प्रकृति में पाए जाने वाले संसाधन जिनका उपयोग इंसान अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए करता है वह प्राकृतिक संसाधन कहलाते हैं। Show
जैसे:- हवा, जल, जमीन, ऊर्जा, खनिज, पेट्रोलियम इत्यादि प्राकृतिक संसाधन है। प्राकृतिक संसाधन के प्रकारप्राकृतिक संसाधनप्राकृतिक संसाधन मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं।
1. नवीकरणीय संसाधनवैसे संसाधन जिनका लगातार उपयोग करने पर वह फिर से उत्पन्न हो जाते हैं या जिन्हें भौतिक, रासायनिक या यांत्रिक प्रक्रिया द्वारा फिर से प्राप्त किया जा सकता है वह नवीकरणीय संसाधन कहलाते हैं। जैसे:- सौर ऊर्जा, वायु, पवन ऊर्जा, जल विद्युत, वन इत्यादि। 2. अनवीकरणीय संसाधनवैसे संसाधन जो एक बार खत्म होने पर जल्दी उत्पन्न नहीं होते हैं या जिनको उत्पन्न होने के लिए बहुत ज्यादा समय लगता है।उसे अनवीकरणीय संसाधन कहते हैं। जैसे:- जीवाश्म ईंधन, कोयला और पेट्रोलियम। इन्हें बनने में लगभग लाखो वर्ष लग जाते हैं। इनमें से कुछ ऐसे भी संसाधन है जो कभी बनते ही नहीं है। एक बार उपयोग होने पर वह हमेशा के लिए खत्म हो जाते हैं। प्राकृतिक संसाधन के पांच महत्वपूर्ण उदाहरणप्राकृतिक संसाधनप्राकृतिक संसाधन के कुछ उदाहरण नीचे दिए गए हैं तथा उनके बारे में बताया गया है – 1. मिट्टीपृथ्वी की ऊपरी सतह जिसमें पेड़ पौधे उगाए जाते हैं वह मिट्टी कहलाती है मिट्टी एक प्राकृतिक संसाधन है जिसका निर्माण बहुत ही जटिल प्रक्रिया द्वारा होता है। 2. जलपृथ्वी की सतह का तीन चौथाई भाग जल से ढका है इंसान को जीवित रखने के लिए हवा के बाद दूसरा स्थान जल का ही है। जल के बिना जीवन संभव नहीं है। 3. वायुहमारे वायुमंडल में वायु कई गैसों का मिश्रण होता है जिसमें लगभग 78% नाइट्रोजन और 21% ऑक्सीजन पाए जाते हैं। आक्सीजन का उपयोग इंसान सांस लेने के लिए करता है। 4. वन या जंगलवन धरती के उस भाग को कहते हैं जहां पेड़ पौधे और झाड़ियां अधिक मात्रा में पाई जाती है। वायुमण्डल में पाए जाने वाले कार्बन डाइऑक्साइड को लेकर पेड़ पौधे हमें ऑक्सीजन प्रदान करते है इसलिए पेड़ पौधे जीवन के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है। 5. खनिज संसाधनपृथ्वी से खोदकर निकाली जाने वाली वस्तु को खनिज कहते हैं। खनिज संसाधन का उपयोग इंसान अपने रोज के काम जैसे : बर्तन बनाने, सड़क बनाने, इलेक्ट्रिक्ट इत्यादि में करता है। प्राकृतिक संसाधन के उपयोगप्राकृतिक संसाधन जैसे भूमि, मिट्टी, जल, खनिज, वनस्पति, जैविक पदार्थ इत्यादि मानव के अनेक आवश्यकता को पूरा करते हैं। संसाधन किसी भी देश का आर्थिक सामाजिक मेरुदंड होते हैं। 1. वायु का उपयोग पवन ऊर्जा के उत्पादन के लिए किया जाता है। 2. जानवरों का उपयोग भोजन, कपड़े (ऊन, रेशम) आदि के उत्पादन के लिए किया जाता है। 3. कोयले का उपयोग बिजली के उत्पादन के लिए किया जाता है। 4. पौधों का उपयोग भोजन, कागज, लकड़ी आदि के उत्पादन के लिए किया जाता है। 5. पानी का उपयोग पीने, सफाई, जलविद्युत आदि के लिए किया जाता है। 6. सूर्य के प्रकाश का उपयोग प्रकाश संश्लेषण, सौर ऊर्जा आदि के लिए किया जाता है। प्राकृतिक संसाधन के महत्व1. प्रकृति, पर्यावरण का संतुलन बनाए रखने और जरूरतों को पूरी तरह से संतुष्ट करने में मदद करती है। 2. पौधों और जानवरों का उत्पादन और दवा के निर्माण में उपयोग किया जाता है। 3. संसाधन को पूंजी के रूप में जाना जाता है जिसे कमोडिटी इनपुट में पूंजी प्रक्रियाओं में परिवर्तित किया जाता है। 4. किसी भी देश के विकास के लिए संसाधन महत्वपूर्ण होते हैं। उदाहरण के लिए, ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए, किसी को जीवाश्म ईंधन की आवश्यकता होती है और औद्योगिक विकास के लिए हमें खनिज संसाधनों की आवश्यकता है। 5. खनिज कृषि, व्यापार, आयात और निर्यात आदि को समृद्ध करके देश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। प्राकृतिक संसाधन के संरक्षण की आवश्यक्ताआधुनिक जीवन शैली और टेक्नोलॉजी में विकास का प्राकृतिक संसाधनों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है। हमें खनिज संसाधन के संरक्षण की आवश्यकता क्यों है इसको नीचे बताया गया हैं।
इसलिए हम मनुष्यों के लिए यह बहुत आवश्यक है कि वह इस तरह से कार्य करें जिससे प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण सुनिश्चित हो। प्राकृतिक संसाधन के संरक्षण के उपायप्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के हजारों तरीके हैं। संरक्षण का मुख्य विचार प्राकृतिक संसाधनों का अनुकूलन के साथ उपयोग करना है और किसी भी प्राकृतिक संसाधन को बर्बाद नहीं करना हैं। आपको बस स्थिति के अनुसार कार्य करना है ताकि प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग कम से कम हो। उदाहरण के लिए, साइकिल का उपयोग करने या पैदल चलने से कभी-कभी बहुत अधिक ईंधन की बचत होती हैं। सिटी बसों और मेट्रो ट्रेनों (Public Transport) का उपयोग करने से भी बहुत सारा तेल बचाने में मदद मिलती है। नहाते समय, सफाई करते समय पानी की बचत करना आदि। संसाधन नियोजनसंसाधनों का सीमित मात्रा में विवेकपूर्ण उपयोग ही संसाधन नियोजन कहलाता है। आजकल प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग बहुत अधिक मात्रा में किया जा रहा है। जिससे मिट्टी प्रदूषण, वायु प्रदूषण और जल प्रदूषण जैसे हानिकारक प्रभाव देखने को मिल रहे हैं। भारत में कई ऐसे राज्य हैं जो प्राकृतिक संसाधन में काफी गरीब हैं जबकि कुछ ऐसे भी राज्य है जो एक ही प्रकार के साधनों से भरपूर हैं। जैसे:- झारखंड, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ ऐसे राज्य हैं जहां खनिज और कोयला बहुत अधिक मात्रा में है। उसी प्रकार बिहार भी चूना पत्थर और पाइराइट जैसे खनिजों में धनी है। अरुणाचल प्रदेश में जल संसाधन अधिक मात्रा में उपलब्ध है और वही राजस्थान में सौर ऊर्जा के साथ साथ पवन ऊर्जा भी पर्याप्त मात्रा में है। अलग-अलग मात्रा में प्राकृतिक संसाधन होने के कारण किसी राज्य के लोग उस संसाधन का बहुत अधिक मात्रा में उपयोग करते हैं और कई राज्य उस संसाधन का उपयोग नहीं कर पाते हैं। ऐसे में हमें प्राकृतिक संसाधन का निश्चित मात्रा में उपयोग करना चाहिए क्योंकि प्राकृतिक संसाधन में कमी या प्रदूषित होने के कारण ग्लोबल वार्मिंग, ओजोन लेयर का नुकसान, अम्लीय वर्षा, बिना समय की जलवायु परिवर्तन जैसी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता हैं। संसाधनों के संरक्षण के लिए किए गए प्रयाससंसाधन प्राकृतिक हो या मानव निर्मित उनके बचाव में कई प्रयास किए गए हैं जिन्हें निम्नलिखित बताया गया हैं। प्रथम पृथ्वी सम्मेलनइस सम्मेलन का आयोजन 3 से 14 जून 1992 को रियो डी जेनेरो में किया गया था। जिसमें विकसित और विकासशील देशों के लगभग 172 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस सम्मेलन में ग्लोबल वार्मिंग, वन संरक्षण, जैव विविधता, एजेंडा 21 और रियो घोषणा पत्र पर समझौता किए गए। एजेंडा 21संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण और विकास UNCED के समर्थन में रियो डि जेनेरो सम्मेलन में सतत विकास को प्राप्त करने के लिए एजेंडा 21 को स्वीकार किया गया। एजेंडा 21 में होने वाले खर्च के लिए विश्व पर्यावरण कोष की स्थापना की गई है। द्वितीय पृथ्वी सम्मेलनद्वितीय पृथ्वी सम्मेलन का आयोजन 23 से 27 जून 1997 को न्यूयॉर्क में आयोजित हुआ था। इसे प्लस 5 सम्मेलन भी कहा जाता है। क्योटो सम्मेलनदिसंबर 1997 में पृथ्वी को ग्लोबल वार्मिंग से बचाने के लिए जापान में क्योटो सम्मेलन आयोजित हुआ। जिसमें 159 देशों ने भाग लिया। इसमें CO2, मिथेन, HFC, कार्बन, सल्फर हेक्साफ्लोराइड को ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार मानते हुए इसके उपयोग में कटौती करने के लिए कहां गया। इस सम्मेलन को विश्व पर्यावरण सम्मेलन या ग्रीनहाउस सम्मेलन के नाम से भी जाना जाता हैं। तृतीय पृथ्वी सम्मेलनतृतीय पृथ्वी सम्मेलन का आयोजन 26 अगस्त से 4 सितंबर 2002 में जोहांसबर्ग में किया गया था। इस सम्मेलन में पर्यावरण से संबंधित 150 धाराओं पर सहमति तैयार किया गया था। इस सम्मेलन का कोई परिणाम नहीं निकल सका। इस सम्मेलन में विश्व के विभिन्न देशों से लगभग 2000 प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। प्राकृतिक साधन क्या है उदाहरण सहित समझाइए?Solution : ये प्राकृतिक साधन जिनका उपयोग मनुष्य अपने भोजन और विकास के लिए करता है, प्राकृतिक संसाधन कहलाते हैं। वायु, जल, मिट्टी, खनिज, ऊजो, इंधन के स्रोत जैसे कोयला, पेट्रोलियम इत्यादि हमारे प्राकृतिक संसाधन हैं।
प्राकृतिक संसाधन क्या है उनका महत्व बताइए?प्राकृतिक संसाधन ऐसे संसाधन हैं जो समय की शुरुआत से ही प्रकृति में उपस्थित हैं। ये संसाधन पृथ्वी पर जीवन को संभव और आसान बनाते हैं पृथ्वी पर प्राकृतिक संसाधन जैसे सूरज की रोशनी, हवा और पानी के बिना जीना हमारे लिए असंभव हैं। अन्य प्राकृतिक संसाधन भी हमारे जीवन का एक महवत्पूर्ण हिस्सा है जो हमारे लिए अनिवार्य बन गए हैं।
प्राकृतिक संसाधन कितने प्रकार के होते हैं उपयुक्त उदाहरण दीजिए?प्राकृतिक संसाधन दो प्रकार के होते हैं :. नवीकरणीय प्राकृतिक संसाधन. अनवीकरणीय प्राकृतिक संसाधन. संसाधन क्या है उदाहरण?Solution : हमारे पर्यावरण में उपलब्ध प्रत्येक वस्तु जो हमारी आवश्यकताओं को पूरा करने में प्रयुक्त की जा सकती है और जिसको बनाने के लिए प्रौद्योगिकी उपलब्ध है, जो आर्थिक रूप से संभाव्य और सांस्कृतिक रूप से मान्य है, एक संसाधन है। कोयला, जल, वायु, खनिज आदि, संसाधनों के कुछ उदाहरण हैं।
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