पूरे भारत में 24 घंटे में कितने बच्चे पैदा होते हैं? - poore bhaarat mein 24 ghante mein kitane bachche paida hote hain?

हमारा यह मानव जीवन प्रजनन की प्रक्रिया का ही नतीजा है। न सिर्फ मानव बल्कि जो भी जीवित प्राणी है वह अपनी आबादी प्रजनन क्रिया द्वारा ही बढ़ाता है। एक आदमी कितने बच्चे पैदा कर सकता है? इस प्रकार के प्रश्न करने में कोई संकोच नहीं होना चाहिए क्योकि यह एक प्रकार की प्राकृतिक प्रक्रिया है।

प्रजनन की प्रक्रिया में पुरुष के स्पर्म की मुख्य भूमिका है। WHO की रिपोर्ट के अनुसार एक पुरुष एक बार में 39 से 928 मिलियन शुक्राणु निकलता है। लेकिन एक महिला के अंडे को निषेचित करने के लिए सिर्फ एक शुक्राणु ही पर्याप्त है। इसलिए शुक्राणुओ की संख्या से अधिक उनकी गुणवत्ता अधिक महत्वपूर्ण है।

Table of Contents

  • एक आदमी कितने बच्चे पैदा कर सकता है?
  • पिता बनने की सही उम्र क्या है?
  • भारत में प्रतिदिन कितने बच्चे पैदा होते हैं?
  • FAQs

एक आदमी कितने बच्चे पैदा कर सकता है?

एक पुरुष अपने जीवन में अनंत बच्चे पैदा कर सकता है क्योकि पुरुष में जीवन पर्यंत अर्थात लगभग 90 वर्ष तक शुक्राणु जनन की प्रक्रिया होती रहती है।

पिता बनने की सही उम्र क्या है?

एक शोध के अनुसार पुरुषों को 40 साल पूरा करने से पहले ही पिता बन जाना चाहिए| चूंकि 30 साल की उम्र के बाद हर साल टेस्‍टोस्‍टेरोन होर्मोन का लेवल 1 प्रतिशत कम होता जाता है, इसके कारण पुरुषों के स्‍पर्म काउंट पर भी असर पड़ता है। 30 से 35 साल की उम्र में पुरुषों के स्‍पर्म की गतिशीलता सबसे बेहतर होती है, और 55 साल की उम्र में स्‍पर्म की गतिशीलता सबसे कम होती है।

भारत में प्रतिदिन कितने बच्चे पैदा होते हैं?

भारत की वर्तमान जनसंख्या 134 करोड़ के आसपास है भारत में हुई एक गणना के अनुसार भारत में 1 मिनिट में 50 बच्चे पैदा होते हैं। इस हिसाब से देखा जाए तो 1 घंटे में 3000 बच्चे पैदा होते हैं और 1 दिन यानि की 24 घंटे में 72000 बच्चे पैदा होते हैं।

•             करीब 29 प्रतिशत लड़कियां और लड़के प्रारंभिक शिक्षा का सम्पूर्ण चक्र पूरा करने के पहले ही स्कूल छोड़ देते हैं | अगर इसमें प्रारंभिक शिक्षा के बाद की शिक्षा और हाई स्कूल भी जोड़ दिया जाये तो ये संख्या और भी विवादस्पद और चुनौतीपूर्ण हो जाती है |

हम माताओं, नवजात शिशुओं, बच्चों और किशोरों के स्वास्थ्य के लिए समुदाय, सरकार और अपने भागीदारों के साथ मिल कर काम करते हैं |

पूरे भारत में 24 घंटे में कितने बच्चे पैदा होते हैं? - poore bhaarat mein 24 ghante mein kitane bachche paida hote hain?

UNICEF/UN076854/Sharma

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    रोके जा सकने वाले मातृत्व, नवजात एवं बाल मृत्यु को खत्म करना

    भारत में प्रतिदिन 68,500 बच्चे जन्म लेते हैं, जो दुनिया में जन्‍म लेने वाले बच्चों का पांचवा हिस्सा है। प्रत्‍येक मिनट इनमें से एक नवजात शिशु की मौत हो जाती है।

    प्रसव का दिन मां और नवजात शिशु दोनों के लिए सबसे अधिक जोखिम भरा दिन होता है क्योंकि लगभग 40 प्रतिशत नवजात शिशु मृत्यु और आधी मातृत्व मृत्यु प्रसव के दिन ही होती है। इस तरह की मौतों की रोकथाम सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक महिला का किसी स्वास्थ्य सुविधा में और कुशल प्रसव परिचर द्वारा प्रसव कराया जाना सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत में प्रतिवर्ष लगभग पांच मिलियन नवजात शिशुओं का जन्‍म घर पर होता है।

    सम्मिलित प्रयासों से जन्‍म के शुरुआती 28 दिनों में होने वाली नवजात मृत्यु वैश्विक स्‍तर पर होने वाली मौतों के एक तिहाई से काफी कम होकर वैश्विक पर नवजात मृत्‍यु की एक चौथाई से भी कम हो गई है।

    स्वास्थ्य सुविधाओं में दस में से प्रसव कराने वाली महिलाओं की संख्या दस में से छह से बढ़कर दस में से आठ होने से नवजात शिशु मौतों में प्रतिमाह एक मिलियन की कमी आई है और प्रसव के दौरान माताओं की मौतों में 10,000 की कमी आई है। समय पूर्व प्रसव (39.5 प्रतिशत), नवजात संक्रमण (17 प्रतिशत), बर्थ अस्फ़िक्सिया (31 प्रतिशत) और जन्मजात विकृतियाँ (4 प्रतिशत) नवजात मृत्यु के प्रमुख कारण हैं |  अच्छी गुणवत्ता की देखभाल स्वास्थ्य सुविधा में प्रसव सुनिश्चित करना महत्‍वपूर्ण है क्योंकि सभी मातृत्‍व मौतों की लगभग 46 प्रतिशत और नवजात शिशुओं की मौतों की लगभग 40 प्रतिशत मौतें प्रसव के बाद पहले 24 घंटे के भीतर होती हैं।

    भारत ने बाल मृत्यु दर की कमी में पर्याप्त प्रगति दर्शाई है और अब लड़कियों पर विशेष ध्यान देते हुए नवजात शिशुओं और सबसे अधिक वंचित बच्चों तक पहुंच बनाने की आवश्यकता है। नवजात शिशुओं की मृत्यु कम करने में उतनी महत्‍वपूर्ण सफलता नहीं मिली जितनी पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु रोकने में मिली है। भारत में पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मौतें वैश्विक मौतों की लगभग एक-तिहाई होती है नवजात शिशुओं की एक-चौथाई मौतें होती हैं।

    भारत दुनिया का एकमात्र ऐसा बड़ा देश है जहां शिशु लड़कों की तुलना में शिशु लड़कियों की मृत्यु अधिक होती है। वर्तमान में बच्चों के जीवित रहने में लिंग अंतर 11 प्रतिशत है। यह भेदभाव लड़कियों के प्रतिकूल लिंगानुपात के साथ जन्म से पहले ही शुरू हो जाता है, जिसका अर्थ है लड़कियों की तुलना में अधिक लड़के पैदा होते हैं, और यह अंतर बच्चे के जीवन के सभी चरणों में जारी रहता है। आंकड़े लड़कों की तुलना में लड़कियों को अस्पताल में कम भर्ती कराए जाने का सामुदायिक दृष्टिकोण दर्शाते हैं,जिससे पता चलता है कि माता-पिता कभी-कभी नवजात लड़की पर कम ध्यान देते हैं। अकेले 2017 में लड़कों की तुलना में 150,000 कम लड़कियों को SNCU में भर्ती कराया गया था।

    अधिकांश नवजात शिशुओं की मृत्यु ऐसी वज़हों से होती हैं जिनका हम रोकथाम करना अथवा उपचार करना जानते हैं: इनमें शामिल हैं समय से पहले अथवा प्रसव और जन्म के दौरान होने वाली जटिलताएं, और सेप्सिस, निमोनिया, टेटनस और दस्त जैसे संक्रमण।      

    पूरे भारत में 24 घंटे में कितने बच्चे पैदा होते हैं? - poore bhaarat mein 24 ghante mein kitane bachche paida hote hain?

    UNICEF/UN0238998/Vishwanathanघर भ्रमण के दौरान एक आशा स्वास्थ्य कार्यकर्त्ता एक बच्चे की जांच करते हुए |

    नवजात मौतों की सरल और कम खर्चीले हस्तक्षेपों से रोकथाम की जा सकती है। तथापि, पांच वर्ष से कम आयु में मरने वाले बच्चों में से लगभग 70 प्रतिशत बच्चे जन्म के बाद पहले महीने में ही मर जाते हैं। नवजात शिशुओं की मृत्यु की रोकथाम करने के लिए समाज के सभी स्तरों पर- परिवारों और समुदायों से लेकर स्वास्थ्य देखभाल कर्मचारियों और सरकारों तक, ठोस कार्रवाई किए जाने की जरूरत है।

    यूनिसेफ प्रत्येक बच्चे और माता-पिता तक पहुंच बनाना सुनिश्चित करने के लिए देश भर में अपने मातृत्व, शिशु और नवजात स्वास्थ्य कार्यक्रमों को लागू करने के लिए भारत सरकार के साथ मिलकर काम कर रहा है।

    प्रत्येक बच्चे तक पहुंचना

    प्रत्येक बालिका के लिए स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं तक समान पहुंच की जरूरत के लिए, इस अंतर को पाटने के लिए हमें अपने संयुक्त प्रयासों को और तेज करने की आवश्यकता है। यहां तक कि MDG लक्ष्यों को पूरा करने वाले राज्‍यों में भी निरंतर लैंगिक असमानताएं देखी जा सकती हैं।

    भारत में पांच वर्ष से कम उम्र में लड़कियों की मृत्यु दर लड़कों की तुलना में 8.3 प्रतिशत अधिक है | वैश्विक स्तर पर यह लड़कों की तुलना में १४ प्रतिशत अधिक है (स्रोत: UNIGME child survival Report 2019).

    समाधान

    प्रसव के आसपास का समय मातृत्व और नवजात जटिलताओं के निवारण और प्रबंधन में महत्‍वपूर्ण है, यदि ऐसा न किया जाए तो यह घातक हो सकता है।

    मातृत्‍व, बाल और नवजात स्वास्थ्य के इर्दगिर्द यूनिसेफ प्रोग्रामिंग देखभाल में असमानताएं कम करना चाहती है, स्वास्थ्य प्रणालियां मजबूत और लचीली एवं जोखिम-सूचित नियोजन प्रणाली को शामिल करने का प्रयास करती है। सबसे वंचित समुदायों में निवेश और प्रतिबद्ध नेतृत्व के संयोजन से लाखों छूटी हुई महिलाओं और उनके बच्चों को बचाया जा सकता है।

    यूनिसेफ बच्चों और महिलाओं के लिए सेवाओं और गुणवत्ता देखभाल में सुधार के लिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय और अन्य भागीदारों के साथ मिलकर काम करता है। सबसे कमजोर वर्गों पर ध्यान केंद्रित कर, यूनिसेफ इन बच्चों और माताओं को स्वास्थ्य की जानकारी और देखरेख प्राप्त न होने के कारणों का निराकरण करता है। नवजात लड़कियों की देखभाल के संबंध में व्यवहार और प्रथाएं बदलने पर विशेष जोर देने के साथ असमानताओं का निराकरण करने के कार्यक्रम शुरू किए जा रहे हैं।

    पूरे भारत में 24 घंटे में कितने बच्चे पैदा होते हैं? - poore bhaarat mein 24 ghante mein kitane bachche paida hote hain?

    UNICEF/UN0281079/Vishwanathanउत्तर प्रदेश के श्रावस्ती में ग्रामीण स्वास्थ्य एवं पोषण दिवस (VHND) के अंतर्गत एक औक्सिलिरी नर्स मिडवाइफ (ANM) एक गर्भवती महिला सम्पूर्ण स्वास्थ्य जांच एवं विवरण नोट करते हुए |

    गर्भवती महिलाओं की स्वास्थ्य सुविधाओं में अच्छी गुणवत्ता और सम्मान जनक देखभाल तक पहुंच सुनिश्चित करके सामुदायिक हस्तक्षेपों में मदद दी जाती है, जिसमें माता और बच्चे को घर पर नवजात देखरेख प्रदान की जाती है।

    यूनिसेफ नियोजन, बजट, नीति निर्माण, क्षमता निर्माण, निगरानी और मांग उत्पन्न करने के लिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, महिला और बाल विकास मंत्रालय, नीति आयोग और राज्य सरकारों के साथ काम करता है।

    संसाधनों

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    रिपोर्ट

    किशोरों, आहार और पोषण

    एक बदलती दुनिया में अच्छी तरह से बढ़ रहा है।

    पूरी रिपोर्ट देखें

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    रिपोर्ट

    दक्षिण एशिया के स्कूलों में मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन

    यह रिपोर्ट भारत में MHM का एक देश स्नैपशॉट देती है।

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    रिपोर्ट

    स्वच्छता का स्वास्थ्य और सुरक्षा पर संभावित प्रभाव

    यह साक्ष्य की समीक्षा पहले से किए गए शोध से निकलती है और विशेष रूप से सबसे गरीब और सबसे कमजोर लोगों के स्वास्थ्य और भलाई में सुधार पर स्वच्छता उपलब्धियों के

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    पूरे भारत में 24 घंटे में कितने बच्चे पैदा होते हैं? - poore bhaarat mein 24 ghante mein kitane bachche paida hote hain?

    रिपोर्ट

    व्यापक राष्ट्रीय पोषण सर्वेक्षण 2016 - 2018

    भारत की प्रभावशाली आर्थिक वृद्धि से सर्वाधिक संवेदनशील (भेद्य) लोगों की जीविका में काफी प्रगति हुई है|

    भारत में 24 घंटे में कितने बच्चों का जन्म होता है?

    भारत में प्रतिदिन 68,500 बच्चे जन्म लेते हैं, जो दुनिया में जन्‍म लेने वाले बच्चों का पांचवा हिस्सा है। प्रत्‍येक मिनट इनमें से एक नवजात शिशु की मौत हो जाती है।

    1 मिनट में हिंदुस्तान में कितने बच्चे पैदा होते हैं?

    भारत को लेकर कुछ दिलचस्‍प आंकड़े हमारे सामने हैं। आपको बता दें कि भारत में हर मिनट में 26 की औसत से जनसंख्‍या बढ़ रही है। इसका अर्थ है कि हर मिनट भारत में 26 बच्‍चे पैदा होते हैं

    भारत में 1 घंटे में कितने बच्चे जन्म लेते हैं?

    भारत में हर दिन कितने बच्चे पैदा होते हैं ? भारत में हर दिन लगभग ४०००० से ५०००० बच्चे पैदा होते है।

    पूरी दुनिया में 1 दिन में कितने बच्चे पैदा होते हैं?

    1.3 अरब आबादी के साथ सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश चीन और उसके बाद भारत जिसकी आबादी 1.2 अरब है। दुनिया में हर रोज साढ़े तीन लाख बच्चे जन्म लेते हैं। एक आंकड़े के अनुसार हर 20 मिनट में पैदा होते हैं 3000 से अधिक बच्चे