पुणे महाराष्ट्र के पास कौन सा ज्योतिर्लिंग है? - pune mahaaraashtr ke paas kaun sa jyotirling hai?

अगर आप महाराष्ट्र की यात्रा के लिए जा रहे हैं तो यहां मौजूद भगवान शिव के तीन ज्योतिर्लिंगों में से एक भीमशंकर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से ना चूकें. भीमशंकर शिव मंदिर के नाम से विख्यात ये मंदिर पुणे के करीब शिराधन गांव में स्थित है. इसे मोटेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है.

महाराष्ट्र में पेशवाओं के काल के प्रसिद्ध राजनेता नाना फड़नविस ने इस मंदिर में सभामंडप और शिखर बनवाकर इसे आधुनिक स्वरूप प्रदान किया था. यानी स्थापत्य कला के मामले में ये मंदिर आधुनिक और पुरातन नागर शैली का मिश्रित रूप है. यहां बुद्ध स्टाइल से की गई अंबा-अंबिका की नक्काशी, मन्माड की 1034 फीट की ऊंचाई पर भीमशंकर, हेमदपंथी में नाना फड़नविस के द्वारा ही बनवाई खास घंटी भी देखने लायक है.

इसके अलावा मंदिर के चारों ओर का नजारा भी बेहद सुंदर है. यहां आप बॉम्बे प्वाइंट, साक्षी विनायक, गुप्त भीमशंकर, हनुमान टैंक और नागफनी प्वाइंट के दर्शन भी कर सकते हैं. गुप्त भीमशंकर भीमा नदी का उद्गम स्थल है. यहां का जंगल एक वन संरक्षित क्षेत्र है जहां आप कई तरह के सुंदर पक्षी, वन्य जीव एवं फूल, पौधे देख सकते हैं. इसके अलावा यहां शेकरु नाम का एक दुर्लभ जानवर भी देखा जाता है. यहां के सौंदर्य की बदौलत ही शिव में अटूट आस्था रखने वाले भक्त ही नहीं बल्कि विदेशी पर्यटक भी इधर खिंचे चले आते हैं.

पुणे से करीब 127 किलोमीटर दूर इस शिव मंदिर के दर्शन करने का सबसे बेहतर समय अगस्त से फरवरी माह के बीच माना जाता है. श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए भीमशंकर क्षेत्र में कई धर्मशालाएं और होटल खुले हुए हैं. महाशिवरात्रि के दिन यहां हजारों की तादाद में श्रद्धालु आते हैं. बहुत से पर्यटक पास के शिनोली और घोगेगांव में भी रुकना पसंद करते हैं.

भीमाशंकर शिव मंदिर
पुणे महाराष्ट्र के पास कौन सा ज्योतिर्लिंग है? - pune mahaaraashtr ke paas kaun sa jyotirling hai?
धर्म संबंधी जानकारी
सम्बद्धताहिंदू धर्म
देवताशिव
अवस्थिति जानकारी
अवस्थितिभीमाशंकर, निकट पुणे, महाराष्ट्र
वास्तु विवरण
शैलीनागरा शैली
स्थापितअति प्राचीन

भीमाशंकर मंदिर भोरगिरि गांव खेड़ से 50 कि.मि. उत्तर-पश्चिम पुणे से 110 कि.मि में स्थित है। यह पश्चिमी घाट के सह्याद्रि पर्वत पर स्थित है। यहीं से भीमा नदी भी निकलती है। यह दक्षिण पश्चिम दिशा में बहती हुई रायचूर जिले में कृष्णा नदी से जा मिलती है। यहां भगवान शिव का प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग है।[1]

कथा[संपादित करें]

भीमशंकर महादेव काशीपुर में भगवान शिव का प्रसिद्ध मंदिर और तीर्थ स्थान है। यहां का शिवलिंग काफी मोटा है जिसके कारण इन्हें मोटेश्वर महादेव भी कहा जाता है। पुराणों में भी इसका वर्णन मिलता है। आसाम में शिव के द्वाद्श ज्योर्तिलिगों में एक भीमशंकर महादेव का मंदिर है। काशीपुर के मंदिर का उन्हीं का रूप बताया जाता है।

स्थापत्य[संपादित करें]

पुणे महाराष्ट्र के पास कौन सा ज्योतिर्लिंग है? - pune mahaaraashtr ke paas kaun sa jyotirling hai?

पुणे महाराष्ट्र के पास कौन सा ज्योतिर्लिंग है? - pune mahaaraashtr ke paas kaun sa jyotirling hai?

श्री भीमशंकर (मोटेश्वर) महादेव मंदिर, काशीपिर, उत्तराखंड

प्रसिद्ध धार्मिक केंद्र भीमाशंकर मंदिर महाराष्ट्र में पुणे से करीब 100 किलोमीटर दूर स्थित सह्याद्रि नामक पर्वत पर है। यह स्थान नासिक से लगभग 120 मील दूर है। यह मंदिर भारत में पाए जाने वाले बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। 3,250 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर का शिवलिंग काफी मोटा है। इसलिए इसे मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। इसी मंदिर के पास से भीमा नामक एक नदी भी बहती है जो कृष्णा नदी में जाकर मिलती है। पुराणों में ऐसी मान्यता है कि जो भक्त श्रद्वा से इस मंदिर के प्रतिदिन सुबह सूर्य निकलने के बाद 12 ज्योतिर्लिगों का नाम जापते हुए इस मंदिर के दर्शन करता है, उसके सात जन्मों के पाप दूर होते हैं तथा उसके लिए स्वर्ग के मार्ग खुल जाते हैं।

भीमाशंकर मंदिर का इतिहास

भीमशंकर ज्योतिर्लिंग का वर्णन शिवपुराण में मिलता है। शिवपुराण में कहा गया है कि पुराने समय में कुंभकर्ण का पुत्र भीम नाम का एक राक्षस था। उसका जन्म ठीक उसके पिता की मृ्त्यु के बाद हुआ था। अपनी पिता की मृ्त्यु भगवान राम के हाथों होने की घटना की उसे जानकारी नहीं थी। बाद में अपनी माता से इस घटना की जानकारी हुई तो वह श्री भगवान राम का वध करने के लिए आतुर हो गया। अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिए उसने अनेक वषरें तक कठोर तपस्या की जिससे प्रसन्न होकर उसे ब्रह्मा जी ने विजयी होने का वरदान दिया। वरदान पाने के बाद राक्षस निरंकुश हो गया। उससे मनुष्यों के साथ साथ देवी-देवता भी भयभीत रहने लगे। धीरे-धीरे सभी जगह उसके आंतक की चर्चा होने लगी। युद्ध में उसने देवताओं को भी परास्त करना प्रारंभ कर दिया। उसने सभी तरह के पूजा पाठ बंद करवा दिए। अत्यंत परेशान होने के बाद सभी देव भगवान शिव की शरण में गए। भगवान शिव ने सभी को आश्वासन दिलाया कि वे इस का उपाय निकालेंगे। भगवान शिव ने राक्षस तानाशाह भीम से युद्ध करने की ठानी। लड़ाई में भगवान शिव ने दुष्ट राक्षस को राख कर दिया और इस तरह अत्याचार की कहानी का अंत हुआ। भगवान शिव से सभी देवों ने आग्रह किया कि वे इसी स्थान पर शिवलिंग रूप में विराजित हो़। उनकी इस प्रार्थना को भगवान शिव ने स्वीकार किया और वे भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के रूप में आज भी यहां विराजित हैं।

मंदिर की संरचना

भीमाशंकर मंदिर नागर शैली की वास्तुकला से बनी एक प्राचीन और नई संरचनाओं का समिश्रण है। इस मंदिर से प्राचीन विश्वकर्मा वास्तुशिल्पियों की कौशल श्रेष्ठता का पता चलता है। इस सुंदर मंदिर का शिखर नाना फड़नवीस द्वारा 18वीं सदी में बनाया गया था। कहा जाता है कि महान मराठा शासक शिवाजी ने इस मंदिर की पूजा के लिए कई तरह की सुविधाएं प्रदान की।

नाना फड़नवीस द्वारा निर्मित हेमादपंथि की संरचना में बनाया गया एक बड़ा घंटा भीमशंकर की एक विशेषता है। अगर आप यहां जाएं तो आपको हनुमान झील, गुप्त भीमशंकर, भीमा नदी की उत्पत्ति, नागफनी, बॉम्बे प्वाइंट, साक्षी विनायक जैसे स्थानों का दौरा करने का मौका मिल सकता है। भीमशंकर लाल वन क्षेत्र और वन्यजीव अभयारण्य द्वारा संरक्षित है जहां पक्षियों, जानवरों, फूलों, पौधों की भरमार है। यह जगह श्रद्धालुओं के साथ-साथ ट्रैकर्स प्रेमियों के लिए भी उपयोगी है। यह मंदिर पुणे में बहुत ही प्रसिद्ध है। यहां दुनिया भर से लोग इस मंदिर को देखने और पूजा करने के लिए आते हैं। भीमाशंकर मंदिर के पास कमलजा मंदिर है। कमलजा पार्वती जी का अवतार हैं। इस मंदिर में भी श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है।

भीमशंकर मंदिर जाने का समय

यहां आने वाले श्रद्धालु कम से कम तीन दिन जरूर रुकते हैं। यहां श्रद्धालुओं के लिए रुकने के लिए हर तरह की व्यवस्था की गई है। भीमशंकर से कुछ ही दूरी पर शिनोली और घोड़गांव है जहां आपको हर तरह की सुविधा मिलेगी। यदि आपको भीमशंकर मंदिर की यात्रा करनी है तो अगस्त और फरवरी महीने की बीच जाएं। वैसे आप ग्रीष्म ऋतु को छोड़कर किसी भी समय यहां आ-जा सकते हैं। वैसे जिन्हें ट्रैकिंग पसंद है उन्हें मानसून के दौरान बचने की सलाह दी जाती है।

कैसे पहुंचें

आप यहां सड़क और रेल मार्ग के जरिए आसानी से पहुंच सकते हैं। आप शिवाजीनगर, पुणे से राज्य परिवहन की बसें प्राप्त कर सकते हैं। किराया रु। 155 है और पुणे से वहाँ पहुँचने में लगभग 4-5 घंटे लगते हैं। महाशिवरात्रि या प्रत्येक माह में आने वाली शिवरात्रि को यहां पहुंचने के लिए विशेष बसों का प्रबन्ध भी किया जाता है।

संपादित :- अभिजीत पाटिल

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "keyhole.com". मूल से 8 अप्रैल 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 जुलाई 2008.

  • Shivank, GitaPress Gorakhpur Publication
  • Shivopasnank, GitaPress Gorakhpur Publication

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • Virtual Lord Shiva Darshan and pilgrimage with videos and images
  • Hike Pics to Bhimashankar
  • Kashipur

पुणे के पास में कौन सा ज्योतिर्लिंग है?

प्रसिद्ध धार्मिक केंद्र भीमाशंकर मंदिर महाराष्ट्र में पुणे से करीब 100 किलोमीटर दूर स्थित सह्याद्रि नामक पर्वत पर है। यह स्थान नासिक से लगभग 120 मील दूर है। यह मंदिर भारत में पाए जाने वाले बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है।

महाराष्ट्र में कितने ज्योतिर्लिंग है उनके नाम?

Maharashtra Jyotirlinga: 12 ज्योतिर्लिंगों में से सबसे ज्यादा हैं महाराष्ट्र में, एक यात्रा में करें इन सभी शिवालयों के दर्शन.
12 ज्योतिर्लिंग कहां कहां हैं सोमनाथ ज्योतिर्लिंग, गुजरात ... .
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र ... .
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र.
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र.

पुणे से भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग कैसे जाएं?

पुणे रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट पहुंचने के बाद आपको सबसे पहले पुणे के शिवाजी नगर बस स्टैंड जाना होगा, जहां से आपको भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग जाने के लिए डायरेक्ट बस मिल जाएगी और शिवाजी नगर बस स्टैंड महाराष्ट्र की सरकारी बस द्वारा भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग जाने का किराया ₹ 180 होता है।

महाराष्ट्र में कितने ज्योतिर्लिंग है और कहां कहां?

महाराष्ट्र राज्य में कितने ज्योतिर्लिंग स्थित है? - Quora. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मन्दिर कहाँ पर स्थित है? भीमाशंकर मंदिर को 12 ज्योतिर्लिंगों (भगवान शिव के बारह पवित्र चरण चिह्न) में छठे शिव मंदिर के रूप में पूजा जाता है। श्री भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर, खेड़, महाराष्ट्र, भारत में स्तिथ हैं।