नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
क्षीण चांदनी में वृक्षों की छाया के नीचे वह बस बड़ी दयनीय लग रही थी। लगता जैसे कोई मग थककर बैठ गई हो। हमें ग्लानि हो रही थी कि बेचारी पर लदकर हम चले आ रहे हैं। अगर इसका प्राणांत हो गया तो इस बियाबान में हमें इसकी अंत्येष्टि करनी पड़ेगी।
लेखक को बस दयनीय क्यों लगी?
- उसके मालिक उस पर तरस न खाते थे।
- उसकी हालत इतनी खराब थी कि वह आगे का सफर तय करने के काबिल न थी।
- वह थककर चूर हो गई थी।
- वह थककर चूर हो गई थी।
B.
उसकी हालत इतनी खराब थी कि वह आगे का सफर तय करने के काबिल न थी।
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‘बस की यात्रा’ कैसा लेख है?
- विचारात्मक
- आत्मकथा
- व्यंग्यात्मक
- व्यंग्यात्मक
249 Views
लेखक ने ऐसा क्यों कहा कि गांधी जी के असहयोग व सविनय अवज्ञा आंदोलन के समय यह जवान रही होगी?
- बस में लोग विरोध कर रहे थे।
- बस के पुर्जे धीरे-धीरे एक साथ मिलकर काम करने लगे।
- बस ड़ाइवर ने बस चलाने से इंकार कर दिया।
- बस ड़ाइवर ने बस चलाने से इंकार कर दिया।
B.
बस के पुर्जे धीरे-धीरे एक साथ मिलकर काम करने लगे।
680 Views
लेखक व उसके मित्र कहां गए थे?
- सतना
- पन्ना
- जबलपुर
- जबलपुर
169 Views
बस की दशा किसकी भाँति लग रही थी?
- एक टूटी इमारत की भाँति
- एक वयोवृद्धा की भाँति
- एक बूढ़े पेड़ की तरह
- एक बूढ़े पेड़ की तरह
156 Views
लेखक के मन में बस के हिस्सेदार साहब के लिए श्रद्धा के भाव क्यों आए?
- क्योकि वह लोगों का हित चाहता था।
- क्योंकि वह केवल अपने लाभ हेतु बस चला रहा था। लोगों की जान की परवाह उसे नहीं थी।
- क्योंकि वह जानता नहीं था कि बस खराब है।
- क्योंकि वह जानता नहीं था कि बस खराब है।
B.
क्योंकि वह केवल अपने लाभ हेतु बस चला रहा था। लोगों की जान की परवाह उसे नहीं थी।
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नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
क्षीण चांदनी में वृक्षों की छाया के नीचे वह बस बड़ी दयनीय लग रही थी। लगता जैसे कोई मग थककर बैठ गई हो। हमें ग्लानि हो रही थी कि बेचारी पर लदकर हम चले आ रहे हैं। अगर इसका प्राणांत हो गया तो इस बियाबान में हमें इसकी अंत्येष्टि करनी पड़ेगी।
लेखक व उसके मित्र ग्लानि क्यों महसूस कर रहे थे?
- उनका ड्राइवर से झगड़ा हो गया था।
- उन्हें ऐसा लग रहा था कि बस एक वृद्धा है और हम उसमें बैठकर उसे सता रहे हैं।
- उनका बस के हिस्सेदार से झगड़ा हो गया था।
- उनका बस के हिस्सेदार से झगड़ा हो गया था।
B.
उन्हें ऐसा लग रहा था कि बस एक वृद्धा है और हम उसमें बैठकर उसे सता रहे हैं।
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बस की दशा किसकी भाँति लग रही थी?
- एक टूटी इमारत की भाँति
- एक वयोवृद्धा की भाँति
- एक बूढ़े पेड़ की तरह
- एक बूढ़े पेड़ की तरह
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लेखक ने ऐसा क्यों कहा कि गांधी जी के असहयोग व सविनय अवज्ञा आंदोलन के समय यह जवान रही होगी?
- बस में लोग विरोध कर रहे थे।
- बस के पुर्जे धीरे-धीरे एक साथ मिलकर काम करने लगे।
- बस ड़ाइवर ने बस चलाने से इंकार कर दिया।
- बस ड़ाइवर ने बस चलाने से इंकार कर दिया।
B.
बस के पुर्जे धीरे-धीरे एक साथ मिलकर काम करने लगे।
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‘बस की यात्रा’ कैसा लेख है?
- विचारात्मक
- आत्मकथा
- व्यंग्यात्मक
- व्यंग्यात्मक
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लेखक के मन में बस के हिस्सेदार साहब के लिए श्रद्धा के भाव क्यों आए?
- क्योकि वह लोगों का हित चाहता था।
- क्योंकि वह केवल अपने लाभ हेतु बस चला रहा था। लोगों की जान की परवाह उसे नहीं थी।
- क्योंकि वह जानता नहीं था कि बस खराब है।
- क्योंकि वह जानता नहीं था कि बस खराब है।
B.
क्योंकि वह केवल अपने लाभ हेतु बस चला रहा था। लोगों की जान की परवाह उसे नहीं थी।
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लेखक व उसके मित्र कहां गए थे?
- सतना
- पन्ना
- जबलपुर
- जबलपुर
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