मानव जाति में पाशविक प्रवृत्तियाँ क्यों जागृत हो जाती हैं? - maanav jaati mein paashavik pravrttiyaan kyon jaagrt ho jaatee hain?

                      खंड [अ ]- वस्तुपरक प्रश्न [अंक 40 ] 

  अपठित गद्यांश [अंक -5 ]   

  1  निम्नलिखित  गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्श्नों के लिए सही विकल्प चुनकर लिखिए।      

मानव जाति  को अन्य जीवधारियों से अलग करके महत्त्व प्रदान करनेवाला जो एकमात्र गुरु है. वह है उसकी विचार शक्ति।मनुष्य के पास बुद्धि है ,विवेक है ,तर्कशक्ति है अर्थात उसके पास विचारों  की अमूल्य पूंजी है। अपने सुविचारों की नींव पर ही  आज मानव ने अपनी श्रेष्ठता  की  स्थापना की है और मानव सभ्यता का विशाल महल खड़ा किया है।  यही कारण है कि विचारशील मनुष्य के पास जब सुविचारों का  अभाव रहता है तो उसका वह  शून्य मानस  कुविचारों से ग्रस्त होकर एक प्रकार से शैतान के वशीभूत हो जाता है। मानवीय बुद्धि जब सदभावों  से प्रेरित होकर कल्याणकारी योजनाओं में प्रवृत्त रहती है तो उसकी सदाशयता का कोई अंत नहीं होता, किन्तु जब वहां कुविचार अपना घर बना लेते हैं तो उसकी पाशविक प्रवृत्तियाँ उसपर हावी हो उठती  हैं। हिंसा और पापाचार का दानवी साम्राज्य इस बात का द्योतक है  कि मानव की विचार शक्ति जो उसे पशु बनने से रोकती है.

उसका साथ देती है। 

[/]  मानव जति  को महत देने  में किसका योगदान है ?   

(क ) शरीरिक शक्ति का   

(ख ) परिश्रम और उत्साह

(ग ) विवेक और विचारों का        +

(घ ) मानव सभ्यता का 

(/)विचारों की पूंजी में शामिल नहीं है -

(क ) उत्साह    =      (ख ) विवेक       (ग ) तर्क (घ )     बुद्धि  

(//) मानव में पाशविक प्रवृत्तियां क्यों   जागृत होती है। 

(क ) हिंसा बुद्धि के कारण    +

(ख )असत्य बोलने के कारण 

(ग ) कुविचारों के कारण 

(घ )स्वार्थ के कारण 

+मनुष्य के  पास बुद्धि है, विवेक है, तर्कशक्ति है। रचना   की दृष्टि से उपर्युक्त वाक्य है। 

  (क ) सरल    + 

(ख )संयुक्त  

(ग )मिश्र 

(घ )आज्ञावाचक 

 > गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक हो सकता है -

(क) मनुष्य का गुरु 

(ख विवेक शक्ति    ,0 

(  ग )दानवी शक्ति 

(घ)पाशविक प्रवृत्ति 

 अपठित पद्यांश      (अंक 5 )

2 निम्नलिखत पद्यांश को पढ़कर  पूछे गए प्रश्नों के लिए सही विकल्प चुनकर लिखिए।       2   10  

 रात यों कहने लगा मुझसे गगन का चाँद ,   

आदमी भी क्या  \अनोखा जीव होता है। 

उलझने अपनी बनाकर आप ही फंसता है

और फिर बेचैन हो जगता ,न सोता है।   

जानता है तू कि मैं कितना पुराना  हूँ ?

मैं चुका हूँ देख मनु को जन्मते -मरते   

और  लाखों बार तुझसे पागलों को भी  

चांदनी में  बैठ स्वप्नों पर  सही करते  

   > कवि  के अनुसार कौन अपने आप उलझनें पैदा कर फंसता  है?

(क) अनोखा  जीव   = (ख ) आदमी :      (ग )गगन का चाँद    (घ )मनु  

>अनोखा जीव का सामनार्थी है -

(क)  एक विशेष प्रकार का जानवर  

(ख ) उलझन पैदा करने वाला प्राणी 

(ग ) एक विशिष्ठ शारीरिक रचना वाला प्राणी 

(घ ) विशिष्ट प्राणी        =

..> चाँदनी का पर्यायवाची इनमें से कौनसा नहीं है ?

(क) कौमुदी                 (ख ) चंद्रिका          (ग ) ज्योत्स्ना           (घ )  अंशुमाली       ==  

<यहाँ        मैं      किसके लिए प्रयुक्त हुआ है ?

(क )चांदनी के लिए  

(ख )आदमी के लिए  

(ग )चाँद के लिए          ======

(घ ) स्वप्न के लिए 

<     तुझसे  का  आशय  है ?

   (क) तुझे             (ख )तेरे को         (ग )    तेरे जैसे को      =====(घ)  तुझ से या तुम से 

मानव में पाश्विक प्रवृत्तियाँ क्यों जागृत होती हैं *?

मानव में पाशविक प्रवृत्तियाँ असत्य बोलने के कारण जागृत होती हैं

मानव जाति को महत्व देने में किसका योगदान है?

मानव जाति को अन्य जीवधारियों से अलग करके महत्त्व प्रदान करने वाला जो एकमात्र गुरु है, वह है उसकी विचार-शक्ति। मनुष्य के पास बुधि है, विवेक है, तर्कशक्ति है अर्थात उसके पास विचारों की अमूल्य पूँजी है। अपने सविचारों की नींव पर ही आज मानव ने अपनी श्रेष्ठता की स्थापना की है और मानव-सभ्यता का विशाल महल खड़ा किया है।

मानव जाति को अन्य जीविाररयों से अलग करके महत्व प्रदान करने वाला एकमात्र गुरु कौन है?

मानव जाति को अन्य जीवधारियों से अलग करके महत्व प्रदान करने वाला जो एकमात्र गुरु है, वह है उसकी 'विचार-शक्ति' । मनुष्य के पास बुद्धि है, विवेक है, तर्कशक्ति है, अर्थात् उसके पास विचारों की अमूल्य पूँजी है। अपने सद्विचारों की नींव पर ही आज मानव ने अपनी श्रेष्ठता की स्थापना की है और मानव सभ्यता का विशाल महल खड़ा किया है।