पिंड दान करने के बाद क्या करना चाहिए? - pind daan karane ke baad kya karana chaahie?

मृत्यु के बाद पिंडदान करना क्यों जरूरी है? गरुड़ पुराण में लिखा है ये रहस्य

गरुड़ पुराण (Garuda Purana) हिंदू धर्म के प्रमुख ग्रंथों में से एक है। आमतौर पर गरुड़ पुराण का पाठ किसी की मृत्यु होने के बाद किया जाता है। इस ग्रंथ में जीवन को बेहतर तरीके से जीने की तमाम नीतियों के बारे में भी बताया गया है।

Ujjain, First Published Oct 2, 2021, 6:30 AM IST

उज्जैन. गरुड़ पुराण में भगवान विष्णु ने अपने वाहन गरुड़ को जीवन-मृत्यु से जुड़े कई रहस्यों के बारे में भी बताया है। भगवान विष्णु ने बताया है कि कैसे मृत्यु निकट होने पर व्यक्ति क्या सोचता है और कैसे उसकी आत्मा यमलोक तक जाती है। आज हम आपको इसी के बारे में बता रहे हैं…

- गरुड़ पुराण (Garuda Purana) के अनुसार, जिस मनुष्य की मृत्यु होने वाली होती है, वह बोलना चाहता है, लेकिन बोल नहीं पाता। उस समय दो यमदूत आते हैं। उस समय शरीर से अंगूष्ठ मात्र (अंगूठे के बराबर) आत्मा निकलती है, जिसे यमदूत पकड़ लेते हैं।
- यमराज के दूत उस आत्मा को पकड़कर यमलोक ले जाते हैं, जैसे- राजा के सैनिक अपराध करने वाले को पकड़ कर ले जाते हैं। उस जीवात्मा को रास्ते में थकने पर भी यमराज के दूत डराते हैं और उसे नरक में मिलने वाले दुखों के बारे में बार-बार बताते हैं।
- गरुड़ पुराण (Garuda Purana) के अनुसार, यमलोक 99 हजार योजन दूर है। वहां यमदूत पापी जीव को थोड़ी ही देर में ले जाते हैं। इसके बाद यमदूत उसे सजा देते हैं। इसके बाद वह जीवात्मा यमराज की आज्ञा से यमदूतों के साथ फिर से अपने घर आती है।
- घर आकर वह जीवात्मा अपने शरीर में पुन: प्रवेश करने की इच्छा करती है, लेकिन यमदूत के बंधन से वह मुक्त नहीं हो पाती और भूख-प्यास के कारण रोती है। पुत्र आदि जो पिंड और अंत समय में दान करते हैं, उससे भी उसकी तृप्ति नहीं होती।
- गरुड़ पुराण (Garuda Purana) के अनुसार, मनुष्य की मृत्यु के बाद 10 दिन तक पिंडदान अवश्य करना चाहिए। पिंडदान से ही आत्मा को चलने की शक्ति प्राप्त होती है। शव को जलाने के बाद मृत देह से अंगूठे के बराबर का शरीर उत्पन्न होता है। वही, यमलोक के मार्ग में शुभ-अशुभ फल को भोगता है।
- यमदूतों द्वारा तेरहवें दिन आत्मा को पकड़ लिया जाता है। इसके बाद वह भूख-प्यास से तड़पती हुई यमलोक तक अकेली ही जाती है। 47 दिन लगातार चलकर आत्मा यमलोक पहुंचती है।

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Last Updated Oct 2, 2021, 12:48 PM IST

कितने पिंड दान करना चाहिए?

सात पिंड या चावल में मिक्स गेहूं के आटे से बने गोले, शहद और दूध के साथ मृतक और पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए प्रसाद के रूप में तैयार किए जाते हैं और इन्हें मंत्रों के जाप के दौरान चढ़ाया जाता है। मथुरा में तर्पण कर लोग अपने पूर्वजों को प्रसन्‍न करते हैं।

गया पिंड दान कब करना चाहिए?

- गरुड़ पुराण (Garuda Purana) के अनुसार, मनुष्य की मृत्यु के बाद 10 दिन तक पिंडदान अवश्य करना चाहिए। पिंडदान से ही आत्मा को चलने की शक्ति प्राप्त होती है। शव को जलाने के बाद मृत देह से अंगूठे के बराबर का शरीर उत्पन्न होता है। वही, यमलोक के मार्ग में शुभ-अशुभ फल को भोगता है।

गया जी कब जाना चाहिए?

पुराणों के अनुसार पितरों के लिए खास आश्विन माह के कृष्ण पक्ष या पितृपक्ष में मोक्षधाम गयाजी आकर पिंडदान एवं तर्पण करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और माता-पिता समेत सात पीढ़ियों का उद्धार होता है।

पिंडदान में क्या क्या सामान लगता है?

पिंडदान : ( Pitru tarpan pind daan ).
तर्पण या पिंडदान करते समय सफेद वस्त्र पहने जाते हैं और दोहपहर में ही यह क्रिया करें।.
पहले पिंड को तैयार कर लें और फिर चावल, कच्चा सूत्र, मिठाई, फूल, जौ, तिल और दही से उसकी पूजा करें। ... .
कम से कम तीन पीढ़ी का पिंडदान करें।.

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