प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा की आवश्यकता और उद्देश्य क्या है व्याख्या करें - praarambhik baalyaavastha dekhabhaal aur shiksha kee aavashyakata aur uddeshy kya hai vyaakhya karen

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प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा की आवश्यकता और उद्देश्य क्या है व्याख्या करें - praarambhik baalyaavastha dekhabhaal aur shiksha kee aavashyakata aur uddeshy kya hai vyaakhya karen
प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा

  • प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा | ई.सी.सी.ई. पर एक निबन्ध लिखिए।
  • प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा के उद्देश्य –

प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा | ई.सी.सी.ई. पर एक निबन्ध लिखिए।

प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा ( Early Childhood Care and Education ) ई.सी.सी.ई.- प्रारम्भिक बाल्यावस्था की देखभाल तथा शिक्षा (अर्ली चाइल्डहुड – केयर एण्ड एजुकेशन- ई.सी.सी.ई.) न केवल शिक्षा की सीढ़ी का प्रथम चरण होती है, बल्कि यह प्राथमिक शिक्षा के लिए महत्त्वपूर्ण आधार भी होती है। अब वैश्विक स्तर पर शिक्षा के एक चरण के रूप में ई.सी. सी. ई. के विस्तार को 8 वर्ष की उम्र तक माने जाने पर विचार किया जा रहा है, क्योंकि बाल विकास के दृष्टिकोण से यह देखा गया है कि 6 से 8 वर्ष की आयु समूह के बच्चे अपनी जरूरतों तथा लक्षणों में अपने से छोटे बच्चों जैसे ही होते हैं और उनके लिए समान शैक्षिक पद्धतियों की जरूरत होती है। ई.सी.सी.ई. की संकल्पना बच्चों के लिए एक ऐसे समेकित, समग्र कार्यक्रम के रूप में की गई है जिसमें शिक्षा, देखभाल, स्वास्थ्य तथा पोषण, सभी के प्रावधान शामिल हैं। ई.सी. सी. ई. की अवधि के भीतर तीन उप-चरणों को चिह्नित किया गया है- (अ) तीन साल या उससे कम उम्र के बच्चों (जिन्हें घर पर आधारित प्रेरक वातावरण तथा देखभाल की आवश्यकता होती है) के लिए प्रारम्भिक प्रेरक चरण, (ब) 3 से 8 वर्ष के बीच आयु वाले बच्चों (जिन्हें समग्र दृष्टिकोण वाले केन्द्र-आधारित प्रारम्भिक बाल्यावस्था शिक्षा कार्यक्रम की आवश्यकता होती है) के लिए प्रारम्भिक बाल्यावस्था शिक्षा चरण और (स) 6 से 8 वर्ष के बीच की आयु वाले बच्चों (जो कंक्षा 1 और 2 में आते हैं) के लिए प्रारम्भिक प्राथमिक शिक्षा चरण।

प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा के उद्देश्य –

प्रारम्भिक बाल्यावस्था शिक्षा के दो प्रमुख उद्देश्य होते हैं- (i) आयु विकास की दृष्टि से, खेल आधारित गतिविधियों के उचित कार्यक्रम, पारस्परिक क्रियाओं तथा अनुभवों (जो जीवनपर्यन्त सीखने और विकास के लिए ठोस आधार प्रदान करेंगे) के माध्यम से बच्चों के सर्वांगीण विकास को बढ़ावा देना, तथा (ii) ऐसी विशेष प्रकार की अवधारणाओं तथा कौशल आधारित गतिविधियों- जो प्राथमिक स्कूली पढ़ाई में प्रवेश से पहले पढ़ने, लिखने तथा अंकगणित (3 आर कहलाने वाली बुनियादी कौशल) सीखने के लिए पूर्व-तैयारी को बढ़ावा देंगी- के द्वारा बच्चों में स्कूल के लिए तैयार होने का भाव विकसित करना। यह इन तीन बुनियादी कौशलों को औपचारिक रूप से सिखाने वाला कार्यक्रम नहीं होता। स्कूल के लिए तैयार होने का उद्देश्य चार से छह वर्ष के बीच की आयु वाले बच्चों के लिए विशेष रूप अनुकूल होता है, क्योंकि इस उम्र तक बच्चे अधिक संरचित, खेल-आधारित, सीखने के वातावरण के लिए परिपक्वता की दृष्टि से तैयार हो चुकते हैं। 

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