लाल कनेर के फूल का भाव स्पष्ट करें - laal kaner ke phool ka bhaav spasht karen

वास्तु शास्त्र में कनेर के पौधे को बहुत शुभ माना जाता है। इस पौधे को उचित नक्षत्र और वार को घर के आंगन में लगाना चाहिए। उचित दिशा में लगाने से घर में धन समृद्धि बनी रहती है और आमदानी बढ़ती जाती है। आओ जानते हैं इस पौधे के बारे में 10 खास बातें।

1. कनेर की तीन तरह की प्रजातियां होती है। एक सपेद कनेर, दूसरी लाल कनेर और तीसरी पीले कनेर।

2. कनेर के पौधे को देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। देवी लक्ष्मी को सफेद कनेर के फूल चढ़ाए जाते हैं। सफेद फूलों वाले कनेर का पेड़ मां लक्ष्मी को प्रिय है।

3. कनेर के पीले रंग के फूल भगवान विष्णु को प्रिय होते हैं। पीले फूलों वाले कनेर के पेड़ पर साक्षात विष्णु भगवान बसते हैं।

4. वास्तु शास्त्र के अनुसार कनेर का पौधा सकारात्मक ऊर्जा का निर्माण करके शुभकर्ता माना गया है।

5. कहते हैं कि जिस तरह कनेर का पेड़ पूरे साल फूलों से भरा रहता है उसी प्रकार इसे घर में लगाए जाने से पूरे साल घर में धन का आगमन रहता है।

6. कनेर का पौधा मन को शांत रखता है और वातावरण में सकारात्मकता लाता है।

7. सफेद कनेर के फूलों को मां लक्ष्मीजी की पूजा में रखा जाए तो माता प्रसन्न होकर जातक के घर ठहर जाती है।

8. कनेर के पीले फूलों से भगवान श्रीहरि की पूजा करने पर पारिवारिक खुशहाली आती है, धन संपत्ति बढ़ती है और मांगलिक काम में रुकावटें नहीं आती है।

9. कनेर की पत्तियां, फूल और छाल के कई औषधीय गुण होते हैं। इसके प्रयोग से घाव भरे जाते हैं, सिरदर्द, दंतपीड़ा और फोड़े-फुंसियों में भी यह बहुत फायदेमंद है।

10. कनेर का पौधा गार्डन की सुंदरता बढ़ाने के लिए भी लगाया जाता है। ध्‍यान रखें कि इस पौधे को कभी घर में नहीं लगाया जाता है।

लाल कनेर के फूल का भाव स्पष्ट करें - laal kaner ke phool ka bhaav spasht karen

घाव

कनेर के सूखे हुए पत्तों का चूर्ण बनाकर घाव पर लगाने से घाव जल्द भर जाते हैं।

फोड़े-फुंसियां

कनेर के लाल फूलों को पीसकर लेप बना लें और यह लेप फोड़े-फुंसियों पर दिन में 2 से 3 बार लगाएं। इससे फोड़े-फुंसियां जल्दी ठीक हो जाते हैं।

दाद

- कनेर की जड़ को सिरके में पीसकर दाद पर 2 से 3 बार नियमित लगाने से दाद रोग ठीक होता है।

- कनेर के पत्ते, आंवला का रस, गंधक, सरसों का तेल और मिट्टी के तेल को मिलाकर मलहम बना लें। इस मलहम को दाद पर लगाने से दाद खत्म होता है।

- लाल या सफेद फूलों वाली कनेर की जड़ को गाय के पेशाब में घिसकर लगाने से दाद ठीक होता है। इसका लेप बवासीर व कुष्ठ रोग को ठीक करने के लिए भी किया जाता है।

बालों के झड़ने की समस्या दूर करें

आज कई लोग बालों के झड़ने की समस्या से परेशान हैं| अगर आप भी इस समस्या से परेशान हैं| तो इस फूल से आप अपने बालों का झड़ना रोक सकते हैं| सबसे पहले आप इस फूल को पानी में उबाल लें उसके बाद उस पानी को छानकर ठंडा कर ले फिर उस पानी से बालों को धोएं| इस उपाय को सप्ताह में 3 दिन करने से आपके बालों का झड़ना धीरे-धीरे बंद हो जाएगा|

चेहरे के लिए फायदेमंद

कनेर के फूल को पीसकर इसका लेप चेहरे पर लगाने से चेहरे के दाग धब्बे और पिंपल्स जल्द ही दूर हो जाते हैं|

सांप, बिच्छू का जहर

सफेद कनेर की जड़ को घिसकर डंक पर लेप करने या इसके पत्तों का रस पिलाने से सांप या बिच्छू का जहर उतर जाता है।

लाल कनेर के फूल का भाव स्पष्ट करें - laal kaner ke phool ka bhaav spasht karen

हृदय शूल

कनेर के पौधे की जड़ की छाल की 100 से 200 मिलीग्राम की मात्रा को भोजन के बाद खाने से हृदय की वेदना कम हो जाती है |

बवासीर

- कनेर और नीम के पत्ते को एक साथ पीसकर लेप बना लें। इस लेप को बवासीर के मस्सों पर प्रतिदिन 2 से 3 बार लगाएं। इससे बवासीर के मस्से सूखकर झड़ जाते हैं।

- कनेर की जड़ को ठंडे पानी के साथ पीसकर दस्त के समय जो अर्श (बवासीर) बाहर निकल आते हैं उन पर लगाएं। इससे बवासीर रोग ठीक होता है।

नंपुसकता

- सफेद कनेर की 10 ग्राम जड़ को पीसकर 20 ग्राम वनस्पति घी के साथ पका लें। इस तैयार मलहम को ***** पर सुबह-शाम लगाने से नुपंसकता दूर होती है।

- सफेद कनेर की जड़ की छाल को बारीक पीसकर भटकटैया के रस के साथ पीसकर लेप बना लें। इस लेप को 21 दिनों के अंतर पर ***** की सुपारी छोड़कर बांकी ***** पर लेप करने से नपुंसकता खत्म होती है।

जोड़ों का दर्द

लाल कनेर के पत्तों को पीसकर तेल में मिलाकर लेप बना लें और इस लेप को जोड़ों पर लगाएं। इसे लेप को सुबह-शाम जोड़ों पर लगाने से दर्द में आराम मिलता है।

धातुरोग

सफेद कनेर के पत्तों का काढ़ा बनाकर पीने से धातुरोग एवं गर्मी से होने वाले रोग आदि ठीक होता है।

अंडकोष की खुजली

सफेद या लाल फूल वाली कनेर की जड़ को तेल में पका लें और इस तेल को अंडकोष की खुजली पर लगाएं। इससे अंडकोष की खुजली दूर होती है और फोडे़-फुंसी भी मिट जाते हैं।

अंडकोष की सूजन

सफेद कनेर के पत्ते को कांजी के साथ पीसकर हल्का गर्म करके अंडकोष पर बांधे। इससे अंडकोष की सूजन दूर होती है।

दांतों का दर्द

सफेद कनेर की डाल से प्रतिदिन 2 बार दातून करने से दांत का दर्द ठीक होता है और दांत मजबूत होते हैं।

अफीम की आदत

अफीम की आदत छुड़ाने के लिए 100 मिलीग्राम कनेर की जड़ को बारीक पीसकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण 2 चम्मच की मात्रा में दूध के साथ कुछ हफ्ते तक नियमित सेवन कराने से अफीम की आदत छूट जाती है।

कुत्ता काट लेने पर

सफेद कनेर की जड़ की छाल का बारीक चूर्ण बनाकर 60 मिलीग्राम की मात्रा में 4 चम्मच दूध में मिलाकर दिन में 2 बार एक हफ्ते तक रोगी को पिलाएं। इससे कुत्ते का जहर उतर जाता है।

दर्द व सूजन

- शरीर का कोई भी अंग सूजन जाने पर लाल या सफेद फूल वाले कनेर के पत्तों का काढ़ा बनाकर मालिश करें। इससे सूजन में जल्दी आराम मिलता है।

- सूजन और दर्द को दूर करने के लिए लाल या सफेद फूल वाले कनेर की जड़ को गाय के मूत्र में पीसकर लगाएं। इससे सूजन व दर्द ठीक होता है।

सिफिलिस

- लाल फूल वाले कनेर की जड़ को पानी में घिसकर रोगग्रस्त स्थान पर लगाने से लाभ होता है। इसके पत्तों का काढ़ा बनाकर घाव को धोना भी लाभकारी होता है।

- सफेद कनेर की जड़ को पानी में पीसकर उपदंश पर लगाने से घाव, सूजन, जलन व दर्द ठीक होता है।

सफेद दाग

- 200 ग्राम कनेर के पत्ते को एक बाल्टी पानी में उबाल लें और इस उबले पानी से नहाएं। इससे कुष्ठ (कोढ़) के जख्म समाप्त होते हैं।

- सफेद या लाल फूल वाले कनेर की जड़ को पीसकर गाय के पेशाब में मिलाकर कुष्ठ (कोढ़) पर लगाने से आराम मिलता है।

- सफेद कनेर के 100 ग्राम पत्ते को 2 लीटर पानी में उबालें। जब यह उबलते-उबलते 1 लीटर बचा रह जाए तो इसे छानकर एक बाल्टी पानी में मिलाकर नहाएं। प्रतिदिन इस तरह पानी तैयार करके कुछ महीनों तक नहाने से कुष्ठ रोग ठीक होता है।

- कनेर की जड़ की छाल का रस निकालकर रोगग्रस्त स्थान पर लगाने से कोढ़ और अन्य त्वचा रोग समाप्त होते हैं।

- कनेर की जड़ की छाल को पानी के साथ घिसकर कुष्ठ (कोढ़) के दाग पर लगाने से दाग नष्ट होते हैं।

लाल कनेर क्या होता है?

कनेर (द्विपद नामपद्धति: Nerium oleander या Nerium indicum, अंग्रेज़ी नाम: Oleander, संस्कृत: करवीर पुष्पं) का फूल बहुत ही मशहूर है। कनेर के पेड़ की ऊंचाई लगभग 10 से 11 हाथ से ज्यादा बड़े नहीं होते हैं। पत्ते लम्बाई में 4 से 6 इंच और चौडाई में 1 इंच, सिरे से नोकदार, नीचे से खुरदरे, सफेद घाटीदार और ऊपर से चिकने होते है।

धन देने वाला पौधा कौन सा है?

माना जाता है कि बेल का पौधा लगाने से लक्ष्‍मी मां प्रसन्‍न होती हैं और व्‍यक्ति को इस जन्‍म में ही नहीं बल्कि अगले जन्‍म में भी धन-धान्‍य की प्राप्ति होती है। बेल का पेड़ लगाने वाला कई जन्मों तक अपने पुण्य का फल प्राप्त करता है।

कनेर के फूल से क्या क्या होता है?

- लाल या सफेद फूलों वाली कनेर की जड़ को गाय के पेशाब में घिसकर लगाने से दाद ठीक होता है। इसका लेप बवासीर व कुष्ठ रोग को ठीक करने के लिए भी किया जाता है। सफेद कनेर की जड़ को घिसकर डंक पर लेप करने या इसके पत्तों का रस पिलाने से सांप या बिच्छू का जहर उतर जाता है। - कनेर और नीम के पत्ते को एक साथ पीसकर लेप बना लें।

कनेर का फूल कौन से भगवान को चढ़ता है?

कनेर का फूल मां लक्ष्मी के साथ- साथ भगवान विष्णु को भी हैं प्रिय