पर्यावरण के प्रति बढ़ते सरोकारों का क्या कारण है निम्नलिखित में सबसे बेहतर विकल्प चुनें - paryaavaran ke prati badhate sarokaaron ka kya kaaran hai nimnalikhit mein sabase behatar vikalp chunen

पर्यावरण के प्रति बढ़ते पर सरोकारों का क्या कारण है? निम्नलिखित में से बेहतर विकल्प चुनें।

Options

  • विकसित देश प्रकृति की रक्षा को लेकर चिंतित है।

  • पर्यावरण की सुरक्षा मूलवासी लोगों और प्राकृतिक पर्यावासों के लिए जरूरी है।

  • मानवीय गतिविधियों से पर्यावरण को व्यापक नुकसान हुआ है और यह नुकसान खतरे की हद तक पहुंच गया है।

  • इसमें से कोई नहीं।

Solution

मानवीय गतिविधियों से पर्यावरण को व्यापक नुकसान हुआ है और यह नुकसान खतरे की हद तक पहुंच गया है।

Concept: पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन का परिचय

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वैश्विक पर्यावरण की सुरक्षा से जुड़े मुद्दे 1990 के दशक से विभिन्न देशों के प्राथमिक सरोकार क्यों बन गए हैं?

जलाशयों की जलराशि बड़ी तेजी से कम हुई है। इससे खाद्य उत्पादन में कमी आ रही हैं। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम सहित अनेक अंतररष्ट्रीय संगठनों ने पर्यावरण की समस्याओं पर ज्यादा कारगर और सुलझी हुई पहलकदमियों की शुरुआत करना था। तभी से पर्यावरण वैश्विक राजनीती का एक महत्त्वपूर्ण मसला बन गया।

पर्यावरण के मुद्दे पर उत्तरी एवं दक्षिणी गोलार्ध के देशों में क्या क्या भेद है स्पष्ट कीजिए?

यानी उत्तरी गोलार्द्ध तथा गरीब और विकासशील देश यानी दक्षिणी गोलार्द्ध पर्यावरण के अलग-अलग अजेंडे के पैरोकार हैं। उत्तरी देशों की मुख्य चिंता ओज़ोन परत की छेद और वैश्विक तापवृद्धि (ग्लोबल वर्मिंग) को लेकर थी। दक्षिणी देश आर्थिक विकास और पर्यावरण प्रबंधन के आपसी रिश्ते को सुलझाने के लिए ज्यादा चिंतित थे।

शादी जिम्मेदारी लेकिन अलग अलग भूमिकाएं से क्या अभिप्राय है हम इस विचार को कैसे लागू कर सकते हैं?

"साझी जिम्मेदारी परन्तु भूमिका अलग - अलग" के सिद्धांत को भी वास्तव में राज्यों के आपसी सहयोग से ही लागू किया जा सकता है। जब विकसित और विकासशील देश दृढ़ संकल्प कर लें की उन्हेने ऐसी कोई प्रक्रिया नहीं अपनानी जिससे पर्यावरण दूषित हो तभी इसकी सुरक्षा हो सकती है।

पर्यावरण के प्रति बढ़ते सरोकारों का क्या कारण है निम्नलिखित में से सबसे बेहतर विकल्प चुने?

विकसित देश प्रकृति की रक्षा को लेकर चिंतित है। पर्यावरण की सुरक्षा मूलवासी लोगों और प्राकृतिक पर्यावासों के लिए जरूरी है। मानवीय गतिविधियों से पर्यावरण को व्यापक नुकसान हुआ है और यह नुकसान खतरे की हद तक पहुंच गया है। इसमें से कोई नहीं।