२ महीने के बच्चे का वजन कैसे बढ़ाएं - 2 maheene ke bachche ka vajan kaise badhaen

जन्‍म के बाद 6 महीने तक शिशु को मां का दूध ही पिलाया जाता है। शिशु को इसी से पर्याप्‍त पोषण और एनर्जी मिल जाती है। मां के पीले गाढ़े दूध में कई तरह के पोषक तत्‍व और इम्‍यूनिटी को बढ़ाने वाले एंटीऑक्‍सीडेंट होते हैं। ये शिशु को बीमारियों से बचाने और विकास में मदद करते हैं।

कुछ मामलों में पर्याप्‍त दूध पिलाने पर बच्‍चे का वजन नहीं बढ़ता है। इसे लेकर अक्‍सर पेरेंट्स चिंता में आ जाते हैं कि शिशु को पूरा पोषण मिल पा रहा है या नहीं। अगर आप भी इस बात को लेकर परेशान हैं, तो इस आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़ें।

​शिशु की नॉर्मल ग्रोथ

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बच्‍चे का वजन बढ़ने का कोई फिक्‍स पैटर्न नहीं होता है। सभी बच्‍चों का वजन अलग-अलग तरीके से बढ़ता है लेकिन धीरे-धीरे बढ़ता जरूर है और इससे बच्‍चे के विकास को ट्रैक करने में मदद मिलती है।

जन्‍म के बाद पहले हफ्ते में शिशु का 10 पर्सेंट वजन घटता है लेकिन अगले एक या दो हफ्ते में यह वजन वापिस बढ़ जाता है। अगले तीन महीनों में ठीक तरह से दूध पीने पर रोज बच्‍चे को 30 ग्राम वेट बढ़ता है।

हर बच्‍चा अलग होता है और यह बताना मुश्किल होगा कि बेबी का कितना वजन बढ़ेगा। हालांकि, बच्‍चे का धीमी गति से वजन बढ़ने का मतलब है कि उसे पर्याप्‍त पोषण नहीं मिल पा रहा है।

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​शिशु के धीमे विकास का कारण

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नवजात शिशु को हर दो से तीन घंटे में दूध पिलाना चाहिए। समय के साथ बच्‍चे की भूख बढ़ती जाती है। आमतौर पर वजन बढ़ने के लिए शिशु जितनी कैलोरी खर्च करता है, उससे ज्‍यादा कैलोरी उसे मिलनी चाहिए।

लगातार बच्‍चे का वजन न बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं जैसे कि पर्याप्‍त मात्रा में कैलोरी न मिलना, पोषक तत्‍वों को न सोख पाना और कैलोरी ज्‍यादा खर्च करना।

​पर्याप्‍त कैलोरी न लेना

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शिशु के लिए कैलोरी का एक ही स्रोत है और वो है ब्रेस्‍टमिल्‍क। जब शिशु को पर्याप्‍त कैलोरी नहीं मिलती है, तो उसका विकास धीमा पड़ जाता है। स्‍तन ठीक तरह से न खींच पाने, दिन में कम बार स्‍तनपान करवाने, देर तक दूध न पिलाने और ब्रेस्‍ट मिल्‍क कम आने पर ऐसा हो सकता है।

हर एक से दो घंटे में शिशु को दूध पिलाएं। अगर आपको ब्रेस्‍ट मिल्‍क नहीं आ रही है या शिशु दूध नहीं खींच पा रहा है तो अपने डॉक्‍टर से बात करें।

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​पोषक तत्‍व न सोख पाना

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कुछ मामलों में ठीक तरह से दूध पिलाने पर भी शिशु विकास धीमा होता है। ऐसा बेबी के किसी स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या के कारण दूध से पोषक तत्‍वों को न सोख पाने पर होता है।

गैस्‍ट्रोइसोफेजल रिफलक्‍स या फूड एलर्जी या फूड सेंसिटिविटी से पोषक तत्‍वों को सोखने में दिक्‍कत हो सकती है। दूध पीने के तुरंत बाद बच्‍चे को उल्‍टी हो सकती है। ऐसे में तुरंत डॉक्‍टर को दिखाएं।

​ज्‍यादा कैलोरी बर्न करना

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शरीर के जरूरी कार्यों को करने के लिए शिशु कैलोरी का इस्‍तेमाल करता है। इसके अलावा बच्‍चा ऐसा कोई काम नहीं करता है जिसमें ज्‍यादा कैलोरी बर्न होती हो। लेकिन कुछ बच्‍चे कैलोरी को जल्‍दी पचा लेते हैं इसलिए उन्‍हें ज्‍यादा कैलोरी चाहिए होती है। प्रीमैच्‍योर बर्थ के मामले में हार्ट डिजीज या सांस से जुड़ी परेशानियों में शिशु को नॉर्मल से ज्‍यादा कैलोरी चाहिए होती है।

धीमे विकास के मामले में आपको पीडियाट्रिशियन से बात करनी चाहिए। डॉक्‍टर परिस्थिति की जांच कर के सही इलाज बता पाएंगे।

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अगर आप का शिशु छेह महीने से बड़ा है तो आप को अपने शिशु को दिन में तीन बार देना चाहिए। इसके साथ साथ दिन में कम से कम दो बार स्तनपान भी करना चाहिए। जब तक की आप का शिशु एक साल का ना हो जाये आप उसे ठोस आहारों के साथ-साथ स्तनपान भी कराती रहें। 

चलिए अब बात करते हैं उन साधारण से दिखने वाले चमत्कारी आहारों के बारे में जो अश्च्यार्जनक रूप से आप के बच्चे का वजन बढ़ने की छमता रखते हैं। 

बड़े बच्चों का वजन बढ़ाने वाले आहार

जैसे की हम पहले ही बात कर चुके हैं की छेह महीने से छोटे बच्चों को स्तनपान के आलावा कुछ भी नहीं दिया जाना चाहिए। अगर आप के बच्चे को स्तनपान के जरिये मिलने वाला दूध उसके लिए पर्याप्त नहीं है तो आप तुरंत शिशु विशेषज्ञ से संपर्क करें। अगर शिशु को स्तनपान से पर्याप्त मात्र में दूध नहीं मिल पा रहा है तो बच्चों के डोक्टर सही उपये बताएँगे। 

छेह महीने से छोटे बच्चे के लिए स्तनपान ही एक मात्र जरिये जिससे की उसके वजन को बढाया जाये। बच्चे को पर्याप्त मात्र में दूध पिलायें। माँ का दूध बच्चे के लिए बहुत ही पोषक आहार है। यह बच्चे को वो सारे पोषक तत्त्व उस अनुपात में प्रदान करता है जो शिशु के सम्पूर्ण विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। माँ का दूध बच्चे को आसानी से पच भी जाता है। 

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अगर छेह महीने से छोटे बच्चे को पर्याप्त मात्र में दूध मिल रहा है तो उसका वजन सही अनुपात में बढेगा। माँ का दूध बच्चे के लिए सर्वोतम आहार है। 

जब आप का बच्चे छेह महीने से बड़ा हो जाये तो आप बच्चे में ठोस आहार की शुरुआत कर सकती हैं। बच्चे में ठोस आहार की शुरुआत करते वक्त तीन दिवसीय नियम का पालन अवश्य करें। 

अब बात करते हैं ऐसे आहारों की जो स्वस्थ तरीके से आप के बच्चों का वजन बढ़ने में आप की सहायता करेंगे। 

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छेह महीने से बड़े बच्चों का वजन बढ़ने वाले आहार

अब जब आप का बच्चा छेह महीने से बड़ा हो गया है तो आप उसे निचे दिए आहार खिला सकती हैं। सुनने में ये बहुत ही साधारण आहार लगेंगे लेकिन बच्चों का जवान बढ़ाने की इनमें विलक्षण ताकत है। 

1. केला है उर्जा का अदभुत स्रोत

केला प्राकृतिक उर्जा का अदभुत स्रोत है। केवल एक केले से बच्चे को 100 कैलोरी से ज्यादा उर्जा मिलता है। केले में कार्बोहायड्रेट, पोटैशियम, डाइट फाइबर, विटामिन C और B6 भी प्रचुर मात्र में मिलता है। 

केला उन आहारों में से एक है जो शारीर को तुरंत उर्जा प्रदान करने में सक्षम है। यह बहुत आसानी से पच भी जाता है। पुरे भारत में आप कहीं भी जाइये, केला एक ऐसा फल है जो हर जगह आसानी से उप्लंध हो जाता है। इससे शिशु के लिए आहार बनाना भी बहुत आसन है। यही वजह है की सफ़र के दौरान बच्चों के लिए केला सर्वोतम आहार है। 

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केले को आप बहुत आसानी से कहीं भी ले भी जा सकती हैं। बस दो केला लीजिये, रुमाल में लपेटिये, अपने पर्स में रखिये, और कई घंटो के लिए अपने शिशु के आहार को लेकर निश्चित हो जाइये। ना अलग से टिफिन डब्बा लेने की आवश्यकता और ना ही ये सोचने की की बच्चे को आहार कहाँ और किस तरह खिलाया जाये। 

अपने शिशु को आप केला कई तरह से खिला सकत हैं। जैसे की आप केले की smoothies, shakes, cakes या puddings बना के शिशु को दे सकती है। और अगर आप को कुछ भी ना समझ आये तो बस केले को छील कर बच्चे को खाने के लिए दे सकती हैं। 

2. गाए का शुद्ध देशी घी

गाए के शुद्ध देशी घी में पोषण बहुत ही घनिष्ट मात्रा में होता है। इसी लिए शिशु का वजन बढ़ने के लिए यह एक बहुत ही बेहतरीन आहार है। 

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जैसे ही आप का शिशु आठ महीने (8 months) का होता है आप उसे देशी घी दे सकती हैं। शिशु को देशी घी देने के लिए उसके आहार में देशी घी के कुछ बूंद डाल सकती हैं। जैसे की उसके खिचड़ी में या रोटी में लगा के। जैसे-जैसे आप का बच्चा बड़ा होगा आप देशी घी की मात्र बढ़ा सकती हैं। 

गाए के शुद्ध देशी घी में वासा की मात्र बहुत ज्यादा होती है, इसी लिए बच्चे को देशी घी बहुत ही सिमित मात्र में दें। यह जानने के लिए की किस उर्म में बच्चे को कितना देसी घी आप दे सकती हैं - यह लेख पढ़ें।

3. सेहत से भरपूर रागी

रागी बहुत ही पोषक और स्वास्थवर्धक है। बच्चों का वजन बढ़ाने के लिए तो ये बेहतरीन आहार है। इससे बच्चे को प्रचुर मात्र में कैल्शियम, आयरन, प्रोटीन, फाइबर, विटामिन B1, B2, और दुसरे बहुत से मिनिरल्स (खनिज) मिलते हैं जो शिशु के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बहुत जरुरी है।  

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बच्चे रागी को बहुत आसानी से पचा लेते हैं। शिशु का वजन बढ़ने के लिए आप शिशु के आहार में रागी का इस्तेमाल कर सकती हैं। बच्चे रागी का हलवा बड़े चाव से खाते हैं। इसके आलावा आप बच्चे को रागी का खिचड़ी भी बना के खिला सकती हैं। 

4. वजन बढ़ाये दही

दही में दूध का वासा और पोषक तत्त्व होता है। तुलनात्मक रूप से देखा जाये तो बच्चों में दूध की तुलना में दही ज्यादा आसानी से पच जाता है। 

दही शिशु को उसके विकास के लिए जरुरी सभी पोषक तत्त्व सही अनुपात में पहुंचता है। इससे शिशु को भरपूर मात्र में कैल्शियम, विटामिन्स और मिनिरल्स मिलता है। 

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दही शिशु का रोग प्रतिरोधक छमता भी बढ़ता है और अगर बच्चे को दस्त की समस्या है तो उससे भी आराम दिलाता है। 

शिशु रोग विशेषज्ञ इस बात की राय देते हैं की जब बच्चा 7 महीने या 8 महीने का हो जाये तब आप उसे दही देना शुरू करें। 

शिशु दूध में उपलब्ध प्रोटीन को बहुत आसानी से digest नहीं कर सकता है। लेकिन दही बन्ने के दौरान, fermentation प्रक्रिया में दूध का प्रोटीन इस तरह से टूटता है जिसे की बच्चे का पाचन तंत्र आसानी से पचा लेते है। 

आप दही से शिधू के लिए कई तरह के आहार बना सकती हैं,जैसे की  curd rice, smoothies, buttermilk या fruit-flavored curd (दही)। 

5. ओट्स (Oats) रखे पाचन तंत्र को दरुस्त

ओट्स में फाइबर भरपूरी से होता है। इस वजह से यह शिशु को कब्ज नहीं होने देता है और उसके पाचन तंत्र को दरुस्त रखता है। ओट्स में saturated fat और cholesterol की मात्र बहुत कम होती है। साथ ही यह आयरन, मैग्नीशियम, जिंक, थिअमिने (thiamine) और फॉस्फोरस का भी बेहतरीन स्रोत है। 

ये सभी खनिज बच्चे के विकास में तो यौगदान देते ही हैं, साथ ही वजन का सही अनुपात भी बनाये रखने में मदद करते हैं। 

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आप अपने बच्चे को ओट्स उसके आहार में कई तरह से दे सकती हैं। जैसे की आप अपने बच्चे को ओट्स  का डोसा, खीर, खिचड़ी, कुकी (cookies) या बस दूध में मिला के भी खिला सकती हैं। 

6. आलू दे तंदरुस्ती

आलू वो आहार है जो आप अपने बच्चे को ठोस आहार शुरू करते है पहले दिन से खिलाना शुरू कर सकती हैं। इसमें स्टार्च प्रचुर मात्र में होता है। सरल भाषा में स्टार्च को आप कार्बोहायड्रेट कह सक्यती हैं। इससे शिशु को उर्जा मिलता है। 

बच्चे बहुत चंचल होते हैं। दौड़ना, भागना और खेल कूद के लिए बच्चे को ढेरों उर्जा की आवश्यकता पड़ती है। ये उर्जा शिशु को कार्बोहायड्रेट से ही मिलती है। 

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कार्बोहायड्रेट के साथ-साथ आलू में अच्छी मात्र में विटामिन C और B6 और अनेक प्रकार के मिनिरेल्स जैसे की फॉस्फोरस, मैनगनिस होता है। 

आलू से शिशु आहार बनाना बहुत आसन है। आप जो भी आहार शिशु के लिए बना रही हैं, जैसे की खिचड़ी, दाल या सब्जी, आप उसमे आलू छील के डाल सकती हैं। 

आप चाहें तो अपने शिशु को आलू उबल कर के उसका चोखा बना के भी शिशु को दे सकती हैं। इसमें आप स्वाद के लिए देशी घी के कुछ बूंद भी मिला सकती हैं। 

आलू बच्चों को बहुत आसानी से पच जाता है। इससे बच्चों को अलेर्जी होने की भी बहुत कम सम्भावना है।

यह बच्चों का पसंदीदा आहार में से एक है। बच्चे आलू को बहुत पसंद से खाते हैं। 

7. शक्करकंद (Sweet Potatoes)

आलू की ही तरह शक्करकंद को भी आप शिशु को ठोस आहार शुरू करते ही दे सकती हैं। यह बहुत ही पोषक आहार है और बच्चों को आसानी से पच जाता है। आप इसे उबल कर और आलू की तरह मैश कर के बच्चे को खिला सकती हैं। 

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शक्करकंद (Sweet Potatoes) पोषक तत्वों का भंडार है। इससे बच्चे को विटामिन A (जिसे beta carotene भी कहते हैं), विटामिन C, कॉपर, मनगनिस, पोटैशियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस और विटामिन B6 मिलता है। इसके आलावा बच्चे को dietary fiber भी मिलता है। 

8. दाल बनाये मास पेशियाँ (muscles)

दाल (pulses) में बहुत कैलोरी होती है, जिस वजह से यह बच्चे का वजन बढ़ाने में बहुत सहायक है। अगर आप का बच्चा छेह महीने से बड़ा हो गया है तो आप अपने बच्चे को मूंग दाल का soup बना के दे सकती हैं। आप चाहें तो बच्चे को डाल का पानी भी दे सकती हैं। 

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मूंग का दाल और उरद का दाल बच्चों को बहुत आसानी से पच जाता है। इसमें पोषक तत्त्व बहुत होते हैं, साथ ही इससे शिशु को प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम और पोटैशियम भी मिलता है। दाल में वासा की मात्र बहुत कम होती है और फाइबर बहुत होता है। 

दाल बच्चों को बहुत तरीके से दिया जा सकता है। आप बच्चों को दाल की खिचड़ी, दाल का soup, या दाल का हलवा बना के दे सकती हैं। शिशु आहार तयार करने के लिए आप निचे दिए दाल की कुछ recipes देख सकती हैं:

  1. मसूर दाल की खिचड़ी बनाने की विधि - शिशु आहार 
  2. पौष्टिक दाल और सब्जी वाली बच्चों की खिचड़ी 
  3. पांच दालों से बनी सेहत से भरपूर खिचड़ी

9. अवोकाड़ो (Avocado) स्वस्थ वासा से युक्त

अवोकेडो में दो चीज़ भरपूर मात्र में है - स्वस्थ वासा और फाइबर। इसके साथ यह बच्चे महत्वपूर्ण (essential) मिनरल्स और विटामिन्स भी प्रदान करता है। आप शिशु को छेह महीने होते ही अवोकेडो दे सकती हैं। 

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अवोकेडो को कई तरह से बच्चों को दिया जा सकता है। शुरुआत में आप अवोकेडो को पीस के (puree) या आलू के चोखे की तरह मैश कर के खिला सकती हैं। 

इसके आलावा आप अगर आप बच्चों के लिए shakes, smoothies या desserts बना रही हैं, तो आप उसमे अवोकेडो मिला सकती हैं ठीक उसी तरह जिस तरह से ice-cream मिलाया जाता है। 

10. खिचड़ी तो बढ़ाये शिशु का वजन

शिशु में ठोस आहार शुरू करते वक्त खिचड़ी उन आहारों में से एक है जो शिशु को सबसे पहले दिया जाता है। ऐसा इसलिए क्यूंकि छेह महीने के बच्चे का पाचन तंत्र पूरी तरह से विकसित नहीं होता है। लेकिन खिचड़ी इतना सरल है की इसे पचाने के लिए शिशु के पाचन तंत्र पे कोई बल नहीं पड़ता है। यह छेह महीने के शिशु में भी आसानी से पच जाता है। 

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खिचड़ी में चावल और दाल के साथ साथ आधा चम्मच गाए का शुद्ध देशी घी भी डाल देने से शिशु-आहार का ना केवल जायेका बढ़ता है बल्कि यह एक ऐसा आहार में तब्दील हो जाता है जो शिशु के वजन को बहुत ही कम समय में बढ़ाने की छमता रखता है।

सबसे अच्छी बात ये है की इस आहार को शिशु बहुत चाव से खाते हैं। 

11. अंडा है प्रोटीन से भरा

अंडे में प्रोटीन बहुत घनिष्ट मात्र में होता है। क्या आप को पता है की आप की मास-पेशियाँ प्रोटीन की बनी हैं। जिस तरह से घर को बनाने के लिए ईटों की जरुरत पड़ती है, उसी तरह से शारीर को मास-पेशियौं को बनाने के लिए प्रोटीन की आवश्यकता होती है। 

जब शारीर को अंडे से उच्च गुणवता वाला प्रोटीन मिलता है तो मास-पेशियौं का विकास बहुत तेज़ गति से होने लगता है। यही कारण है की जो लूग वजन बढ़ने के लिए GYM जाते हैं, वे कई अंडे भी हर दिन खाते हैं। 

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जब बच्चे एक साल से बड़े हो जाएँ तब उन्हें हर दिन एक अंडा खिलने से उनके वजन में बढौतरी होती है। 

शिशु के शारीरिक विकास के लिए अंडे के और भी बहुत से फायेदे है। अंडा choline का बहुत ही अच्छा स्रोत है। यह choline शिशु के तंत्रिका तंत्र और दिमागी नियंत्रण मैं बहुत सहायक है। 

कुछ बच्चों में अंडे से अलेर्जी हो सकता है। शिशु को पहली बार अंडा देते समय तीन दिवसीय नियम का पालन अवश्य करें। अगर अंडा देने से शिशु में अलेर्जी के कोई भी लक्षण दिखे तो तुरंत डाक्टर से संपर्क करें। 

यह भी पढ़ें:

  1. 6 Month के शिशु को कितना अंडा देना चाहिए
  2. बच्चों में अण्डे से एलर्जी की सम्भावना कितनी होती है 
  3. शिशु में अंडे की एलर्जी की पहचान किस तरह करें 

12. बटर - मक्खन

बटर या मक्खन शिशु के शारीरिक विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। शिशु के दिमागी विकास के लिए तो स्वस्थ-वासा तो सबसे जरुरी है। 

मक्खन वासा का सबसे घनिष्ट स्रोत है। सच बात तो ये है की मक्खन शिशु को वो सारे प्रकार के वासा को प्रदान करता है जो उसके तेज़ शारीरिक वृद्धि के लिए आवश्यक है। जैसे की cholesterol, Vitamin A और essential fatty acids - जी हाँ, - कोलेस्ट्रॉल भी शिशु के विकास के लिए बहुत जरुरी है। 

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एक उम्र के बाद कोलेस्ट्रॉल हानिकारक हो सकता है, लेकिन बच्चों के विकास के लिए तो ये बहुत जरुरी है।

बस एक बात का शयन रहे की शिशु को जरुरत से ज्यादा मक्कन ना मिले। शिशु का स्वस्थ विकास महत्वपूर्ण है, लेकिन अत्याधिक मोटा होना भी ठीक नहीं है। यूँ कहें की मोटा होना अनेक बिमारियौं की जड़ है। 

बस एक चाय की चमच भर मक्खन हर दिन शिशु के विकास के लिए बहुत है। आप अपने शिशु को मक्खन उसके आहार में जैसे की खिचड़ी, दाल, सूजी का हलुआ, या सूप में मिला के खिला सकती हैं। 

13. पूरा गेहूं - Whole Wheat

पूरा गेहूं यानी की बिना चलनी से छाना हुआ गेहूं। इस गेहूं में (Whole Wheat) में चोकर होता है जो की पोषक तत्वों से भरपूर होता है और जिसमे फाइबर भी प्रचुर मात्रा में होता है। 

अगर हम पुरे गेहूं (Whole Wheat) में पोषक तत्वों के बारे में बात करें तो इसमें फाइबर के साथ-साथ प्रोटीन, एंटीऑक्सीडेंट, जिंक, आयरन, और मैग्नीशियम होता है। ये सभी तत्त्व ऐसे हैं जो शरीर को जरुरत पड़ता है शिशु का वजन बढ़ने के लिए। 

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गेहूं से शिशु का वजन तो तुरंत नहीं बढ़ेगा लेकिन यह एक बहुत ही स्वस्थ तरीका है शिशु का वजन बढ़ाने के लिए। 

शिशु जब दस महीने (10 months) का हो जाये तभी उसे गेहूं से बने आहार दें। ऐसा इस लिए क्योँकि कुछ बच्चों में गेहूं के प्रति अलेर्जी होने की सम्भावना रहती जो बढ़ते उम्र के साथ कम होती जाती है। 

शिशु को गेहूं से बने आहार देते समय आहार के तीन दिवसीय नियम का पालन अवश्य करें। गेहूं से बने आहार देने के बाद अगर आप को शिशु में कोई भी एलेर्जी के लक्षण दिखे तो तुरंत बिना समय गवाएं डॉक्टर की राय लें। 

14. फलों का जूस

अक्सर आप ने पढ़ा होगा विशेषज्ञ इस बात पे जोर देते हैं की फलों के रस की बजाये, उनका smoothie बना के पीना चाहिए। इससे मोटापा कम होता है। 

लेकिन जब बच्चे का वजन बढ़ाना हो तो फलों जूस एक बहुत अच्छा विकल्प भी है। फलों के जूस में कैलोरी की कोई कमी नहीं होती है। इसमें पोषक तत्त्व भी भरपूर होते हैं जैसे की विटामिन्स, मिनरल्स और फाइबर। 

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यह उन माँ-बाप के लिए बहुत ही बढ़िया विकल्प है जिनके बच्चे फलों को खाना पसंद नहीं करते हैं। 

आप बच्चों के लिए घर पे ही फलों का जूस बना सकती हैं। फलों का जूस बनाने के लिए आप संतरे, आनर, अन्नानास का भी इस्तेमाल कर सकती हैं। आप इन सबके अलग अलग जूस बना के अपने बच्चे को पीला सकती है या सबको मिला के भी जूस बना के बच्चे को पीला सकती हैं। 

बच्चों के लिए जूस बनाते वक्त आप को अलग से उसमे चीनी डालने की कोई जरुरत नहीं है। आप जूस का स्वाद नियंत्रित करने के लिए फलों के अनुपात में बदलाव कर सकती हैं जैसे की संतरे और आनर का मिश्रण। 

15. मछली पोषक तत्वों की रानी है

मछली सही मायने में पोषक तत्वों की रानी है क्योँकि मछली बच्चे को कुछ ऐसे पोषक तत्त्व प्रदान करती है जो उसे किसी दुसरे स्रोत से नहीं मिल पायेगा। उदहारण के लिए शिशु को मछली से विटामिन D मिलता है जो उसे jaundice (पीलिया)

से बचता है। मछली से शिशु को omega-3 fatty acids भी मिलता है। यह शिशु के दिमाग के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। 

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मछली एक मात्रा आहार है जिससे शिशु को विटामिन D और omega-3 fatty acids मिलता है। 

मगर,

एक बात का ध्यान रहे। मछली खरीदते वक्त ऐसी मछली खरीदें जिस में mercury (पारा) की मात्रा कम हो।

एक और महत्वपूर्ण बात। कुछ बच्चों को मछली से एलेर्जी होने की सम्भावना रहती है। इसलिए बच्चे को पहली बार मछली खिलते वक्त आहार के तीन दिवसीय नियम का पालन करें। शिशु को मछली खिलने के बाद अगर शिशु में कोई एलेर्जी के लक्षण दिखे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। 

यह भी पढ़ें: मछली और गाजर की प्यूरी बनाने की विधि - शिशु आहार

16. गाए का दूध दे शक्ति 

एक साल से बड़े बच्चों को गाए का दूध दिया जा सकता है। गाए का दूध बच्चों का वजन चमत्कारी रूप से बढ़ाने की छमता रखता है। तभी तो 20 किलो का बछड़ा, छह महीने में 100 किलो का हो जाता है। 

इससे बच्चे को वो सबकुछ मिलता है जो वजन बढ़ाने के लिए जरुरी है। जैसे की कैल्शियम हड्डियोँ के विकास के लिए, प्रोटीन मास पेशियोँ के विकास के लिए, कुछ महत्वपूर्ण विटामिन्स और मिनरल्स शिशु के all round  डेवलपमेंट के लिए। 

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एक साल से बड़े बच्चों को हर दिन कम से कम दो गिलास दूध देना चाहिए। 

अगर आप के बच्चे को सादा दूध पसंद नहीं है तो आप उसे कई तरीकों से परोस सकती हैं। उदहारण के लिए आप बच्चे को दूध का शेक बना के दे सकती हैं, जैसे की चॉकलेट शेक, फ्रूट शेक इत्यादि। 

यह भी पढ़ें:

  1. बच्चों को दूध पीने के फायदे
  2. शिशु में कैल्शियम के कम होने का लक्षण और उपचार

17. पनीर है बढ़िया 

पनीर इस लिए बढ़िया है क्योँकि इसमें गाए के दूध के सभी गुण विधमान है। जैसे की कैल्शियम, प्रोटीन, विटामिन A, विटामिन D, विटामिन B12 और फॉस्फोरस। 

जब शिशु आठ महीने (8 months) का हो जाये आप तभी से उसे पनीर दे सकती हैं। मगर दूध बच्चे को एक साल के बाद ही दें। 

यह एक बेहतरीन आहार विशेषकर उन बच्चों के लिए जिन्हे वजन बढ़ाने की आवश्यकता है। आप अपने बच्चे को पनीर छोटे-छोटे टुकड़े में काट के भी दे सकती हैं, Finger Food की तरह। इससे बच्चे के खाने के आदत का भी विकास होगा। 

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पनीर उन बच्चों को भी दिया जा सकता है जिन बच्चों को गाए के दूध से एलेर्जी है। लेकिन फिर भी बच्चे को पहली बार पनीर देते समय आहार के तीन दिवसीय नियम का पालन अवशय करें। पीर देने के बाद अगर शिशु में किसी भी एलेर्जी के लक्षण दिखे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। 

18. जैतून का तेल (Virgin Olive oil)

जैतून के तेल में सही अनुपात में good fatty acids पाया जाता है जो शिशु का वजन बढ़ाने के लिए जरुरी है। इसमें अत्याधिक मात्र में antioxidants और phytonutrients भी मिलता है। 

२ महीने के बच्चे का वजन कैसे बढ़ाएं - 2 maheene ke bachche ka vajan kaise badhaen

कोशिश करें की शिशु का आहार हमेशा जैतून का तेल (Virgin Olive oil) में ही पकाया जाये। यह तेल दुसरे वनस्पति तेलों से बेहतर है। 

जैतून का तेल (Virgin Olive oil) से शिशु की त्वचा गोरी और खूबसूरत बनेगी। 

19. सूखे मेवे (Dry Fruits)

सूखे मेवे जैसे की काजू, बादाम, अख्रोड़, चिरौंजी, पिस्ता से शिशु को स्वस्थ वासा का लाभ मिलता है। सूखे मेवे खाने से शिशु का वजन बहुत तेज़ी से बढ़ता है। 

Important Note: यहाँ दी गयी जानकारी की सटीकता, समयबद्धता और वास्‍तविकता सुनिश्‍चित करने का हर सम्‍भव प्रयास किया गया है । यहाँ सभी सामग्री केवल पाठकों की जानकारी और ज्ञानवर्धन के लिए दी गई है। हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि यहाँ दिए गए किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्‍सक से अवश्‍य संपर्क करें। आपका चिकित्‍सक आपकी सेहत के बारे में बेहतर जानता है और उसकी सलाह का कोई विकल्‍प नहीं है। अगर यहाँ दिए गए किसी उपाय के इस्तेमाल से आपको कोई स्वास्थ्य हानि या किसी भी प्रकार का नुकसान होता है तो kidhealthcenter.com की कोई भी नैतिक जिम्मेदारी नहीं बनती है।

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2 मंथ बेबी का वेट कैसे बढ़ाए?

बच्‍चे के पतलेपन से परेशान न हों, ये चीजें खिलाकर बढ़ाएं उसका वजन.
​केला पोटैशियम, विटामिन सी, विटामिनी बी6 और कार्बोहाइड्रेट से भरपूर होता है केला। ... .
​शकरकंद शकरकंद को उबालने के बाद मैश कर के बच्‍चे को खिलाएं। ... .
​दालें दालों में प्रोटीन, मैग्‍नीशियम, कैल्शियम, आयरन, फाइबर और पोटैशियम होता है। ... .
​घी और रागी ... .
​अंडा और एवोकाडो.

2 महीने के बच्चे में कितना वेट होना चाहिए?

2 महीने के बच्चे का वजन और हाइट कितनी होनी चाहिए? दूसरे महीने में बेबी गर्ल का सामान्य वजन 4.1 किलो से 5.6 किलो और लंबाई 57.15 सेंटीमीटर तक हो सकती है। वहीं, बेबी बॉय का सामान्य वजन 4.5 किलो से 6.1 किलो तक और लंबाई 58 सेंटीमीटर हो सकती है (1)।

2 से 3 महीने के बच्चे का वजन कितना होना चाहिए?

तीसरे महीने में बेबी गर्ल का सामान्य वजन 4.7 किलो से 6.3 किलो और लंबाई 59.8 सेंटीमीटर तक हो सकती है। वहीं, बेबी बॉय का सामान्य वजन 5.1 किलो से 6.9 किलो तक और लंबाई 61.4 सेंटीमीटर हो सकती है (1)।

2 महीने के बच्चे क्या क्या कर सकते हैं?

दिन में कम से कम 3 से 4 बार आपको बच्चे को दूध पिलाने की जरूरत होती है। अब रात के समय भी आपका बच्चा ज्यादा देर तक चैन से सो पाएगा। ऐसे में रात के समय बच्चे को 4 से 6 घंटे के बीच दूध पिलाने की जरूरत पड़ती है। हालांकि हर बच्चा एक दूसरे से अलग होता है और हो सकता है कि आपके बच्चे को रात में ज्यादा दूध की जरूरत हो।