्य') मध्य युग के दौरान रोमन साम्राज्य को दिया गया नाम था। इसकी राजधानी क़ुस्तुंतुनिया (कॉन्स्टैन्टिनोप्ल) थी, जोकि वर्तमान में तुर्की में स्थित है, और अब इसे इस्तांबुल के नाम से जाना जाता है। पश्चिमी रोमन साम्राज्य के विपरीत, इसके लोग यूनानी बोलते थे, नाकि लैटिन और यूनानी संस्कृति और पहचान का प्रभुत्व था। यह साम्राज्य लगभग ३२४ ई से १४५३ ई तक (एक हजार वर्षों से अधिक) अस्तित्व में रहा। 'बाइजेंटाइन साम्राज्य' या 'बाइजेंटियम' का इस्तेमाल १९वीं सदी से मध्यकाल के ग्रीक भाषा बोलने वाले रोमन साम्राज्य के लिए किया जाता था जो की वहां की राजधानी क़ुस्तुंतुनिया के आसपास बसा था। इस साम्राज्य को पूर्वी रोमन साम्राज्य के नाम से भी जाना जाता था। इस राज्य के रहने वालों के लिए ये सिर्फ रोमन साम्राज्य के नाम से जान जाता था और यहाँ से शासकों ने रोमन शाशकों पर बहुत कब्ज़े किये। इस्लाम की दुनिया में ये 'रोमानिया' के नाम से जाना जाता था। राज्य की शुरुआत के बारे में कुछ भी निश्चित जानकारी नहीं है। बहुत लोग सम्राट कोन्स्तान्तिन प्रथम (306–337 ई.) को पहला बीजान्टिन शासक मानते हैं। जिन्होंने 330 ई. में अपनी राजधानी रोम से स्थानांतरित कर बिजिन्तिऊम नामक एक क़स्बे में कर दिया और इन्होंने इसका पुनर्निर्माण कराया और इसे कोंस्तान्तिनोपाल या फिर 'नया रोम' नाम दिया। कुछ लोग इस साम्राज्य की शुरुआत को थेओदोस्सिस (379–395) के राज्य की शुरुआत के वक्त को मानते हैं। साम्राज्य के गिरने की शुरुआत तब मानी जाती है जब ओट्टोमन तुर्कों ने कोंस्तान्तिनोपाल पर 1453 में कब्ज़ा कर लिया, पर ग्रीकों का राज साम्राज्य के दुसरे हिस्सों में कुछ और सालों तक चलता रहा जब तक मिस्त्रास 1460 में और ट्रेबिजोंद 1461 में गिर गए। .

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बिलेसिक प्रांत

बिलेसिक (तुर्कः Bilecik) तुर्की के मध्यपूर्व में स्थित एक प्रांत है, जिसके पूर्व में बुर्सा, उत्तर में कोसेइलि और साकार्या, पश्चिम में बोलू, दक्षिणपूर्व में एस्किसेहिर और दक्षिण में कुताह्या है। इसका कुल क्षेत्रफल ४,३०७ किमी२ और जनसंख्या १,९८,८०९ है। प्रांत का अधिकतर भाग मरमारा क्षेत्र में है लेकिन गोल्पाज़ारि और सोगुत जिलो के कुछ पूर्वी भाग और इन्हिसार और येनिपज़र जिले काले सागर क्षेत्र में पड़ते हैं, दक्षिणपूर्व के छोटे भाग, बोज़ुयुक और सोगुत मध्य एनाटोलियाई क्षेत्र में हैं और बोज़ुयुक का दक्षिणपश्चिमी भाग एजियन क्षेत्र में पड़ता है। .

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बुतरिन्त झील

बुतरिन्त झील (अल्बानियाई: Liqeni i Butrintit, अंग्रेज़ी: Lake Butrint), जो पहले विवारी झील (Lake Vivari) और वातज़िन्द्रो झील (Lake Vatzindro) के नाम से जानी जाती थी, दक्षिण-पूर्वी यूरोप के बाल्कन क्षेत्र में अल्बानिया देश के दक्षिणी भाग में आयोनियन सागर के पास स्थित एक अनूप झील (लगून) है। प्राचीन यूनानी सभ्यता की बुथरोतुम (Buthrotum) नामक बस्ती इसी के किनारे बसी हुई थी और आधुनिक अल्बानिया में बुतरिन्त के नाम से जानी जाती है। यहाँ कई यूनानी और रोमन काल के खंडहर और अन्य अवशेष मिलते हैं। .

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बुसरा अल शाम

वुसरा अल शामः अंग्रेजी Bosra Al-Sham, अरबी‎ﺑﺼﺮﻯ ﺍﻟﺸﺎﻡ‎‎‏ ‏यह सीरिया का एक प्राचीन नगर है सीरिया के दक्षिणी भाग में वसे इस नगर की जनसंख्या सीरिया की वर्ष 2004 की जनगणना के अनुसार कूल जनसंख्या 19,683 है.

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ब्लॅस्टियम

ब्लॅस्टियम (Blestium) एक छोटा किला व लौह धातुकर्म का केंद्र था जो रोमन प्रांत ब्रिटानिया सुपीरियर में स्थित था। ब्रिटानिया सुपीरियर रोमन ब्रिटेन का हिस्सा था। निवर्तमान समय में इसकी स्थिति दक्षिण-पूर्वी वेल्स के एक परंपरागत काउंटी नगर मॉनमाउथ में है। एक स्थानीय बैंक में लगी पट्टिका किले के यहाँ होने की जानकारी व उसकी स्थिति का विवरण देती है। .

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बृहस्पति (ग्रह)

बृहस्पति सूर्य से पांचवाँ और हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है। यह एक गैस दानव है जिसका द्रव्यमान सूर्य के हजारवें भाग के बराबर तथा सौरमंडल में मौजूद अन्य सात ग्रहों के कुल द्रव्यमान का ढाई गुना है। बृहस्पति को शनि, अरुण और वरुण के साथ एक गैसीय ग्रह के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इन चारों ग्रहों को बाहरी ग्रहों के रूप में जाना जाता है। यह ग्रह प्राचीन काल से ही खगोलविदों द्वारा जाना जाता रहा है तथा यह अनेकों संस्कृतियों की पौराणिक कथाओं और धार्मिक विश्वासों के साथ जुड़ा हुआ था। रोमन सभ्यता ने अपने देवता जुपिटर के नाम पर इसका नाम रखा था। इसे जब पृथ्वी से देखा गया, बृहस्पति -2.94 के सापेक्ष कांतिमान तक पहुंच सकता है, छाया डालने लायक पर्याप्त उज्जवल, जो इसे चन्द्रमा और शुक्र के बाद आसमान की औसत तृतीय सर्वाधिक चमकीली वस्तु बनाता है। (मंगल ग्रह अपनी कक्षा के कुछ बिंदुओं पर बृहस्पति की चमक से मेल खाता है)। बृहस्पति एक चौथाई हीलियम द्रव्यमान के साथ मुख्य रूप से हाइड्रोजन से बना हुआ है और इसका भारी तत्वों से युक्त एक चट्टानी कोर हो सकता है।अपने तेज घूर्णन के कारण बृहस्पति का आकार एक चपटा उपगोल (भूमध्य रेखा के पास चारों ओर एक मामूली लेकिन ध्यान देने योग्य उभार लिए हुए) है। इसके बाहरी वातावरण में विभिन्न अक्षांशों पर कई पृथक दृश्य पट्टियां नजर आती है जो अपनी सीमाओं के साथ भिन्न भिन्न वातावरण के परिणामस्वरूप बनती है। बृहस्पति के विश्मयकारी 'महान लाल धब्बा' (Great Red Spot), जो कि एक विशाल तूफ़ान है, के अस्तित्व को १७ वीं सदी के बाद तब से ही जान लिया गया था जब इसे पहली बार दूरबीन से देखा गया था। यह ग्रह एक शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र और एक धुंधले ग्रहीय वलय प्रणाली से घिरा हुआ है। बृहस्पति के कम से कम ६४ चन्द्रमा है। इनमें वो चार सबसे बड़े चन्द्रमा भी शामिल है जिसे गेलीलियन चन्द्रमा कहा जाता है जिसे सन् १६१० में पहली बार गैलीलियो गैलिली द्वारा खोजा गया था। गैनिमीड सबसे बड़ा चन्द्रमा है जिसका व्यास बुध ग्रह से भी ज्यादा है। यहाँ चन्द्रमा का तात्पर्य उपग्रह से है। बृहस्पति का अनेक अवसरों पर रोबोटिक अंतरिक्ष यान द्वारा, विशेष रूप से पहले पायोनियर और वॉयजर मिशन के दौरान और बाद में गैलिलियो यान के द्वारा, अन्वेषण किया जाता रहा है। फरवरी २००७ में न्यू होराएज़न्ज़ प्लूटो सहित बृहस्पति की यात्रा करने वाला अंतिम अंतरिक्ष यान था। इस यान की गति बृहस्पति के गुरुत्वाकर्षण का इस्तेमाल कर बढाई गई थी। इस बाहरी ग्रहीय प्रणाली के भविष्य के अन्वेषण के लिए संभवतः अगला लक्ष्य यूरोपा चंद्रमा पर बर्फ से ढके हुए तरल सागर शामिल हैं। .

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बेन-हर (1959 की फ़िल्म)

बेन-हर (या बेनहर) विलियम वायलर द्वारा निर्देशित एक महाकाव्यात्मक फिल्म है और 1980 में लिखे ल्यू वैलेस के उपन्यास का तीसरा फिल्मी रूपांतरण है।Ben-Hur: A Tale of the Christ इसका प्रीमियर 18 नवम्बर 1959 को न्यूयॉर्क के लो के स्टेट थिएटर में किया गया। फिल्म ने सर्वश्रेष्ठ फिल्म के साथ ही 11 अकादमी अवार्ड जीत कर एक प्रतिमान कायम किया, एक उपलब्धि जिसकी बराबरी केवल टाइटेनिक के द्वारा की गयी थी।The Lord of the Rings: The Return of the King 44 साल तक यह अंतिम फिल्म बनी रही जिसने सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता दोनों के लिए ऑस्कर जीता, जिसके बाद मिस्टिक रिवर को वही पुरस्कार मिला। .

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बेक़आ वादी

बेक़आ वादी में क़राऊन​ झील ज़हले शहर, जो बेक़आ प्रान्त की राजधानी और बेक़आ वादी का सबसे बड़ा नगर है रोमन काल में बना बालबेक में बाकस का मंदिर बेक़आ वादी (अरबी:, वादी अल-बिक़आ; अंग्रेज़ी: Beqaa Valley) पूर्वी लेबनान में स्थित एक उपजाऊ घाटी है। रोमन काल में यह एक महत्वपूर्ण कृषि क्षेत्र था और आधुनिक लेबनान का भी सबसे अहम कृषि इलाक़ा है।, Laura S. Etheredge, pp.

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भारत और रोम के व्यापारिक सम्बन्ध

प्रथम सदी ई में पेरिप्लस (Periplus) का मार्ग प्रथम सदी ई में एशिया के व्यापारिक मार्ग भारतीय उपमहाद्वीप और रोम के व्यापारिक सम्बन्ध बहुत प्राचीन हैं। .

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भारत का विदेश व्यापार

भारत के विदेश व्यापार के अन्तर्गत भारत से होने वाले सभी निर्यात एवं विदेशों से भारत में आयातित सभी सामानों से है। विदेश व्यापार, भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की देखरेख में होता है। .

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भारतीय वस्त्र

भारत में जातीयता, भूगोल, जलवायु और क्षेत्र की सांस्कृतिक परंपराओं के आधार पर भिन्न-भिन्न प्रकार के वस्त्र धारण किये जाते हैं। ऐतिहासिक दृष्टि से, पुरुष और महिला कपड़े सरल लंगोट से विकसित किया गया है, और लॉइन्क्लॉथ विस्तृत परिधान के लिए शरीर को कवर करने के लिए न केवल लेकिन यह भी उत्सव के मौकों के साथ ही अनुष्ठान और नृत्य प्रदर्शन पर दैनिक पहनने में इस्तेमाल किया। शहरी क्षेत्रों में, पश्चिमी कपड़े आम और समान रूप से सभी सामाजिक स्तर के लोगों द्वारा पहना जाता है। भारत के एक महान विविधता वीव, फाइबर, रंग और कपड़े की सामग्री के संदर्भ में भी है। रंग कोड के धर्म और रस्म संबंध पर आधारित कपड़ों में पीछा कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, हिंदू देवियों शोक, पारसी और ईसाई शादियों के लिए सफेद पहनते हैं, जबकि इंगित करने के लिए सफेद कपड़े पहनते हैं। भारत में कपड़े भी भारतीय कढ़ाई की विस्तृत विविधता शामिल हैं। .

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भितरी

भितरी ग्राम में स्थित सम्राट स्कंदगुप्त का ऐतिहासिक स्तंभलेख भीतरी एक ग्राम है जो उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में सैदपुर से उत्तर-पूर्व की ओर लगभग ८ किमी की दूरी पर स्थित है। ग्राम से बाहर चुनार के लाल पत्थर से निर्मित एक स्तंभ खड़ा है जिसपर गुप्त शासकों की यशस्वी परंपरा के गुप्त सम्राट स्कंदगुप्त का अभिलेख उत्कीर्ण है। यद्यपि लेख समय की मार से घिस गया है, पत्थर यत्र तत्र टूट गया है तथा बाईं ओर ऊपर से नीचे तक एक दरार सी है तथापि संपूर्ण लेख मूल स्तंभ पर पूर्णतया स्पष्ट है तथा उसका ऐतिहासिक स्वरूप सुरक्षित सा है। लेख की भाषा संस्कृत है। छठीं पंक्ति के मध्य तक गद्य में है, शेष पद्य में। लेख पर कोई तिथि अकित नहीं है। इसका उद्देश्य शार्ग्ङिन विष्णु की प्रतिमा की स्थापना का अभिलेखन तथा उस ग्राम को, जिसमें स्तंभ खड़ा है, विष्णु को समर्पित करना है। लेख में इस ग्राम के नाम का उल्लेख नहीं है। भीतरी का स्तंभलेख ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। उसमें गुप्त सम्राज्य पर पुष्पमित्रों तथा हूणों के बर्बर आक्रमण का संकेत है। लेख के अनुसार पुष्पमित्रों ने अपना कोष औरश् अपनी सेना बहुत बढ़ा ली थी और सम्राट कुमारगुप्त की मरणासन्नावस्था में उन्होंने गुप्त साम्राज्य पर आक्रमण किया। युवराज स्कंदगुप्त ने सेना का सफल नेतृत्व किया। उसने युद्धक्षेत्र में पृथ्वीतल पर शयन किया। पुष्पमित्रों को परास्त कर पिता कुमारगुप्त की मृत्यु के अनंतर स्कंदगुप्त ने अपनी विजय का संदेश साश्रुनेता माता को उसी प्रकार सुनाया जिस प्रकार कृष्ण ने शत्रुओं के मारकर देवकी को सुनाया था। हूणों की जिस बर्बरता ने रोमन साम्राज्य को चूर चूर कर दिया था वह एक बार यशस्वी स्कंदगुप्त की चोट से थम गई। स्कंदगुप्त की भुजाओं के हूणों के साथ समर में टकरा जाने से भयंकर आवर्त बन गया, धरा काँप गई। स्कंदगुप्त ने उन्हें पराजित किया। परंतु अनवरत हूण आक्रमणों से गुप्त साम्राज्य के जोड़ जोड़ हिल उठे और अंत में साम्राज्य की विशाल अट्टालिका अपनी ही विशालता के खंडहरों में खो गई। .

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भीतरी (गाँव)

भीतरी ग्राम का एक चित्र्। भीतरी, उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में सैदपुर से उत्तर-पूर्व की ओर लगभग पाँच मील की दूरी पर स्थित ग्राम है। ग्राम से बाहर चुनार के लाल पत्थर से निर्मित एक स्तंभ खड़ा है जिसपर गुप्त शासकों की यशस्वी परंपरा के गुप्त सम्राट स्कंदगुप्त का अभिलेख उत्कीर्ण है। यद्यपि लेख ऋतुघृष्ट है, पत्थर यत्र तत्र टूट गया है तथा बाईं ओर ऊपर से नीचे तक एक दरार सी है तथापि संपूर्ण लेख मूल स्तंभ पर पूर्णतया स्पष्ट है तथा उसका ऐतिहासिक स्वरूप सुरक्षित सा है। लेख की भाषा संस्कृत है। छठीं पंक्ति के मध्य तक गद्य में है, शेष पद्य में। लेख पर कोई तिथि अकित नहीं है। इसका उद्देश्य शार्ग्ङिन विष्णु की प्रतिमा की स्थापना का अभिलेखन तथा उस ग्राम को, जिसमें स्तंभ खड़ा है, विष्णु को समर्पित करना है। लेख में इस ग्राम के नाम का उल्लेख नहीं है। भीतरी का स्तंभलेख ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। उसमें गुप्त सम्राज्य पर पुष्पमित्रों तथा हूणों के बर्बर आक्रमण का संकेत है। लेख के अनुसार पुष्पमित्रों ने अपना कोष और अपनी सेना बहुत बढ़ा ली थी और सम्राट कुमारगुप्त की मरणासन्नावस्था में उन्होंने गुप्त साम्राज्य पर आक्रमण किया। युवराज स्कंदगुप्त ने सेना का सफल नेतृत्व किया। उसने युद्धक्षेत्र में पृथ्वीतल पर शयन किया। पुष्पमित्रों को परास्त कर पिता कुमारगुप्त की मृत्यु के अनंतर स्कंदगुप्त ने अपनी विजय का संदेश साश्रुनेता माता को उसी प्रकार सुनाया जिस प्रकार कृष्ण ने शत्रुओं के मारकर देवकी को सुनाया था। हूणों की जिस बर्बरता ने रोमन साम्राज्य को चूर चूर कर दिया था वह एक बार यशस्वी स्कंदगुप्त की चोट से थम गई। स्कंदगुप्त की भुजाओं के हूणों के साथ समर में टकरा जाने से भयंकर आवर्त बन गया, धरा काँप गई। स्कंदगुप्त ने उन्हें पराजित किया। परंतु अनवरत हूण आक्रमणों से गुप्त साम्राज्य के जोड़ जोड़ हिल उठे और अंत में साम्राज्य की विशाल अट्टालिका अपनी ही विशालता के खंडहरों में खो गई। .

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मध्ययुग

रोमन साम्राज्य के पतन के उपरांत, पाश्चात्य सभ्यता एक हजार वर्षों के लिये उस युग में प्रविष्ट हुई, जो साधारणतया मध्ययुग (मिडिल एजेज) के नाम से विख्यात है। ऐतिहासिक रीति से यह कहना कठिन है कि किस किस काल अथवा घटना से इस युग का प्रारंभ और अंत होता है। मोटे तौर से मध्ययुग का काल पश्चिमी यूरोप में पाँचवीं शताब्दी के प्रारंभ से पंद्रहवीं तक कहा जा सकता है। तथाकथित मध्ययुग में एकरूपता नहीं है और इसका विभाजन दो निश्चित एवं पृथक् युगों में किया जा सकता है। 11वीं शताब्दी के पहले का युग सतत संघर्षों, अनुशासनहीनता, तथा निरक्षरता के कारण 'अंधयुग' कहलाया, यद्यपि इसमें भी यूरोप को रूपांतरित करने के कदम उठाए गए। इस युग का प्रारंभ रोमन साम्राज्य के पश्यिमी यूरोप के प्रदेशों में, बर्बर गोथ फ्रैंक्स वैंडल तथा वरगंडियन के द्वारा स्थापित जर्मन साम्राज्य से होता है। यहाँ तक कि शक्तिशाली शार्लमेन (742-814) भी थोड़े ही समय के लिये व्यवस्था ला सका। शार्लमेन के प्रपौलों की कलह तथा उत्तरी स्लाव और सूरासेन के आक्रमणों से पश्चिमी यूरोप एक बार फिर उसी अराजकता को पहुँचा जो सातवीं और आठवीं शताब्दी में थी। अतएव सातवीं और आठवीं शताब्दी का ईसाई संसार, प्रथम शताब्दी के लगभग के ग्रीक रोम जगत् की अपेक्षा सभ्यता एवं संस्कृति की निम्न श्रेणी पर था। गृहनिर्माण विद्या के अतिरिक्त, शिक्षा, विज्ञान तथा कला किसी भी क्षेत्र में उन्नति नहीं हुई थी। फिर भी अंधयुग उतना अंध नहीं था, जितना बताया जाता है। ईसाई भिक्षु एवं पादरियों ने ज्ञानदीप को प्रज्वलित रखा। 11वीं शताब्दी के अंत से 15वीं शताब्दी तक के उत्तर मध्य युग में मानव प्रत्येक दिशा में उन्नतिशील रहा। राष्ट्रीय एकता की भावना इंग्लैंड में 11वीं शताब्दी में, तथा फ्रांस में 12वीं शताब्दी में आई। शार्लमैन के उत्तराधिकारियों की शिथिलता तथा ईसाई चर्च के अभ्युदय ने, पोप को ईसाई समाज का एकमात्र अधिष्टाता बनने का अवसर दिया। अतएव, पोप तथा रोमन सम्राट् की प्रतिस्पर्धा, पावन धर्मयुद्ध, विद्या का नियंत्रण तथा रोमन केथोलिक धर्म के अंतर्राष्ट्रीय स्वरूप इत्यादि में इस प्रतिद्वंद्विता का आभास मिलता है। 13वीं शताब्दी के अंत तक राष्ट्रीय राज्य इतने शक्तिशाली हो गए थे कि चर्च की शक्ति का ह्रास निश्चित प्रतीत होने लगा। नवीं शताब्दी से 14वीं शताब्दी तक, पश्चिमी यूरोप का भौतिक, राजनीतिक तथा सामाजिक आधार सामंतवाद था, जिसके उदय का कारण राजा की शक्तियों का क्षीण होना था। समाज का यह संगठन भूमिव्यवस्था के माध्यम से पैदा हुआ। भूमिपति सामंत को अपने राज्य के अंतर्गत सारी जनता का प्रत्यक्ष स्वामित्व प्राप्त था। मध्ययुग नागरिक जीवन के विकास के लिये उल्लेखनीय है। अधिकांश मध्ययुगीन नगर सामंतों की गढ़ियों, मठों तथा वाणिज्य केंद्रों के आस पास विकसित हुए। 12वीं तथा 13वीं शताब्दी में यूरोप में व्यापार की उन्नति हुई। इटली के नगर विशेषतया वेनिस तथा जेनोआ पूर्वी व्यापार के केंद्र बने। इनके द्वारा यूरोप में रूई, रेशम, बहुमूल्य रत्न, स्वर्ण तथा मसाले मँगाए जाते थे। पुरोहित तथा सामंत वर्ग के समानांतर ही व्यापारिक वर्ग का ख्याति प्राप्त करना मध्ययुग की विशेषताओं में है। इन्हीं में से आधुनिक मध्यवर्ग प्रस्फुटित हुआ। मध्ययुग की कला तथा बौद्धिक जीवन अपनी विशेष सफलताओं के लिये प्रसिद्ध है। मध्ययुग में लैटिन अंतरराष्ट्रीय भाषा थी, किंतु 11वीं शताब्दी के उपरांत वर्नाक्यूलर भाषाओं के उदय ने इस प्राचीन भाषा की प्राथमिकता को समाप्त कर दिया। विद्या पर से पादरियों का स्वामित्व भी शीघ्रता से समाप्त होने लगा। 12वीं और 13वीं शताब्दी से विश्वविद्यालयों का उदय हुआ। अरस्तू की रचनाओं के साथ साथ, कानून, दर्शन, तथा धर्मशास्त्रों का अध्ययन सर्वप्रिय होने लगा। किंतु वैज्ञानिक साहित्य का सर्वथा अभाव था। भवन-निर्माण-कला की प्रधानता थी, जैसा वैभवशाली चर्च, गिरजाघरों तथा नगर भवनों से स्पष्ट है। भवननिर्माण की रोमन पद्धति के स्थान पर गोथिक पद्धति विकसित हुई। आधुनिक युग की अधिकांश विशेषताएँ उत्तर मध्ययुग के प्रवाहों की प्रगाढ़ता है। .

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मादक पेय

किसी बार में कच्चा मादक पेय पदार्थ (स्प्रिट्स). मादक पेय इथेनॉल (जिसे आमतौर पर अल्कोहल कहा जाता है) युक्त एक पेय है। मादक पेयों को सामान्यतः तीन सामान्य वर्गों में विभाजित किया जाता है: बीयर, वाइन और स्प्रिट्स.

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मानव बलि

एचिलिस के कब्र पर नीओप्टोलेमस के हाथ से पॉलीजिना मर गया" (एक प्राचीन कैमिया के बाद 1900 सदी का चित्र) किसी धार्मिक अनुष्ठान के भाग (अनुष्ठान हत्या) के रूप में किसी मानव की हत्या करने को मानव बलि कहते हैं। इसके अनेक प्रकार पशुओं को धार्मिक रीतियों में काटा जाना (पशु बलि) तथा आम धार्मिक बलियों जैसे ही थे। इतिहास में विभिन्न संस्कृतियों में मानव बलि की प्रथा रही है। इसके शिकार व्यक्ति को रीति-रिवाजों के अनुसार ऐसे मारा जाता था जिससे कि देवता प्रसन्न अथवा संतुष्ट हों, उदाहरण के तौर पर मृत व्यक्ति की आत्मा को देवता को संतुष्ट करने के लिए भेंट किया जाता था अथवा राजा के अनुचरों की बलि दी जाती थी ताकि वे अगले जन्म में भी अपने स्वामी की सेवा करते रह सकें.

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मानविकी

सिलानिओं द्वारा दार्शनिक प्लेटो का चित्र मानविकी वे शैक्षणिक विषय हैं जिनमें प्राकृतिक और सामाजिक विज्ञानों के मुख्यतः अनुभवजन्य दृष्टिकोणों के विपरीत, मुख्य रूप से विश्लेषणात्मक, आलोचनात्मक या काल्पनिक विधियों का इस्तेमाल कर मानवीय स्थिति का अध्ययन किया जाता है। प्राचीन और आधुनिक भाषाएं, साहित्य, कानून, इतिहास, दर्शन, धर्म और दृश्य एवं अभिनय कला (संगीत सहित) मानविकी संबंधी विषयों के उदाहरण हैं। मानविकी में कभी-कभी शामिल किये जाने वाले अतिरिक्त विषय हैं प्रौद्योगिकी (टेक्नोलॉजी), मानव-शास्त्र (एन्थ्रोपोलॉजी), क्षेत्र अध्ययन (एरिया स्टडीज), संचार अध्ययन (कम्युनिकेशन स्टडीज), सांस्कृतिक अध्ययन (कल्चरल स्टडीज) और भाषा विज्ञान (लिंग्विस्टिक्स), हालांकि इन्हें अक्सर सामाजिक विज्ञान (सोशल साइंस) के रूप में माना जाता है। मानविकी पर काम कर रहे विद्वानों का उल्लेख कभी-कभी "मानवतावादी (ह्यूमनिस्ट)" के रूप में भी किया जाता है। हालांकि यह शब्द मानवतावाद की दार्शनिक स्थिति का भी वर्णन करता है जिसे मानविकी के कुछ "मानवतावाद विरोधी" विद्वान अस्वीकार करते हैं। .

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मानी धर्म

तारिम द्रोणी में मिली इस पांडुलिपि में मानी धर्म के पुजारी अपने मेज़ों पर बैठे लिख रहे हैं मानी धर्म (फ़ारसी:, आईन-ए-मानी; अंग्रेजी: Manichaeism) एक प्राचीन धर्म था जो ईरान के सासानी साम्राज्य के अधीन बेबीलोनिया क्षेत्र में शुरू होकर मध्य एशिया और उसके इर्द-गिर्द के इलाक़ों में बहुत विस्तृत हो गया। इसकी स्थापना मानी (२१६-२७६ ईसवी अनुमानित) नामक एक मसीहा ने की थी और इसमें बौद्ध धर्म, ज़रथुष्टी धर्म और ईसाई धर्म के बहुत से तत्वों का मिश्रण था। मानी की लिखाईयाँ पूर्ण रूप से तो नहीं बची लेकिन उनके बहुत से अंश और भाषांतरित प्रतियाँ अभी भी उपलब्ध हैं। यह धर्म तीसरी से सातवी शताब्दी ईसवी तक चला और अपने चरम पर विश्व के सबसे मुख्य धर्मों में से एक था। उस समय यह चीन से लेकर रोम तक विस्तृत था।, Michel Tardieu, University of Illinois Press, 2009, ISBN 978-0-252-03278-3,...

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मिलानो

मिलान (Milano,; पश्चिमी लोम्बार्ड: मिलान) इटली का एक शहर और लोम्बार्डी क्षेत्र और मिलान प्रान्त की राजधानी है। मूल शहर की जनसंख्या लगभग 1,300,000 है, जबकि शहरी क्षेत्र 4,300,000 की अनुमानित जनसंख्या के साथ यूरोपीय संघ में पांचवा सबसे बड़ा है। इटली में सबसे बड़े, मिलान महानगरीय क्षेत्र की आबादी, OECD द्वारा अनुमानित तौर पर 7,400,000 है। शहर की स्थापना मीडियोलेनम नाम के तहत केल्टिक लोग इनसबरेस द्वारा की गई थी। इसे बाद में ई.पू.

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मुक्केबाज़ी

मुक्केबाज़ी लड़ाई का एक खेल और एक मार्शल कला है, जिसमें दो लोग अपनी मुट्ठियों का प्रयोग करके लड़ते हैं। विशिष्ट रूप से मुक्केबाज़ी का संचालन एक-से तीन-मिनटों के अंतरालों, जिन्हें चक्र (Rounds) कहा जाता है, की एक श्रृंखला के दौरान एक रेफरी के द्वारा किया जाता है, तथा मुक्केबाज़ सामान्यतः एक समान भार वाले होते हैं। जीतने के तीन तरीके हैं; यदि विरोधी को गिरा दिया जाए तथा वह रेफरी द्वारा दस सेकंड की गिनती किये जाने से पूर्व उठ पाने में सक्षम न हो सके (एक नॉक-आउट या KO) अथवा यदि यह प्रतीत हो कि विरोधी इतना अधिक घायल हो चुका है कि वह खेल जारी रख पाने में असमर्थ है (एक तकनीकी नॉक-आउट या TKO).

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मॉनमाउथ हेरिटेज ट्रेल

मॉनमाउथ हेरिटेज ट्रेल (Monmouth Heritage Trail), (Llwybr Treftadaeth Trefynwy) एक पैदल मार्ग है जो दक्षिण-पूर्वी वेल्स के काउंटी नगर मॉनमाउथ के विभिन्न चयनित एतिहासिक और पारंपरिक स्थलों को आपस में जोड़ता है। वर्ष 2009 में मॉनमाउथ सिविक सोसायटी ने शहर में 24 ऐतिहासिक और दिलचस्प इमारतों व स्थलों की पहचान की। इन इमारतों में से मुख्यतः इमारत पहले से ही संयुक्त राजशाही की सूचीबद्ध इमारत थीं। 24 में से केवल तीन स्थलों—ब्लॅस्टियम (रोमन किला), डिस्पेंसरी और हेमस् मिनरल वॉटर वर्क्स—को छोड़ के सभी सूचीबद्ध हैं। इन स्थलों में से रोमन किला असल में मौजूद नहीं है परन्तु एक स्थानीय बैंक में लगी पट्टिका किले के यहाँ होने की जानकारी व उसकी स्थिति का विवरण देती है। इसके आलावा एक और स्थल, नेल्सन गार्डन, कोई इमारत नहीं अपितु एक उन्नीसवीं सदी का बागीचा है। ट्रेल पे चार इमारतें गिरजाघर हैं, जिनमें से दो एंग्लिकन सम्प्रदाय व एक-एक मेथोडिज़्म और रोमन कैथोलिक सम्प्रदायों के हैं। .

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यहूदी एवं बाइबलीय मापन इकाइयाँ

यहूदी धर्म का अपनी स्वयं की मापन पद्धति है, जो कि टणख से मिश्ना और ताल्मुद के समय तक से भी सामन्जस्य रखती है। निम्न तिथि मानक ताल्मुद पाठ्य पुस्तक से ली गयी है "द प्रैक्टिकल ताल्मुद डिक्श्नरी" लेखकः रब्बी रित्ज्हाक फ्रैंक्, एरियल संस्थान्, येरुशलम्, इज्राइल, 1994.

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यहूदी इतिहास

यहूदी धर्म का इतिहास करीब 4000 साल पुराना है। इस धर्म का इतिहास मिस्र के नील नदी से लेकर वर्तमान इराक़ के दजला-फुरात नदी के बीच आरंभ हुआ और आज का इसरायल एकमात्र यहूदी राष्ट्र है। यहूदी परम्परा के अनुसार, पहले यहूदी मिस्र के फराओं के अन्दर गुलाम होते थे। बाद में मूसा के नेतृत्व में वे इसरायल आ गए। ईसा के 1100 साल पहले जैकब के 12 संतानों के आधार पर अलग-अलग यहूदी कबीले बने। ये दो खेमों में बँट गए - एक, जो 10 कबीलों का बना था इसरायल कहलाया और दो, जो बाकी के दो कबीलों से बना था वो जुडाया कहलाया। 10 कबीलों वाले इसरायल का क्या हुआ इसका पता नहीं है। जुडाया पर बेबीलन का अधिकार हो गया। बाद में ईसापूर्व सन् 800 के आसपास यह असीरिया के अधीन चला गया। फ़ारस के हखामनी शासकों ने असीरियाइयों को ईसापूर्व 530 तक हरा दिया तो यह क्षेत्र फ़ारसी शासन में आ गया। इस समय जरदोश्त के धर्म का प्रभाव यहूदी धर्म पर पड़ा। यूनानी विजेता सिकन्दर ने जब दारा तृतीय को ईसापूर्व 330 में हराया तो यह यहूदी ग्रीक शासन में आ गए। सिकन्दर की मृत्यु के बाद सेल्यूकस के साम्राज्य और उसके बाद रोमन साम्राज्य के अधीन रहने के बाद ईसाइयत का उदय हुआ। इसके बाद यहूदियों को यातनाएं दी जान लगी। सातवीं सदी में इस्लाम के उदय तक उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ा। उसके बाद तुर्क, मामलुक शासन के समय इनका पलायन इस क्षेत्र से आरंभ हुआ। बीसवीं सदी के आरंभ में कई यहूदी यूरोप से आकर आज के इसरायली क्षेत्रों में बसने लगे। श्रेणी:यहूदी.

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यातायात संकेत (ट्रैफिक साइन)

क्वींसलैंड, ऑस्ट्रेलिया में वारेगो राजमार्ग पर एक "मार्ग पुष्टि" संकेत, जो चालकों को सूचीबद्ध स्थानों से उनकी दूरी (किलोमीटर में) के बारे में जानकारी देता है। संयुक्त राज्य अमेरिका में एक संकेत जो मील प्रति घंटे में स्थानीय गति सीमा के बारे में बताता है आगे आने वाले एक दोहरे मोड़ की चेतावनी देने वाले एक ताइवान संकेत के डिजाइन विनिर्देश एक स्तंभ पर दो या इससे अधिक संकेतों को प्रदर्शित किया जा सकता है। यहाँ एक कनाडाई सड़क-अंत का निशान एक ग्रामीण हवाई अड्डे के संकेत के साथ दिखाई देता है। यातायात संकेत (ट्रैफिक साइन) या सड़क संकेत (रोड साइन), सड़क का उपयोग करने वालों को जानकारी प्रदान करने के लिए सड़कों के किनारे लगाए गए संकेतों को कहते हैं। पिछले आठ दशकों में वाहनों की संख्या में वृद्धि के साथ कई देशों ने अंतरराष्ट्रीय यात्रा को सुविधाजनक बनाने (जहाँ भाषा संबंधी अंतर अवरोध पैदा करते हैं) तथा आम तौर पर यातायात सुरक्षा को बढ़ाने में मदद के लिए सचित्र संकेतों को अपनाया है या अन्यथा अपने संकेतों को सरलीकृत और मानकीकृत किया है। इस तरह के सचित्र संकेतों में शब्दों के स्थान पर चिन्हों (अक्सर छायाचित्रों) का उपयोग किया जाता है और ये आम तौर पर अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकॉल पर आधारित होते हैं। ऐसे संकेतों को सबसे पहले यूरोप में विकसित किया गया था और इन्हें देशों द्वारा विभिन्न स्तरों पर अपनाया गया है। .

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युद्धपोत

विलियम वैन डे वेल्डे द यंगर द्वारा कैनन शॉट 17 वीं सदी के लाइन के डच जहाज़ को प्रदशित कर रहा है युद्धपोत एक ऐसा जलयान है जिसका निर्माण युद्ध करने के लिए किया गया हो। युद्धपोतों का निर्माण आमतौर पर व्यापारिक जलयानों से पूर्णतया भिन्न रूप से होता है। सशस्त्र होने के साथ ही साथ युद्धपोत की रचना उसको होने वाली क्षति को सहने के लिए भी की जाती है, साथ ही वे व्यापारिक जलयानों की तुलना में अधिक तेज तथा आसानी से मुड़ सकने वाले होते हैं। एक व्यापारिक जलयान के विपरीत, एक युद्धपोत आमतौर पर केवल अपने स्वयं के चालक दल के लिए हथियार, गोला बारूद, तथा आपूर्ति को ढोता है (न कि व्यापारिक माल).

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यूनानी भाषा

यूनानी या ग्रीक (Ελληνικά या Ελληνική γλώσσα), हिन्द-यूरोपीय (भारोपीय) भाषा परिवार की स्वतंत्र शाखा है, जो ग्रीक (यूनानी) लोगों द्वारा बोली जाती है। दक्षिण बाल्कन से निकली इस भाषा का अन्य भारोपीय भाषा की तुलना में सबसे लंबा इतिहास है, जो लेखन इतिहास के 34 शताब्दियों में फैला हुआ है। अपने प्राचीन रूप में यह प्राचीन यूनानी साहित्य और ईसाईयों के बाइबल के न्यू टेस्टामेंट की भाषा है। आधुनिक स्वरूप में यह यूनान और साइप्रस की आधिकारिक भाषा है और करीबन 2 करोड़ लोगों द्वारा बोली जाती है। लेखन में यूनानी अक्षरों का उपयोग किया जाता है। यूनानी भाषा के दो ख़ास मतलब हो सकते हैं.

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यूनाइटेड किंगडम का इतिहास

कुल ब्रिटेन आप्रवास निकालना।.

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यूरोप

यूरोप पृथ्वी पर स्थित सात महाद्वीपों में से एक महाद्वीप है। यूरोप, एशिया से पूरी तरह जुड़ा हुआ है। यूरोप और एशिया वस्तुतः यूरेशिया के खण्ड हैं और यूरोप यूरेशिया का सबसे पश्चिमी प्रायद्वीपीय खंड है। एशिया से यूरोप का विभाजन इसके पूर्व में स्थित यूराल पर्वत के जल विभाजक जैसे यूराल नदी, कैस्पियन सागर, कॉकस पर्वत शृंखला और दक्षिण पश्चिम में स्थित काले सागर के द्वारा होता है। यूरोप के उत्तर में आर्कटिक महासागर और अन्य जल निकाय, पश्चिम में अटलांटिक महासागर, दक्षिण में भूमध्य सागर और दक्षिण पश्चिम में काला सागर और इससे जुड़े जलमार्ग स्थित हैं। इस सबके बावजूद यूरोप की सीमायें बहुत हद तक काल्पनिक हैं और इसे एक महाद्वीप की संज्ञा देना भौगोलिक आधार पर कम, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक आधार पर अधिक है। ब्रिटेन, आयरलैंड और आइसलैंड जैसे देश एक द्वीप होते हुए भी यूरोप का हिस्सा हैं, पर ग्रीनलैंड उत्तरी अमरीका का हिस्सा है। रूस सांस्कृतिक दृष्टिकोण से यूरोप में ही माना जाता है, हालाँकि इसका सारा साइबेरियाई इलाका एशिया का हिस्सा है। आज ज़्यादातर यूरोपीय देशों के लोग दुनिया के सबसे ऊँचे जीवनस्तर का आनन्द लेते हैं। यूरोप पृष्ठ क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का दूसरा सबसे छोटा महाद्वीप है, इसका क्षेत्रफल के १०,१८०,००० वर्ग किलोमीटर (३,९३०,००० वर्ग मील) है जो पृथ्वी की सतह का २% और इसके भूमि क्षेत्र का लगभग ६.८% है। यूरोप के ५० देशों में, रूस क्षेत्रफल और आबादी दोनों में ही सबसे बड़ा है, जबकि वैटिकन नगर सबसे छोटा देश है। जनसंख्या के हिसाब से यूरोप एशिया और अफ्रीका के बाद तीसरा सबसे अधिक आबादी वाला महाद्वीप है, ७३.१ करोड़ की जनसंख्या के साथ यह विश्व की जनसंख्या में लगभग ११% का योगदान करता है, तथापि, संयुक्त राष्ट्र के अनुसार (मध्यम अनुमान), २०५० तक विश्व जनसंख्या में यूरोप का योगदान घटकर ७% पर आ सकता है। १९०० में, विश्व की जनसंख्या में यूरोप का हिस्सा लगभग 25% था। पुरातन काल में यूरोप, विशेष रूप से यूनान पश्चिमी संस्कृति का जन्मस्थान है। मध्य काल में इसी ने ईसाईयत का पोषण किया है। यूरोप ने १६ वीं सदी के बाद से वैश्विक मामलों में एक प्रमुख भूमिका अदा की है, विशेष रूप से उपनिवेशवाद की शुरुआत के बाद.

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यूरोप में विश्व धरोहर स्थलों की सूची

यह यूरोप में स्थित यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की एक सूची है। तारांकन चिह्न (*) लगे स्थल, खतरे में विश्व धरोहर स्थलों की सूची में भी शामिल हैं। .

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यूरोप का इतिहास

एक '''सामी''' परिवार यूरोप में मानव ईसापूर्व 35,000 के आसपास आया। इसके बाद ७००० इस्वी पूर्व से संगठित बसाव यानि बस्तियों के प्रमाण मिलते हैं। काँस्य युगीन सभ्यता (३००० ईसा पूर्व) के समय यहाँ कुछ अधिक बसाव नहीं हुआ - भ़ासकर मिस्र, इराक, चीन और भारतीय सभ्यता के मुकाबले। लेकिन ५०० ईसापूर्व से रोमन और यूनानी साम्राज्यों का उदय हुआ जिसने यूरोप की संस्कृति को बहुत प्रभावित किया। सैन्य, कला और चिंतन के मामले में यूनानियों ने यूरोप के एक कोने में होते हुए भी पूरे यूरोप और बाद में विश्वभर में अपना प्रभाव जमाया। आज यूरोप के देश यूरोपीय संघ के सदस्य हैं जो एक मुद्रा यूरो चलाता है। मध्यकाल में यूरोप छोटे राज्यों में विभक्त हो गया था। विज्ञान और शोध के मामले में धार्मिक मान्यताओं ने अपना प्रभाव बना रखा था। पंद्रहवीं सदी के बाद यह पुनः विकसित हुआ। सैनिक इतिहास का एक छोटा ब्यौरा नीचे लिखा है, कृपया वहाँ देखें। यूरोप के इतिहास को समझने के लिए दक्षिणी (रोम, यूनान और स्पेन), पूर्वी (यानि स्लाविक) और उत्तरी क्षेत्र जिसनें जर्मन मूल की नौर्ड और वाइकिंग तथा केल्ट और गॉल को समझना आवश्यक है। .

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राजनय

न्यूयार्क स्थित संयुक्त राष्ट्रसंघ संसार का सबसे बडा राजनयिक संगठन है। राष्ट्रों अथवा समूहों के प्रतिनिधियों द्वारा किसी मुद्दे पर चर्चा एवं वार्ता करने की कला व अभ्यास (प्रैक्टिस) राजनय (डिप्लोमैसी) कहलाता है। आज के वैज्ञानिक युग में कोई देश अलग-अलग नहीं रह सकता। इन देशों में पारस्परिक सम्बन्ध जोड़ना आज के युग में आवश्यक हो गया है। इन सम्बन्धों को जोड़ने के लिए योग्य व्यक्ति एक देश से दूसरे देश में भेजे जाते हैं। ये व्यक्ति अपनी योग्यता, कुशलता और कूटनीति से दूसरे देश को प्रायः मित्र बना लेते हैं। प्राचीन काल में भी एक राज्य दूसरे राज्य से कूटनीतिक सम्बन्ध जोड़ने के लिए अपने कूटनीतिज्ञ भेजता था। पहले कूटनीति का अर्थ 'सौदे में या लेन देन में वाक्य चातुरी, छल-प्रपंच, धोखा-धड़ी' लगाया जाता था। जो व्यक्ति कम मूल्य देकर अधिकाधिक लाभ अपने देश के लिए प्राप्त करता था, कुशल कूटनीतिज्ञ कहलाता था। परन्तु आज छल-प्रपंच को कूटनीति नहीं कहा जाता है। वैज्ञानिक दृष्टि से आधुनिक काल में इस शब्द का प्रयोग दो राज्यों में शान्तिपूर्ण समझौते के लिए किया जाता है। डिप्लोमेसी के लिए हिन्दी में कूटनीति के स्थान पर राजनय शब्द का प्रयोग होने लगा है। अन्तर्राष्ट्रीय जगत एक परिवार के समान बन गया है। परिवार के सदस्यों में प्रेम, सहयोग, सद्भावना तथा मित्रता का सम्बन्ध जोड़ना एक कुशल राजनयज्ञ का काम है। .

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राजनयिक दूत

राजनयिक दूत (Diplomatic Envoys) संप्रभु राज्य या देश द्वारा नियुक्त प्रतिनिधि होते हैं, जो अन्य राष्ट्र, अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन अथवा अंतरराष्ट्रीय संस्था में अपने देश का प्रतिनिधित्व करते हैं। वर्तमान अंतरराष्ट्रीय विधि का प्रचलन आरंभ होने के बहुत पूर्व से ही रोम, चीन, यूनान और भारत आदि देशों में एक राज्य से दूसरे राज्य में दूत भेजने की प्रथा प्रचलित थी। रामायण, महाभारत, मनुस्मृति, कौटिल्यकृत अर्थशास्त्र और 'नीतिवाक्यामृत' में प्राचीन भारत में प्रचलित दूतव्यवस्था का विवरण मिलता है। इस काल में दूत अधिकांशत: अवसरविशेष पर अथवा कार्यविशेष के लिए ही भेजे जाते थे। यूरोप में रोमन साम्राज्य के पतन के उपरांत छिन्न भिन्न दूतव्यवस्था का पुनरारंभ चौदहवीं शताब्दी में इटली के स्वतंत्र राज्यों एवं पोप द्वारा दूत भेजने से हुआ। स्थायी राजदूत को भेजने की नियमित प्रथा का श्रीगणेश इटली के गणतंत्रों एवं फ्रांस के सम्राट् लुई ग्यारहवें ने किया। सत्रहवीं शताब्दी के पूर्वार्ध तक दूतव्यवस्था यूरोप के अधिकांश देशों में प्रचलित हो गई थी। .

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राजनयिक इतिहास

हारुन अल रशीद, शारलेमेन के एक प्रतिनिधिमंडल से बगदाद में मिलते हुए (जूलिअस कोकर्ट द्वारा १८६४ में चित्रित) राजनयिक इतिहास (Diplomatic history) से आशय राज्यों के बीच अन्तरराष्ट्रीय सम्बन्धों के इतिहास से है। किन्तु राजनयिक इतिहास अन्तराष्ट्रीय सम्बन्ध से इस अर्थ में भिन्न है कि अन्तरराष्ट्रीय सम्बन्ध के अन्तर्गत दो या दो से अधिक राज्यों के परस्पर सम्बन्धों का अध्ययन होता है जबकि राजनयिक इतिहास किसी एक राज्य की विदेश नीति से सम्बन्धित हो सकता है। राजनयिक इतिहास का झुकाव अधिकांशतः राजनय के इतिहास (history of diplomacy) की ओर होता है जबकि अन्तरराष्ट्रीय सम्बन्ध समसामयिक घटनाओं पर अधिक ध्यान देता है। राजनय एक कला है जिसे अपना कर दुनिया के राज्य अपने पारस्परिक सम्बन्धों को बढ़ाते हुए अपनी हित साधना करते हैं। राजनय के सुपरिभाषित लक्ष्य तथा उनकी सिद्धि के लिए स्थापित कुशल यंत्र के बाद इसके वांछनीय परिणामों की उपलब्धि उन साधनों एवं तरीकों पर निर्भर करती है जिन्हें एक राज्य द्वारा अपनाने का निर्णय लिया जाता है। दूसरे राज्य इन साधनों के आधार पर ही राजनय के वास्तविक लक्ष्यों का अनुमान लगाते हैं। यदि राजनय के साधन तथा लक्ष्यों के बीच असंगति रहती है तो इससे देश कमजोर होता है, बदनाम होता है तथा उसकी अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा गिर जाती है। इस दृष्टि्र से प्रत्येक राज्य को ऐसे साधन अपनाने चाहिये जो दूसरे राज्यों में उसके प्रति सद्भावना और विश्वास पैदा कर सकें। इसके लिए यह आवश्यक है कि राज्य अपनी नीतियों को स्पष्ट रूप से समझाये, दूसरे राज्यों के न्यायोचित दावों को मान्यता दे तथा ईमानदारीपूर्ण व्यवहार करे। बेईमानी तथा चालबाजी से काम करने वाले राजनयज्ञ अल्पकालीन लक्ष्यों में सफलता पा लेते हैं किन्तु कुल मिलाकर वे नुकसान में ही रहते हैं। दूसरे राज्यों में उनके प्रति अविश्वास पैदा होता है तथा वे सजग हो जाते हैं। अतः राजनय के तरीकों का महत्व है। राजनय के साधनों का निर्णय लेते समय यह ध्यान रखना चाहिये कि इसका मुख्य उद्देश्य राज्य के प्रमुख हितों की रक्षा करना है। ठीक यही उद्देश्य अन्य राज्यों के राजनय का भी है। अतः प्रत्येक राजनय को पारस्परिक आदान-प्रदान की नीति अपनानी चाहिये। प्रत्येक राज्य के राजनयज्ञों की कम से कम त्याग द्वारा अधिक से अधिक प्राप्त करने का प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके लिये विरोधी हितों के बीच समझौता करना जरूरी है। समझौते तथा सौदेबाजी का यह नियम है कि कुछ भी प्राप्त करने के लिए कुछ न कुछ देना पड़ता है। यह आदान-प्रदान राजनय का एक व्यावहारिक सत्य है। इतिहास में ऐसे भी उदाहरण मिलते हैं जबकि एक शक्तिशाली बड़े राज्य ने दूसरे कमजोर राज्य को अपनी मनमानी शर्तें मानने के लिए बाध्य किया तथा समझौतापूर्ण आदान-प्रदान की प्रक्रिया न अपना कर एक पक्षीय बाध्यता का मार्ग अपनाया। इस प्रकार लादी गई शर्तों का पालन सम्बन्धित राज्य केवल तभी तक करता है जब तक कि वह ऐसा करने के लिए मजबूर हो और अवसर पाते ही वह उनके भार से मुक्त हो जाता है। प्रथम विश्वयुद्ध के बाद मित्र राष्ट्रोंं ने जर्मनी को सैनिक, आर्थिक, व्यापारिक एवं प्रादेशिक दृष्टि्र से बुरी तरह दबाया। क्षतिपूर्ति की राशि अदा करने के लिए उनसे खाली चैक पर हस्ताक्षर करा लिये गये तब जर्मनी एक पराजित और दबा हुआ राज्य था। अतः उसने यह शोषण मजबूरी में स्वीकार कर लिया किन्तु कुछ समय बाद हिटलर के नेतृत्व में जब वह समर्थ बना तो उसने इन सभी शर्तों को अमान्य घोषित कर दिया। स्पष्ट है कि पारस्परिक आदान-प्रदान ही स्थायी राजनय का आधार बन सकता है। बाध्यता, बेईमानी, धूर्तता, छल-कपट एवं केवल ताकत पर आधारित सम्बन्ध अल्पकालीन होते हैं तथा दूसरे पक्ष पर विरोधी प्रभाव डालते हैं।फलतः उनके भावी सम्बन्धों में कटुता आ जाती है। राजनय के साधन और तरीकों का विकास राज्यों के आपसी सम्बन्धों के लम्बे इतिहास से जुड़ा हुआ है। इन पर देश-काल की परिस्थितियों ने भी प्रभाव डाला है। तदनुसार राजनीतिक व्यवहार भी बदलता रहा है। विश्व के विभिन्न देशों के इतिहास का अवलोकन करने पर यह स्पष्ट हो जाता है कि राजनयिक आचार का तरीका प्रत्येक देश का अपना विशिष्ट रहा है। यहाँ हम यूनान, रोम, इटली, फ्रांस तथा भारत में अपनाए राजनयिक आचार के तरीकों का अध्ययन करेंगे। .

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राजा आर्थर

1520 के दशक में अल्ब्रेक्ट ड्यूरर द्वारा डिजाइन की गई और पीटर विस्चेर द एल्डर द्वारा कास्ट की गई इन्स्ब्रुक के होफ्किर्च में किंग आर्थर की प्रतिमा2 किंग आर्थर एक महान ब्रिटिश नेता थे, जिन्होंने मध्ययुगीन इतिहास और कल्पित-कथा के अनुसार छठी शताब्दी के प्रारम्भ में सक्सोन आक्रमणकारियों के खिलाफ ब्रिटेन की सेना का नेतृत्व किया था। आर्थर की कहानी का ब्यौरा मुख्य रूप से लोककथाओं और साहित्यिक आविष्कार से बना है और उनके ऐतिहासिक अस्तित्व को लेकर आधुनिक इतिहासकारों में विवाद और मतभेद हैं। आर्थर की विरल ऐतिहासिक पृष्ठभूमि विभिन्न स्रोतों से बटोरी गयी है, जिसमें अन्नालेस कैम्ब्रिए, हिस्टोरिया ब्रिटोनम और गिल्दस का लेखन भी शामिल है। आर्थर नाम आरम्भिक काव्य स्रोतों में पाया जाता है जैसे वाई गोडोद्दीन.

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रिओ तिन्तो (नदी)

रिओ तिन्तो का पानी लाल रंग का और तेज़ाबीय है रिओ तिन्तो (स्पैनिश: Rio Tinto, "लाल नदी") दक्षिण-पश्चिमी स्पेन की एक नदी है जो अन्दलूसीया क्षेत्र में स्थित सिएर्रा मोरेना पहाड़ शृंखला से आरम्भ होकर कादीज़ की खाड़ी पहुंचकर अन्ध महासागर में जा मिलती है। यह नदी अपने लाल-नारंगी पानी के लिए दुनिया भर में मशहूर है। .

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रक्तखेल

रक्तखेल (bloodsport) खेल और मनोरंजन की एक श्रेणी है जिसमें दर्शकों के आनंद के लिए पशुओं को चोट पहुँचाई जाती है या उनकी हत्या की जाती है। कुछ परिभाषाओं में इस में ऐसे खेल या मनोरंजन भी शामिल हैं जिनमें मानवों को भी चोट पहुँचाई जाए। रक्तखेलों में आनंद के लिए करा गया शिकार, कुत्तों की लड़ाई, मुर्गों की लड़ाई, इत्यादि शामिल हैं। प्राचीन रोम के ग्लैडियेटर खेल (जिनमें मानवों को आपस में किसी एक के मरने तक लड़वाया जाता था) और ऐसे मनोरंजन जिनमें मानवों को सिंहों या अन्य पशुओं द्वारा मरवाया जाता था भी रक्तखेलों में गिने जाते हैं। कई आधुनिक मान्यताओं में रक्तखेलों को अमानवीय व बर्बर माना जाता है। .

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रेशम मार्ग

रेशम मार्ग का मानचित्र - भूमार्ग लाल रंग में हैं और समुद्री मार्ग नीले रंग में रेशम मार्ग प्राचीनकाल और मध्यकाल में ऐतिहासिक व्यापारिक-सांस्कृतिक मार्गों का एक समूह था जिसके माध्यम से एशिया, यूरोप और अफ्रीका जुड़े हुए थे। इसका सबसे जाना-माना हिस्सा उत्तरी रेशम मार्ग है जो चीन से होकर पश्चिम की ओर पहले मध्य एशिया में और फिर यूरोप में जाता था और जिस से निकलती एक शाखा भारत की ओर जाती थी। रेशम मार्ग का जमीनी हिस्सा ६,५०० किमी लम्बा था और इसका नाम चीन के रेशम के नाम पर पड़ा जिसका व्यापार इस मार्ग की मुख्य विशेषता थी। इसके माध्यम मध्य एशिया, यूरोप, भारत और ईरान में चीन के हान राजवंश काल में पहुँचना शुरू हुआ। रेशम मार्ग का चीन, भारत, मिस्र, ईरान, अरब और प्राचीन रोम की महान सभ्यताओं के विकास पर गहरा असर पड़ा। इस मार्ग के द्वारा व्यापार के आलावा, ज्ञान, धर्म, संस्कृति, भाषाएँ, विचारधाराएँ, भिक्षु, तीर्थयात्री, सैनिक, घूमन्तू जातियाँ, और बीमारियाँ भी फैलीं। व्यापारिक नज़रिए से चीन रेशम, चाय और चीनी मिटटी के बर्तन भेजता था, भारत मसाले, हाथीदांत, कपड़े, काली मिर्च और कीमती पत्थर भेजता था और रोम से सोना, चांदी, शीशे की वस्तुएँ, शराब, कालीन और गहने आते थे। हालांकि 'रेशम मार्ग' के नाम से लगता है कि यह एक ही रास्ता था वास्तव में बहुत कम लोग इसके पूरे विस्तार पर यात्रा करते थे। अधिकतर व्यापारी इसके हिस्सों में एक शहर से दूसरे शहर सामान पहुँचाकर अन्य व्यापारियों को बेच देते थे और इस तरह सामान हाथ बदल-बदलकर हजारों मील दूर तक चला जाता था। शुरू में रेशम मार्ग पर व्यापारी अधिकतर भारतीय और बैक्ट्रियाई थे, फिर सोग़दाई हुए और मध्यकाल में ईरानी और अरब ज़्यादा थे। रेशम मार्ग से समुदायों के मिश्रण भी पैदा हुए, मसलन तारिम द्रोणी में बैक्ट्रियाई, भारतीय और सोग़दाई लोगों के मिश्रण के सुराग मिले हैं।, Susan Whitfield, British Library, pp.

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रोम

यह लेख इटली की राजधानी एवं प्राचीन नगर 'रोम' के बारे में है। इसी नाम के अन्य नगर संयुक्त राज्य अमरीका में भी है। स्तनधारियों की त्वचा पर पाए जाने वाले कोमल बाल (en:hair) के लिये बाल देखें। इसका पर्यायवाची शब्द रोयाँ या रोआँ (बहुवचन - रोएँ) है। ---- '''रोम''' नगर की स्थिति रोम (Rome) इटली देश की राजधानी है। .

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रोम गणतंत्र

रोम गणतंत्र (लातिनी: Res Publica Romana, रेस्पुब्लिका रोमाना; Roman Republic) प्राचीन रोमन सभ्यता के उस काल को कहा जाता है जब वहाँ की सरकार गणतांत्रिक व्यवस्था के अनुसार चलाई जाती थी। इसकी शुरुआत सन् ५०९ ईसापूर्व में रोम में राजशाही की समाप्ति के साथ हुई और यह २७ ईसापूर्व में ऑगस्टस कैसर द्वारा राजसिन्हासन पर विराजमान होने तक चली। रोम गणतंत्र का नेतृत्व दो कोन्सुल किया करते थे जिनका चुनाव नागरिक एक वर्ष की अवधि के लिये किया करते थे। एक सेनेट नामक सभा इनके सलाहकार के रूप में काम करती थी और यह कोन्सुल उसे जवाबदेह भी थे। शक्तियों के इस बटवारे से किसी भी शासक को अधिक ताक़त समेटकर तानाशाह बनने से रोकने की चेष्टा की गई थी। धीरे-धीरे इन सिद्धांतो पर आधारित एक संविधान ने भी रूप ले लिया। रोम गणतंत्र के काल में रोमन साम्राज्य का बहुत विस्तार हुआ। पहले यह पूरे इतालवी प्रायद्वीप पर फैल गया। फिर उत्तर अफ़्रीका, इबेरियाई प्रायद्वीप, यूनान और दक्षिणी फ़्रान्स भी इसके अधीन हो गये। पहली सदी ईसापूर्व तक पूरा फ़्रान्स और पूर्वी भूमध्य सागर से सटा हुआ लगभग सारा इलाक़ा साम्राज्य का भाग बन चुका था। .

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रोमन थिएटर

रोमन थिएटर या रोमन रंगमंच; अंग्रेजी: Roman Theatre at Bosra (المسرح الروماني ببصرى) ‏‎ इनका उपयोग रोमन साम्राज्य शासक नृत्य तथा कला के लिए करते थे जिसमे अधिक संख्या में लोग वेठ सकते थे इस प्रकार के थिएटर सीरिया, जार्डन और यूरोप की अनेक स्थानो पर स्थित है सीरिया के थिएटर वर्तमान समय में स्थिति असुरक्षित है इन खण्डहरो का प्रयोग आंतकी संगठन लोगो को मौत की सजा देने के लिए करते हैं और महंगी वस्तूओ को निकालकर उचित मूल्य में बजार में वेच देते हैं। .

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रोमन थिएटर पलमीरा

रोमन थिएटर; Roman Theatre (translit) रंगमंच (थिएटर) वह स्थान है जहाँ नृत्य, नाटक, खेल आदि हों। रंगमंच शब्द रंग और मंच दो शब्दों के मिलने से बना है। रंग इसलिए प्रयुक्त हुआ है कि दृश्य को आकर्षक बनाने के लिए दीवारों, छतों और पर्दों पर विविध प्रकार की चित्रकारी की जाती है। .

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रोमन लीजन

रोमन लीजन (अंग्रेज़ी: Roman legion, लातीनी: legio) प्राचीन रोम की सेना की एक बड़ी टुकड़ी को कहा जाता था। सामान्य रूप से एक रोमन लीजन में लगभग पाँच हज़ार सैनिक हुआ करते थे। रोम गणतंत्र के काल में एक लीजन को दस मानिपलों (maniples) के तीन गुटों में विभाजित करा जाता था। गणतंत्र के अंतिम दिनों और रोम साम्राज्य के अधिकांश काल में लीजन को पाँच या छह सेन्चूरियों (centuries) के दस कोहोर्ट (cohorts) में बाँटा जाता था। .

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रोमन संख्यांक

रोमन संख्यांक द्वारा दर्शायी गयी संख्यांक पद्धत्ति का प्राचीन रोम में उद्गम हुआ और भली भांति उत्तर मध्य युग में पूर्ण यूरोप में संख्याओं को लिखना का सामान्य तरीका बना रहा। ऑस्ट्रिया के लोफ़र नामक शहर में एक गिरजे के ऊपर उसके निर्माण की तिथि रोमन अंकों में तराशी हुई है - MDCLXXVIII का अर्थ सन् १६७८ है रोमन अंक प्राचीन रोम की संख्या प्रणाली है, जिसमें लातिनी भाषा के अक्षरों को जोड़कर संख्याएँ लिखी जाती थीं। पहले दस रोमन अंक इस प्रकार हैं - .

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रोमन सेना

रोमन सेना की प्रगति को हम चार प्रमुख भागों में बाँट सकते हैं। (1) रोम के प्रारंभिक युग में सेना एक नागरिक सेना थी। (2) फिर इसका विकास विजयी गणतांत्रिक सेना में हुआ, जिसने क्रमश: इटली और भूमध्यसागरीय क्षेत्र का दमन किया। नागरिकों की पैदल सेना प्रति वर्ष की आवश्यकताओं के अनुसार आकार में बदलती हुई अंततोगत्वा अपनी लंबी सेवा तथा संगठन के साथ एक वेतनभोगी सेना के रूप में विकसित हुई। (3) उसके बाद यह सुरक्षा की साम्राज्यवाहिनी बनी। नागरिक सेना से बदलकर यह दुर्गरक्षक सेना के रूप में परिणत हो गई और इसमें इटली तथा प्रदेशों के प्रतिनिधि भी थे। (4) अंत में जंगली घुड़सवारों के आक्रमणों ने एक मैदानी सेना के निर्माण के लिए बाध्य किया, जो सीमा दुर्गरक्षक सेना से भिन्न थी और जिसमें बड़ी संख्या में सवार सम्मिलित हुए और जो शीघ्र ही पैदल सेना से अधिक महत्वशाली सिद्ध हुई। रोमन सेना पहले पैदल सिपाहियों की सेना थी, बाद की अवस्थाओं में उसमें घुड़सवारों की प्रमुखता हुई। यह दीर्घ विकास निरंतर चलता रहा। वास्तव में यह विकास इतना अटूट है कि बहुत से सैनिक प्राविधिक शब्द युगों तक पूर्ववत्‌ प्रयुक्त होते रहे। यद्यपि उनके अर्थ में गंभीर संशोधन हुए, किंतु उनका स्वरूप अपरिवर्तित व्यवस्था में निहित है। उदाहरण के लिए लीजन (Legion) शब्दावली सभी चार अवस्थाओं में आती है। किंतु प्रत्येक में इसका महत्व भिन्न है। सदैव इससे नागरिक सैनिकों का बोध हुआ, सदा इससे यह भी प्रगट हुआ कि यह एक सेना थी जो यदि पूर्णतया नहीं तो प्रमुख रूप से विशाल पैदल सेना थी, किंतु इन दो लगातार ढाँचों की रचना समय समय पर बदलती रही। प्रथम अवधि में लीजन अनिवार्य भरती सेना थी, मैदान सँभालने के लिए जिसका आवाहन किया जाता था। द्वितीय अवधि में 'लीजन' संपूर्ण सेना नहीं थी, बल्कि यह प्रमुख इकाइयों में से एक थी जिनमें विकासमान संगठन से सेना को विभाजित कर दिया गया था, लीजन अब करीब पाँच हजार व्यक्तियों का समूह थी। लीजनों की संख्या परिस्थिति के अनुसार बदलती थी और सेना में नागरिकों के अतिरिक्त दूसरी टुकड़ियाँ भी सम्मिलित थीं, यद्यपि अधिकतर वे महत्वपूर्ण नहीं थीं। तृतीय अथवा सम्राज्यवादी युग में बहुत सी लीजंस (वास्तव में एक नियत संख्या) विशेष दुर्गों में स्थित थी, अन्य टुकड़ियाँ भी थीं जिनमें बड़ी संख्या थी तथा जो महत्वपूर्ण थीं, यद्यपि अभी वे उतनी विशाल नहीं थीं जितनी लीजन थीं। अंत में लीजंस छोटी इकाइयाँ बन गईं और अन्य तथा घुड़सवार सेना रोम की वास्तविक युद्ध वाहिनी बनी। .

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रोमन गणराज्य

रोमन गणराज्य (लैटिन: रेस पब्लिका रोमाना) प्राचीन रोमन सभ्यता का युग था, जिसकी पारंपरिक रूप से शुरुआत 509 ई.पू.

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रोमन गाल

रोमन साम्राज्य के अन्तर्गत गाल गाल (Gaul) उस प्रदेश का अंग्रेजी नाम है जिसे रोमन लोग 'गैलिया' (Galia) कहते थे। रोमन साम्राज्य में गाल के अंतर्गत आधुनिक समूचा फ्रांस, बेल्जियम, लक्समबर्ग, पश्चिमी स्विट्जरलैण्ड, तथा पश्चिमी जर्मनी आते थे। रोमनों ने इस क्षेत्र पर लगभग ५०० वर्ष तक शासन किया। आरंभिक रोमन युग में यहाँ बेल्गे, क्वीतानी और कैल्टी अथवा गैली लोग रहते थे। संयुक्त रूप से ये तीनों समूह गाल कहलाते थे। वे लोग दाढ़ी और केश दोनों रखते थे। ३९० ई. पू.

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रोमन गृहयुद्ध

प्राचीन रोम में कई नागरिक युद्ध थे, विशेष रूप से रोमन गणराज्य के अंतिम दौर पर। इनमें से सबसे प्रसिद्ध 40 ईसा पूर्व में जूलियस सीजर और पोम्पी के नेतृत्व में सीनेट अभिजात वर्ग में, और आगे चल कर सीज़र के उत्तराधिकारियों और ओप्टिमाते गुट के बीच, इसके अलावा 30 ईसा पूर्व में ओक्ताविस ​​और मार्क एंटनी के बीच युद्ध रहे हैं। यहाँ प्राचीन रोम में गृह युद्ध की सूची है: .

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रोमानिया

रोमानिया (प्राचीन: Rumania (रूमानिया), Roumania (रौमानिया);România) काले सागर की सीमा पर, कर्पेथियन चाप के बाहर और इसके भीतर, निचले डेन्यूब पर, बाल्कन प्रायद्वीप के उत्तर में, दक्षिणपूर्वी और मध्य यूरोप में स्थित एक देश है.

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रीताई लोग

रीताई (Raeti, /ˈriːtaɪ/) प्राचीन यूरोप में बसने वाली एक मानव जाति थी। यह समझा जाता है कि शायद इनकी भाषा व संस्कृति प्राचीन इटली में बसने वाले इत्रस्की लोगों से उत्पन्न हुई थी या फिर उस से अन्य गहरा सम्बन्ध रखती थी। रीताई लोग मध्य यूरोप के ऐल्प्स क्षेत्र में रहते थे और उनकी मातृभूमि आधुनिक स्विट्ज़रलैण्ड के मध्य भाग, ऑस्ट्रिया के टायरोल नामक क्षेत्र और पूर्वोत्तरी इटली में विस्तृत थी। इनका क्षेत्र फैलते हुए रोमन साम्राज्य की चपेट में आ गया और सन् १५ ईसापूर्व तक वे और उनसे उत्तर में स्थित विन्देलिसाए (Vindelici) लोग (जो एक केल्टी भाषा बोलते थे), दोनों रोम के अधीन हो गये। रोमन साम्राज्य ने इन्हें "रीतिया एत विन्देलिसिया" (Raetia et Vindelicia) नामक प्रान्त में गठित कर दिया। रीताई क़बीलों ने रोमन अधीनता स्वीकार कर ली और रोम के वफ़ादार बन गये। कई रीताई सैनिक रोमन सैन्य टुकड़ियों में सम्मिलित हो गये। उनकी भाषा लुप्त होने लगी और ३०० ईसवी के बाद उसका प्रयोग ज्ञात नहीं है। स्विट्ज़रलैण्ड क्षेत्र में बसने वाले रीताई उस से भी पहले ३० ईसवी तक अपनी भाषा खोकर केल्टी भाषा बोलने लगे थे। .

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लातिन भाषा

लातीना (Latina लातीना) प्राचीन रोमन साम्राज्य और प्राचीन रोमन धर्म की राजभाषा थी। आज ये एक मृत भाषा है, लेकिन फिर भी रोमन कैथोलिक चर्च की धर्मभाषा और वैटिकन सिटी शहर की राजभाषा है। ये एक शास्त्रीय भाषा है, संस्कृत की ही तरह, जिससे ये बहुत ज़्यादा मेल खाती है। लातीना हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार की रोमांस शाखा में आती है। इसी से फ़्रांसिसी, इतालवी, स्पैनिश, रोमानियाई और पुर्तगाली भाषाओं का उद्गम हुआ है (पर अंग्रेज़ी का नहीं)। यूरोप में ईसाई धर्म के प्रभुत्व की वजह से लातीना मध्ययुगीन और पूर्व-आधुनिक कालों में लगभग सारे यूरोप की अंतर्राष्ट्रीय भाषा थी, जिसमें समस्त धर्म, विज्ञान, उच्च साहित्य, दर्शन और गणित की किताबें लिखी जाती थीं। .

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लंदन

लंदन (London) संयुक्त राजशाही और इंग्लैंड की राजधानी और सबसे अधिक आबादी वाला शहर है। ग्रेट ब्रिटेन द्वीप के दक्षिण पूर्व में थेम्स नदी के किनारे स्थित, लंदन पिछली दो सदियों से एक बड़ा व्यवस्थापन रहा है। लंदन राजनीति, शिक्षा, मनोरंजन, मीडिया, फ़ैशन और शिल्पी के क्षेत्र में वैश्विक शहर की स्थिति रखता है। इसे रोमनों ने लोंड़िनियम के नाम से बसाया था। लंदन का प्राचीन अंदरुनी केंद्र, लंदन शहर, का परिक्षेत्र 1.12 वर्ग मीटर (2.9 किमी2) है। 19वीं शताब्दी के बाद से "लंदन", इस अंदरुनी केंद्र के आसपास के क्षेत्रों को मिला कर एक महानगर के रूप में संदर्भित किया जाने लगा, जिनमें मिडलसेक्स, एसेक्स, सरे, केंट, और हर्टफोर्डशायर आदि शमिल है। जिसे आज ग्रेटर लंदन नाम से जानते है, एवं लंदन महापौर और लंदन विधानसभा द्वारा शासित किया जाता हैं। कला, वाणिज्य, शिक्षा, मनोरंजन, फैशन, वित्त, स्वास्थ्य देखभाल, मीडिया, पेशेवर सेवाओं, अनुसंधान और विकास, पर्यटन और परिवहन में लंदन एक प्रमुख वैश्विक शहर है। यह दुनिया का सबसे बड़ा वित्तीय केंद्र के रूप में ताज पहनाया गया है और दुनिया में पांचवां या छठा सबसे बड़ा महानगरीय क्षेत्र जीडीपी है। लंदन एक है विश्व सांस्कृतिक राजधानी। यह दुनिया का सबसे अधिक का दौरा किया जाने वाला शहर है, जो अंतरराष्ट्रीय आगमन द्वारा मापा जाता है और यात्री ट्रैफिक द्वारा मापा जाने वाला विश्व का सबसे बड़ा शहर हवाई अड्डा है। लंदन विश्व के अग्रणी निवेश गंतव्य है, किसी भी अन्य शहर की तुलना में अधिक अंतरराष्ट्रीय खुदरा विक्रेताओं और अल्ट्रा हाई-नेट-वर्थ वाले लोगों की मेजबानी यूरोप में लंदन के विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा संस्थानों का सबसे बड़ा केंद्र बनते हैं। 2012 में, लंदन तीन बार आधुनिक ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों की मेजबानी करने वाला पहला शहर बन गया। लंदन में लोगों और संस्कृतियों की विविधता है, और इस क्षेत्र में 300 से अधिक भाषाएं बोली जाती हैं। इसकी 2015 कि अनुमानित नगरपालिका जनसंख्या (ग्रेटर लंदन के समरूपी) 8,673,713 थी, जो कि यूरोपीय संघ के किसी भी शहर से सबसे बड़ा, और संयुक्त राजशाही की आबादी का 12.5% ​​हिस्सा है। 2011 की जनगणना के अनुसार 9,787,426 की आबादी के साथ, लंदन का शहरी क्षेत्र, पेरिस के बाद यूरोपीय संघ में दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला है। शहर का महानगरीय क्षेत्र यूरोपीय संघ में 13,879,757 जनसंख्या के साथ सबसे अधिक आबादी वाला है, जबकि ग्रेटर लंदन प्राधिकरण के अनुसार शहरी-क्षेत्र की आबादी के रूप में 22.7 मिलियन है। 1831 से 1925 तक लंदन विश्व के सबसे अधिक आबादी वाला शहर था। लंदन में चार विश्व धरोहर स्थल हैं: टॉवर ऑफ़ लंदन; किऊ गार्डन; वेस्टमिंस्टर पैलेस, वेस्ट्मिन्स्टर ऍबी और सेंट मार्गरेट्स चर्च क्षेत्र; और ग्रीनविच ग्रीनविच वेधशाला (जिसमें रॉयल वेधशाला, ग्रीनविच प्राइम मेरिडियन, 0 डिग्री रेखांकित, और जीएमटी को चिह्नित करता है)। अन्य प्रसिद्ध स्थलों में बकिंघम पैलेस, लंदन आई, पिकैडिली सर्कस, सेंट पॉल कैथेड्रल, टावर ब्रिज, ट्राफलगर स्क्वायर, और द शर्ड आदि शामिल हैं। लंदन में ब्रिटिश संग्रहालय, नेशनल गैलरी, प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय, टेट मॉडर्न, ब्रिटिश पुस्तकालय और वेस्ट एंड थिएटर सहित कई संग्रहालयों, दीर्घाओं, पुस्तकालयों, खेल आयोजनों और अन्य सांस्कृतिक संस्थानों का घर है। लंदन अंडरग्राउंड, दुनिया का सबसे पुराना भूमिगत रेलवे नेटवर्क है। .

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लैटिन साहित्य

लैटिन साहित्य के अंतर्गत लैटिन भाषा में रचित निबन्ध, इतिहास, कविता, नाटक आदि आते हैं। लैटिन भाषा का चलन ईसापूर्व तीसरी शताब्दी में आरम्भ हुआ था और इसे प्राचीन रोम की प्रमुख भाषा बनने में २०० वर्ष लग गये। यहाँ तक कि मार्कस औरेलिअस (121–180 AD) के समय में भी बहुत से शिक्षित लोग प्राचीन ग्रीक में ही लिखते-पढ़ते थे। कई अर्थों में लैटिन साहित्य, प्राचीन ग्रीक साहित्य का ही सांतत्य (continuation) था। लैटिन, प्राचीन रोमवासियों की भाषा थी किन्तु यह पूरे मध्य युग में यूरोप की जनभाषा (लिंगुआ फ्रांका) भी थी। अतः लैटिन साहित्य के अन्दर केवल रोम के लेखक (सिसरो, वर्जिल, ओविद, होरेस आदि) ही नहीं आते बल्कि रोमन साम्राज्य के पतन के बाद के यूरोपीय लेखक (एक्विनास (1225–1274), फ्रांसिस बेकन (1561–1626), बरुच स्पिनोजा (1632–1677) और आइज़क न्यूटन (1642–1727) आदि) भी आते हैं।.

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लैवेंडर

लैवेंडर (लैवेन्डुला) पुदिना परिवार लैमिआसे के 39 फूल देने वाले पौधों में से एक प्रजाति है। एक पुरानी विश्व प्रजाति मकारोनेसिया (केप वर्डे और कैनरी द्वीप और मैदेरा) अफ्रीका, भूमध्यसागरीय, दक्षिणी पश्चिमी एशिया, अरब, पश्चिमी ईरान और दक्षिण पूर्व भारत के पार से वितरित हुई.

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शब्दकोशों का इतिहास

शब्दकोशों के आरंभिक अस्तित्व की चर्चा में अनेक देशों और जातियों के नाम जुडे़ हुए हैं। भारत में पुरातनतम उपलब्ध शब्दकोश वैदिक 'निघण्टु' है। उसका रचनाकाल कम से कम ७०० या ८०० ई० पू० है। उसके पूर्व भी 'निघंटु' की परंपरा थी। अत: कम से कम ई० पू० १००० से ही निघंटु कोशों का संपादन होने लगा था। कहा जाता है कि चीन में ईसवी सन् के हजारों वर्ष पहले से ही कोश बनने लगे थे। पर इस श्रुतिपरंपरा का प्रमाण बहुत बाद— आगे चलकर उस प्रथम चीनी कोश में मिलता है, जिसका रचना 'शुओ वेन' (एस-एच-यू-ओ-डब्ल्यू-ई-एन) ने पहली दूसरी शदी ई० के आसपास की थी (१२१ ई० भी इसका निर्माण काल कहा गया है)। चीन के 'हान' राजाओं के राज्य- काल में भाषाशास्त्री 'शुओ बेन' के कोश को उपलब्ध कहा गया है। यूरेशिया भूखंड में एक प्राचीनतम 'अक्कादी-सुमेरी' शब्दकोश का नाम लिया जाता है जिसके प्रथम रूप का निर्माण— अनुमान और कल्पना के अनुसार—ई० पू० ७वीं शती में बताया जाता है। कहा जाता है कि हेलेनिस्टिक युग के यूनानियों नें भी योरप में सर्वप्रथम कोशरचना उसी प्रकार आरंभ की थी जिस प्रकार साहित्य, दर्शन, व्याकरण, राजनीति आदि के वाङ्मय की। यूनानियों का महत्व समाप्त होने के बाद और रोमन साम्राज्य के वैभवकाल में तथा मध्यकाल में भी बहुत से 'लातिन' कोश बने। 'लतिन' का उत्कर्ष और विस्तार होने पर लतिन तथा लातिन + अन्यभाषा-कोश, शनै: शनै: बनते चले गए। सातवीं-आठवीं शती ई० में निर्मित एक विशाल 'अरबी शब्दकोश' का उल्लेख भी उपलब्ध है। .

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शारलेमेन

इम्पेरेटर रोमनोरम (रोमन सम्राट) | titletext .

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शारीरिक दण्ड

शारीरिक दंड एक अपराध की सजा के रूप में, गलती करने वाले को अनुशासित करने के लिए या अस्वीकार्य प्रवृति या व्यवहार को रोकने हेतु दिया जाने वाला सुविचारित दण्ड है। यह शब्द क्रमबद्ध ढंग से आमतौर पर एक अपराधी को मारने के साथ संदर्भित है, चाहे न्यायिक, घरेलु या शैक्षणिक समायोजन हो। शारीरिक दंड को तीन मुख्य प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है.

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शास्त्रीय प्राचीनकाल

यूरोपीय शास्त्रीय प्राचीनकाल (European classical antiquity) भूमध्य सागर क्षेत्र पर केन्द्रित यूरोपीय सांस्कृतिक इतिहास का एक लम्बा काल था जब प्राचीन यूनान और प्राचीन रोम की सभ्यताएँ एक दूसरे से मिश्रित होकर पनप रहीं थी और यूरोप, उत्तर अफ़्रीका व पश्चिमी एशिया को प्रभावित कर रहीं थी। इस काल का आरम्भ ७वीं या ८वीं शताब्दी ईसापूर्व में होमर की काव्य-गाथाओं की रचना से और अन्त ३००-६०० ईसवी काल में समझा जाता है। .

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शेयर एक्सचेंज

श्रेणी:शेयर बाज़ार.

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सबसे बड़े साम्राज्यों की सूची

यह विश्व इतिहास के सबसे बड़े साम्राज्यों की सूची हैं, लेकिन इस सूची को पूरी तरह से माना नहीं जा सकता हैं क्योकि किस "साम्राज्य" को इस श्रेणी में रखा जाये बहुत ही कठिन हैं, और विद्यमानो की बीच विवाद का विषय रहा हैं। .

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सर्वहारा

रूमानिया का एक साम्यवादी क्रांतिकारी पोस्टर जिसमें ध्वज पर लिखा है 'विश्वभर के प्रोलितारियनों एक हो जाओ' सर्वहारा (प्रोलितारियत / प्रोलिटेरियट​ / Proletariat) समाजशास्त्र, राजनीति और अर्थशास्त्र में समाज की नीचे वाली श्रेणियों को कहा जाता है, जो अक्सर शारीरिक श्रम से जीवनी चलाते हैं। औद्योगिक समाजों में अक्सर कारख़ानों में काम करने वाले मज़दूरों को 'प्रोलिटेरियट​' कहा जाता था लेकिन कभी-कभी कृषकों और अन्य ग़रीब मेहनत करने वाले लोगों को भी इसमें शामिल किया जाता है। .

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सामंतवाद

अपने प्रतिज्ञाओं के लिए रोलाण्ड शारलेमेन; चेनसन डे गेस्टे, c.14th.c. की एक पांडुलिपि से सामंतवाद (Feudalism / फ्युडलिज्म) मध्यकालीन युग में इंग्लैंड और यूरोप की प्रथा थी। इन सामंतों की कई श्रेणियाँ थीं जिनके शीर्ष स्थान में राजा होता था। उसके नीचे विभिन्न कोटि के सामंत होते थे और सबसे निम्न स्तर में किसान या दास होते थे। यह रक्षक और अधीनस्थ लोगों का संगठन था। राजा समस्त भूमि का स्वामी माना जाता था। सामंतगण राजा के प्रति स्वामिभक्ति बरतते थे, उसकी रक्षा के लिए सेना सुसज्जित करते थे और बदले में राजा से भूमि पाते थे। सामंतगण भूमि के क्रय-विक्रय के अधिकारी नहीं थे। प्रारंभिक काल में सामंतवाद ने स्थानीय सुरक्षा, कृषि और न्याय की समुचित व्यवस्था करके समाज की प्रशंसनीय सेवा की। कालांतर में व्यक्तिगत युद्ध एवं व्यक्तिगत स्वार्थ ही सामंतों का उद्देश्य बन गया। साधन-संपन्न नए शहरों के उत्थान, बारूद के आविष्कार, तथा स्थानीय राजभक्ति के स्थान पर राष्ट्रभक्ति के उदय के कारण सामंतशाही का लोप हो गया।.

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साम्राज्य

राज्य जहां कई जातियां रहती हैं, जो क्षेत्र में विशाल है और जहां सम्राट के पास समस्त अधिकार हैं, साम्राज्य कहलाता है। यह एक राजनैतिक क्षेत्र है जो किसी एक राजा (जैसे मुग़ल साम्राज्य) अथवा कुछ मुख्य-पतियों (जैसे मराठा साम्राज्य) द्वारा साझेदारी में संभाला जाता है। साम्राज्य छोटे समय के अंतराल में भी हो सकता है परन्तु अधिकाँश वह पीढ़ी दर पीढ़ी कई दशकों या सदियों तक चलता है। भारत का सबसे बडा साम्राज्य सम्राट अशोक का मौर्य साम्राज्य था, जिसकी सिमा 50,00,000 वर्ग किमी में श्रेत्र था। इसे देखिए – भारत में सबसे बडे साम्राज्यों की सूची .

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साल्ज़बर्ग

(Såizburg; वस्तुतः: "सॉल्ट सिटी") ऑस्ट्रिया का चौथा सबसे बड़ा शहर है और यह साल्ज़बोर्ग के संघीय राज्य का शहर है। साल्ज़बोर्ग के "ओल्ड टाउन" (Altstadt) में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त उच्छृंखल वास्तुकला है और यह आल्प्स के उत्तरी भाग के केन्द्र में स्थित सबसे बेहतरीन रूप से संरक्षित शहरों में से एक है। 1997 में इसे यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में सूचीबद्ध किया गया। यह शहर अपने अल्पाइन समायोजन के लिए विख्यात है। साल्ज़बोर्ग 18वीं सदी के संगीतकार वोल्फगैंग एमॅड्यूस मोज़ार्ट का जन्मस्थान था। 20वीं शताब्दी में मध्य में, इस शहर में अमेरिकी संगीत और फिल्म, साउंड ऑफ़ म्युज़िक के कुछ भागों को फिल्माया गया, जिसमें ऑस्ट्रिया के प्रसिद्ध स्थलों को दर्शाया गया है। यह संगीत रिचर्ड रोजर्स और ऑस्कर हैमरस्टेन द्वितीय के बीच एक साझेदारी थी। साल्ज़बोर्ग राज्य की राजधानी है (लैंड साल्ज़बोर्ग), इस शहर में तीन विश्वविद्यालय हैं। इसमें छात्रों की एक विशाल जनसंख्या मौजूद है जो उस क्षेत्र को सजीवता और ऊर्जा प्रदान करती है और ये विश्वविद्यालय जनसाधारण को संस्कृति प्रदान करते हैं। .

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सांता अग्वेदा का महल

सांता अग्वेदा का महल (अरबी रूप में: सेंत अगाइज़) फ़ेरीज़ (Ferreries) नगर पालिका मिनोरका.

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सिंह (पशु)

सिंह (पेन्थेरा लियो) पेन्थेरा वंश की चार बड़ी बिल्लियों में से एक है और फेलिडे परिवार का सदस्य है। यह बाघ के बाद दूसरी सबसे बड़ी सजीव बिल्ली है, जिसके कुछ नरों का वजन २५० किलोग्राम से अधिक होता है। जंगली सिंह वर्तमान में उप सहारा अफ्रीका और एशिया में पाए जाते हैं। इसकी तेजी से विलुप्त होती बची खुची जनसंख्या उत्तर पश्चिमी भारत में पाई जाती है, ये ऐतिहासिक समय में उत्तरी अफ्रीका, मध्य पूर्व और पश्चिमी एशिया से गायब हो गए थे। प्लेइस्तोसेन के अंतिम समय तक, जो लगभग १०,००० वर्ष् पहले था, सिंह मानव के बाद सबसे अधिक व्यापक रूप से फैला हुआ बड़ा स्तनधारी, भूमि पर रहने वाला जानवर था। वे अफ्रीका के अधिकांश भाग में, पश्चिमी यूरोप से भारत तक अधिकांश यूरेशिया में और युकोन से पेरू तक अमेरिका में पाए जाते थे। सिंह जंगल में १०-१४ वर्ष तक रहते हैं, जबकि वे कैद मे २० वर्ष से भी अधिक जीवित रह सकते हैं। जंगल में, नर कभी-कभी ही दस वर्ष से अधिक जीवित रह पाते हैं, क्योंकि प्रतिद्वंद्वियों के साथ झगड़े में अक्सर उन्हें चोट पहुंचती है। वे आम तौर पर सवाना और चारागाह में रहते हैं, हालांकि वे झाड़ी या जंगल में भी रह सकते हैं। अन्य बिल्लियों की तुलना में सिंह आम तौर पर सामाजिक नहीं होते हैं। सिंहों के एक समूह जिसे अंग्रेजी मे प्राइड कहॉ जाता में सम्बन्धी मादाएं, बच्चे और छोटी संख्या में नर होते हैं। मादा सिंहों का समूह प्रारूपिक रूप से एक साथ शिकार करता है, जो अधिकांशतया बड़े अनग्युलेट पर शिकार करते हैं। सिंह शीर्ष का और कीस्टोन शिकारी है, हालांकि वे अवसर लगने पर मृतजीवी की तरह भी भोजन प्राप्त कर सकते हैं। सिंह आमतौर पर चयनात्मक रूप से मानव का शिकार नहीं करते हैं, फिर भी कुछ सिंहों को नर-भक्षी बनते हुए देखा गया है, जो मानव शिकार का भक्षण करना चाहते हैं। सिंह एक संवेदनशील प्रजाति है, इसकी अफ्रीकी रेंज में पिछले दो दशकों में इसकी आबादी में संभवतः ३० से ५० प्रतिशत की अपरिवर्तनीय गिरावट देखी गयी है। ^ डाटाबेस प्रवेश में एस बात का एक लंबा औचित्य सम्मिलित है कि यह प्रजाति संवेदनशील क्यों है। क्यों इस प्रजाति की दुर्दशा का एक भी सम्मिलित है सिंहों की संख्या नामित सरंक्षित क्षेत्रों और राष्ट्रीय उद्यानों के बहार अस्थिर है। हालांकि इस गिरावट का कारण पूरी तरह से समझा नहीं गया है, आवास की क्षति और मानव के साथ संघर्ष इसके सबसे बड़े कारण हैं। सिंहों को रोमन युग से पिंजरे में रखा जाता रहा है, यह एक मुख्य प्रजाति रही है जिसे अठारहवीं शताब्दी के अंत से पूरी दुनिया में चिडिया घर में प्रदर्शन के लिए रखा जाता रहा है। खतरे में आ गयी एशियाई उप प्रजातियों के लिए पूरी दुनिया के चिड़ियाघर प्रजनन कार्यक्रमों में सहयोग कर रहे हैं। दृश्य रूप से, एक नर सिंह अति विशिष्ट होता है और सरलता से अपने अयाल (गले पर बाल) द्वारा पहचाना जा सकता है। सिंह, विशेष रूप से नर सिंह का चेहरा, मानव संस्कृति में सबसे व्यापक ज्ञात जंतु प्रतीकों में से एक है। उच्च पाषाण काल की अवधि से ही इसके वर्णन मिलते हैं, जिनमें लॉसकाक्स और चौवेत गुफाओं की व नक्काशियां और चित्रकारियां सम्मिलित हैं, सभी प्राचीन और मध्य युगीन संस्कृतियों में इनके प्रमाण मिलते हैं, जहां ये ऐतिहासिक रूप से पाए गए। राष्ट्रीय ध्वजों पर, समकालीन फिल्मों और साहित्य में चित्रकला में, मूर्तिकला में और साहित्य में इसका व्यापक वर्णन पाया जाता है। .

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सिकन्दरिया

सूर्यास्तकालीन सिकन्दरिया. सिकन्दरिया की सड़कें. सिकन्दरिया (अंग्रेजी:Alexandria; अरबी: الإسكندرية अल-इस्कंदरिया), मिस्र का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। यहां की जनसंख्या 41 लाख है और यह देश का सबसे बड़ा समुद्री बंदरगाह है जहां मिस्र का लगभग 80% आयात और निर्यात कार्य संपन्न होता है। सिकन्दरिया एक महत्वपूर्ण पर्यटक स्थल भी है। सिकन्दरिया, उत्तर-मध्य मिस्र में भूमध्य सागर के तट के किनारे लगभग दूर तक फैला हुआ है। यह बिब्लियोथेका अलेक्जेंड्रिना (नया पुस्तकालय) का घर है। एक अन्य शहर, स्वेज, से अपने प्राकृतिक गैस और तेल की पाइपलाइनों की वजह से यह मिस्र का एक महत्वपूर्ण औद्योगिक केंद्र बन गया है। प्राचीन काल में, सिकन्दरिया दुनिया के सबसे प्रसिद्ध शहरों में से एक था। इसकी स्थापना सिकंदर महान (अलेक्जेंडर द ग्रेट) ने लगभग (c.) 331 ई.पू.

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स्टर्लिंग किला

स्टर्लिंग क़िला, स्टर्लिंग में स्थित स्कॉटलैंड के सबसे महत्वपूर्ण व ऐतिहासिक इमारतों में से है। क़िला स्टर्लिंग सिल नामक भौगोलिक संरचना के हिस्से कैसल हिल यानी पहाडी किले के उपर स्थित है। इसके तीन तरफ खडी चट्टानें व खाईयाँ हैं जो इसे बेहद मजबूत सुरक्षा प्रदान करती हैं। इसकी सामरिक स्थिति जिसकी सुरक्षा १८९० तक फोर्थ नदी के नीचे की ओर बहने वाले तेज बहाव करते थे ने इसे १२वीं सदी से ही एक महत्वपूर्ण किलेनुमा शाही महल बना रखा था। इस क़िले की अधिकांश महत्वपूर्ण भवन १५वीं व १६वीं शताब्दी में निर्मित हैं। चौदहवीं शताब्दी के भी कुछ भवन बचे हैं जबकि नगर की दिशा वाले बाहरी दीवारें अट्ठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध की हैं। १५४२ में मैरी सहित स्कॉटलैंड के तमाम शासकों का यहाँ राज्याभिषेक हुआ।स्टर्लिंग क़िले को कम से कम ८ बार आक्रमण करके कब्जाया गया जिनमें से अधिकतर स्कॉटिश स्वतंत्रता संग्राम के समय हुए। अंतिम बार इसपर १७४६ में आक्रमण हुआ जब चार्ल्स एडवर्ड स्टुअर्ट ने इस पर कब्ज़ा करने का असफल प्रयास किया। स्टर्लिंग क़िला अब एक ऐतिहासिक धरोहर है और ऐतिहासिक स्कॉटलैंड नामक सरकारी संस्था द्वारा प्रबंधित पर्यटन स्थल है। .

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स्पा

गोवा, भारत में आयुर्वेदिक स्पा. स्पा शब्द जल चिकित्सा से जुड़ा हुआ है, जिसे स्नान चिकित्सा के रूप में भी जाना जाता है। स्पा शहर या स्पा सैरगाह (रिजॉर्ट्स) (गर्म पानी के झरने वाली सैरगाहों सहित) आमतौर विभिन्न स्वास्थ्य उपचारों की पेशकश करते हैं। प्रागैतिहासिक काल से ही यह विश्वास किया जाता है कि खनिज जल में शरीर का उपचार करने की शक्तियां मौजूद होती हैं। इस तरह के व्यवहार दुनिया भर में लोकप्रिय हैं, लेकिन विशेष रूप से यूरोप और जापान में इसका व्यापक प्रसार हैं। दिवस स्पा भी काफी लोकप्रिय हैं और इससे विभिन्न व्यक्तिगत देखभाल उपचार की पेशकश की जाती है। .

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स्पार्टाकस

स्पार्टाकस (Σπάρτακος, Spártakos, Spartacus) (लगभग. 109 ई.पू. - 71 ई.पू.) रोमन साम्राज्य के खिलाफ एक व्यापक दास विद्रोह में जिसे तीसरा दास युद्ध कहा जाता है, दासों का सबसे उल्लेखनीय नेता था। स्पार्टाकस के बारे में युद्ध की घटनाओं से परे ज्यादा कुछ ज्ञात नहीं है और उपलब्ध ऐतिहासिक विवरण कभी-कभी विरोधाभासी हो जाते हैं और हमेशा विश्वसनीय नहीं हो सकते। वह एक निपुण सैन्य नेता था। स्पार्टाकस के संघर्ष ने 19 वीं सदी के बाद से आधुनिक लेखकों के लिए नए मायने अख्तियार किये हैं, जिसे अभिजात वर्ग के दास मालिकों के खिलाफ पददलित लोगों द्वारा अपनी स्वतंत्रता हासिल करने के लिए लड़ी गई लड़ाई के रूप में देखा जाता है। स्पार्टाकस का विद्रोह कई आधुनिक राजनीतिक और साहित्यिक लेखकों के लिए प्रेरणादायक सिद्ध हुआ है, जिससे स्पार्टाकस प्राचीन और आधुनिक, दोनों संस्कृतियों में एक लोक नायक बन कर उभरा है। .

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स्वर्ण होड़

स्वर्ण होड़ या स्वर्ण दौड़ उस समय को कहते है जब किसी स्थान पर सोने की खोज के बाद उस स्थान पर बड़ी संख्या में लोग और कर्मी पहुँचने लगते हैं। १९वीं सदी के दौरान ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, कनाडा, दक्षिण अफ़्रीका और संयुक्त राज्य अमेरिका में इस प्रकार की स्वर्ण होड़ लगी थी, जबकि अन्य स्थानों पर कुछ छोटी स्वर्ण होड़ हुई थी। बहुत से स्वर्ण होड़ बाले नगर रातों-रात बढ़ते हैं और तेज़ी से फैलते हैं और अंततः छोड़ दिए जाते हैं। स्वर्ण होड़ के साथ आमतौर पर "सभी के लिए मुक्त" आय की गतिशीलता जैसी भावना जुड़ी होती है, जिसमें कोई भी व्यक्ति प्रचुर रूप से क्षणभर में धनी हो सकता है। एतिहासिक रूप से स्वर्ण होड़ का वही अर्थ है जो इस पद (पारिभाषिक शब्द) का है लेकिन आज के समय में यह पद किसी भी उस पूँजीवादी गतिविधि को दर्शाने के लिए होता है जिसमें प्रतिभागी किसी प्रत्यक्ष स्पष्ट रूप से लाभप्रद बाज़ार के लिए होड़ करते हैं। स्वर्ण होड़ो ने नए क्षेत्रों में बाहर से आए लोगों के अवस्थापन में बहुत सहायक भूमिका निभाई और उत्तर अमेरिकी और ऑस्ट्रेलियाई संस्कृतियों को बहुत सीमा तक परिभाषित किया। ऐसे समय में, जब की मुद्रा सोने पर आधारित थी, रोमन साम्राज्य में नए-नए खननित सोने ने स्वर्ण खादानों से कहीं अधिक दूर तक आर्थिक सहायता प्रदान की। सामुदायिक और लघु खनन (कैस्म) के अनुसार वर्तमान में विश्वभर में लगभग १.३ करोड़ से ३ करोड़ तक लघु खननकर्ता हैं। लगभग १० करोड़ लोग परोक्ष या अपरोक्ष रूप से लघु खनन पर आश्रित हैं। कांगो लोकतान्त्रिक गणराज्य में ८ से १५ लाख तक दस्तकार खननक हैं, सिएरा लियोन में ३.५ से ६.५ लाख और घाना में १.५ से २.५ लाख तक दस्तकार खननक हैं। इसके अतिरिक्त शेष अफ़्रीका में भी दसियों लाख खननक हैं। .

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स्विट्ज़रलैण्ड

स्विट्जरलैंड (जर्मन: (die) Schweiz (डी) श्वाइत्स, फ़्रांसिसी: (la) Suisse (ला) सुईस, लातिनी: Helvetia हेल्वेतिया) मध्य यूरोप का एक देश है। इसकी 60 % सरज़मीन ऐल्प्स पहाड़ों से ढकी हुई है, सो इस देश में बहुत ही ख़ूबसूरत पर्वत, गाँव, सरोवर (झील) और चारागाह हैं। स्विस लोगों का जीवनस्तर दुनिया में सबसे ऊँचे जीवनस्तरों में से एक है। स्विस घड़ियाँ, चीज़, चॉकलेट, बहुत मशहूर हैं। इस देश की तीन राजभाषाएँ हैं: जर्मन (उत्तरी और मध्य भाग की मुख्य भाषा), फ़्रांसिसी (पश्चिमी भाग) और इतालवी (दक्षिणी भाग) और एक सह-राजभाषा है: रोमांश (पूर्वी भाग)। इसके प्रान्त कैण्टन कहे जाते हैं। स्विट्स़रलैण्ड एक लोकतन्त्र है जहाँ आज भी प्रत्यक्ष लोकतन्त्र देखने को मिल सकता है। यहाँ कई बॉलीवुड फ़िल्म के गानों की शूटिंग होती है। लगभग 20 % स्विस लोग विदेशी मूल के हैं। इसके मुख्य शहर और पर्यटक स्थल हैं: ज़्यूरिख, जनीवा, बर्न (राजधानी), बासल, इंटरलाकेन, लोज़ान, लूत्सर्न, इत्यादि। यहाँ एक तरफ बर्फ के सुंदर ग्लेशियर हैं। ये ग्लेशियर साल में आठ महीने बर्फ की सुंदर चादर से ठके रहते हैं। तो वहीँ दूसरी तरफ सुंदर वादियाँ हैं जो सुंदर फूलों और रंगीन पत्तियों वाले पेड़ों से ढकीं रहती हैं। भारतीय निर्देशक यश चोपड़ा की फिल्मों में इस खूबसूरत देश के कई नयनाभिराम दृश्य देखने को मिलते हैं। .

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स्कॉट्लैण्ड का इतिहास

स्कॉटलैण्ड का निर्माण लगभग १० हजार वर्ष पूर्व हुआ। प्रागैतिहासिक स्कॉटलैण्ड नवपाषाण युग में लगभग ४ हजार ईसा पूर्व प्रविष्ट हुआ, कांस्य युग में २ हजार ईसापूर्व प्रविष्ट हुआ, तथा लगभग ७०० ईसापूर्व लौह युग में प्रविष्ट हुआ। स्कॉटलैण्ड का सबसे पुराना ज्ञात इतिहास (ईसा पश्चात) प्रथम शताब्दी में रोमन साम्राज्य के आगमन से आरम्भ होता है। श्रेणी:विश्व का इतिहास.

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सौर मण्डल

सौर मंडल में सूर्य और वह खगोलीय पिंड सम्मलित हैं, जो इस मंडल में एक दूसरे से गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा बंधे हैं। किसी तारे के इर्द गिर्द परिक्रमा करते हुई उन खगोलीय वस्तुओं के समूह को ग्रहीय मण्डल कहा जाता है जो अन्य तारे न हों, जैसे की ग्रह, बौने ग्रह, प्राकृतिक उपग्रह, क्षुद्रग्रह, उल्का, धूमकेतु और खगोलीय धूल। हमारे सूरज और उसके ग्रहीय मण्डल को मिलाकर हमारा सौर मण्डल बनता है। इन पिंडों में आठ ग्रह, उनके 166 ज्ञात उपग्रह, पाँच बौने ग्रह और अरबों छोटे पिंड शामिल हैं। इन छोटे पिंडों में क्षुद्रग्रह, बर्फ़ीला काइपर घेरा के पिंड, धूमकेतु, उल्कायें और ग्रहों के बीच की धूल शामिल हैं। सौर मंडल के चार छोटे आंतरिक ग्रह बुध, शुक्र, पृथ्वी और मंगल ग्रह जिन्हें स्थलीय ग्रह कहा जाता है, मुख्यतया पत्थर और धातु से बने हैं। और इसमें क्षुद्रग्रह घेरा, चार विशाल गैस से बने बाहरी गैस दानव ग्रह, काइपर घेरा और बिखरा चक्र शामिल हैं। काल्पनिक और्ट बादल भी सनदी क्षेत्रों से लगभग एक हजार गुना दूरी से परे मौजूद हो सकता है। सूर्य से होने वाला प्लाज़्मा का प्रवाह (सौर हवा) सौर मंडल को भेदता है। यह तारे के बीच के माध्यम में एक बुलबुला बनाता है जिसे हेलिओमंडल कहते हैं, जो इससे बाहर फैल कर बिखरी हुई तश्तरी के बीच तक जाता है। .

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सेंट एलीयन चर्च

सेंट इलिन चर्चThe Church of Saint Elian (كنيسة مار اليان, Kaneesat Mar Elian) ये चर्च सीरिया के हाम्स नगर में स्थित है इस चर्च का निर्माण रोमन शासकों ने 432 ईस्वी में करवाया था। .

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सॉसेज

कीएलबासा बिआला (श्वेत सॉसेज), जिनकोवा (धुंए द्वारा पकाया हुआ), स्लास्का और पोधालानस्का शैलियां (पोलैंड) सॉसेज एक खाद्य है जिसे गोमांस और सूअर के मांस, दोनों के पिसे मांस से बनाया जाता है। सामान्यतः इसमें पिसी हुई शूकर वसा (फैटबैक), नमक, जड़ी-बूटी और मसाला शामिल होता है। आम तौर पर सॉसेज को एक खोल में बनाया जाता है जो परंपरागत रूप से आंत से बना होता है, लेकिन कभी-कभी सिंथेटिक भी होता है। कुछ सॉसेज को प्रसंस्करण के दौरान पकाया जाता है और बाद में खोल को हटाया जा सकता है। सॉसेज निर्माण एक पारंपरिक खाद्य संरक्षण तकनीक है। सॉसेज को क्योरिंग, शुष्कीकरण या धुंआ द्वारा संरक्षित किया जा सकता है। .

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सोग़दा

३०० ईसापूर्व में सोग़दा का क्षेत्र एक चीनी शिल्प-वस्तु पर सोग़दाई लोगों का चित्रण सोग़दाई व्यापारी भगवान बुद्ध को भेंट देते हुए (बाएँ की तस्वीर के निचले हिस्से को दाई तरफ़ बड़ा कर के दिखाया गया है) सोग़दा, सोग़दिया या सोग़दियाना (ताजिक: Суғд, सुग़्द; तुर्की: Soğut, सोग़ुत) मध्य एशिया में स्थित एक प्राचीन सभ्यता थी। यह आधुनिक उज़्बेकिस्तान के समरक़न्द, बुख़ारा, ख़ुजन्द और शहर-ए-सब्ज़ के नगरों के इलाक़े में फैली हुई थी। सोग़दा के लोग एक सोग़दाई नामक भाषा बोलते थे जो पूर्वी ईरानी भाषा थी और समय के साथ विलुप्त हो गई। माना जाता है कि आधुनिक काल के ताजिक, पश्तून और यग़नोबी लोगों में से बहुत इन्ही सोग़दाई लोगों के वंशज हैं। .

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सीरिया

सीरिया ('''سوريّة'''. or), आधिकारिक रूप से सीरियाई अरब गणराज्य (अरबी: الجمهورية العربية السورية), दक्षिण-पश्चिम एशिया का एक राष्ट्र है। इसके पश्चिम में लेबनॉन तथा भूमध्यसागर, दक्षिण-पश्चिम में इजराइल, दक्षिण में ज़ॉर्डन, पूरब में इराक़ तथा उत्तर में तुर्की है। इसराइल तथा इराक़ के बीच स्थित होने के कारण यह मध्य-पूर्व का एक महत्वपूर्ण देश है। इसकी राजधानी दमास्कस है जो उमय्यद ख़िलाफ़त तथा मामलुक साम्राज्य की राजधानी रह चुका है। अप्रैल 1946 में फ्रांस से स्वाधीनता मिलने के बाद यहाँ के शासन में बाथ पार्टी का प्रभुत्व रहा है। 1963 से यहाँ आपातकाल लागू है जिसके कारण 1970 के बाद से यहाँ के शासक असद परिवार के लोग होते हैं। .

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हरक्यूलिस का टावर

हरक्यूलिस का टॉवर (गैलिशियन भाषा और स्पेनी भाषा में Torre de Hércules) प्राचीन रोमन का प्रकाश स्तंभ है जो कि एक प्रायद्वीप पर 2.4 कि० मी० के केंद्र से आ कोरुन्या और गालिसिया के बीच उत्तर पश्चिमी स्पेन में स्थित है। 20 वीं सदी तक टावर को फ़ारम ब्रिगनतियम ("Farum Brigantium") के रूप में जाना जाता था। लातीनी शब्द फ़ारम (Farum) दरअसल यूनानी भाषा के शब्द "फ़ारोस" से लिया गया है जो कि सिकंदरिया के प्रकाशस्तम्भ के लिए इस्तेमाल होता था। इसका ढाँचा 55 फ़ीट लम्बा और स्पेन के उत्तर अटलांटिक से भी ऊपर खड़ा है। यह ढाँचा लगभग 1900 साल पुराना है और इसे 1791 में फिर से निर्मित किया गया था। यह रोम के दौर के प्रकाशस्तम्भों में सबसे पुराना है। यहाँ एक शिल्पकला बाग़ है। इसमें पबलो सेर्रानो और फ़्रान्सिसको लेइरो द्वारा बनाई गई मूर्तियाँ रखी गई हैं। हरक्यूलिस का टावर स्पेन का तो राष्ट्रीय स्मारक है ही, इसके साथ-साथ 27 जून, 2009 से स्पेन में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों में से एक जुड़ गया था।UNESCO website यह स्पेन में चिपिओना प्रकाश के बाद सबसे बड़ा प्रकाशस्तम्भ है। .

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हूण लोग

हूण बंजारे लोग थे जिनका मूल स्थान वोल्गा के पूर्व में था। वे ३७० ई में यूरोप में पहुँचे और वहाँ विशाल हूण साम्राज्य खड़ा किया। हूण वास्तव में चीन के पास रहने वाली एक जाति थी। इन्हें चीनी लोग "ह्यून यू" अथवा "हून यू" कहते थे। कालान्तर में इसकी दो शाखाएँ बन गईँ जिसमें से एक वोल्गा नदी के पास बस गई तथा दूसरी शाखा ने ईरान पर आक्रमण किया और वहाँ के सासानी वंश के शासक फिरोज़ को मार कर राज्य स्थापित कर लिया। बदलते समय के साथ-साथ कालान्तर में इसी शाखा ने भारत पर आक्रमण किया इसकी पश्चिमी शाखा ने यूरोप के महान रोमन साम्राज्य का पतन कर दिया। यूरोप पर आक्रमण करने वाले हूणों का नेता अट्टिला था। भारत पर आक्रमण करने वाले हूणों को श्वेत हूण तथा यूरोप पर आक्रमण करने वाले हूणों को अश्वेत हूण कहा गया भारत पर आक्रमण करने वाले हूणों के नेता क्रमशः तोरमाण व मिहिरकुल थे तोरमाण ने स्कन्दगुप्त को शासन काल में भारत पर आक्रमण किया था। .

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हेद्रिअन

हेद्रिअन की प्रतिमा हेद्रिअन (७६ - १३८) ११७ ई से १३८ ई तक रोमन सम्राट था। हेद्रिअन का जन्म २४ जनवरी, सन् ७६ को हुआ। वह मूलत: स्पेनी था और त्राजन से उसका दूर का संबंध था। सन् ८५ में पिता की मृत्य के पश्चात् वह रोम के भावी सम्राट् त्राजन के संरक्षण में रहने लगा। बाद के पाँच वर्षों तक वह रोम में रहा। १५ वर्ष की उम्र में अपने जन्मस्थान को वापस लौट आया और सैनिक के रूप में उसके जीवन का आरंभ हुआ। सन् ९३ में त्राजन ने उसे रोम बुला लिया। सन् ९५ में एक ट्रिब्यून के रूप में बुडापेस्ट में उसकी नियुक्ति हुई, जहाँ से चार साल बाद वह रोम वापस चला आया। सन् १०० में महारानी पोलटिना ने उसका विवाह त्राजन की भतीजी विबिया साबिना से करा दिया। सन् १०१ में वह अर्थसचिव, १०५ में लोकाधिकारी और १०६ में प्रीतर बनाया गया। अपनी सख्त बीमारी के कारण जब त्राजन पूर्व से लौट आया तब उसने हेद्रिअन को सीरिया का गवर्नर और वहाँ का सेनापति नियुक्त किया। सन् ११७ में त्राजन ने उसे गोद लेकर अपना उत्तराधिकार को मान्यता प्रदान कर दी। वह उस समय रोम साम्राज्य की गद्दी पर बैठा जब वह चारों ओर गंभीर संकटों से घिरा हुआ था। शासनारूढ़ होने के बाद हेद्रिअन महान् प्रशासक सिद्ध हुआ। उसने सिनेट से मैत्रीपूर्ण व्यवहार रखनेवाली त्राजन की नीति को बरकरार रखा लेकिन उसी के साथ नौकरशाही को भी बढ़ावा दिया। साम्राज्य की सुख समृद्धि में उसकी रुचि का पता इसी से चलता है कि उसने दो बार पूरे साम्राज्य का विस्तृत भ्रमण किया था। स्काटलैंड की घुसपैठ से इंग्लैंड की रक्षा करने के लिए उसने १२१ - २२२ में इंग्लैंड के उत्तर में एक दीवाल का निर्माण करवाया जो हेद्रिअन दीवाल के रूप में प्रसिद्ध है और जिसके अवशेष अब भी वर्तमान हैं। उसने सीमांत प्रतिरक्षा को सुदृढ़ बनाया। अनेक शहर और कस्बे बसाए गए। सरकारी सहायता द्वारा सार्वजनिक निर्माण के कार्य संपन्न हुए। उसने किसानों के ऊपर से कर हटा दिया और 'रोमन ला' को व्यस्थित रूप दिया। हेद्रिअन प्रतिभासंपन्न, प्रखरबुद्धि और आकर्षक व्यक्तित्व का आदमी था। वह ग्रीक सभ्यता का प्रशंसक था और उसमें अद्भुत कृतत्व शक्ति थी। ऐसा प्रसिद्ध है कि वह एक ही समय लिख, पढ़, बोल और डिक्टेट करा सकता था। उसने अपनी एक आत्मकथा भी लिखी थी, जो अब प्राप्त नहीं है। कहा जाता है, अपने शासन के अंतिम दिनों में वह बहुत निराश हो गया और उसने तीन बार आत्महत्या करने का प्रयत्न किया। १० जुलाई, १३८ को उसकी मृत्यु हो गई। रोम में टाइबर नदी के किनारे उसकी शानदार मजार अब भी विद्यमान है। श्रेणी:रोमन सम्राट.

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जर्मनी का इतिहास

प्राचीन रोमन डैन्यूब नदी के उत्तर में रहने वाले "बर्बर कबीलों" वाले देशों को गेर्मानिया (Germania) कहा करते थे, जिसके नाम पर अंग्रेज़ी शब्द 'Germany' पड़ा। ये कबीले 'पुरानी जर्मन भाषा' की बोलियाँ बोलते थे। धीरे-धीरे इनका ईसाईकरण हुआ और जर्मन देश ईसाई पवित्र रोमन साम्राज्य का केन्द्र बन गया। दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व में पश्चिमी यूरोप में जर्मन जातियों के अभ्युदय का उल्लेख मिलता है। कुछ जातियाँ जैसे अलामन्नी (Alamanni) बरगंडियाई (Burgundians), फ्रांक (Franks) लंबार्ड (Lombards) ओस्ट्रोगोथ (Ostrogoths) और विज़ीगोथ (Visigoths) पूर्व में राइन नदी के मुहाने, पश्चिम में एल्बे नदी और दक्षिण में उत्तरी इटली के भागों के बीच धीरे-धीरे बसीं। उनमें से कुछ ने इटली पर आक्रमण किया और रोम साम्राज्य का विनाश किया, अन्य फ्रांस और ब्रिटेन में बस गई। राइन नदी के दोनों ओर का क्षेत्र कुछ दिन विवाद में रहने के पश्चात्‌ फ्रांकों के रोमन सम्राट् शार्लमेन द्वारा नवीं शताब्दी में अधिकृत किया गया। लेकिन शताब्दी के अंतिम दिनों जर्मन साम्राज्य तीन भागों में बँट गया। सैस्कन सम्राट् ओटो प्रथम ने 962 ई. में इटली और जर्मनी को एक सूत्र में बाँधा। आगे चलकर अशांतिपूर्ण स्थिति उत्पन्न हुई। फ्रैडरिक द्वितीय ने अपने शासन को सिसली में ही केंद्रित रखा, इस प्रकार जर्मनी लगभग उपेक्षित रहा। 1273 में हप्सबर्ग का रुडाल्फ सम्राट् निर्वाचित हुआ, किंतु उसके लिये भी बड़े साम्राज्य को कायम रखना असाध्य हो गया था। रोमन साम्राज्य जिस समय लड़खड़ा रहा था, इंग्लैंड, फ्रांस ओर स्पेन शक्तिशाली राज्य बन रहे थे। जर्मनी उस समय समृद्ध था- इसके विरुद्ध उपर्युक्त तीनों राज्यों ने संधि की। लेकिन जर्मनी की राजनैतिक अस्थिरता के कारण वहाँ 16वीं शताब्दी में मार्टिन लूथर के नेतृत्व में आंदोलन हुआ। अंत में इस आंदोलन ने 30 वर्षीय धर्मयुद्ध (1618-1648) का रूप लिया। इसमें जर्मनी के लगभग 300 टुकड़े हुए। 18वीं शताब्दी में इन छोटी-छोटी स्वतंत्र इकाइयों ने प्रशा में अत्यधिक उन्नति की। फ्रांसीसी क्रांति ओर नेपोलियन के युद्धों के समय से जर्मनी में राष्ट्रीयता की चेतना का आविर्भाव हुआ। यह चेतना आगे चलकर उदारवादी आंदोलन के रूप में बदली। 1871 में तत्कालीन चाँसलर ओटाबान बिसमार्क ने आस्ट्रिया, डेनमार्क और फ्रांस से युद्ध करके जर्मन राज्य को संगठित किया। फ्रांस की पराजय के बाद जर्मनी ने सैनिक, औद्योगिक और आर्थिक क्षेत्रों में तेजी से प्रगति की। विसमार्क ने इस स्थिति में अन्य यूरोपीय शक्तियों से संबंध स्थापित किया। 1888 ई. में विलियम द्वितीय सम्राट् हुआ। देश की अंतर्राष्ट्रीय स्थिति में पुन: अशांति उत्पन्न हुई, जिसने 20वीं शताब्दी में प्रथम विश्वयुद्ध का रूप लिय। इस युद्ध में जर्मन सेनाएँ पराजित हुई। इस पराजय से उत्पन्न आर्थिक और सामाजिक अव्यवस्थाओं तथा 'मित्र राष्ट्रों' की 'वार्सा-संधि' के अनुसार आर्थिक दबावों की परिस्थिति में एडाल्फ हिटलर तथा नेशनल सोशलिस्ट पार्टी (नाजी दल) ने 1933 में जर्मनी की सत्ता ग्रहण की। प्रथम विश्वयुद्ध के बाद वीमर (Weimer) संविधान के अनुसार गणराज्य घोषित जर्मनी में हिटलर ने अपना अधिनायकत्व स्थापित किया। उसने अपने शासनकाल में जर्मनी को सभी क्षेत्रों में सुदृढ़ किया। उसकी साम्राज्यवादी नीति ने, जिससे उसने यूरोप का बड़ा भाग 1939 तक कुछ संधियों से और कुछ सैनिक तरीकों से जर्मनी में जोड़ लिया, द्वितीय विश्वयुद्ध की परिस्थितियाँ मित्र राष्ट्रों के समक्ष आत्मसमर्पण करना पड़ा। रूस, ब्रिटेन, संयुक्तराज्य अमरीका और फ्रांस ने जर्मनी के चार भाग करके परस्पर बाँट लिए। 1949 में शांति समझौते के अनुसार जर्मनी की फेडरल जर्मन रिपब्लिक (पश्चिमी) और जर्मन डिमाक्रेटिक रिपब्लिक (पूर्वी) दो भाग हुए। पूर्वी भाग, जिसमें पूर्वी प्रशा भी संमिलित है, जो कि 1937 के पूर्व जर्मनों के और अब पोलैंड और रूस के अधिकार में हैं। 1990 में कम्युनिस्ट पूर्वी जर्मनी की मार्क्सवादी सरकार ढह गयी और जर्मनी का वापिस एकीकरण हुआ। .

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जहाजरानी का इतिहास

नदियों और समुद्रों में नावों और जहाजों से यात्रा तथा व्यापार का प्रारंभ लिखित इतिहास से पूर्व हो गया था। प्राय: साधारण जहाज ऐसे बनाए जाते थे कि आवश्यकता पड़ने पर उनसे युद्ध का काम भी लिया जा सके, क्योंकि जलदस्युओं का भय बराबर बना रहता था और इनसे जहाज की रक्षा की क्षमता आवश्यक थी। ये जहाज डाँड़ों या पालों अथवा दोनों से चलाए जाते थे और वांछित दिशा में ले जाने के लिये इनमें किसी न किसी प्रकार के पतवार की भी व्यवस्था होती थी। स्थलमार्ग से जलमार्ग सरल और सस्ता होता है, इसलिये बहुत बड़ी या भारी वस्तुओं को बहुत दूर के स्थानों में पहुँचाने के लिये आज भी नावों अथवा जहाजों का उपयोग होता है। प्राचीन काल में सभ्यता का उद्भव नौगम्य नदियों या समुद्रतटों पर ही विशेष रूप से हुआ और ये ही वे स्थान थे जहाँ विविध संस्कृतियों की, जातियों के सम्मिलन से, परवर्ती प्रगति का बीजारोपण हुआ। .

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जाति

भारतीय समाज जातीय सामाजिक इकाइयों से गठित और विभक्त है। श्रमविभाजनगत आनुवंशिक समूह भारतीय ग्राम की कृषिकेंद्रित व्यवस्था की विशेषता रही है। यहाँ की सामाजिक व्यवस्था में श्रमविभाजन संबंधी विशेषीकरण जीवन के सभी अंगों में अनुस्यूत है और आर्थिक कार्यों का ताना बाना इन्हीं आनुवंशिक समूहों से बनता है। यह जातीय समूह एक ओर तो अपने आंतरिक संगठन से संचालित तथा नियमित है और दूसरी ओर उत्पादन सेवाओं के आदान प्रदान और वस्तुओं के विनिमय द्वारा परस्पर संबद्ध हैं। समान पंमरागत पेशा या पेशे, समान धार्मिक विश्वास, प्रतीक सामाजिक और धार्मिक प्रथाएँ एवं व्यवहार, खानपान के नियम, जातीय अनुशासन और सजातीय विवाह इन जातीय समूहों की आंतरिक एकता को स्थिर तथा दृढ़ करते हैं। इसके अतिरिक्त पूरे समाज की दृष्टि में प्रत्येक जाति का सोपानवत्‌ सामाजिक संगठन में एक विशिष्ट स्थान तथा मर्यादा है जो इस सर्वमान्य धार्मिक विश्वास से पुष्ट है कि प्रत्येक मनुष्य की जाति तथा जातिगत धंधे दैवी विधान से निर्दिष्ट हैं और व्यापक सृष्टि के अन्य नियमों की भाँति प्रकृत तथा अटल हैं एक गाँव में स्थित परिवारों का ऐसा समूह वास्तव में अपनी बड़ी जातीय इकाई का अंग होता है जिसका संगठन तथा क्रियात्मक संबंधों की दृष्टि से एक सीमित क्षेत्र होता है, जिसकी परिधि सामान्यत: 20-25 मील होती है। उस क्षेत्र में जातिविशेष की एक विशिष्ट आर्थिक तथा सामाजिक मर्यादा होती है जो उसके सदस्यों को, जो जन्मना होते हैं, परंपरा से प्राप्त होती है। यह जातीय मर्यादा जीवन पर्यंत बनी रहती है और जातीय धंधा छोड़कर दूसरा धंधा अपनाने से तथा आमदनी के उतार चढ़ाव से उसपर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। यह मर्यादा जातीय-पेशा, आर्थिक स्थिति, धार्मिक संस्कार, सांस्कृतिक परिष्कार और राजनीतिक सत्ता से निर्धारित होती है और निर्धारकों में परिवर्तन आने से इसमें परिवर्तन भी संभव है। किंतु एक जाति स्वयं अनेक उपजातियों तथा समूहों में विभक्त रहती है। इस विभाजन का आधार बहुधा एक ही पेशे के अंदर विशेषीकरण के भेद प्रभेद होते हैं। किंतु भौगोलिक स्थानांतरण ने भी एक ही परंपरागत धंधा करनेवाली एकाधिक जातियों को साथ साथ रहने का अवसर दिया है। कभी कभी जब किसी जाति का एक अंग अपने परंपरागत पेशे के स्थान पर दूसरा पेशा अपना लेता है तो कालक्रम में वह एक पृथक्‌ जाति बन जाता है। उच्च हिंदू जातियों में गोत्रीय विभाजन भी विद्यमान हैं। गोत्रों की उपायोगिता मात्र इतनी ही है कि वे किसी जाति के बहिविवाही समूह बनाते हैं। और एक गोत्र के व्यक्ति एक ही पूर्वज के वंशज समझे जाते हैं। यह उपजातियाँ भी अपने में स्वतंत्र तथा पृथक्‌ अंतविवाही इकाइयाँ होती हैं और कभी कभी तो बृहत्तर जाति से उनका संबंध नाम मात्र का होता है (दे. गोत्रीय तथा अन्यगोत्रीय)। इन उपजातियों में भी ऊँच नीच का एक मर्यादाक्रम रहता है। उपजातियाँ भी अनेक शाखाओं में विभक्त रहती है और इनमें भी उच्चता तथा निम्नता का एक क्रम होता है जो विशेष रूप से विवाह संबंधों में व्यक्त होता है। विवाह में ऊँची पंक्तिवाले नीची पंक्तिवालों की लड़की ले सकते हैं किंतु अपनी लड़की उन्हें नहीं देते। .

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जुपीटर मंदिर (रोमन हेलीओपोलिस)

जुपीटर मंदिर (रोमन हेलीओपोलिस); ज़्यूस के पंथ के लिए समर्पित एक विशाल मंदिर था, जो रोमन फाणेशिया (आधुनिक लेबनान के बालबेक) के हेलियोपोलिस में स्थित है। यह एक रोमन मूर्तिपूजक मंदिर परिसर का विशाल "महान न्यायालय" (या "अभयारण्य") में मुख्य भवन था जो अभी भी आंशिक रूप से खड़ा है।.

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जुपीटर मंदिर, दमिश्क

जुपीटर मंदिर दमिश्क; सीरिया की राजधानी दमिश्क में स्थित जुपीटर मंदिर रोमन लोगों द्वारा बनाया गया था, जो रोमन शासक अगस्तस के शासनकाल के दौरान शुरू हुआ था और कोंसांतिियस द्वितीय के शासन के दौरान पूरा हुआ था।Finegan, 1981, pp.

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जॉर्डन

जॉर्डन, आधिकारिक तौर पर इस हेशमाइट किंगडम ऑफ जॉर्डन, दक्षिण पश्चिम एशिया में अकाबा खाड़ी के दक्षिण में, सीरियाई मरुस्थल के दक्षिणी भाग में अवस्थित एक अरब देश है। देश के उत्तर में सीरिया, उत्तर-पूर्व में इराक, पश्चिम में पश्चिमी तट और इज़रायल और पूर्व और दक्षिण में सउदी अरब स्थित हैं। जॉर्डन, इज़रायल के साथ मृत सागर और अकाबा खाड़ी की तट रेखा इज़रायल, सउदी अरब और मिस्र के साथ नियंत्रण करता है। जॉर्डन का ज्यादातर हिस्सा रेगिस्तान से घिरा हुआ है, विशेष रूप से अरब मरुस्थल; हालाँकी, उत्तर पश्चिमी क्षेत्र, जॉर्डन नदी के साथ, उपजाऊ चापाकार का हिस्सा माना जाता है। देश की राजधानी अम्मान उत्तर पश्चिम में स्थित है। .

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ईरान का इतिहास

सुसा में दारुश (दारा) के महल के बाहर बने "अमर सेनानी"। यह उपाधि कुछ चुनिन्दा सैनिकों को दी जाती थी जो महल रक्षा तथा साम्राज्य विस्तार में प्रमुख माने जाते थे। ईरान का पुराना नाम फ़ारस है और इसका इतिहास बहुत ही नाटकीय रहा है जिसमें इसके पड़ोस के क्षेत्र भी शामिल रहे हैं। इरानी इतिहास में साम्राज्यों की कहानी ईसा के ६०० साल पहले के हख़ामनी शासकों से शुरु होती है। इनके द्वारा पश्चिम एशिया तथा मिस्र पर ईसापूर्व 530 के दशक में हुई विजय से लेकर अठारहवीं सदी में नादिरशाह के भारत पर आक्रमण करने के बीच में कई साम्राज्यों ने फ़ारस पर शासन किया। इनमें से कुछ फ़ारसी सांस्कृतिक क्षेत्र के थे तो कुछ बाहरी। फारसी सास्कृतिक प्रभाव वाले क्षेत्रों में आधुनिक ईरान के अलावा इराक का दक्षिणी भाग, अज़रबैजान, पश्चिमी अफगानिस्तान, ताजिकिस्तान का दक्षिणी भाग और पूर्वी तुर्की भी शामिल हैं। ये सब वो क्षेत्र हैं जहाँ कभी फारसी सासकों ने राज किया था और जिसके कारण उनपर फारसी संस्कृति का प्रभाव पड़ा था। सातवीं सदी में ईरान में इस्लाम आया। इससे पहले ईरान में जरदोश्त के धर्म के अनुयायी रहते थे। ईरान शिया इस्लाम का केन्द्र माना जाता है। कुछ लोगों ने इस्लाम कबूल करने से मना कर दिया तो उन्हें यातनाएं दी गई। इनमें से कुछ लोग भाग कर भारत के गुजरात तट पर आ गए। ये आज भी भारत में रहते हैं और इन्हें पारसी कहा जाता है। सूफ़ीवाद का जन्म और विकास ईरान और संबंधित क्षेत्रों में ११वीं सदी के आसपास हुआ। ईरान की शिया जनता पर दमिश्क और बग़दाद के सुन्नी ख़लीफ़ाओं का शासन कोई ९०० साल तक रहा जिसका असर आज के अरब-ईरान रिश्तों पर भी देखा जा सकता है। सोलहवीं सदी के आरंभ में सफ़वी वंश के तुर्क मूल लोगों के सत्ता में आने के बाद ही शिया लोग सत्ता में आ सके। इसके बाद भी देश पर सुन्नियों का शासन हुआ और उन शासकों में नादिर शाह तथा कुछ अफ़ग़ान शासक शामिल हैं। औपनिवेशक दौर में ईरान पर किसी यूरोपीय शक्ति ने सीधा शासन तो नहीं किया पर अंग्रेज़ों तथा रूसियों के बीच ईरान के व्यापार में दखल पड़ा। १९७९ की इस्लामिक क्रांति के बाद ईरान की राजनैतिक स्थिति में बहुत उतार-चढ़ाव आता रहा है। ईराक के साथ युद्ध ने भी देश को इस्लामिक जगत में एक अलग जगह पर ला खड़ा किया है। २३ जनवरी २००८ .

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ईसा इब्न मरियम

ईसा इब्न मरियम (यानि: मरियम के पुत्र ईसा) या ईसा मसीह (सम्मानजनक रूप से:हज़रात ईसा अलाइ सलाम; अन्य नाम: यीशु मसीह, जीसस क्राइस्ट), इस्लाम के अनुसार, अल्लाह द्वारा, मानव जाति को भेजे गए पैग़म्बरों में से एक हैं, जोकि ईसाई धर्म के प्रमुख व्यक्तित्वों में से एक हैं। ईसा, इस्लाम के उन २५ पैग़म्बरों में से एक हैं, जिनका उल्लेख क़ुरान में किया गया है। इस्लामी धर्मशास्त्र के अनुसार, ईसा को मुहम्मद के बाद दुसरे सबसे महत्वपूर्ण स्थान पर रखा जाता है। बाइबिल में दिए गए उनकी आत्मकथा से जुड़े लगभग सारी दैवी घटनाओं को इस्लाम में माना जाता है, जिसमें: कुँवारीगर्भ से जन्म, उनके चमत्कार, उनके क्रूस पर चढ़ाय जाने, मृत्यु और मृतोत्थान शामिल हैं। हालाँकि कुरान के कुछ विवोचनों के अनुसार, क्रूस पर चढ़ाना, मृत्यु और मृतोत्थान जायसी घटनाएँ नहीं हुई थी। बहरहाल, मसीहियों के विरुद्ध मुस्लमान, ईसा को ईश्वरपुत्र या त्रिमूर्तित्व को नहीं मानते। इस्लाम में ईसा मसीह को एक आदरणीय नबी (मसीहा) माना जाता है, जो ईश्वर (अल्लाह) ने इस्राइलियों को उनके संदेश फैलाने को भेजा था। क़ुरान के अनुसार, अल्लाह ने ईसा को इन्जील नमक पवित्र किताब का इल्हाम दिया था, जोकि इस्लामिक मान्यता के अनुसार, अल्लाह द्वारा मानवता को प्रदान किये गए चार पवित्र किताबों में से एक है। क़ुरान में ईसा के नाम का ज़िक्र मुहम्मद से भी ज़्यादा है और मुसुल्मान ईसा के कुँवारी माता द्वारा जन्मा मानते हैं। .

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ईसाई समाजवाद

ईसाई समाजवाद (Christian socialism) मजहबी समाजवाद का एक रूप है जो ईसा मसीह की शिक्षाओं पर आधारित है। .

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विम कडफिसेस

विम कडफिसेस (बाख़्त्री में Οοημο Καδφισης) लगभग 90-100 सी.ई. में कुषाण वंश का शासक था। रबातक शिलालेख के अनुसार वह विम ताकतू का पुत्र तथा कनिष्क का पिता था। उसे कडफिसेस द्वितीय भी कहा जाता है। .

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विश्व का इतिहास

अंकोरवाट मंदिर विश्व के इतिहास से आशय अतीत से लेकर आजतक पृथ्वी के सभी स्थानों की मानवजाति के इतिहास से है। इसमें गैरमानव इतिहास जैसे प्राकृतिक इतिहास और भूवैज्ञानिक इतिहास शामिल नहीं हैं। .

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विश्वमारी

विश्वमारी (यूनानी (ग्रीक) शब्द πᾶν पैन "सब" + δῆμος डेमोस "लोग" से), संक्रामक रोगों की एक महामारी है जो मानव आबादी के माध्यम से एक विशाल क्षेत्र, उदाहरण के लिए, एक महाद्वीप, या यहां तक कि दुनिया भर में भी फ़ैल रहा है। एक व्यापक स्थानिक रोग जो इस दृष्टि से स्थिर होता है कि इससे कितने लोग बीमार हो रहे हैं, एक विश्वमारी नहीं है। इसके अलावा, फ्लू विश्वमारियों में मौसमी फ्लू को तब तक शामिल नहीं किया जाता है जब तक मौसम का फ्लू एक विश्वमारी न हो। सम्पूर्ण इतिहास में चेचक और तपेदिक जैसी असंख्य विश्वमारियों का विवरण मिलता है। अधिक हाल की विश्वमारियों में एचआईवी (HIV) विश्वमारी और 2009 की फ्लू विश्वमारी शामिल है। .

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विष का इतिहास

विष का इतिहास ४५०० ईसापूर्व से भी पहले तक जाता है। मानव इतिहास में विष का प्रयोग भिन्न-भिन्न उद्देश्यों की पूर्ति के लिए किया गया है, जैसे हथियार, प्रतिविष, औषधि आदि। .

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विंचेस्टर

विनचेस्टर (जिसे प्राचीन काल से विंटन और विंटनसीएस्ट्रे के नाम से जाना जाता रहा है) एक ऐतिहासिक कैथेड्रल शहर (गिरिजाघर शहर) तथा वेसेक्स और इंग्लैंड साम्राज्य की प्राचीन राजधानी है। यह दक्षिण पूर्व इंग्लैंड में स्थित हैम्पशायर का प्रांतीय शहर है। यह शहर, स्थानीय सरकारी जनपद विनचेस्टर के बड़े शहर के मध्य स्थित है तथा इटचेन नदी के बिल्कुल नजदीक साउथ डाउंस के पश्चिमी छोर पर है। 2001 की जनगणना के समय विनचेस्टर की जनसंख्या 41,420 थी। विनचेस्टर का विकास वेंटा बेलगारम के रोमन शहर से हुआ। विनचेस्टर का प्रमुख ऐतिहासिक स्थल विनचेस्टर गिरिजाघर है, जो इंग्लैंड के सबसे बड़े गिरिजाघरों में से एक है और यूरोप के सभी गोथिक गिरिजाघरों में सबसे लम्बे मध्य भाग और उसकी कुल लंबाई के कारण जाना जाता है। इस शहर में विनचेस्टर विश्वविद्यालय और प्रसिद्ध पब्लिक स्कूल विनचेस्टर कॉलेज भी स्थित हैं। विनचेस्टर रेलवे स्टेशन लंदन वाटरलू, वेमाउथ, पोर्ट्समाउथ, साउथैम्पटन और उत्तर दिशा से चलने वाली रेलगाड़ियों की सेवा प्रदान करता है। शहर के वास्तुशिल्प और ऐतिहासिक दृष्टि से प्रसिद्ध स्थानों, तथा अन्य शहरों एवं नगरों तक आसान पहुँच के कारण विनचेस्टर इस देश के सर्वाधिक महंगे और वांछित स्थानों में से एक है। विनचेस्टर से आने वाले या विनचेस्टर में रहने वाले लोग स्थानीय तौर पर विंटोनियन के नाम से जाने जाते हैं। .

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व्याख्यान शास्त्र

व्याख्यान शास्त्र (rhetoric) उस कला को कहते हैं जिसमें लेखकों और वक्ताओं की जानकारी प्रदान करने, भावनाएँ व्यक्त करने और श्रोताओं को भिन्न उद्देश्यों के लिए प्रेरित करने की क्षमता और उसे सुधारने की विधियों का अध्ययन किया जाता है। .

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वृहद भारत

'''वृहद भारत''': केसरिया - भारतीय उपमहाद्वीप; हल्का केसरिया: वे क्षेत्र जहाँ हिन्दू धर्म फैला; पीला - वे क्षेत्र जिनमें बौद्ध धर्म का प्रसार हुआ वृहद भारत (Greater India) से अभिप्राय भारत सहित उन अन्य देशों से है जिनमें ऐतिहासिक रूप से भारतीय संस्कृति का प्रभाव है। इसमें दक्षिणपूर्व एशिया के भारतीकृत राज्य मुख्य रूप से शामिल है जिनमें ५वीं से १५वीं सदी तक हिन्दू धर्म का प्रसार हुआ था। वृहद भारत में मध्य एशिया एवं चीन के वे वे भूभाग भी सम्मिलित किये जा सकते हैं जिनमे भारत में उद्भूत बौद्ध धर्म का प्रसार हुआ था। इस प्रकार पश्चिम में वृहद भारत कीघा सीमा वृहद फारस की सीमा में हिन्दुकुश एवं पामीर पर्वतों तक जायेगी। भारत का सांस्कृतिक प्रभाव क्षेत्र .

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वैन्डल

वैन्डलों ने सन् 455 में रोम पर क़ब्ज़ा किया और उसे तहस-नहस कर दिया वैन्डल (अंग्रेज़ी: Vandal) एक उत्तर यूरोप में बसने वाली जर्मैनी भाषा बोलने वाली जाति थी। पाँचवी शताब्दी ईसवी में वे रोमन साम्राज्य के क्षेत्रों में दाख़िल हुए और सन् 455 ई॰ में उन्होने राजधानी रोम पर क़ब्ज़ा कर के उसे तहस-नहस कर दिया। क्योंकि रोम पश्चिमी संस्कृति का एक आधार माना जाता है, इसलिए बहुत से प्राचीन और आधुनिक पश्चिमी विद्वान वैन्डलों को नफ़रत की दृष्टि से देखते हैं। इस वजह से अंग्रेज़ी में वैन्डलिज़्म (vandalism), यानि वैन्डलगर्दी, शब्द का मतलब किसी सुन्दर चीज़ को जंगलीपने से ख़राब करना या तोड़ना हो गया। रोमन साम्राज्य में प्रवेश करने के बाद वैन्डल कई इलाक़ों में फैल गए, जिनमें इटली और स्पेन शामिल थे। सन् 429 में वे उत्तर अफ़्रीका भी जा पहुँचे। वहाँ उन्होने कार्थेज पर केन्द्रित एक राज्य चलाया जो छोटे अरसे तक ही रहा। .

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वैलेंटाइन दिवस

वैलेंटाइन दिवस या संत वैलेंटाइन दिवस (Valentine's Day), एक अवकाश दिवस है, जिसे 14 फ़रवरी को अनेकों लोगों द्वारा दुनिया भर में मनाया जाता है। अंग्रेजी बोलने वाले देशों में, ये एक पारंपरिक दिवस है, जिसमें प्रेमी एक दूसरे के प्रति अपने प्रेम का इजहार वैलेंटाइन कार्ड भेजकर, फूल देकर, या मिठाई आदि देकर करते हैं। ये छुट्टी शुरुआत के कई क्रिश्चियन शहीदों में से दो, जिनके नाम वैलेंटाइन थे, के नाम पर रखी गयी हैउच्च मध्य युग में, जब सभ्य प्रेम की परंपरा पनप रही थी, जेफ्री चौसर के आस पास इस दिवस का सम्बन्ध रूमानी प्रेम के साथ हो गया। ये दिन प्रेम पत्रों के "वैलेंटाइन" के रूप में पारस्परिक आदान प्रदान के साथ गहरे से जुड़ा हुआ है। आधुनिक वैलेंटाइन के प्रतीकों में शामिल हैं दिल के आकार का प्रारूप, कबूतर और पंख वाले क्यूपिड का चित्र.19वीं सदी के बाद से, हस्तलिखित नोट्स की जगह बड़े पैमाने पर बनाने वाले ग्रीटिंग कार्ड्स ने ले ली है। ग्रेट ब्रिटेन में उन्नीसवीं शताब्दी में वैलेंटाइन का भेजा जाना एक फैशन था और, 1847 में, एस्थर हौलैंड ने अपने वोर्सेस्टर, मैस्साचुसेट्स स्थित घर में ब्रिटिश मॉडलों पर आधारित घर में ही बने कार्ड्स द्वारा एक सफल व्यवसाय विकसित कर लिया था। 19 वीं सदी के अमेरिका में वैलेंटाइन कार्ड की लोकप्रियता जहां कई वैलेंटाइन कार्ड अब सामान्य ग्रीटिंग कार्ड प्यार की घोषणाओं के बजाय, संयुक्त राज्य अमेरिका में छुट्टियों के भविष्य व्यावसायीकरण के एक अग्रदूत था रहे हैं। अमेरिका ने ग्रीटिंग कार्ड एसोसिएशन का अनुमान है कि लगभग एक अरब वैलेंटाइन हर साल पूरी दुनिया में भेजे जाते हैं, जिसके कारण,क्रिसमस के बाद, इस छुट्टी को कार्ड भेजने वाले दूसरे सबसे बड़े दिवस के रूप में जाना जाता है। एसोसिएशन का अनुमान है कि औसतन अमरीका में पुरुष महिलाओं के मुकाबले दुगना पैसा खर्चा करते हैं। .

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वैश्वीकरण

Puxi) शंघाई के बगल में, चीन. टाटा समूहहै। वैश्वीकरण का शाब्दिक अर्थ स्थानीय या क्षेत्रीय वस्तुओं या घटनाओं के विश्व स्तर पर रूपांतरण की प्रक्रिया है। इसे एक ऐसी प्रक्रिया का वर्णन करने के लिए भी प्रयुक्त किया जा सकता है जिसके द्वारा पूरे विश्व के लोग मिलकर एक समाज बनाते हैं तथा एक साथ कार्य करते हैं। यह प्रक्रिया आर्थिक, तकनीकी, सामाजिक और राजनीतिक ताकतों का एक संयोजन है।वैश्वीकरण का उपयोग अक्सर आर्थिक वैश्वीकरण के सन्दर्भ में किया जाता है, अर्थात, व्यापार, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश, पूंजी प्रवाह, प्रवास और प्रौद्योगिकी के प्रसार के माध्यम से राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं में एकीकरण.

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वैस्पाज़िअन्

वैस्पाज़िअन की मुर्ति मोटे अक्षर'वैस्पाज़िअन् (१८ नवम्बर ०९ - २९ जून ७९; शासनकाल: ७०-७९)) रोमन साम्राज्य का अत्यंत प्रभावशाली सम्राट था। वह बहादुर सैनिक, कुशल शासक, तथा चरित्रवान, ईमानदार, हँसमुख, मिलनसार और उदार व्यक्ति था। उसके समय में रोमन साम्राज्य का पहला सुप्रसिद्ध इतिहास लिखा गया। अपने सरल और मितव्ययी जीवन से उसने रोमन सामंतों और जनता के जीवन में बड़ा सुधार किया और सादगी से रहना सिखाया। उसका पूरा नाम टाइटस फ्लैवियस वैस्पाज़िअन था। उसका जन्म मामूली साहूकार के घर में हुआ था और उसका जीवन बहादुर सैनिक के रूप में शुरू हुआ। इसी हैसियत से वह जर्मनी, इंग्लैंड, अफ्रीका, यूनान और मिस्र गया। बड़ा यश पैदा किया। १ जुलाई ६९ ई. को मिस्र में रोमन सेनाओं ने उसको सम्राट् घोषित किया। अन्य स्थानों की सेनाओं ने भी उसके प्रति वफादारी की शपथ ली। उनके द्वारा ही वह रोमन साम्राज्य का शासक बनाया गया। उसने शीघ्र ही शासन सुधार की घोषणा करके अपने को लोकप्रिय बना लिया। गाल प्रदेश के विद्रोह को दबाकर जर्मन सीमाओं को सुरक्षित बनाया। जेरूसलम में भी रोमन साम्राज्य की स्थिति को सुरक्षित बनाया। जैनूस के मंदिर को बंद करके अपने शासन काल के ९ वर्ष में वहाँ रोमन आधिपत्य कायम रखा। ७८ ई. में इंग्लैंण्ड के वेल्स और आंग्लेसी द्वीप में रोमन साम्राज्य का विस्तार किया। सन् ७० में उसने रोम में प्रवेश किया। वह घरेलू युद्ध में आग की भेंट हो चुका था। उसका पुनर्निमाण कर उसको सुंदर एवं वैभवशाली बनाया। उसका सबसे बड़ा काम सिनेट के सहयोग से रोमन साम्राज्य की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ बनाना, सेनाओं का पुनर्गठन कर उसमें फैली हुई अनैतिकता को दूर करना, साम्राज्य के अंतर्गत प्रदेशों को उन्नत बनाना और पिछड़े हुए प्रदेशों में रोमन संस्कृति का प्रसार करना था। एक रोमन सरदार की लड़की प्लेविया डामाटिला से उसका विवाह हुआ। उसके दो पुत्र हुए और दोनों रोमन साम्राज्य के सम्राट हुए। श्रेणी:रोमन साम्राज्य.

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वेतन

वेतन किसी नियोक्ता से किसी कर्मचारी को मिलने वाले आवधिक भुगतान का एक स्वरूप है जो एक नियोजन संबंधी अनुबंध में निर्देशित किया गया हो सकता है। यह टुकड़ों में मिलने वाली मजदूरी के विपरीत है जहाँ आवधिक आधार पर भुगतान किये जाने की बजाय प्रत्येक काम, घंटे या अन्य इकाई का अलग-अलग भुगतान किया जाता है। एक कारोबार के दृष्टिकोण से वेतन को अपनी गतिविधियाँ संचालित करने के लिए मानव संसाधनों की प्राप्ति की लागत के रूप में भी देखा जा सकता है और उसके बाद इसे कार्मिक खर्च या वेतन खर्च का नाम दिया जा सकता है। लेखांकन में वेतनों को भुगतान संबंधी (पेरोल) खातों में दर्ज किया जाता है। .

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वोरार्लबर्ग

वोरार्लबर्ग, ऑस्ट्रिया का सुदूर पश्चिमी संघीय राज्य (भूमि) है। हालांकि क्षेत्र (वियेना सबसे छोटा है) और जनसंख्या (बरगेंलैंड आबादी में कम है) के मामले में यह दूसरा सबसे छोटा है, यह तीन देशों की सरहद है: जर्मनी (लेक कोंसटैंस के माध्यम से बावेरिया और बाडेन-वुर्टेमबर्ग), स्विट्जरलैंड (ग्राऊबनडेन और सेंट गालेन) और लीकटेंस्टीन.

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खसरा

---- खसरा श्वसन प्रणाली में वायरस, विशेष रूप से मोर्बिलीवायरस के जीन्स पैरामिक्सोवायरस के संक्रमण से होता है। मोर्बिलीवायरस भी अन्य पैरामिक्सोवायरसों की तरह ही एकल असहाय, नकारात्मक भावना वाले आरएनए वायरसों द्वारा घिरे होते हैं। इसके लक्षणों में बुखार, खांसी, बहती हुई नाक, लाल आंखें और एक सामान्यीकृत मेकुलोपापुलर एरीथेमाटस चकते भी शामिल है। खसरा (कभी-कभी यह अंग्रेज़ी नाम मीज़ल्स से भी जाना जाता है) श्वसन के माध्यम से फैलता है (संक्रमित व्यक्ति के मुंह और नाक से बहते द्रव के सीधे या वायुविलय के माध्यम से संपर्क में आने से) और बहुत संक्रामक है तथा 90% लोग जिनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता नहीं है और जो संक्रमित व्यक्ति के साथ एक ही घर में रहते हैं, वे इसके शिकार हो सकते हैं। यह संक्रमण औसतन 14 दिनों (6-19 दिनों तक) तक प्रभावी रहता है और 2-4 दिन पहले से दाने निकलने की शुरुआत हो जाती है, अगले 2-5 दिनों तक संक्रमित रहता है (अर्थात् कुल मिलाकर 4-9 दिनों तक संक्रमण रहता है).

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खुसरू प्रथम

खुसरू प्रथम एक न्यायप्रिय राजा था। (तेहरान राजदरबार में) खुसरू प्रथम कवाध या कोवाद प्रथम का प्रिय पुत्र और फारस के ससानीद वंश का सबसे गौरवशाली राजा था। इसे 'नौशेरवाँ आदिल', 'नौशेरवाँ' या 'अनुशेरवाँ' भी कहते हैं। पश्चिमी लेखकों ने इसे 'खोसरोज' अर्थात् खुसरू और अरबों ने 'किसरा' कहा है। .

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गुप्त राजवंश

गुप्त राज्य लगभग ५०० ई इस काल की अजन्ता चित्रकला गुप्त राजवंश या गुप्त वंश प्राचीन भारत के प्रमुख राजवंशों में से एक था। मौर्य वंश के पतन के बाद दीर्घकाल तक भारत में राजनीतिक एकता स्थापित नहीं रही। कुषाण एवं सातवाहनों ने राजनीतिक एकता लाने का प्रयास किया। मौर्योत्तर काल के उपरान्त तीसरी शताब्दी इ. में तीन राजवंशो का उदय हुआ जिसमें मध्य भारत में नाग शक्‍ति, दक्षिण में बाकाटक तथा पूर्वी में गुप्त वंश प्रमुख हैं। मौर्य वंश के पतन के पश्चात नष्ट हुई राजनीतिक एकता को पुनस्थापित करने का श्रेय गुप्त वंश को है। गुप्त साम्राज्य की नींव तीसरी शताब्दी के चौथे दशक में तथा उत्थान चौथी शताब्दी की शुरुआत में हुआ। गुप्त वंश का प्रारम्भिक राज्य आधुनिक उत्तर प्रदेश और बिहार में था। गुप्त वंश पर सबसे ज्यादा रिसर्च करने वाले इतिहासकार डॉ जयसवाल ने इन्हें जाट बताया है।इसके अलावा तेजराम शर्माhttps://books.google.co.in/books?id.

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ग्लैडीएटर

लीबिया (लेप्टिस माग्ना) से ज्लिटेन मोज़ेक का हिस्सा, लगभग 8-10 ई. इसमें (बाएं से दाएं) एक थ्रैक्स एक मुर्मिलो से लड़ते हुए, एक होप्लोमाकस एक अन्य मुर्मिलो (जो रेफरी को अपनी हार का संकेत दे रहा है) के साथ खड़े और एक मिलान की हुई जोड़ी को दर्शाया गया है। एक ग्लैडीएटर (gladiator, "तलवारबाज़", gladius, "तलवार" से) एक सशस्त्र योद्धा हुआ करता था जो अन्य ग्लैडीएटरों, जंगली जानवरों और दंडित अपराधियों के साथ हिंसक मुक़ाबला करके रोमन गणराज्य और रोमन साम्राज्य में दर्शकों का मनोरंजन करता था। कुछ ग्लैडीएटर स्वयंसेवक होते थे जो अखाड़े में उपस्थित होकर अपनी कानूनी और सामाजिक स्थिति और अपने जीवन को खतरे में डालते थे। इनमें से अधिकांश को दास के रूप में तिरस्कृत किया जाता था, इन्हें कठोर परिस्थितियों में पाला जाता था, सामाजिक रूप से हाशिए पर रखा जाता था और मौत के बाद भी पृथक्कृत किया जाता था। अपने मूल की परवाह किए बगैर, ग्लैडिएटर दर्शकों के समक्ष रोम की फौजी नैतिकता का एक उदाहरण प्रस्तुत करते थे और लड़ाई में या अच्छे से मरते हुए, वे सम्मान और लोकप्रिय अभिनंदन को उद्वेलित कर सकते थे। उनकी प्रशंसा उच्च और निम्न कला में होती थी और मनोरंजनकर्ता के रूप में उनके मूल्य को सम्पूर्ण रोमन साम्राज्य में बहुमूल्य और सामान्य वस्तुओं में अभिव्यक्त किया जाता था। ग्लैडीएटर लड़ाइयों की उत्पत्ति एक बहस का मुद्दा है। तीसरी शताब्दी BCE के प्यूनिक युद्धों के दौरान अंत्येष्टि के संस्कारों में इसके सबूत मिलते हैं और उसके बाद यह तेजी से रोमन साम्राज्य में राजनीति और सामाजिक जीवन का अनिवार्य हिस्सा बन गया। इसकी लोकप्रियता ने इसे और अधिक भव्य और महंगे परिदृश्य या "ग्लैडीएटर खेलों" में इसके उपयोग को प्रेरित किया। ये खेल पहली शताब्दी ईसा पूर्व और दूसरी शताब्दी के बीच अपने चरम पर पहुंचे और वे पतनशील रोमन राज्य के सामाजिक और आर्थिक संकट के दौरान न केवल कायम रहे, बल्कि चौथी शताब्दी में ईसाई धर्म के आधिकारिक धर्म बन जाने के बाद भी चलते रहे। ईसाई सम्राटों ने कम से कम पांचवीं शताब्दी के उत्तरार्ध तक ऐसे मनोरंजन को प्रायोजित करना जारी रखा, जब अंतिम ज्ञात ग्लैडीएटर खेलों का आयोजन हुआ था। .

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गृहयुद्धों की सूची

यहां विश्व में घटित गृहयुद्धों की सूची(civil war) दी गयी है। जब किसी राष्ट्र के अंदर ही दो या दो से अधिक समूह उस देश की सत्ता से ही हथियारबन्द युद्ध कर रहे हों तो इस प्रकार के युद्ध को गृहयुद्ध कहा गया हैं। .

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गोथ

इटली के रावेन्ना में गोथ राजा थिओडोरिक महान का मौसोलियम गोथों के आक्रमण का मार्ग गोथ (Goths) एक मिश्रित प्राचीन जर्मन भाषा बोलनेवाली त्यूतन अथवा जर्मन जाति जिसने ईसा के प्रांरभिक सदियों में यूरापीय इतिहास पर पर्याप्त प्रभाव डाला, विशेष कर, इन्होने रोमन साम्राज्य को नष्ट कर दिया। अपने प्राचीनतम युगों में यह जाति विश्चुला नदी की बीच की घाटी में बसी हुई थी जो संभवत: स्वीडन की ओर से आई थी और जिसने पूर्वी पोमेरानियामें फैलकर बंदल जाति के पास पड़ोस को जीत लिया। .

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ऑगस्टस

ऑगस्टस की प्रतिमा, पहली शताब्दी ऑगस्टस (23 सितंबर से 63 ईसा पूर्व - 19 अगस्त 14 ईस्वी) रोमन प्रिन्सिपेट के संस्थापक थे और, ईसा पूर्व से 14 ईसवी में अपनी मृत्यु तक रोमन साम्राज्य को नियंत्रित करने पहले रोमन सम्राट माने जाते है। ऑगस्टस के जन्म का नाम गाइस ओक्टवियस था, और एक पुराने और अमीर खानदान से थे। जब उनके मामा महान जूलियस सीजर की 44 ईसा पूर्व में हत्या कर दी गई, तब सीजर की इच्छापत्र में ओक्टवियस को ​​अपने दत्तक पुत्र और उत्तराधिकारी,के रूप में नामित कर गए थे। इन्होंने, मार्क एंटनी और मार्कस लेपिडस के साथ, सीज़र के हत्यारों को हराने के लिए, दूसरा त्रिशक्ति का गठन किया। फिलिप्पी की लड़ाई में अपनी जीत के बाद, त्रिशक्तियों ने रोमन गणराज्य को आपस में बाट लिया और सैन्य तानाशाहों के रूप में शासन करने लगे। त्रिशक्ति सदस्यों की महत्वाकांक्षा की होड़ ने अंत में गठन को तबाह कर दिया। लेपिडस से उसके अधिकार छीन लिए गए और उसे निर्वासन में भेज दिया गया, वही एंटनी ने 31 ईसा पूर्व में एस्टीम की लड़ाई में ओक्टवियान से हार के बाद आत्महत्या कर ली। दूसरा त्रिशक्ति के विघटन के बाद, ऑगस्टस मुक्त गणराज्य बहाल कर दी, जिसमे रोमन सीनेट, कार्यकारी मजिस्ट्रेट और विधान सभाओं को सरकारी शक्ति प्रदान की गई। वास्तविकता में, उसने गणराज्य पर अपनी निरंकुश सत्ता एक सैन्य तानाशाह के रूप में बरकरार रखी।.

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औरोक्स

औरोक्स का १६वी शताब्दी में बना एक चित्र औरोक्स की उपनस्लों का फैलाव भेड़ियों से लड़ता हुआ एक यूरेशियाई औरोक्स (कल्पित चित्र) औरोक्स आधुनिक पालतू गाय की पूर्वज नस्ल थी। यह एक बड़े अकार की जंगली गाय थी जो एशिया, यूरोप और उत्तर अफ़्रीका में रहा करती थी लेकिन विलुप्त हो गई। यूरोप में यह सन् १६२७ तक पाई गई थी। इस नस्ल के सांड के कंधे ज़मीन से १.८ मीटर (५ फ़ुट १० इंच) तक ऊँचे होते थे और गाय १.५ मीटर (४ फ़ुट ११ इंच) ऊँची होती थी। माना जाता है कि विश्व की सभी पालतू गाय औरोक्स के ही वंशज हैं। .

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आयो (उपग्रह)

आयो (Io), हमारे सौर मण्डल के पाँचवे ग्रह बृहस्पति का तीसरा सब से बड़ा उपग्रह है और यह पूरे सौर मंडल का चौथा सब से बड़ा चन्द्रमा है। आयो का व्यास (डायामीटर) 3,642 किमी है। बृहस्पति के चार प्रमुख उपग्रहों (गैनिमीड, कलिस्टो, आयो और यूरोपा) में यह बृहस्पति की सब से क़रीबी कक्षा में परिक्रमा करने वाला चन्द्रमा है। बृहस्पति के इतना समीप होने की वजह से उस ग्रह के भयंकर गुरुत्वाकर्षण से पैदा होने वाला ज्वारभाटा बल आयो को गूंथता रहता है जिस से इस उपग्रह पर बहुत से ज्वालामुखी हैं। सन् 2010 तक आयो पर 400 से भी अधिक सक्रीय ज्वालामुखी गिने जा चुके थे। पूरे सौर मंडल में और कोई वस्तु नहीं जहाँ आयो से ज़्यादा भौगोलिक उथल-पुथल हो रही हो। सौर मंडल के बाहरी चंद्रमाओं की बनावट में ज़्यादातर बर्फ़ की बहुतायत होती है लेकिन आयो पर ऐसा नहीं है। आयो अधिकतर पत्थरीले पदार्थों का बना हुआ है। .

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आर्किमिडीज़

सेराक्यूस के आर्किमिडीज़ (यूनानी:; 287 ई.पू. - 212 ई.पू.), एक यूनानी गणितज्ञ, भौतिक विज्ञानी, अभियंता, आविष्कारक और खगोल विज्ञानी थे। हालांकि उनके जीवन के कुछ ही विवरण ज्ञात हैं, उन्हें शास्त्रीय पुरातनता का एक अग्रणी वैज्ञानिक माना जाता है। भौतिक विज्ञान में उन्होनें जलस्थैतिकी, सांख्यिकी और उत्तोलक के सिद्धांत की व्याख्या की नीव रखी थी। उन्हें नवीनीकृत मशीनों को डिजाइन करने का श्रेय दिया जाता है, इनमें सीज इंजन और स्क्रू पम्प शामिल हैं। आधुनिक प्रयोगों से आर्किमिडीज़ के इन दावों का परीक्षण किया गया है कि दर्पणों की एक पंक्ति का उपयोग करते हुए बड़े आक्रमणकारी जहाजों को आग लगाई जा सकती हैं। आमतौर पर आर्किमिडीज़ को प्राचीन काल का सबसे महान गणितज्ञ माना जाता है और सब समय के महानतम लोगों में से एक कहा जाता है। उन्होंने एक परवलय के चाप के नीचे के क्षेत्रफल की गणना करने के लिए पूर्णता की विधि का उपयोग किया, इसके लिए उन्होंने अपरिमित श्रृंखला के समेशन का उपयोग किया और पाई का उल्लेखनीय सटीक सन्निकट मान दिया। उन्होंने एक आर्किमिडीज सर्पिल को भी परिभाषित किया, जो उनके नाम पर आधारित है, घूर्णन की सतह के आयतन के लिए सूत्र दिए और बहुत बड़ी संख्याओं को व्यक्त करने के लिए एक सरल प्रणाली भी दी। आर्किमिडीज सेराक्यूस की घेराबंदी के दौरान मारे गए जब एक रोमन सैनिक ने उनकी हत्या कर दी, हालांकि यह आदेश दिया गया था कि उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए। सिसरो आर्किमिडिज़ का मकबरा, जो एक बेलन के अंदर अन्दर स्थित गुंबद की तरह है, पर जाने का वर्णन करते हैं कि, आर्किमिडीज ने साबित किया था कि गोले का आयतन और इसकी सतह का क्षेत्रफल बेलन का दो तिहाई होता है (बेलन के आधार सहित) और इसे उनकी एक महानतम गणितीय उपलब्धि माना जाता है। उनके आविष्कारों के विपरीत, आर्किमिडीज़ के गणितीय लेखन को प्राचीन काल में बहुत कम जाना जाता था। एलेगज़ेनडरिया से गणितज्ञों ने उन्हें पढ़ा और उद्धृत किया, लेकिन पहला व्याख्यात्मक संकलन सी. तक नहीं किया गया था। यह 530 ई. में मिलेटस के इसिडोर ने किया, जब छठी शताब्दी ई. में युटोकियास ने आर्किमिडीज़ के कार्यों पर टिप्पणियां लिखीं और पहली बार इन्हें व्यापक रूप से पढने के लिये उपलब्ध कराया गया। आर्किमिडीज़ के लिखित कार्य की कुछ प्रतिलिपियां जो मध्य युग तक बनी रहीं, वे पुनर्जागरण के दौरान वैज्ञानिकों के लिए विचारों का प्रमुख स्रोत थीं, हालांकि आर्किमिडीज़ पालिम्प्सेट में आर्किमिडीज़ के द्वारा पहले से किये गए अज्ञात कार्य की खोज 1906 में की गयी थी, जिससे इस विषय को एक नयी अंतर्दृष्टि प्रदान की कि उन्होंने गणितीय परिणामों को कैसे प्राप्त किया। .

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आलमा माटर

कोलम्बिया विश्वविद्यालय में आलमा माटर की प्रतिमा आलमा माटर (लातिनी और अंग्रेज़ी: alma mater) प्राचीन रोम में देवी माँ के लिए प्रयोग होने वाला एक नाम था जिसका लातिनी भाषा में अर्थ 'पोषक (पोषण करने वाली) माता' है। रोमन संस्कृति में इसका प्रयोग विशेषकर सिरीस (Ceres) और सिबली (Cybele) नामक देवियों के लिए होता था और बाद में ईसाई धर्म में इसे मरियम (ईसा मसीह की माँ) के लिए इस्तेमाल किया जाने लगा।, Eugene Ehrlich, pp.

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आशुलिपि

डच आशुलिपि (ग्रूट पद्धति से) आशुलिपि (Shorthand) लिखने की एक विधि है जिसमें सामान्य लेखन की अपेक्षा अधिक तीव्र गति से लिखा जा सकता है। इसमें छोटे प्रतीकों का उपयोग किया जाता है। आशुलिपि में लिखने की क्रिया आशुलेखन (stenography) कहलाती है। स्टेनोग्राफी से आशय है तेज और संक्षिप्त लेखन। इसे हिन्दी मे 'शीघ्रलेखन' या 'त्वरालेखन' भी कहते हैं। लिखने और बोलने की गति में अंतर है। साधारण तौर पर जिस गति से कुशल से कुशल व्यक्ति हाथ से लिखता है, उससे चौगुनी, पाँचगुनी गति से वह संभाषण करता है। ऐसी स्थिति में वक्ता के भाषण अथवा संभाषण को लिपिबद्ध करने में विशेष रूप से कठिनाई उपस्थित हो जाती है। इसी कठिनाई को हल करने के लिये त्वरालेखन के आविष्कार की आवश्यकता पड़ी। .

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इटली

इटली यूरोप महाद्वीप के दक्षिण में स्थित एक देश है जिसकी मुख्यभूमि एक प्रायद्वीप है। इटली के उत्तर में आल्प्स पर्वतमाला है जिसमें फ्रांस, स्विट्ज़रलैंड, ऑस्ट्रिया तथा स्लोवेनिया की सीमाएँ आकर लगती हैं। सिसली तथा सार्डिनिया, जो भूमध्य सागर के दो सबसे बड़े द्वीप हैं, इटली के ही अंग हैं। वेटिकन सिटी तथा सैन मरीनो इटली के अंतर्गत समाहित दो स्वतंत्र देश हैं। इटली, यूनान के बाद यूरोप का दूसरा का दूसरा प्राचीनतम राष्ट्र है। रोम की सभ्यता तथा इटली का इतिहास देश के प्राचीन वैभव तथा विकास का प्रतीक है। आधुनिक इटली 1861 ई. में राज्य के रूप में गठित हुआ था। देश की धीमी प्रगति, सामाजिक संगठन तथा राजनितिक उथल-पुथल इटली के 2,500 वर्ष के इतिहास से संबद्ध है। देश में पूर्वकाल में राजतंत्र था जिसका अंतिम राजघराना सेवाय था। जून, सन् 1946 से देश एक जनतांत्रिक राज्य में परिवर्तित हो गया। इटली की राजधानी रोम प्राचीन काल के एक शक्ति और प्रभाव से संपन्न रोमन साम्राज्य की राजधानी रहा है। ईसा के आसपास और उसके बाद रोमन साम्राज्य ने भूमध्य सागर के क्षेत्र में अपनी प्रभुता स्थापित की थी जिसके कारण यह संस्कृति और अन्य क्षेत्रों में आधुनिक यूरोप की आधारशिला के तौर पर माना जाता है। तथा मध्यपूर्व (जिसे भारतीय परिप्रेक्ष्य में मध्य-पश्च भी कह सकते हैं) के इतिहास में भी रोमन साम्राज्य ने अपना प्रभाव डाला था और उनसे प्रभावित भी हुआ था। आज के इटली की संस्कृति पर यवनों (ग्रीक) का भी प्रभाव पड़ा है। इटली की जनसंख्या २००८ में ५ करोड़ ९० लाख थी। देश का क्षेत्रफल ३लाख वर्ग किलोमीटर के आसपास है। १९९१ में यहाँ की सरकार के शीर्ष पदस्थ अधिकारियों में व्याप्त भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हुआ जिसके बाद यहाँ की राजनैतिक सत्ता और प्रशासन में कई बदलाव आए हैं। रोम यहाँ की राजधानी है और अन्य प्रमुख नगरों में वेनिस, मिलान इत्यादि का नाम लिया जा सकता है। .

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इटली का इतिहास

प्राचीन रोम की प्रतीक मादा भेड़िया इटली का इतिहास ईसा पूर्व ९वीं शताब्दी से आरम्भ होता है। इसी समय वर्तमान इटली के केन्द्रीय भाग में इतालवी जनजातियों के अस्तित्व के प्रमाण मिलते हैं। भाषाई रूप से वे मुख्यतः तीन भाषाएँ बोलते थे- ओस्कान (Oscan), अम्ब्रिआन (Umbrian) तथा लातिन (Latin)। कालान्तर में ३५० ईसापूर्व जब रोम शक्तिशाली नगर-राज्य के रूप में उभरा तो लातिन संस्कृति का वर्चस्व स्थापित होता गया। रोमन पूर्व काल में ८वीं शती ईसापूर्व वृहत यूनान (Magna Graecia) नामक सभ्यता भी थी जब यूनानी लोग इटली के दक्षिणी भागों में बसने लगे थे। बाद में रोमन साम्राज्य का पूरे पश्चिमी योरप तथा भूमध्य क्षेत्र पर कई शताब्दियों तक वर्चस्व रहा। ४७६ ई के आसपास जब रोमन साम्राज्य का पतन हुआ तो इटली लगभग एक हजार वर्षों तक छोटे-छोटे नगर-राज्याँ के रूप में बिखरा रहा और अन्ततः विभिन्न विदेशी शक्तियों के अधीन आ गया। इटली के कुछ भागों पर स्पेनियों का अधिकार हो गया, कुछ पर आस्ट्रियाई तथा दूसरे विश्वयुद्ध में इटली ने धुरीराष्ट्रों का साथ दिया। मित्रराष्ट्रों की विजय के पश्चात् इटली से फासिस्त सत्ता का अंत हुआ। .

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इत्रस्की सभ्यता

इत्रस्की सभ्यता (Etruscan civilization) प्राचीन इटली की एक सभ्यता थी जो पश्चिमोत्तरी इटली में सन् ८०० ईसापूर्व से आरम्भ हुई। लगभग २०० वर्षों तक इसका प्रभुत्व रहा और लगभग सन् ४०० ईसापूर्व के बाद इसके रोमन साम्राज्य में विलय हो जाने के संकेत मिलते हैं। इत्रस्की लोग स्वयं को रासेन्ना (Rasenna) बुलाते थे, जिसे रोमन लोग बदलकर 'रासना' या 'राशना' कहते थे। प्राचीन यूनान में इत्रस्कियों को 'तिरेनोई' (Τυρρηνοὶ, Tyrrhēnoi) बुलाया जाता था और यही इटली के प्रायद्वीप के पश्चिम में बहने वाले तिरहेनियन सागर के नाम का स्रोत है। .

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इस्लाम से पहले का अरब

सउदी अरब के मदीना प्रान्त में मदाइन सालेह नामक नबाती मक़बरे यमन के सबाई संस्कृति के अल्मक़ाह चन्द्र-देवता की एक प्रार्थना नबाती लोगों के व्यापारिक मार्ग इस्लाम से पहले का अरब (अरबी:, अल-अरब क़ब्ल अल-इस्लाम; अंग्रेज़ी: Pre-Islamic Arabia) ६३० ईसवी के दशक में इस्लाम के उभरने से पहले के काल का अरबी प्रायद्वीप था। यदि इराक़ में केन्द्रित मेसोपोटामिया की सभ्यताओं को छोड़ा जाए तो अरबी प्रायद्वीप में सबसे पहली मानवीय संस्कृति २५०० ईसापूर्व के आसपास की उम्म अन-नार संस्कृति थी जो उत्तरी संयुक्त अरब अमीरात और ओमान के इलाक़े में लगभग ५०० सालों तक चली। इसके बाद यहाँ कई राज्य उभरे। .

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इंग्लैण्ड

इंग्लैण्ड (अंग्रेज़ी: England), ग्रेट ब्रिटेन नामक टापू के दक्षिणी भाग में स्थित एक देश है। इसका क्षेत्रफल 50,331 वर्ग मील है। यह यूनाइटेड किंगडम का सबसे बड़ा निर्वाचक देश है। इंग्लैंड के अलावा स्कॉटलैंड, वेल्स और उत्तर आयरलैंड भी यूनाइटेड किंगडम में शामिल हैं। यह यूरोप के उत्तर पश्चिम में अवस्थित है जो मुख्य भूमि से इंग्लिश चैनल द्वारा पृथकीकृत द्वीप का अंग है। इसकी राजभाषा अंग्रेज़ी है और यह विश्व के सबसे संपन्न तथा शक्तिशाली देशों में से एक है। इंग्लैंड के इतिहास में सबसे स्वर्णिम काल उसका औपनिवेशिक युग है। अठारहवीं सदी से लेकर बीसवीं सदी के मध्य तक ब्रिटिश साम्राज्य विश्व का सबसे बड़ा और शकितशाली साम्राज्य हुआ करता था जो कई महाद्वीपों में फैला हुआ था और कहा जाता था कि ब्रिटिश साम्राज्य में सूर्य कभी अस्त नहीं होता। उसी समय पूरे विश्व में अंग्रेज़ी भाषा ने अपनी छाप छोड़ी जिसकी वज़ह से यह आज भी विश्व के सबसे अधिक लोगों द्वारा बोले व समझे जाने वाली भाषा है। .

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क़ुरआन

'''क़ुरान''' का आवरण पृष्ठ क़ुरआन, क़ुरान या कोरआन (अरबी: القرآن, अल-क़ुर्'आन) इस्लाम की पवित्रतम किताब है और इसकी नींव है। मुसलमान मानते हैं कि इसे अल्लाह ने फ़रिश्ते जिब्रील द्वारा हज़रत मुहम्मद को सुनाया था। मुसलमान मानते हैं कि क़ुरआन ही अल्लाह की भेजी अन्तिम और सर्वोच्च किताब है। यह ग्रन्थ लगभग 1400 साल पहले अवतरण हुई है। इस्लाम की मान्यताओं के मुताबिक़ क़ुरआन अल्लाह के फ़रिश्ते जिब्रील (दूत) द्वारा हज़रत मुहम्मद को सन् 610 से सन् 632 में उनकी मौत तक ख़ुलासा किया गया था। हालांकि आरंभ में इसका प्रसार मौखिक रूप से हुआ पर पैग़म्बर मुहम्मद की मौत के बाद सन् 633 में इसे पहली बार लिखा गया था और सन् 653 में इसे मानकीकृत कर इसकी प्रतियाँ इस्लामी साम्राज्य में वितरित की गईं थी। मुसलमानों का मानना है कि ईश्वर द्वारा भेजे गए पवित्र संदेशों के सबसे आख़िरी संदेश क़ुरआन में लिखे गए हैं। इन संदेशों की शुरुआत आदम से हुई थी। हज़रत आदम इस्लामी (और यहूदी तथा ईसाई) मान्यताओं में सबसे पहला नबी (पैग़म्बर या पयम्बर) था और इसकी तुलना हिन्दू धर्म के मनु से एक हद तक की जा सकती है। जिस तरह से हिन्दू धर्म में मनु की संतानों को मानव कहा गया है वैसे ही इस्लाम में आदम की संतानों को आदमी कहा जाता है। तौहीद, धार्मिक आदेश, जन्नत, जहन्नम, सब्र, धर्म परायणता (तक्वा) के विषय ऐसे हैं जो बारम्बार दोहराए गए। क़ुरआन ने अपने समय में एक सीधे साधे, नेक व्यापारी इंसान को, जो अपने ‎परिवार में एक भरपूर जीवन गुज़ार रहा था। विश्व की दो महान शक्तियों ‎‎(रोमन तथा ईरानी) के समक्ष खड़ा कर दिया। केवल यही नहीं ‎उसने रेगिस्तान के अनपढ़ लोगों को ऐसा सभ्य बना दिया कि पूरे विश्व पर ‎इस सभ्यता की छाप से सैकड़ों वर्षों बाद भी इसके निशान पक्के मिलते हैं। ‎क़ुरआन ने युध्द, शांति, राज्य संचालन इबादत, परिवार के वे आदर्श प्रस्तुत ‎किए जिसका मानव समाज में आज प्रभाव है। मुसलमानों के अनुसार कुरआन में दिए गए ज्ञान से ये साबित होता है कि हज़रत मुहम्मद एक नबी है | .

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क़ुस्तुंतुनिया

क़ुस्तुंतुनिया या कांस्टैंटिनोपुल (यूनानी: Κωνσταντινούπολις कोन्स्तान्तिनोउपोलिस या Κωνσταντινούπολη कोन्स्तान्तिनोउपोली; लातीनी: Constantinopolis कोन्स्तान्तिनोपोलिस; उस्मानी तुर्कीयाई: قسطنطینية, Ḳosṭanṭīnīye कोस्तान्तिनिये‎), बोस्पोरुस जलसन्धि और मारमरा सागर के संगम पर स्थित एक ऐतिहासिक शहर है, जो रोमन, बाइज़ेंटाइन, और उस्मानी साम्राज्य की राजधानी थी। 324 ई. में प्राचीन बाइज़ेंटाइन सम्राट कोन्स्टान्टिन प्रथम द्वारा रोमन साम्राज्य की नई राजधानी के रूप में इसे पुनर्निर्मित किया गया, जिसके बाद इन्हीं के नाम पर इसे नामित किया गया। .

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कार्थेज

प्राचीन कार्थेज के खंडहर तीसरी शताब्दी ईसापूर्व में कार्थेज-नियंत्रिक क्षेत्र कार्थेज (अरबी:, क़र्ताज; बर्बर: ⴽⴰⵔⵜⴰⵊⴻⵏ, कर्तजेन; अंग्रेज़ी: Carthage, कार्थ़ेज) उत्तर अफ़्रीका के त्यूनिसीया देश में लगभग 3,000 साल से लगातार आबाद एक प्राचीन शहर है। यह शहर प्राचीन काल मे रोमन एवं फ़ोनिसीयन साम्राज्य का एक प्रमुख गढ़ रहा है। सन् 1000 ईसा-पूर्व के आसपास इसकी शुरुआत फ़ोनीशिया द्वारा स्थापित एक दूर-दराज़ बस्ती के रूप में हुई। आधुनिक युग में इसे त्यूनिसीया की राजधानी त्यूनिस का एक बाहरी क्षेत्र माना जाता है। प्राचीन रोमन स्रोतों के अनुसार इसकी स्थापना सन् 814 ईसापूर्व में फ़ोनीशिया के टायर शहर से (जो आधुनिक लेबनान में पड़ता है) आये एक फ़ोनीशियाई समूह ने की थी। कार्थेज तेज़ी से धन, शक्ति और प्रभाव में बढ़ने लगा। इस नगर पर केन्द्रित संस्कृति को उसके समकालीन रोमन लोग प्यूनिक (लातिनी: Punic) बुलाया करते थे, जो "फ़ोनीशिया" शब्द का ही एक बिगड़ा रूप है। समय के साथ भूमध्य सागर में यह रोम और यूनान के सिराक्यूज़ शहर से मुक़ाबला करने वाली तीसरी शक्ति के रूप में उभरा। इनमें आपसी झड़पों का सिलसिला छिड़ गया। दूसरे प्यूनिक युद्ध में प्रसिद्ध कार्थेजी नेता हान्निबल ने इटली पर चढ़ाई करी और सन् 216 ई॰पू॰ में दक्षिणपूर्वी इटली में लड़े गए कैने के युद्ध में जीत प्राप्त की, जिस से लगने लगा के इटली के कई क्षेत्रों से रोम का साम्राज्य उखड़ जाएगा। लेकिन सन् 202 ई॰पू॰ में लड़े गए ज़ामा के युद्ध में हान्निबल पराजित हुआ और कार्थेज बहुत कमज़ोर पड़ गया। सन् 149-146 ई॰पू॰ में लड़े गए तीसरे प्यूनिक युद्ध में कार्थेज की पूरी हार हो गयी। रोम के फ़ौजों ने कार्थेज के शहर को पूरी तरह जला और तोड़ डाला। कार्थेज के सभी नागरिकों को मार डाला गया या दास बना लिया गया। कुछ समय बाद रोम ने ही कार्थेज की फिर स्थापना की और यह शहर समय के साथ-साथ रोमन साम्राज्य का चौथा सब से महत्वपूर्ण नगर बना। कुछ समय तक यह अल्प आयु वाले वैन्डल राज्य की राजधानी भी रहा। सन् 698 ईसवी में अरब फ़ौजें यहाँ आ धमकी और कार्थेज दूसरी दफ़ा नष्ट किया गया। .

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कुषाण कला

कुषाण कला कुषाण वंश के काल में लगभग पहली शताब्दी के अंत से तीसरी शताब्दी तक उस क्षेत्र में सृजित कला का नाम है, जो अब मध्य एशिया, उत्तरी भारत, पाकिस्तान और अफ़्गानिस्तान के कुछ भागों को समाहित करता है। कुषाणों ने एक मिश्रित संस्कृति को बढ़ावा दिया, जो उनके सिक्कों पर बने विभिन्न देवी देवताओं, यूनानी-रोमन, ईरानी और भारतीय, के द्वारा सबसे अच्छी तरह समझी जा सकती है। उस काल की कलाकृतियों के बीच कम से कम दो मुख्य शैलीगत विविधताएँ देखी जा सकती हैं: ईरानी उत्पत्ति की शाही कला और यूनानी रोमन तथा भारतीय स्ट्रोटोन से मिश्रित बौद्ध कला। ईरानी उत्पत्ति की शाही कला के सर्वश्रेष्ठ उदाहरण सात कुषाण राजाओं द्वारा जारी स्वर्ण मुद्राएं, शाही कुषाण प्रतिकृतियाँ (उदाहरण: कनिष्क की प्रतिमा) और अफगानिस्तान में सुर्ख कोतल में प्राप्त राजसी प्रतिकृतियाँ हैं। कुषाण कलाकृतियों की शैली कठिन, पुरोहितवादी और प्रत्यक्ष है और वह व्यक्ति की आंतरिक शक्ति व गुणों को रेखांकित करती है। इसमें मानव शरीर अथवा वस्त्रलंकार के यथार्थवादी चित्रण के प्रति कम अथवा लगभग कोई रुचि नहीं है। यह उस दूसरी शैली के विपरीत है जो कुषाण कला की गांधार व मथुरा शैलियों की विशेषता है। .

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कुस्तुन्तुनिया का पतन

महमद द्वितीय का क़ुस्तुंतुनिया में प्रवेश (Fausto Zonaro द्वारा चित्रित) २९ मई १४५३ को उस्मानी साम्राज्य की आक्रमणकारी सेनाओं द्वारा बाज़न्तीनी साम्राज्य की राजधानी क़ुस्तुंतुनिया पर अधिकार कर लेने की घटना क़ुस्तुंतुनिया विजय (अंग्रेजी: Fall of Constantinople, यूनानी: Άλωση της Κωνσταντινούπολης, Alōsē tēs Kōnstantinoupolēs; तुर्की: İstanbul'un Fethi) कहलाती है। यह एक अति महत्वपूर्ण घटना थी। उस्मानी सेना का सेनापति २१ वर्षीय सुल्तान महमद द्वितीय था। यह विजय ७ सप्ताह की घेराबन्दी के बाद मिली थी। इस घटना के फलस्वरूप रोमन साम्राज्य का अन्त हो गया जो लगभग १५०० वर्षों से चला आ रहा था। इस घटना से ईसाईवाद को भी धक्का पहुँचा और उस्मानी सेनाओं के यूरोप में प्रवेश का मार्ग प्रशस्त हो गया था। इस विजय के बाद उस्मानी साम्राज्य की राजधानी एदिर्न (Edirne) से हटाकर क़ुस्तुंतुनिया ला दी गयी। विजय के पहले और बाद में अनेकों यूनानी एवं अन्य बुद्धिजीवी क़ुस्तुंतुनिया छोड़कर भाग निकले। इनमें से अधिकांश इटली जा पहुँचे जिससे यूरोपीय पुनर्जागरण को बहुत बल मिला। यह घटना मध्यकालीन इतिहास की एक अत्यन्त महत्वपूर्ण घटना थी। कुछ इतिहासकार इसे मध्यकाल की समाप्ति की घटना मानते हैं। .

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क्रूसेड

'''एन्टिओक का कब्जा''', प्रथम क्रूसयुद्ध के समय के मध्ययुगीय चित्रकर्म से लिया गया यूरोप के ईसाइयों ने 1095 और 1291 के बीच अपने धर्म की पवित्र भूमि फिलिस्तीन और उसकी राजधानी जेरूसलम में स्थित ईसा की समाधि का गिरजाघर मुसलमानों से छीनने और अपने अधिकार में करने के प्रयास में जो युद्ध किए उनको सलीबी युद्ध, ईसाई धर्मयुद्ध, क्रूसेड (crusades) अथवा क्रूश युद्ध कहा जाता है। इतिहासकार ऐसे सात क्रूश युद्ध मानते हैं। .

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कॉकस

कॉकस या कौकसस यूरोप और एशिया की सीमा पर स्थित एक भौगोलिक और राजनैतिक क्षेत्र है। इस क्षेत्र में कॉकस पर्वत शृंखला भी आती है, जिसमें यूरोप का सबसे ऊंचा पहाड़, एल्ब्रुस पर्वत शामिल है। कॉकस के दो मुख्य खंड बताये जाते हैं: उत्तर कॉकस और दक्षिण कॉकस। उत्तर कॉकस में चेचन्या, इन्गुशेतिया, दाग़िस्तान, आदिगेया, काबारदीनो-बल्कारिया, काराचाए-चरकस्सिया, उत्तर ओसेतिया, क्रास्नोदार क्राय और स्ताव्रोपोल क्राय के क्षेत्र आते हैं। दक्षिण कॉकस में आर्मीनिया, अज़रबैजान और जॉर्जिया आते हैं, जिसमें दक्षिण ओसेतिया, अबख़ज़िया और नागोर्नो-काराबाख़ शामिल हैं। .

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कोलोन

मध्य कोलोन का दृष्य कोलोन (जर्मन: Köln; अंग्रेजी उच्चारण: /kəˈloʊn/) बर्लिन, हैम्बर्ग और म्युनिख़ के बाद जर्मनी का चौथा सबसे बड़ा शहर है। कोलोन, राइन नदी के दोनों तरफ बसा हुआ है। शहर का मशहूर कोलोन कैथेड्रल, कोलोन के कैथोलिक आर्कबिशप का निवास है। कोलोन विश्वविद्यालय यूरोप के सबसे पुराने और बड़े विश्वविद्यालयों में से एक है जिसमें लगभग 44,000 विद्यार्थी पढ़ते हैं। .

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कोलोसियम

कोलोसियमकोलोसियम या कोलिसियम (लाटिन: Amphitheatrum Flavium, इतालवी Anfiteatro Flavio या Colosseo) इटली देश के रोम नगर के मध्य निर्मित रोमन साम्राज्य का सबसे विशाल एलिप्टिकल एंफ़ीथियेटर है। यह रोमन स्थापत्य और अभियांत्रिकी का सर्वोत्कृष्ट नमूना माना जाता है। इसका निर्माण तत्कालीन शासक वेस्पियन ने ७०वीं - ७२वीं ईस्वी के मध्य प्रारंभ किया और ८०वीं ईस्वी में इसको सम्राट टाइटस ने पूरा किया। ८१ और ९६ वर्षों के बीच इसमें डोमीशियन के राज में इसमें कुछ और परिवर्तन करवाए गए। इस भवन का नाम एम्फ़ीथियेटरम् फ्लेवियम, वेस्पियन और टाइटस के पारिवारिक नाम फ्लेवियस के कारण है। अंडाकार कोलोसियम की क्षमता ५०,००० दर्शकों की थी, जो उस समय में साधारण बात नहीं थी। इस स्टेडियम में योद्धाओं के बीच मात्र मनोरंजन के लिए खूनी लड़ाईयाँ हुआ करती थीं। योद्धाओं को जानवरों से भी लड़ना पड़ता था। ग्लेडियेटर बाघों से लड़ते थे। अनुमान है कि इस स्टेडियम के ऐसे प्रदर्शनों में लगभग ५ लाख पशुओं और १० लाख मनुष्य मारे गए। इसके अतिरिक्त पौराणिक कथाओं पर आधारित नाटक भी यहाँ खेले जाते थे। साल में दो बार भव्य आयोजन होते थे और रोमनवासी इस खेल को बहुत पसंद करते थे। पूर्व मध्यकाल में इस इमारत को सार्वजनिक प्रयोग के लिए बंद कर दिया गया। बाद में इसे निवास, कार्यशालाओं, धार्मिक कार्यों, किले और तीर्थ स्थल के रूप में प्रयोग किया जाता रहा। आज इक्कीसवी शती में यह भूकंप और पत्थर चोरी के कारण केवल खंडहर के रूप में ही बची है लेकिन इसके खंडहर को पर्यटकों के लिए सजा सँवारकर रखा गया है। यूनेस्को द्वारा इसका चयन विश्व विरासत के रूप में किया गया है। यह आज भी शक्तिशाली रोमन साम्राज्य के वैभव का प्रतीक है, पर्यटकों का सबसे लोकप्रिय गंतव्य है और रोमन चर्च से निकट संबंध रखता है क्यों कि आज भी हर गुड फ्राइडे को पोप यहाँ से एक मशाल जलूस निकालते हैं। File:Colosseum 0731 2013.jpg|कोलोसियम 2013 File:Colosseum 0732 2013.jpg|कोलोसियम 2013 File:Colosseum 0740 2013.jpg|कोलोसियम 2013 File:Colosseum 0748 2013.jpg|कोलोसियम 2013 File:Colosseum 0771 2013.jpg|कोलोसियम 2013 File:Colosseum 0762 2013.jpg|कोलोसियम 2013 File:Arco di Constantino 0787 2013.jpg|आर्को डि कॉन्स्टेनटिनो2013 File:Weed Whacking the Colosseum (2883935844).jpg .

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अत्तिला

सिंहासन पर अत्तिला हूण अत्तिला (406-453) या अत्तिला हूण वर्ष 434 से अपनी मृत्यु तक हूणों का राजा था। यह हूण साम्राज्य का नेता था यह मूल रूप से भारत में आये स्वेत हूंणों का ही वंशज था जो मूल रूप से गुर्जर वंश के थे हूंणों के परिवार के सदस्य कंषान गुर्जर कुषान/ड के परिवार के थे। जर्मनी से यूराल नदी और डैन्यूब नदी से बाल्टिक सागर तक फैला हुआ था। अपने राजकाल में यह पश्चिमी और पूर्वी रोमन साम्राज्य का सबसे भयानक शत्रु था। इसे बाद के इतिहासकारों ने ' भगवान का कोड़ा' (Scourge of God.) कहा। इसने दो बार बाल्कन क्षेत्र पर हमला किया, गोल (आधुनिक फ्रांस) में यह ऑर्लेयाँ तक पहुँच गया, पर इसने इस्तानबुल या रोम पर कभी आक्रमण नहीं किया। लगभग सारे पश्चिमी यूरोप में इसे क्रूरता और लोभ के परम उदाहरण के रूप में याद किया जाता है, लेकिन कुछ ऐतिहासिक विवरणों और कहानियों में अटिला को महान सम्राट के रूप में दर्शाया गया है। नोर्स गाथाओं में अटिला की प्रमुख भूमिका है। अत्तिला के पिता का नाम मुंदजुक था। उसके जन्म से कुछ पहले ही कास्पियन सागर के उत्तरवर्ती प्रदेशों के हूण दानूब नदी की घाटों में जा बसे थे। अत्तिला के पिता का परिवार भी उन्हीं हूणों में से था। चाचा रुआस के मरने पर अपने भाई ब्लेदा के साथ अत्तिला दानूबतटीय हूणों का संयुक्त राजा बना। रुआस का शासनकाल हूणों के यूरोप में विशेष उत्कर्ष का था। उसने जर्मन और स्लाव जातियों पर आधिपत्य कर लिया था और उसका दबदबा कुछ ऐसा बढ़ा कि पूर्वी रोमन सम्राट उसे वार्षिक कर देने लगा। चाचा के ऐश्वर्य का अत्तिला ने प्रभूत प्रसार किया और आठ वर्षों में वह कास्पियन और बाल्टिक सागर के बीच के समूचे राज्यों का, राइन नदी तक, स्वामी बन गया। 450 ई. के पश्चात्‌ अत्तिला पूर्वी साम्राज्य को छोड़ पश्चिमी साम्राज्य की ओर बढ़ा। पश्चिमी साम्राज्य का सम्राट तब वालेंतीनियन तृतीय था। सम्राट की भगिनी जुस्ताग्राता होनोरिया ने अपने भाई के विरुद्ध सहायता के अर्थ अत्तिला को अपनी अँगूठी भेजी थी। इसे विवाह का प्रस्ताव मान हूणराज ने सम्राट से भगिनी के यौतुक में आधा राज्य माँगा और अपनी सेना लिए वह गाल को रौंदता, मेत्स को लूटता, ल्वार नदी के तट पर बसे और्लियाँ जा पहुँचा, पर रोमन सेना ने पश्चिमी गोथों और नगरवासियों की सहायता से हूणों को नगर का घेरा उठा लेने को मजबूर किया। फिर दो महीने बाद जून, 451 में इतिहास की सबसे भयंकर खूनी लड़ाइयों में से एक लड़ी गई, जब दोनों सेनाएँ सेन नदी के तट पर त्रॉय के निकट परस्पर मिलीं। भीषण युद्ध हुआ और जीवन में बस एक वार हारकर अत्तिला को भागना पड़ा। पर अत्तिला चुप बैठने वाला आदमी न था। अगले साल सेना लेकर शक्ति केंद्र स्वयं इटली पर उसने धावा बोल दिया और देखते-देखते उसका उत्तरी लोंबार्दी का प्रांत उजाड़ डाला। उखड़े, भागे हुए लोगों ने आर्द्रियातिक सागर पहुँच वहाँ के प्रसिद्ध नगर वेनिस की नींव डाली। सम्राट बालेंतीनियन ने भागकर रावेना में शरण ली। पर पोप लिओ प्रथम ने रोम की रक्षा के लिए मिंचिओ नदी के तीर पड़ाव डाले अत्तिला से प्रार्थना की। कुछ पोप के अनुनय से, कुछ हूणों के बीच प्लेग फूट पड़ने से अत्तिला ने इटली छोड़ देना स्वीकार किया। इटली से लौटकर उसने बर्गडों को राजकुमारी इल्दिको को ब्याह पर अपनी सुहागरात को ही वह रक्तचाप से मस्तिष्क की नली फट जाने के कारण पानीनिया में मर गया। अत्तिला ने पश्चिमी रोमन साम्राज्य की रीढ़ तोड़ दी। उसके और हूणों के नाम से यूरोपीय जनता थरथर काँपने लगी। हंगरी में बसकर तो उन्होंने उस देश को अपना नाम दिया हो, उनका शासन नार्वे और स्वीडेन तक चला। चीन के उत्तर-पूर्वी प्रांत कासू से उनका निकास हुआ था और वहाँ से यूरोप तक हूणों ने अपना खूनी आधिपत्य कायम किया। उन्हीं की धाराओं पर धाराओं ने दक्षिण बहकर भारत के गुप्त साम्राज्य को भी कमर तोड़ दी। .

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अधिदेवता

सेशात, जो प्राचीन मिस्र में ज्ञान और लिखाई की अधिदेवी थीं अधिदेवता या अधिदेवी ऐसे देवता या देवी को कहते हैं। जो किसी स्थान, परिवार, गाँव, शहर, व्यक्ति, राष्ट्र, व्यवसाय या अन्य चीज़ का रक्षक होने के लिए विशेष मान्यता रखता हो। उदाहरण के लिए हिन्दू धर्म में ज्ञान की अधिदेवी सरस्वती हैं। .

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अफ़्रीका

अफ़्रीका वा कालद्वीप, एशिया के बाद विश्व का सबसे बड़ा महाद्वीप है। यह 37°14' उत्तरी अक्षांश से 34°50' दक्षिणी अक्षांश एवं 17°33' पश्चिमी देशान्तर से 51°23' पूर्वी देशान्तर के मध्य स्थित है। अफ्रीका के उत्तर में भूमध्यसागर एवं यूरोप महाद्वीप, पश्चिम में अंध महासागर, दक्षिण में दक्षिण महासागर तथा पूर्व में अरब सागर एवं हिन्द महासागर हैं। पूर्व में स्वेज भूडमरूमध्य इसे एशिया से जोड़ता है तथा स्वेज नहर इसे एशिया से अलग करती है। जिब्राल्टर जलडमरूमध्य इसे उत्तर में यूरोप महाद्वीप से अलग करता है। इस महाद्वीप में विशाल मरुस्थल, अत्यन्त घने वन, विस्तृत घास के मैदान, बड़ी-बड़ी नदियाँ व झीलें तथा विचित्र जंगली जानवर हैं। मुख्य मध्याह्न रेखा (0°) अफ्रीका महाद्वीप के घाना देश की राजधानी अक्रा शहर से होकर गुजरती है। यहाँ सेरेनगेती और क्रुजर राष्‍ट्रीय उद्यान है तो जलप्रपात और वर्षावन भी हैं। एक ओर सहारा मरुस्‍थल है तो दूसरी ओर किलिमंजारो पर्वत भी है और सुषुप्‍त ज्वालामुखी भी है। युगांडा, तंजानिया और केन्या की सीमा पर स्थित विक्टोरिया झील अफ्रीका की सबसे बड़ी तथा सम्पूर्ण पृथ्वी पर मीठे पानी की दूसरी सबसे बड़ी झीलहै। यह झील दुनिया की सबसे लम्बी नदी नील के पानी का स्रोत भी है। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इसी महाद्वीप में सबसे पहले मानव का जन्म व विकास हुआ और यहीं से जाकर वे दूसरे महाद्वीपों में बसे, इसलिए इसे मानव सभ्‍यता की जन्‍मभूमि माना जाता है। यहाँ विश्व की दो प्राचीन सभ्यताओं (मिस्र एवं कार्थेज) का भी विकास हुआ था। अफ्रीका के बहुत से देश द्वितीय विश्व युद्ध के बाद स्वतंत्र हुए हैं एवं सभी अपने आर्थिक विकास में लगे हुए हैं। अफ़्रीका अपनी बहुरंगी संस्कृति और जमीन से जुड़े साहित्य के कारण भी विश्व में जाना जाता है। .

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अब्द

अब्द का अर्थ वर्ष है। यह वर्ष, संवत्‌ एवं सन्‌ के अर्थ में आजकल प्रचलित है क्योंकि हिंदी में इस शब्द का प्रयोग सापेक्षिक दृष्टि से कम हो गया है। शताब्दी, सहस्राब्दी, ख्रिष्टाब्द आदि शब्द इसी से बने हैं। अनेक वीरों, महापुरुषों, संप्रदायों एवं घटनाओं के जीवन और इतिहास के आरंभ की स्मृति में अनेक अब्द या संवत्‌ या सन्‌ संसार में चलाए गए हैं, यथा, १. सप्तर्षि संवत् - सप्तर्षि (सात तारों) की कल्पित गति के साथ इसका संबंध माना गया है। इसे लौकिक, शास्त्र, पहाड़ी या कच्चा संवत्‌ भी कहते हैं। इसमें २४ वर्ष जोड़ने से सप्तर्षि-संवत्‌-चक्र का वर्तमान वर्ष आता है। २. कलियुग संवत् - इसे 'महाभारत सम्वत' या 'युधिष्ठिर संवत्‌' कहते हैं। ज्योतिष ग्रंथों में इसका उपयोग होता है। शिलालेखों में भी इसका उपयोग हुआ है। ई.॰ईपू॰ ३१०२ से इसका आरंभ होता है। वि॰सं॰ में ३०४४ एवं श.सं.

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अर-रक्का

अर-रक्का: अंग्रेजी Al-Raqqah (अरबी‎ﺍﻟﺮﻗﺔ ‏‎ अर रक्का) यह एक सीरिया का नगर है जो फूरात नदी से 160 किलोमीटर उत्तर में स्थित है तथा अलेप्पो शहर से 40 किलोमीटर पुर्व में स्थित है। सीरिया की 2004 की जनगणना के अनुसार इस नगर की जनसंख्या 220,488 है। .

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अल्बानिया

अल्बानिया गणराज्य (अल्बानियाई: Republika e Shqipërisë) उत्तरपूर्वी यूरोप में स्थित एक देश है। इसकी भूसीमाएं उत्तर में कोसोवो, उत्तरपश्चिम में मोन्टेनेग्रो, पूर्व में भूतपूर्व यूगोस्लाविया और दक्षिण में यूनान से मिलती हैं। तटीय सीमाएं दक्षिण पश्चिम में आड्रियाटिक सागर और आयोनियन सागर से मिलती हैं। अल्बानिया एक संसदीय लोकतंत्र और अवस्थांतर अर्थव्यवस्था है। अल्बानिया की राजधानी, तिराना, लगभग ८,९५,००० निवासियों वाला नगर है जो देश की ३६ लाख की जनसंख्या का चौथाई भाग है और यह नगर अल्बानिया का वित्तीय केन्द्र भी है। मुक्त बाजार सुधारों के कारण विदेशी निवेश के लिए देश की अर्थव्यस्था खोल दी गई है मुख्यतः ऊर्जा के विकास और परिवहन आधारभूत ढांचे में। अल्बानिया संयुक्त राष्ट्र, नाटो, यूरोपीय सुरक्षा और सहयोग संगठन, यूरोपीय परिषद, विश्व व्यापार संगठन, इस्लामिक सम्मेलन संगठन इत्यादि का सदस्य है और भूमध्य क्षेत्र संघ के संस्थापक सदस्यों में से एक था। अल्बानिया जनवरी २००३ से यूरोपीय संघ में विलय के लिए एक संभावित प्रत्याशी रहा है और इसने औपचारिक रूप से २८ अप्रैल, २००९ को यूरोपीय संघ की सदस्यता के लिए आवेदन किया। .

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अग्निदाह

दाह-संस्कार या अग्निदाह किसी प्राणी (विषेशकर मानव) के मृत-शरीर को आग द्वारा जलाकर समाप्त कर देने की विधि को कहते हैं। हिन्दू, बौद्ध, सिख, जैन व कुछ अन्य धार्मिक समुदायों में इसी प्रक्रिया को परम्परागत रूप से करा जाता है। यूरोप व उत्तर अमेरिका के ईसाई मान्यता वाले लोगों में भी अग्निदाह प्रचलित है, हालांकि उनमें दफ़नाने की ऐतिहासिक परम्परा भी है। प्राचीन यूरोप में रोम व यूनान में अग्निदाह ही अधिक प्रचलित मृत्यु-परम्परा थी, और उस समय की कथायें व वर्णन इसकी पुष्टि करते हैं। रासायनिक रूप से अग्निदाह में शरीर भस्म होकर राख, गैसें, धुआँ और कुछ हड्डीनुमा अस्तियाँ छोड़ जाता है। .

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अंक विद्या

अनेक प्रणालियों, परम्पराओं (tradition) या विश्वासों (belief) में अंक विद्या, अंकों और भौतिक वस्तुओं या जीवित वस्तुओं के बीच एक रहस्यवाद (mystical) या गूढ (esoteric) सम्बन्ध है। प्रारंभिक गणितज्ञों जैसे पाइथागोरस के बीच अंक विद्या और अंकों से सम्बंधित शकुन लोकप्रिय थे, परन्तु अब इन्हें गणित का एक भाग नहीं माना जाता और आधुनिक वैज्ञानिकों द्वारा इन्हे छद्म गणित (pseudomathematics) की मान्यता दी जाती है। यह उसी तरह है जैसे ज्योतिष विद्या में से खगोल विद्या और रसविद्या (alchemy) से रसायन शास्त्र का ऐतिहासिक विकास है। आज, अंक विद्या को बहुत बार अदृश्य (occult) के साथ-साथ ज्योतिष विद्या और इसके जैसे शकुन विचारों (divinatory) की कलाओं से जोड़ा जाता है। इस शब्द को उनके लोगों के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है जो कुछ प्रेक्षकों के विचार में, अंक पद्धति पर ज्यादा विश्वास करते हैं, तब भी यदि वे लोग परम्परागत अंक विद्या को व्यव्हार में नहीं लाते। उदाहरण के लिए, उनकी १९९७ की पुस्तक अंक विद्या; या पाइथागोरस ने क्या गढ़ा, गणितज्ञ अंडरवुड डुडले (Underwood Dudley) ने शेयर बाजार (stock market) विश्लेषण के एलिअट के तरंग सिद्धांत (Elliott wave principle) के प्रयोगकर्ताओं की चर्चा करने के लिए इस शब्द का उपयोग किया है। .

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अंकारा, तुर्की

अंकारा तुर्की की राजधानी और इस्तांबुल के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। शहर पहले अंगोरा के नाम से जाना जाता था। आनातोलिया में स्थित अंकारा एक प्रमुख व्यापारिक और औद्योगिक केन्द्र भी है। यह शहर तुर्की सरकार का केन्द्र है एवं यहाँ सभी विदेशी दूतावास भी स्थित हैं। तुर्की के राज्यमार्गों एवं रेलमार्ग के जाल के मध्य में स्थित होने के कारण यह व्यापार का केन्द्र है। अंगोरा शहर लम्बे बालों वाली अंगोरा बकरी और उसके कीमती ऊन, अंगोरा खरगोश, नाशपाती और शहद के लिये प्रसिद्ध था। अंकारा एक प्राचीन शहर है, जिसमें कई हत्ती, फ्रीजियन, हेलेनिस्टिक, रोमन, बीज़ान्टिन, उस्मानी पुरातात्विक स्थल मौजूद हैं। तुर्किश सांख्यिकीय संस्थान के मुताबिक, २०११ में शहर की आबादी ४३,३८,६२० थी। .

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अकसूम राज्य

अकसूम राज्य (Kingdom of Aksum) या अकसूमी साम्राज्य (Aksumite Empire) पूर्वी अफ़्रीका के आधुनिक इथियोपिया व इरित्रिया देशों के क्षेत्र में स्थित एक राज्य था। इस इलाक़े में लौह युग में चौथी सदी ईसापूर्व से विकसित होना शुरू होकर, यह लगभग १०० ईसवी से लेकर लगभग ९४० ईसवी तक अस्तितिव में रहा। प्राचीन भारत और प्राचीन रोम के बीच में इसने एक महत्त्वपूर्ण व्यापारिक भूमिका निभाई और अपनी मुद्रा जारी करके भी व्यापार को बढ़ावा दिया। एक तरफ़ इसने अपने पश्चिम में स्थित कूश राज्य को अपने अधीन कर लिया और दूसरी ओर हिम्यरी राज्य पर क़ब्ज़ा करके अरबी प्रायद्वीप की राजनीति में भी प्रवेश कर लिया। महाराजा एज़ाना (अनुमानित काल: ३२०-३६० ई) के शासनकाल में यह विश्व का पहला साम्राज्य बना जिसने ईसाई धर्म अपना लिया और ईरान के धार्मिक नेता मानी (२१६-२७६ ई) ने इसे ईरान, चीन और रोम की टक्कर की चौथी महान शक्ति बताया। ७वीं सदी में मक्का के कुछ मुस्लिम अनुयायी स्थानीय क़ुरैश क़बीले (जिन्होने तब इस्लाम नहीं अपनाया था और उसका बलपूर्वक विरोध कर रहे थे) के अत्याचार से बचने के लिए अकसूम में शरण लेने आ गए और यह घटना इस्लामी इतिहास में 'पहले हिज्र' के नाम से जानी जाती है। आज अकसूम राज्य की राजधानी, जिसका नाम भी अकसूम ही था, उत्तरी इथियोपिया में स्थित एक नगर है। यूरोप और मध्य-पूर्व के इतिहास में प्रसिद्ध 'शीबा की रानी' भी यहीं की निवासी मानी जाती थी।Stuart Munro-Hay (1991).

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उत्तरी रेशम मार्ग

टकलामकान रेगिस्तान उत्तरी रेशम मार्ग (Northern Silk Road) वर्तमान जनवादी गणतंत्र चीन के उत्तरी क्षेत्र में स्थित एक ऐतिहासिक मार्ग है जो चीन की प्राचीन राजधानी शिआन से पश्चिम की ओर जाते हुए टकलामकान रेगिस्तान से उत्तर निकलकर मध्य एशिया के प्राचीन बैक्ट्रिया और पार्थिया राज्य और फिर और भी आगे ईरान और प्राचीन रोम पहुँचता था। यह मशहूर रेशम मार्ग की उत्तरतम शाखा है और इसपर हज़ारों सालों से चीन और मध्य एशिया के बीच व्यापारिक, फ़ौजी और सांस्कृतिक गतिविधियाँ होती रहीं हैं। पहली सहस्राब्दी (यानि हज़ार साल) ईसापूर्व में चीन के हान राजवंश ने इस मार्ग को चीनी व्यापारियों और सैनिकों के लिए सुरक्षित बनाने के लिए यहाँ पर सक्रीय जातियों के खिलाफ़ बहुत अभियान चलाए जिस से इस मार्ग का प्रयोग और विस्तृत हुआ। चीनी सम्राटों ने विशेषकर शियोंगनु लोगों के प्रभाव को कम करने के बहुत प्रयास किये।, Frances Wood, University of California Press, 2004, ISBN 978-0-520-24340-8,...

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

प्राचीन रोम, प्राचीन रोमन, प्राचीन रोमन सभ्यता, रोम साम्राज्य।

रोमन साम्राज्य के पूर्वी भाग में कौन सी भाषा मुख्य रूप से बोली जाती थी?

रोमन साम्राज्य में अलग-अलग स्थानों पर लातिनी और यूनानी भाषाएँ बोली जाती थी और सन् १३० में इसने ईसाई धर्म को राजधर्म घोषित कर दिया था।

रोमन साम्राज्य की भाषा क्या थी?

लातिनी (जो रोम में बोली जाती थी) साम्राज्य की मुख्य भाषा थी

पूर्वी रोमन साम्राज्य की राजधानी कौन सी थी?

बाईज़न्टाइन साम्राज्य (या 'पूर्वी रोमन साम्राज्य') मध्य युग के दौरान रोमन साम्राज्य को दिया गया नाम था। इसकी राजधानी क़ुस्तुंतुनिया (कॉन्स्टैन्टिनोप्ल) थी, जोकि वर्तमान में तुर्की में स्थित है, और अब इसे इस्तांबुल के नाम से जाना जाता है।

रोमन साम्राज्य को पूर्वी और पश्चिमी दो भागों में कब बांटा गया?

चतुर्थ शती ई. में सम्राट कॉन्स्टेनटाइन के ईसाई बनने के बाद इस साम्राज्य का काफ़ी हद तक ईसाईकरण हो गया। शासन को सुचारू ढंग से चलाने के लिए चौथी शती ई. में रोम साम्राज्य को पूर्वी और पश्चिमी दो हिस्सों में बाँट दिया गया