रोगों से बचने व रोकथाम के क्या क्या उपाय है? - rogon se bachane va rokathaam ke kya kya upaay hai?

चुटकी भर बचाव मुट्टी भर इलाज के बराबर होता है|  हमें ध्यान देना है साफ-सफाई पर और सेहत ठीक रखने वाले भोजन पर|

रोगों से बचने व रोकथाम के क्या क्या उपाय है? - rogon se bachane va rokathaam ke kya kya upaay hai?

बीमारियाँ कैसे फैलती हैं ?

  • बीमारियां ऐसे बहुत ही छोटे कीड़ों या उनके अण्डों से जिन्हें हम देख नहीं सकते हैं
  • बीमार व्यक्तियों के मल से भोजन और पानी से ज्यादा बिमारियाँ फैलती हैं, मक्खियों के भोजन पर बैठने से, गन्दे पानी से भी बीमारियाँ फैलती हैं, ऐसी बीमारियाँ हैं

- आतों में कीड़ों का होना

- दस्त, पेचिस

- हैजा, मियादी बुखार

- पीलिया तथा लीवर की और बिमारियाँ

- बीमार व्यक्तियों को छूने से, उनके कपड़े पहनने से, उनके बिस्तर पर सोने से, उनके चादर ओढने से भी बीमारियाँ हो सकती हैं : जैसे :

- प्रयोग, नवाचार, खतरा झेलने की क्षमता

- चमड़ी के रोग, दाद, दिनाय, खुजली

० जुआ, ढील

० सुजाक

० खांसी या छींक से भी सामने बैठे लोगों में बीमारियाँ फ़ैल सकती है जैसे :

- तपेदिक (टी. बी.)

- खसरा, छोटी माता

- सर्दी, जुकाम

- निमोनिया

- डिप्थीरिया (गला घोंटू)

कुछ बीमारियाँ कीड़े मकोड़ों और जानवरों द्वारा भी फैलती है जैसे –

- मलेरिया

- हाथीपांव

- पेट का कीड़ा

- रैबिज

ऐसी बीमारियों को रोका कैसे जाए ?

  • शौचालय का इस्तेमल कर
  • खेत में शौच के बाद मल को मिटटी से ढक कर
  • मच्छर, मक्खी से दूर रहकर
  • सूअर को घर में न आने देकर
  • बच्चों को सूअर से दूर रखकर
  • खाना बनाने वाले और परोसने वाले को अच्छी तरह हाथ धोना

साफ – सफाई

  • खुद की सफाई

- जल्दी उठाना

- शौचालय या दूर खेत में मल  करना

- मल के बाद साबुन या राख से हाथ धोना

- दांतों की सफाई

- नहाना, गर्मियों में कई बार नहाना

- नंगे पांव न चलना

- खाने के बाद अच्छी तरह दांतों की सफाई

- घर की साफ-सफाई

- सुअरों को घर में न आने देना

- बच्चों को सुअरों से दूर रखना

- यदि घर में या आस-पास बच्चे, बड़े या पशु मल दिखे तो उस पर राख या मिटटी दाल दें

- कपड़ों और बिस्तर को बराबर धूप दिखाएँ

- जमीन पर न थूकें|  थुक से बीमारी फैलती है|

- घर को रोज साफ करें

- कच्चे घरों को गोबर और चिकनी मिटटी से बराबर लिपते रहें ताकि मक्कियाँ नहीं आए|

खाने पीने में सफाई

उबले पानी सबसे अच्छा होता है

  • पानी को अगर चार-पांच घंटे धूप में रख दिया जाए तो भी काफी कीटाणु मर जाते हैं|
  • जो चापाकल गहराई से गाडा गया है उसका पानी भी पीने लायक होता है|
  • मक्कियों ओर दूसरे कीड़े-मकोडो को भोजन पर न बैठने दें, इससे बीमारी हो सकती है|
  • अपने आस पल बचा हुआ खाना या गन्दे बरतन न रखे इनसे मक्खियों का जमाव बढता है और बीमारी फैलती है|
  • भोजन को ढक कर रखना चाहिए|  अच्छा होगा जालीदार ढक्कन से ढक दें |
  • बाजार में बिकने वाली मिठाइयां न खाएं उनपर मक्खियां बैठती हैं| ऐसी चीजों को खाने से दस्त हैजा, मियादी बुखार तक हो सकता है|
  • खेत से तोड़ी गयी या उखाड़ी गयी सब्जियों को धोने के बाद ही पकाएं|
  • मांस अच्छी तरह पका हो तभी खाएँ|
  • बसी भोजन से बंचे|  उनके खाने से बहुत तरह की बीमारियाँ हो सकती है|

    बीमार बच्चे को हमेसा अलग सुलाएं

    • बच्चों को समय से सभी टीका दिलवाएं|  इससे वे बीमार होने से बच सकते हैं|

    बी. सी.जी.तपेदिक से बचने के लिए

    • यह टीका बच्चे के जनमते ही लगा देना चाहिए|टीका लगने के बाद वहां घाव हो सकता है, लेकिन वह जल्दी ही भर जाता है|  बाद में एक निशान रह जाता है|
    • डी.पी.टी. – डिप्थेरिया (गला घोंटू ) काली खांसी तथा टेटनस से बचाव के लिए तीन टिके लगाने चाहिए|
    • तीन महीने से नाव महीने के बीच हर महीने एक-एक टीका लगवाना चाहिए|
    • पोलियो ( बच्चों का लकवा )- पोलियो से बचने के लिए कम से कम तीन दफे दो-दो बूंद पिला देना चाहिए|  बच्चा जब तीन महीने का हो जाता है तो पहला टीका छह महीने पर दूसरा टीका और नौ महीने पर तीसरा टीका लगवा देना चाहिए| फिर बूस्टर डोज डेढ़ साल के बीच दे देनी चाहिए|
    • खसरा – (मीजल्स) जब बच्चा नौ महीना का हो जाए तो खसरे का टीका लगवा देना चाहिए|
    • टेटनस – जब बच्चा एक महीने का हो जाए तो एक टीका और दो महीने का हो जाने के बाद एक और टीका लगवा देना चाहिए |  बच्चा जब छह महीने का हो जाए तो तीसरा टीका लगवा देना चाहिए|
    • गर्भवती माँ के लिए भी टेटनस का टीका जरुरी है|
    • बच्चों को रोज नहलाएं|  नहलाने के बाद साफ कपड़ा पहनाएं और नाख़ून हर हफ्ते कांटे|
    • सबसे जरूरी है बच्चे का भोजन – जिसमें हरी सब्जी और साग हो, पीली सब्जी और फूल हो, दाल काफी मात्रा में हो|  हो सके तो दूध, दही और अंडा भी खिलाएं|  लड़के – लड़कियों के बीच किसी तरह का भेद भाव न करें|

      आस-पड़ोस की सफाई

      आस-पडोस का कुआं, चापाकल, पोखर को अपना ही समझे, क्योंकि उसका उपयोग आपका परिवार भी करता है|
      ध्यान रखें कि चापाकल के चारों तरफ चबूतरा जरुर हो ताकि गन्दा पानी बहकर चापाकल के तह में न पहुचें|
      कूड़े को जला दें या फिर जमीन में गाढ़ दें|
      हो सके तो शौचालय जरुर बना लें आपका परिवार बहुत सारी बीमारियों से बच सकता है|  शुरुआत में कुछ पैसा तो लगाना पड़ता है, पर यह डाक्टरों को दवाएं पर खर्च से जरूर सस्ती है|

      स्त्रोत: संसर्ग, ज़ेवियर समाज सेवा संस्थान

      रोगों से बचने व रोकथाम के क्या क्या उपाय हैं?

      इस लेख में.
      हाथ धोएं.
      निजी स्वच्छता से जुड़ी अच्छी आदतें अपनाएं.
      रोगी से जुड़े स्थानों को साफ़ रखें.
      संपर्क से बचें.
      टीकाकरण करवाएं.
      पतले दस्त लगने जैसे लक्षणों का ध्यान रखें.
      जागरूक रहें.
      खाद्य सुरक्षा के बारे में विचार करें.

      बीमारियों को कैसे रोका जा सकता है?

      स्वस्थ खाओ स्वस्थ भोजन करने से हृदय रोग, टाइप 2 मधुमेह और अन्य पुरानी बीमारियों को रोकने, देरी करने और प्रबंधित करने में मदद मिलती है। एक संतुलित, स्वस्थ आहार पैटर्न में विभिन्न प्रकार के फल, सब्जियां, साबुत अनाज, दुबला प्रोटीन, और कम वसा वाले डेयरी उत्पाद और सीमित शर्करा, संतृप्त वसा और सोडियम शामिल हैं।

      बीमारी के कारण क्या है?

      रोगों के कारक रोग उत्पन्न करने वाले कारकों को रोगजनक (पैथोजन) कहते हैं जैसे- जीवाणु, विषाणु (वायरस), प्रोटोजोआ , कवक, इत्यादि। कुछ रोग आनुवंशिक कारणों से भी उत्पन्न होते हैं।

      रोग कितने प्रकार के होते हैं?

      अनुक्रम.
      1 पाचनतंत्र के रोग - (Digestive System).
      2 श्वसनतंत्र (Respiratory System).
      3 नेत्ररोग (Eye Diseas).
      4 कान के रोग.
      5 मुख रोग (Mouth Disease).
      6 ज्वर (Fever).
      7 त्वचारोग (Skin Disease).
      8 यौनरोग (Sexual Disease).