पीहर ना जाओ गौरा तेरा मेरा निरादर है बेटी घर बाबुल के बिन बुलाए चली जाती है माता तो हंस बोली पिता मुख से नहीं बोले गौरा ने जब देखा कहीं भोले का आसन नहीं शंकर जो
सुन पाए वीरभद्र को भेजा है Similar Bhajans |
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