पहाड़ पर चढ़ने वाले व्यक्ति की श्वसन प्रक्रिया में क्या प्रभाव पड़ता है? Show पहाड़ पर ऊँचाई बढ़ने के साथ-साथ वायु में O2 का आंशिक दाब कम हो जाता है; अत: मैदान की अपेक्षा ऊँचाई पर श्वासोच्छ्वास क्रिया अधिक तीव्र गति से होगी। इसके निम्नलिखित कारण होते हैं
Concept: श्वसन का नियमन Is there an error in this question or solution? पहाड़ पर चढ़ने वाले व्यक्ति की श्वसन प्रक्रिया पर क्या प्रभाव?Solution : पहाड़ पर वायु का दाब कम हो जाता है तथा आवश्यकतानुसार ऑक्सीजन की पूर्ति नहीं हो पति है। अतः सॉस लेने में कठिनाई होती है। सर दर्द, चक्कर आना, मितली आना, मानसिक तथा त्वचा व नाख़ून नील पड़ जाना आदि लक्षण दर्शित होते है।
`( ख पहाड़ पर चढ़ने वाले व्यक्ति की श्वसन प्रक्रिया पर क्या प्रभाव पड़ता है ?`?Solution : पहाड़ पर चढ़ने वाले व्यक्ति को ऑक्सीजन की कमी अनुभव होती है। इस स्थिति को हाइपोक्सिया (Hypoxia) कहते हैं। इस रोग को पर्वत रोग भी कहते हैं।
पहाड़ों पर चढ़ना मुश्किल क्यों है?किसी भी सदस्य को पहाड़ पर चढ़ने में परेशानी होने पर आपको उनकी मदद करनी होगी। पहाड़ों पर लीडर की क्या - क्या ज़िम्मेदारियाँ होती हैं, यह सबको बताया जा चुका है।
श्वसन की प्रक्रिया में गैसों का परिवहन कैसे होता है?गैसों का परिवहन (Transportation of gases): गैसों अर्थात् ऑक्सीजन एवं कार्बन डाइऑक्साइड का फेफड़े से शरीर की कोशिकाओं तक पहुँचना तथा पुनः फेफड़े तक वापस आने की क्रिया को गैसों का परिवहन कहते हैं। श्वसन गैसों का परिवहन रुधिर परिसंचरण तंत्र की सहायता से होता है।
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