पैर में dvt के लक्षण - pair mein dvt ke lakshan

पैर में dvt के लक्षण - pair mein dvt ke lakshan

प्रारूप:

डीप वेन थ्राम्बोसिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर में कहीं किसी एक नस के भीतर रक्त का थक्का बन जाता है। डीप वेन थ्राम्बोसिस ज्यादातर निचले पैर या जांघ में होता है हालाँकि यह कभी-कभी शरीर के अन्य भागों में भी हो सकता है। रक्त का थक्का जमा हुआ रक्त है जो रक्त के साथ दूसरे स्थानों तक स्थानांतरित हो सकता है। यह ऑपरेटिव प्रक्रिया की जटिलता के रूप में सामने आता है।

  • पांव, टखना और पैर में सूजन, मुख्यरूप से एक तरफ
  • उसी पैर में ऐंठन के साथ दर्द जो आपके पिण्डली से शुरू होता है
  • पांव और टखने में तेज दर्द
  • त्वचा पर गर्म चकत्ता पड़ना
  • प्रभावित क्षेत्र के त्वचा का पीला, लाल या नीला पड़ना

ऊपरी अंग के DVT के लक्षण आमतौर पर नम्र होते हैं,

  • गर्दन या कंधे में दर्द
  • बाँह या हाथ की सूजन
  • नीले रंग का धब्बा
  • बाँह से कलाई तक दर्द
  • हाथ की मांसपेशियों की कमजोरी

ज्यादातर मामलों में इसका पहचान तब तक नहीं हो पाता जब तक किसी व्यक्ति को पुल्मनेरी एम्बोलिज़म से निदान के लिए आपातकालीन सेवा में ना जाना पड़े। इसका मतलब यह होता है कि रक्त का थक्का पैर से होकर फेफड़ों में जाकर किसी महत्वपूर्ण धमनी में रूकावट पैदा कर रहा हो। जिसके संकेत हैं –

  1. चक्कर आना
  2. पसीना आना
  3. खांसी और साँस लेते समय सीने में दर्द का बढ़ना
  4. उच्च सांस की दर
  5. खांसी में खून आना
  6. हृदय की गति का बढ़ना

कारण:

  • नाड़ी के दीवार पर चोट लगना
  • पोस्ट-सर्जरी – सर्जरी के दौरान किसी नाड़ी में चोट लगने से रक्त के थक्के बन जा सकते हैं। ज्यादा आराम करने और ना चलने – फिरने से DVT का खतरा बढ़ जाता है।
  • गतिहीन जीवन शैली/निष्क्रियता – अत्यधिक बैठने की आदत के कारण पैरों में रक्त संग्रह होता है। धीरे-धीरे यह थक्का के रूप में विकसित हो जाता है।
  • कुछ खास दवाओं का सेवन रक्त के थक्के बनने की संभावना को बढ़ा सकती हैं।

DVT के खतरे:

  • आयु – 50 और उससे अधिक
  • हड्डी का टूटना
  • वजन का बढ़ना
  • जेनेटिक डिस्पोजल
  • वीनस कैथेटर
  • गर्भनिरोधक गोलियां या हार्मोन थेरेपी
  • अत्यधिक धूम्रपान
  • गतिहीन जीवन
  • कलॉटिंग डिसऑर्डर
  • कैंसर
  • पेट दर्द का रोग
  • हार्ट फेल्यर
  • गर्भावस्था – औसत व्यक्ति की तुलना में 5 – 10 गुना अधिक खतरा। इसलिए महिलाओं के लिए जरूरी है कि वह डिलीवरी के बाद जल्द से जल्द अपने पैरों पर खड़े हों।
  • अधिक हवाई यात्रा करने वाले लोगों को।

पहचान:

  • लक्षणों को जानने के लिए मौखिक प्रश्न
  • शारीरिक परीक्षा
  • अल्ट्रासाउंड
  • वेनोग्राम एक्स-रे
  • डी-डिमर परीक्षण – थक्के से निकलने वाले तत्वों का परीक्षण

उपचार – यह ज्यादातर आपातकालीन चिकित्सा के रूप में सामने आता है और इसका तत्काल निदान की आवश्यकता होता है।

दवा प्रबंधन:

  • रक्त को पतला करने वाले
  • थ्रोम्बोलाइटिक इन्ट्रैवनस्ली ड्रग्स
  1. रक्त के थक्के को खत्म करने के लिए ‘लैटिक्स’ नामक विशेष बूस्टर्स बूस्टर्स चढ़ाया जाता है
  2. तत्काल शुरू करने से सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त होते हैं
  3. DVT के लिए 48 मिनट का एक सत्र
  4. सबसे प्रभावी और आमतौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला
  • सूजन और थक्कों के विकास को रोकने के लिए कम्प्रेशन स्टॉकिंग्स।
  • जब तक दवा से इसे खत्म नहीं किया जाता तब तक पेट की नस में फिल्टर लगाकर थक्कों को फेफड़ों में प्रवेश करने से रोकना। फिर इन फिल्टर्स को वापस निकाल लेना होता है।
  • सर्जिकल प्रबंधन – असाधारण बड़े थक्कों के निमार्ण हो जाने पर।
  1. थ्रोम्बेक्टोमी – रक्त वाहिका को काटें, थक्कों का पता लगाएं, हटाएं और वापस सिलाई करें। रक्त वाहिका को फुलाने के लिए एक बैलून डाला जाता है जिससे सर्जरी किया जा सके।

सर्जिकल प्रबंधन में खतरा:

  1. संक्रमण
  2. नाड़ी को नुकसान
  3. अधिक खून बहना

कन्सर्वटिव प्रबंधन:

  • टखना से पैर की अंगुली तक घूमना – बैठते या लेटते समय पैरों को हिलाएं
  • घुटने के बल – लेट कर बारी – बारी से प्रत्येक घुटने को खिंच कर छाती से लगाएं, इसे दोहरायें
  • दोनों पैरों के दोनों टखनों से वृत्त बनाते हुए घुमाएं

जीवन शैली में परिवर्तन:

  • अपनी दिनचर्या में कम दुरी तक चलना शामिल करें
  • बैठते समय पैरों को अपने शरीर के समान स्तर पर रखने के लिए एक स्टूल का उपयोग करें
  • कम्प्रेशन स्टाकिंगज़ का प्रयोग करें
  • धूम्रपान छोड़ें
  • वजन कम करें

डाइट थेरेपी:

  • फल और सब्जियां अत्यधिक मात्रा में लें
  • मांसाहार कम खाएं या ना खाएं
  • विटामिन K का सेवन कम करें

उम्र उल्लेखित उन तमाम कारकों में से एक है; किसी भी उम्र में किसी को भी DVT हो सकता है। इसके बारे में जानना और पढ़ना हमेशा अच्छा रहता है।

डॉ. तारिक मतीन, सीन्यर कंसल्टेंट – इन्टर्विन्चनअल न्युरोलजी – न्युरोलजी, धर्मशीला नारायणा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, दिल्ली और नारायणा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, गुरुग्राम

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डीवीटी पैर में क्यों होता है?

ज्यादा आराम करने और ना चलने – फिरने से DVT का खतरा बढ़ जाता है। गतिहीन जीवन शैली/निष्क्रियता – अत्यधिक बैठने की आदत के कारण पैरों में रक्त संग्रह होता है। धीरे-धीरे यह थक्का के रूप में विकसित हो जाता है। कुछ खास दवाओं का सेवन रक्त के थक्के बनने की संभावना को बढ़ा सकती हैं।

खून का थक्का जमने पर क्या करें?

इसके इलाज में खून को पतला करने वाली दवाई एंटीकोग्युलेन्ट (anticoagulants) और दबाव वाले स्टॉकिंग या फुट पम्प जो आपके खून के प्रवाह और किसी भी खून के थक्के को बनने से रोक सकते है, ये सभी विकल्प शामिल होंगे।

डीवीटी का मतलब क्या होता है?

जो धमनियां हृदय से शरीर के अन्य हिस्सों में खून ले जाती हैं उन्हें आर्टरी कहा जाता है। टांगों में मौजूद काफ मसल्स में धमनिया काफी अंदर होती हैं और उनमें कई बार ब्लड क्लॉट यानी खून का थक्का बन जाता है। इसी स्थिति को डीप वेन थ्रॉम्बोसिस यानी डीवीटी कहा जाता है।

शरीर में खून के थक्के क्यों बनते हैं?

खून का थक्का जमना शरीर के अंदर एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो चोट लगने की स्थिति में अत्यधिक रक्तस्राव या रक्त की हानि को रोकता है। जब किसी व्यक्ति को चोट लगती है, तो उस जगह के खून में थक्के जम जाते हैं, रक्तस्राव यानी ब्लीडिंग बंद हो जाती है और जब यह चोट ठीक हो जाती है तो यह आमतौर ब्लड क्लॉट टूट जाते हैं