पुलिस चालान कब पेश करती है - pulis chaalaan kab pesh karatee hai

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चालान दायर होने में देरी से बच जाते हैं आरोपी

ड्रग्सभ्रष्टाचार के मामलों में पुलिस द्वारा आरोपी के खिलाफ अदालत में निर्धारित समय सीमा में चालान पेश ना करने का फायदा उठाकर आरोपी जमानतें ले रहे हैं। वहीं भ्रष्टाचार के मामलों में भी कई बार आरोपी कर्मचारी के खिलाफ देर से चालान पेश होता है जिससे आरोपी बच निकलता है और अदालत से जमानत ले जाता है।

6 महीनों में अदालत से नशा तस्करी में शामिल तीन दर्जन से अधिक तस्कर बरी हो चुके हैं। इनमें से कितने आरोपी देरी से चालान पेश करने से और कितने कम रिकवरी कारण बरी हुए ये कहना मुश्किल है।

बचनिकलने का मिल जाता है मौका

नारकोटिक्सड्रग्स के मामलों में देरी से टेस्ट कराने और स्पेशल कोर्ट में समय से चालान पेश करने के चलते आरोपी इसका लाभ उठाकर जमानत हासिल कर रहे हैं। ड्रग्स मामलों में 180 दिनों में चालान पेश करना जरूरी है। भ्रष्टाचार के मामलों में आरोपी कर्मचारियों के खिलाफ भी पुलिस द्वारा समय पर अदालत में चालान पेश करने का फायदा भ्रष्ट कर्मचारी उठा जाता है और अदालत से जमानत ले जाता है। किसी भी भ्रष्ट कर्मचारी के खिलाफ चालान पेश करने से पहले संबंधित विभाग के मुखी से मंजूरी लेनी पड़ती है। विभाग से समय पर मंजूरी ना मिलने से ऐसे मामलों में आरोपियों का चालान पेश नहीं हो पाता।

90दिन में चालान जरूरी

कानूनके अनुसार, किसी भी आपराधिक मामले में चालान संबंधित अदालत में 90 दिनों के अंदर-अंदर दायर करना जरूरी होता है। छोटे आपराधिक मामलों में यह समय सीमा 60 दिन है। यदि तय समय सीमा में पुलिस अपराधी का चालान नहीं पेश करती, तो इसका सीधा फायदा आरोपी को जमानत मिलने के रूप में मिल सकता है।

क्या होता है नुकसान

तीनमहीने के भीतर चालान पेश नहीं करने पर आरोप में फंसे अफसर को बहाली का मौका मिल जाता है। वह कार्रवाई को चुनौती देने के लिए याचिका भी लगा सकता है। यदि वह बहाल होता है तो प्रकरण में गवाह और सबूत को प्रभावित भी कर सकता है।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

^समयपर चालान पेश ना करने का फायदा आरोपी को मिल सकता है खासतौर पर एनडीपीएस मामले में पुलिस लैब से रिर्पोट का इंतजार करती है। कई बार रिर्पोट में देरी से आरोपी का चालान समय पर पेश नहीं हो पाता और वो जमानत ले जाता है। गुरजीतसिंह खड़ियाल ,एडवोकेट