Solution : मुद्रण क्रांति ने आम लोगों की जिन्दगी ही पूर्णरूपेण बदल दी । आमलोगों का जुड़ाव सूचना, ज्ञान, संस्था और सत्ता से नजदीकी स्तर पर हुआ । परिणामस्वरूप चेतना एवं दृष्टि में बदलाव संभव हुआ । <br> इस प्रकार मुद्रण क्रांति के बहुआयामी प्रभाव समाज, धर्म, संस्कृति एवं बौद्धिक विकास में दृष्टिगोचर हुए । भारतीय समाज पर इसका व्यापक असर आया । मुद्रण क्रांति के फलस्वरूप किताबें समाज के सभी तबकों तक पहुँच गई । किताबों की पहुँच आसान होने से पढ़ने की नई संस्कृति विकसित हुई । एक नया पाठक - वर्ग तैयार हुआ । चूंकि साक्षर ही पुस्तक को पढ़ सकते थे अत: साक्षरता बढ़ाने हेतु पुस्तकों को रोचक तस्वीरों, लोकगीत और लोक - कथाओं से सजाया जाने लगा । पहले जो लोग सुनकर ज्ञानार्जन करते थे अब पढ़कर भी कर सकते थे । इससे उनके अन्दर तार्किक शक्ति का विकास हुआ| <br> पठन - पाठन से विचारों का व्यापक प्रचारक - प्रसार हुआ तथा तर्कवाद और मानवतावाद का द्वार खुला । स्थापित विचारों से असहमत होने वाले लोग भी अपने विचारों को फैला सकते थे । <br> मुद्रण क्रांति के फलस्वरूप प्रगति और ज्ञानोदय का प्रकाश फैलने लगा । लोगों में निरंकुश सत्ता से लड़ने के लिए नैतिक साहस का संचार होने लगा था । इसने वाद - विवाद की नई संस्कृति को जन्म दिया । पुराने परंपरागत मूल्यों, संस्थाओं और वायदों पर आमलोगों के बीच - मूल्यांकन शुरू हो गया । धर्म और आस्था को तार्किकता की कसौटी पर कसने से मानवतावादी दृष्टिकोण विकसित हुए । इस तरह की नई सार्वजनिक दुनियाँ ने सामाजिक क्रांति को जन्म दिया ।
मुद्रण क्रांति आधुनिक विश्व को कैसे प्रभावित किया? - mudran kraanti aadhunik vishv ko kaise prabhaavit kiya?
मुद्रण क्रांति के फलस्वरूप किताबें समाज के सभी तबकों तक पहुँच गई । किताबों की पहुँच आसान होने से पढ़ने की नई संस्कृति विकसित हुई । एक नया पाठक - वर्ग तैयार हुआ । चूंकि साक्षर ही पुस्तक को पढ़ सकते थे अत: साक्षरता बढ़ाने हेतु पुस्तकों को रोचक तस्वीरों, लोकगीत और लोक - कथाओं से सजाया जाने लगा ।
इसे सुनेंरोकेंक्रांति के फलस्वरूप राजा को गद्दी से हटा दिया गया, एक गणतंत्र की स्थापना हुई, खूनी संघर्षों का दौर चला, और अन्ततः नेपोलियन की तानाशाही स्थापित हुई जिससे इस क्रांति के अनेकों मूल्यों का पश्चिमी यूरोप में तथा उसके बाहर प्रसार हुआ।
मुद्रण तकनीक ने पाठकों के एक नये वर्ग को जन्म दिया। मुद्रण की मदद से किसी किताब की आसानी से अनेक कॉपी बनाई जा सकती थी, इसलिए किताबें सस्ती होने लगीं। इसके परिणामस्वरूप किताबें अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचने लगीं। जनसाधारण तक किताबें पहुँचने से पढ़ने की एक नई संस्कृति का विकास हुआ।
फ्रांसीसी क्रान्ति (फ्रेंच : Révolution française; 1789-1799) फ्रांस के इतिहास की राजनैतिक और सामाजिक उथल-पुथल एवं आमूल परिवर्तन की अवधि थी जो 1789 से 1799 तक चली। बाद में, नेपोलियन बोनापार्ट ने फ्रांसीसी साम्राज्य के विस्तार द्वारा कुछ अंश तक इस क्रान्ति को आगे बढ़ाया।