पितृ श्राद्ध में क्या दान करना चाहिए? - pitr shraaddh mein kya daan karana chaahie?

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रिलिजन डेस्क. पितृ पक्ष के 16 दिनों में श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान आदि कर्म कर पितरों को प्रसन्न किया जाता है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार, पितृ पक्ष में दान का भी बहुत महत्व है। मान्यता है कि दान से पितरों की आत्मा को संतुष्टि मिलती है और पितृ दोष भी खत्म हो जाते हैं। श्राद्ध में गाय, तिल, भूमि, नमक, घी आदि दान करने की परंपरा है। धर्म ग्रंथों में श्राद्ध में दान की गई वस्तु से मिलने वाले फलों के बारे में विस्तारपूर्वक बताया गया है। जानिए श्राद्ध में क्या चीज दान करने से उसका क्या फल प्राप्त होता है-

1) इनका करें दान

धार्मिक दृष्टि से गाय का दान सभी दानों में श्रेष्ठ माना जाता है, लेकिन श्राद्ध पक्ष में किया गया गाय का दान हर सुख और धन-संपत्ति देने वाला माना गया है।

श्राद्ध में गाय का घी एक पात्र (बर्तन) में रखकर दान करना परिवार के लिए शुभ और मंगलकारी माना जाता है।

अन्नदान में गेहूं, चावल का दान करना चाहिए। इनके अभाव में कोई दूसरा अनाज भी दान किया जा सकता है। यह दान संकल्प सहित करने पर मनोवांछित फल देता है।

अगर आप आर्थिक रूप से संपन्न हैं तो श्राद्ध पक्ष में किसी कमजोर या गरीब व्यक्ति को भूमि का दान आपको संपत्ति और संतान लाभ देता है। 

सोने का दान कलह का नाश करता है। किंतु अगर सोने का दान संभव न हो तो सोने के दान के निमित्त यथाशक्ति धन दान भी कर सकते हैं।

इस दान में धोती और दुपट्टा सहित दो वस्त्रों के दान का महत्व है। यह वस्त्र नए और स्वच्छ होना चाहिए।

पितरों के आशीर्वाद और संतुष्टि के लिए चांदी का दान बहुत प्रभावकारी माना गया है।

श्राद्ध के हर कर्म में तिल का महत्व है। इसी तरह श्राद्ध में दान की दृष्टि से काले तिलों का दान संकट, विपदाओं से रक्षा करता है।

पितरों की प्रसन्नता के लिए नमक का दान बहुत महत्व रखता है।

श्राद्ध पक्ष 17 सितंबर को समाप्त होगा। इस दौरान इस पितृ पक्ष में दान का भी बहुत महत्व है, मान्यता है कि दान से पितरों की आत्मा को संतृष्टि मिलती है,

कालसर्प दोष और पितृ दोष भी समाप्त होता है। प्राचीनकाल में तो कई तरह के दान किए जाते थे जैसे गौ-दान, भूमिदान, स्वर्ण दान और चांदी दान परंतु इस कलिकाल में ये तो संभंव नहीं है। श्राद्ध पक्ष में अन्न दान तो करते ही हैं परंतु इसके अवाला भी ये 10 प्रमुख दान हैं। आओ जानते हैं कि दानों में 10 प्रमुख दान कौन-से हैं जो श्राद्ध पक्ष में किए जा सकते हैं।

'ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णु अद्य यथोक्त गुण विशिष्ट तिथ्यादौ... गौत्र... नाम ममस्य पितरानां दान जन्य फल प्राप्त्यर्थं क्रियामाण भगवत्प्रीत्यर्थं गौनिष्क्रय/ भूमि निष्क्रय द्रव्य वा भवते ब्राह्मणाय सम्प्रददे।'...दानों में गौ-दान, भूमि दान, तिल दान, स्वर्ण दान, घृत दान, धान्य दान, गुड़ दान, रजत दान, लवण दान।

1. जूते-चप्पल का दान : पूर्वजों के निमित्त और उनकी आत्मा शांति हेतु जूते या चप्पलों का दन करने से पितरो प्रसन्न होते हैं। मान्यताओं के अनुसार ऐसा करने से घर में सुख-शांति और खुशहाली आती है। शनि और राहु दोष भी समाप्त हो जाता है।

2.वस्त्र दान : जिसे भी भोजन कराया जा रहा है उसे जूते चप्पल के अलावा वस्त्रों का दान भी करना चाहिए। वस्त्र दान में धोती, टोपी या उत्तरीय (गमछा) दिया जाता है। कहते हैं कि पितर अपने वंशजों से वस्त्र की भी कामना आदि करते हैं।

3. छाता दान : श्राद्ध-कर्म में और मनुष्य की मृत्यु के बाद एकादशाह श्राद्ध (ग्यारहवें दिन) और शय्यादान में छाता और जूता दान करने की प्रथा है। मान्यता है कि यममार्ग में पितरों की छाते से ग्रीष्म के ताप और वर्षा से रक्षा होती है। यह भी कहता जाता है कि इससे पितरों की छत्र छाया बनी रहती है।

4. काला तिल दान : काले तिलों का दान करने से से व्यक्ति को ग्रह और नक्षत्र बाधा से मुक्ति तो मिलती है ही साथ ही यह दान संकट, विपदाओं से रक्षा करता है। तर्पण करने के दौरान यह कार्य किया जाता है।

5. घी दान : गाय का घी पात्र सहित दान करने से इससे गृहकल नहीं होती और पारिवारिक जीवन खुशहाल हो जाता है।

6. गुड़ दान : इसे पितरों को विशेष संतुष्टि प्राप्त होती है। इससे घर में सुख-शांति का वातावरण बना रहता है. ऐसा करने से गृह-क्लेश भी दूर है। घर में लक्ष्मी का वास होता है।

7. धान्य दान : इसमें किसी अनाज, दाल, चावल या आटे आदि का दान किया जाता है। इससे वंश वृद्धि में किसी भी प्रकार की रुकावट नहीं होती है।

8. नमक का दान : नमक का दान करने से प्रेत बाधा और आत्माओं से मुक्ति मिलती है।

9. चांदी या स्वर्ण का दान : स्वर्ण दान करने से सूर्य एवं गुरु संबंधी बाधा के अलावा रोगों से मुक्ति मिलती हैं वहीं चांदी दान करने से चंद्र ग्रह संबंधी बाधा दूर होती है और परिवार में शांति, सुख एवं एकता बनी रहती है। स्वर्ण के आभाव में पीतल या दक्षिणा दे सकते हैं और चांदी के अभाव में कोई सफेद वस्तु दान कर सकते हैं।

10. गौ-दान : इस दान को करने से मुक्ति की प्राप्ति होती है। जातक इस दान को संकल्प से प्रतिकात्मक रूपस से भी कर सकता है।


भूमि दान :
भूमि दान की जगह एक गमले में पौधा लगाकर भी दान किए जाने का आजकल प्रचलन है।

आमान्न दान : श्राद्ध में जो लोग भोजन कराने में अक्षम हों, वे आमान्न दान देते हैं। आमान्न दान अर्थात अन्न, घी, गुड़, नमक आदि भोजन में प्रयुक्त होने वाली वस्तुएं इच्छा‍नुसार मात्रा में दी जाती हैं। श्राद्ध का भोजन 4 लोगों को खिलाया जाता है। ब्राह्मण, कुत्ते, गाय और कौए। श्राद्ध के भोजन में बेसन का प्रयोग वर्जित है। सूतक में ब्राह्मण को भोजन नहीं कराना चाहिए। केवल गाय को रोटी दें।

श्राद्ध में क्या क्या दान देना चाहिए?

महाभारत के अनुसार, श्राद्ध पक्ष में गुड़ का दान करना चाहिए। ... .
गाय का दान सभी दानों में श्रेष्ठ माना गया है। ... .
श्राद्ध पक्ष में गाय का घी दान करना बेहद शुभ माना गया है। ... .
श्राद्ध पक्ष के दौरान गेहूं और चावल का दान करना चाहिए। ... .
पितृ पक्ष में स्वर्ण दान करना बेहद लाभकारी माना गया है।.

पितृ अमावस्या पर क्या दान करना चाहिए?

अन्न- पितृ पक्ष में सर्वपितृ अमावस्या के दिन अन्न का दान करना शुभ माना गया है. मान्यता है कि इस दिन अन्न और अनाज का दान करने से पितर देव अत्यंत प्रसन्न होते हैं. उनकी आत्मा तृप्त हो जाती है. जिसके शुभ प्रभाव का लाभ वंशजों को मिलता है.

श्राद्ध में ब्राह्मण को क्या दान करना चाहिए?

हिंदू धर्म ग्रंथ के अनुसार, यदि परिजन श्राद्ध में ब्राह्मण या गरीब को भोजन कराने में असमर्थ हो तो, उन्हें पूर्वजों का ध्यान करते हुए एक मुट्ठी काला तिल दान करना चाहिए. इससे पितृ प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं. जिससे जीवन में सुख- समृद्धि का वास रहता है. पितृ पक्ष में गुड़ के दान का विशेष महत्व है.

पितृ को खुश करने के लिए क्या करना चाहिए?

शारदीय नवरात्र शुरू होते ही पंचांग भी खुल जाएंगे। मांगलिक कार्य प्रारंभ होंगे। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार सुबह स्नान-पूजन के बाद पितरों को तर्पण के साथ पिंडदान करना चाहिए। हथेली भर अनाज का पिंड (जौ के आटे, खीर या गाय का दूध के खोआ) बनाकर उसे पितरों को अर्पण करना चाहिए

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