लेखक ने फ़ादर बुल्के को 'मानवीय करुणा की दिव्य चमक' क्यों कहा है? Show फ़ादर बुल्के मानवीय करुणा की प्रतिमूर्ति थे। उनके मन में सभी के लिए प्रेम भरा था जो कि उनके चेहरे पर स्पष्ट दिखाई देता था। विपत्ति की घड़ी में वे सांत्वना के दो बोल द्वारा किसी भी मनुष्य का धीरज बाँधते थे। स्वयं लेखक की पत्नि तथा पुत्र की मृत्यु पर फ़ादर बुल्के ने उन्हें सांत्वना दी थी। किसी भी मानव का दु:ख उनसे देखा नहीं जाता था। उसके कष्ट दूर करने के लिए वे यथाशक्ति प्रयास करते थे। Concept: गद्य (Prose) (Class 10 A) Is there an error in this question or solution? लेखक ने ऐसा क्यों कहा हैं कक फ़ादर कालमल बुल्के मन से सींन्यासी नह ीं थे?इसलिए लेखक ने फादर बुल्के को 'मानवीय करुणा की दिव्य चमक' कहा है। फादर की उपस्थिति देवदार की छाया जैसी क्यों लगती थी? देवदार एक विशाल और छायादार वृक्ष होता है, जो अपनी सघन और शीतल छाया से श्रांत-पथिक एवं अपने आस-पड़ोस को शीतलता प्रदान करता है। ठीक ऐसे ही व्यक्तित्व वाले थे- फ़ादर कामिल बुल्क़े।
लेखक ने फादर बुल्के को मानवीय करुणा की चमक क्यों कहा है?प्रश्न 5: लेखक ने फादर बुल्के को 'मानवीय करुणा की दिव्य चमक' क्यों कहा है? उत्तर: फादर बुल्के के मन में अपने प्रियजनों के लिए असीम ममता और अपनत्व था। इसलिए लेखक ने फादर बुल्के को 'मानवीय करुणा की दिव्य चमक' कहा है।
लेखक को फ़ादर संकल्प के सन्यासी क्यों लगते थे?फादर संकल्प से सन्यासी थे, मन से नहीं। इस पंक्ति के माध्यम से लेखक यह कहना चाहता है कि फादर बुल्के भारतीय सन्यासी प्रवृत्ति खरे नही उतरते थे। उन्होंने परंपरागत सन्यासी प्रवृत्ति से अलग एक नई परंपरा को स्थापित किया था। वह सन्यासियों जैसा प्रदर्शन नहीं करते थे, लेकिन अपने कर्मों से वह सन्यासी ही थे।
लेखक ने फ़ादर के लिए किन किन विशेषणों का प्रयोग किया है और क्यों?(2) लेखक ने फादर के लिए छायादार फल-फूल गंध से भरा और सबसे अलग, सबका होकर, सबसे ऊँचाई पर, मानवीय करुणा की दिव्य चमक जैसे विशेषणों का प्रयोग किया है। इन विशेषणों को प्रयोग करने के पीछे फादर के स्वभाव की विभिन्न विशेषताएँ जैसे सभी के प्रति फादर का वात्सल्य भाव, प्रेम, करुणा, आत्मीयता आदि हैं।
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