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गर्भावस्था के दौरान महिला का मैटाबाॅलिज्म बदल जाता है। इस वजह से वह थकान से भरी रहती है। यही नहीं गर्भावस्था में शरीर प्रेग्नेंसी और रिप्रोडक्टिव साइकिल को संतुलित करने के लिए प्रोजेस्टेरोन हार्मोन रिलीज करता है। इस हार्मोनल बदलाव के कारण गर्भवती महिला को नींद ज्यादा आ सकती है। प्रोजेस्टेरोन का स्तर बढ़ने और ब्लड शुगर, ब्लड प्रेशर के स्तर में गिरावट से शरीर में थकावट आ जाती है। नतीजतन गर्भावस्था में महिला लंबे समय तक बल्कि घंटों तक लेटी रहती है। यह भी पढ़ें :
प्रेगनेंसी के आखिरी महीने काम करना सही है या गलत? गर्भावस्था में नींद न आने की वजहशारीरिक बदलाव, पेट का बढ़ना, चिंता आदि की वजह से नींद बाधित होती है। इसकी वजहें हैं- गर्भावस्था में महिला के पेट पर काफी दबाव बनता है, जिस वजह से गर्ड होता है। यह अवस्था तब होती है जब पेट में बनने वाला एसिड एसोफैगस तक आ जाता है। गर्भावस्था के दौरान कई महिलाओं को गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स की समस्या होती है। इस कारण महिला चैन से सो नहीं पाती। कई बार नींद के दौरान भी उन्हें यह समस्या काफी परेशान कर सकती है। नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार पहली और दूसरी तिमाही में 26.1 से 36.1 पर्सेंट और तीसरी तिमाही में 51.2 पर्सेंट प्रेगनेंट महिलाओं को जीईआरडी की समस्या होती है। यह भी पढ़ें :
प्रेगनेंट महिलाओं को बिलकुल नहीं करने चाहिए घर के ये काम स्लीप एपनियायह एक किस्म का सोने से संबंधित गंभीर विकार है। स्लीप एपनिया होने पर व्यक्ति सोने के दौरान सांस नहीं ले पाता। ऐसा कुछ देर के लिए होता है। नतीजतन, उसके शरीर में ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा नहीं पहुंच पाती है। सांस रुकने से उसकी आंख खुल जाती है। जो गर्भवती महिला स्लीप एपनिया से गुजरती है, लंबी नींद लेने के बावजूद वह फ्रेश फील नहीं करती है। यदि गर्भवती महिला रात को खर्राटे लेती है और पूरी रात सोने के बावजूद थकान महसूस करती है, तो इसकी वजह स्लप एपनिया हो सकती है। ऐसी स्थिति में तुरंत डाॅक्टर से संपर्क करें। कुछ अध्ययनों से यह पता चला है कि हार्मोनल बदलाव के लिए गर्भावस्था में स्लीप एपनिया हो सकता है। यह भी पढ़ें :
प्रेगनेंसी में चैन की नींद लेना क्यों बन जाता है एक अधूरा सपना, जानिए गर्भावस्था में अच्छी नींद लेने के तरीके रेस्टलेस लेग सिंड्रोमबैठे-बैठे बिना वजह पांव हिलाने की आदत को रेस्टलेस लेग सिंड्रोम कहा जाता है। यदि किसी गर्भवती महिला को यह समस्या है, तो इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। यह आदत दिमाग के लिए नकारात्मक हो सकती है। इसमें महिला को अपने पांव हिलने की तीव्र इच्छा होती है। यहां तक कि नींद में भी यह इच्छा उग्र रहती है। विशेषज्ञों के अनुसार एस्ट्रोजेन का स्तर बढ़ने और फोलिक एसिड तथा आयरन की कमी के कारण हो सकता है। अतः रात में नींद बाधित हो रही है, तो डाॅक्टर से संपर्क करें। बार-बार पेशाब आनागर्भावस्था में बार-बार पेशाब बहुत आता है। कुछ महिलाओं को बार-बार पेशाब आता है। ऐसा पहली और तीसरी तिमाही में ज्यदा होता है। यह प्राकृतिक है, इसे रोका नहीं जा सकता है। यह पेट का आकार बढ़ने से ब्लैडर में हमेशा दबाव बना रहता है, जिस कारण महिला को बार-बार पेशाब करने की इच्छा बनी रहती है। सोते समय भी महिला को बार-बार पेशाब आ सकता है, जिस वजह से उसकी नींद बाधित हो सकती है। Navbharat Times News App: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म... पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें डाउनलोड करें NBT ऐप लेटेस्ट न्यूज़ से अपडेट रहने के लिए NBT फेसबुकपेज लाइक करें प्रेगनेंसी में पेट के बल सोना सही या गलत?parul rohatagi | नवभारतटाइम्स.कॉमUpdated: Sep 28, 2020, 10:26 AM प्रेगनेंसी के समय में पेट के बल सोना गलत हो सकता है। प्रेगनेंसी के महीने आगे बढ़ने पर गर्भाशय भी बढ़ता है और भारीपन महसूस होता है जिससे प्रेगनेंट महिला को सोने में दिक्कत होती है।
कब नहीं सोना चाहिए पेट के बल जब आपको पेट के बल सोने में दिक्कत होने लगी, तब इस पोजीशन में सोना बंद कर दें। आप प्रेगनेंसी के सोलहवें से 18वें सप्ताह तक पेट के बल सो सकती हैं। इसके बाद पेट के बल सोने में परेशानी हो सकती है। कुछ महिलाओं को पेट बढ़ने के कारण पीठ के बल सोना भी मुश्किल हो सकता है। पीठ के बल सोने से पीठ दर्द, सांस लेने में दिक्कत और पाचन कमजोर हो सकता है। पेट के बल सोने के नुकसान गर्भावस्था में अच्छी नींद लेने के तरीके
इसके अलावा प्रेगनेंसी में करवट लेकर सोना ज्यादा बेहतर रहता है। इस पोजीशन को प्रेगनेंसी की बेस्ट स्लीप पोजीशन मानी जाती है। Navbharat Times News App: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म... पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें डाउनलोड करें NBT ऐप लेटेस्ट न्यूज़ से अपडेट रहने के लिए NBT फेसबुकपेज लाइक करें प्रेगनेंसी में सीधे लेटने से क्या होता है?प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही
सीधा लेटने पर यूट्रस आईवीसी के ऊपर प्रेशर डालता है। हो सकता है कि इसके कारण सीधा लेटने पर आपको सांस लेने में दिक्कत हो या फिर आपको भारीपन महसूस हो। इस वजह से आपको चौथे महीने के बाद से पीठ के बल सोना बंद कर देना चाहिए। इस समय सीधे लेटने की वजह से एसिडिटी वगैरह भी हो सकती है।
प्रेगनेंसी में ज्यादा देर तक बैठने से क्या होता है?ज्यादा देर खड़े रहने से ब्लड प्रेशर हाई होने का रिस्क तो रहता ही है, वहीं कुछ महिलाओं का ब्लड प्रेशर कम भी हो जाता है. हाई बीपी प्रेगनेंसी में काफी कॉम्प्लीकेशंस पैदा कर सकता है, वहीं लो बीपी होने से महिला का सिर चकरा सकता है, उसे बेहोशी आ सकती है.
प्रेगनेंसी में कैसे नहीं सोना चाहिए?प्रेग्नेंसी के 4-6 महीने के बीच पेट के बल सोने से बचना चाहिए. यदि आपको पेट के बल सोने का मन भी करता है, तो आप ऐसा 16 सप्ताह तक सो सकती हैं, लेकिन उसके बाद आप भूलकर भी इस स्लीपिंग पोजीशन में ना सोएं. चौथे महीने में पेट का आकार बढ़ जाता है, जिससे पेट के बल सोने से यूटरस और ब्लड वेसल्स पर दबाव पड़ता है.
प्रेगनेंसी में कौन कौन से काम नहीं करना चाहिए?वर्ना प्रेगनेंसी में कॉम्प्लिीकेशंस बढ़ सकते हैं.. प्रेगनेंसी के दौरान महिला को किसी भी तरह के भारी भरकम काम से बचना चाहिए. ... . प्रेगनेंसी के दौरान लंबे समय तक खड़े रहने से भी बचना चाहिए. ... . प्रेगनेंसी के दौरान झुकना भी काफी जोखिमभरा हो सकता है. ... . प्रेगनेंसी के दौरान तो स्टूल या सीढ़ी पर चढ़ना भी खतरनाक हो सकता है.. |