आत्मविश्वास पाठ गद्य की कौन सी विधा है? - aatmavishvaas paath gady kee kaun see vidha hai?

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शब्दार्थ– आत्महीनता = मन की हीन भावना
कायरता = डरपोकपन
कुसंस्कार = बूूरे संस्कार
आत्मविश्वास = अपने आप पर भरोसा
शक्तिशाली = ताकतवर
दुश्मन = शत्रु
दुविधा = असमंजस
एकाग्रता = तल्लीनता
बाँट = विभाजन
क्षमता = योग्यता, सामर्थ्य
अखण्ड = जिसके टुकड़े ना हो सकें
उगा = उत्पन्न हुआ, पैदा हुआ
शंका = संशय, संदेश
अधैर्य = अधीरता
डायनामाइट = विस्फोटक पदार्थ
खंडित कर देते हैं = तोड़ देते हैं, विभाजित कर देते हैं
हतोत्साहियों = जिसका उत्साह समाप्त हो गया है
निराशावादियों = किसी भी आशा से रहित
मर्सिया = एक प्रकार का शोक - गीत
संपर्क से = संगीत से
कुल = वंश
निंदा = बुराई
मुँहतोड़ = प्रश्न करने वाले को ऐसा उत्तर देना जिससे उसकी बोलती बंद हो जाए
आत्मगौरव = अपने बड़प्पन
भावना = विचार
खंडित = समाप्त
भय = डर
दैव = भाग्य
विपरीत = खिलाफ, विरुद्ध
पीछे धकेल देते हैं = पिछड़ जाते हैं
मानसिक भाव = मन की इच्छा
अनुकूल = अनुसार
शंका = संशय या संदेश
निराशा = आशाहीनता
कुंजी = चाबी या उपाय
अविचलन = स्थिर, अखंडित
श्रद्धा = विश्वास
हमेशा = सदा
उतार = गिरावट
गाली =उपशब्द
द्वार = दरवाजा
ताकते रहते हैं = देखते रहते हैं।

कक्षा 8 हिन्दी के इन 👇 पाठों के बारे में भी जानें।
1. पाठ 1 वर दे! कविता का भावार्थ
2. पाठ 1 वर दे! अभ्यास (प्रश्नोत्तर एवं व्याकरण)
3. उपमा अलंकार एवं उसके अंग

बोध प्रश्न

प्रश्न 1. निम्नलिखित शब्दों के अर्थ शब्दकोश से खोजकर लिखिए-
उत्तर– दुर्भाग्य = बुरा भाग्य
आत्महीनता = मन की हीन भावना
एकाग्रता = तल्लीनता
क्षमता = योग्यता, सामर्थ्य
विश्वविख्यात = संसार में प्रसिद्ध
तल्लीनता = किसी काम में दत्तचित्त हो जाना
अभंग = अटूट, अखण्ड
गमता = आसानी
दुविधा = असमंजस
यथापूर्व =पहले की तरह
अविचल = स्थित, दृढ़
सूक्ति = अच्छा कथन, सुभाषित
अखण्ड = जिसके टुकड़े न हो सके, अटूट, समग्र रूप से
मर्सिया = शोक गति।

प्रश्न 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए?
(क)बाली को क्या वरदान प्राप्त था ?
उत्तर– बाली को ऐसा वरदान प्राप्त था कि जो भी उसके सामने आता, उसकी आधी ताकत उसमें आ जाती थी । इस कारण बाली अपने सामने आए हुए विरोधी को आसानी से पछाड़ देता था।
(ख) राम बाली के सामने आकर क्यों नहीं लड़े ?
उत्तर– बाली को अपने शत्रु (विरोधी) के आधे बल को खींच लेने का वरदान प्राप्त था। अतः राम उसके सामने आकर नहीं लड़े यह वरदान बाली को भगवान शंकर ने दिया था और राम भगवान शंकर के उस वरदान का सम्मान करना चाहते थे।
(ग) कृष्ण ने महाभारत में सर्वोत्तम काम क्या किया?
उत्तर– महाभारत में कृष्ण ने न्याय के साथ पांडव पक्ष का सहयोग करते हुए निर्वासित पांडवो को उनका अधिकार दिलवाया और उनमें आत्मविश्वास पैदा किया।

कक्षा 5 हिन्दी के इन 👇 पाठों को भी पढ़ें।
1. पाठ 1 'पुष्प की अभिलाषा' कविता का भावार्थ
2. पाठ 1 'पुष्प की अभिलाषा' अभ्यास (प्रश्नोत्तर एवं व्याकरण
3. पाठ 2 'बुद्धि का फल' कक्षा पाँचवी
4. पाठ 3 पं. ईश्वरचन्द्र विद्यासागर अभ्यास कार्य (प्रश्नोत्तर एवं व्याकरण

प्रश्न 3 निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार से लिखें लिखिए–
(क) सामने वाले की आधी ताकत अपने में खींच लेने की शक्ति हम सबमें है। कैसे ?
उत्तर– सामने वाले की आधी ताकत अपने में खींच लेने की शक्ति हम सब मे हैं। यह शक्ति आत्मविश्वास की है। यह शक्ति हम सबको प्राप्त है, परंतु हम सबको अपनी आत्मशक्ति की पहचान नहीं है और न उसका उपयोग किया है। इससे आत्मशक्ति का विकास विश्वास से होता है। हमें अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपने सामर्थ्य में विश्वास में पैदा करना होगा हम अपने विरोधियों से ज्यादा पिटते रहे हैं क्योंकि उनके द्वारा पीटे जाने को हमने अपने लिए अनिवार्य मान लिया है। यह सब इसलिए हुआ कि हमारे अंदर कायरता और आत्मीयता ने स्थान बना लिया है जिससे हम डरपोक हो गए हैं। अच्छे संस्कार हम से दूर हो गए हैं। बुरे संस्कारों का प्रभाव ऐसा पड़ा कि हम अपने बल की सही मापतौल नहीं कर सके। परिणाम यह हुआ कि विरोधियों को हमने अपनी अपेक्षा ताकतवर मान लिया परंतु आत्महीनता और कुछ संस्कारों से छुटकारा प्राप्त करें और आत्मविश्वास से भरे आत्मबल के द्वारा हम अपनी विरोधी कि आधी शक्ति अपने में खींच सकते हैं।

(ख) लेखक ने 'हेलन केलर' का उदाहरण देकर हमें क्या समझाना चाहा है ?
उत्तर– हेलन केलर एक प्रसिद्ध और उच्च कोटि की विचारक थी। उन्होंने अपनी एक सूक्ति में कहा था कि "हमें जब सफलता प्राप्त होती है तो उससे हमें सुख मिलता है, परंतु लक्ष्य प्राप्ति में विफल होना निश्चय ही सुख के द्वार के बंद होने के समान है।" हम उस सफलता के न मिलने पर निराश हो और हतोत्साहित हो उठते हैं परंतु उस निराशा की दशा में हम उत्साह से रहित हो जाते हैं। आत्मशक्ति और लक्ष्य प्राप्ति की सामर्थ्य से अपने विश्वास को खो बैठते हैं। जबकि होना यह चाहिए कि उद्देश्य प्राप्ति हेतु अपने अंदर की शक्ति को विकसित करें और उसके प्रति मजबूत श्रद्धा और विश्वास रखना चाहिए। एक बार विफल होने पर हतोत्साहित नहीं होना चाहिए। सफलता पाने तक अपना प्रयास चालू रखने चाहिए।

(ग) "आत्मविश्वास के बूते पर जीवन में सब कुछ करना संभव है" किसी एक महापुरुष का उदाहरण देते हुए उक्त कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर– आत्मविश्वास की ताकत कठिनाई पर विजय प्राप्त करने की सामर्थ देते हैं। आत्मबल के विकास से हम सफलता के मार्ग पर आगे ही आगे बढ़ते जाते हैं। अपने आत्मबल के द्वारा मनुष्य अवश्य की ही भग्यवान बन जाता है। अतः भग्यवान वही है जो उचित दिशा में अपने कर्तव्य का पालन करता है और अपने लक्ष्य की साधना में अपनी सामर्थ्य और क्षमता में पूरा विश्वास रखता है। मन में सदैव अच्छे शुभ विचारों को स्थान दीजिए। हमें सफलता और सौभाग्य दोनों ही प्राप्त होंगे। निराशा और उत्साहहीनता मनुष्य को आत्मबल की कमी से ही होती है। जीवन सुख-दुख के उतार-चढ़ाव से युक्त है। हम सदैव दुःख की बातें ही न सोचते रहे। इन दुःखों का क्या कारण है, जीवन में उतार क्यों आया, इस पर विचार करना होगा और उन्नति के उपाय करते हुए ऊँचे भाव से युक्त मन को मजबूती देते रहना चाहिए। अंत में सुख का द्वार अवश्य खुलेगा– जो जीवन की सफलता में छिपा हुआ है। विजयमाला उन्हें अर्पित की जाती है जो चुनौतियों का मुकाबला करते हैं और सफल होते हैं।
हमारे समक्ष नेताजी सुभाषचंद्र बोस का उदाहरण है, जिन्होंने अपने जीवन में सफल चुनौतियाँ को ही चुना और सफलताओं के शिखर पर पहुँचते रहे। उनमें अटूट आत्मविश्वास था। इसके बल पर उन्होंने अपने विरोधियों की प्रत्येक कुचल और कुचक्र को नष्ट किया। जीवन संघर्ष में सफलता के लिए अपनी क्षमता और सामर्थ्य में अखण्ड विश्वास होना चाहिए। इसके कारण जीवन में सब कुछ किया जाना संभव होता है।

इन प्रकरणों 👇 के बारे में भी जानें।
1. प्राथमिक शाला के विद्यार्थियों हेतु 'गाय' का निबंध लेखन
2. निबंध- मेरी पाठशाला

प्रश्न 4. निम्नलिखित वाक्यों का भाव स्पष्ट कीजिए –
(क) सफलता की, विजय की, उन्नति की कुंजी अविचल श्रद्धा ही है।
उत्तर– भावार्थ– हमारे अंदर उद्देश्य (लक्ष्य ) के प्रति अटूट विश्वास है तो निश्चित ही हम अपने उद्देश्य में सफल होते हैं किसी भी चुनौती पर विजय प्राप्त करते हैं तथा लगातार उन्नति प्राप्त करते जाते हैं अतः अटूट श्रद्धा (विश्वास) ही उपाय है– सफलता का, संघर्ष में विजय का; जीवन में उन्नति प्राप्त करने का।
(ख) हम अपनी सोच के कारण ही सफल, असफल होते हैं ।
उत्तर– भावार्थ– हम अपनी सोच के कारण ही सफलता के सुख का और असफलता के दुख का भोग करते हैं। सफलता की सोच आशावादी और आत्मफलता की सोच निराशावादी होती है। अपने उद्देश्य के प्रति अटूट श्रद्धा और विश्वास हमें सफल बनाता है जबकि इसके विपरीत हम हतोत्साहित होकर असफल होते हैं। यह सब हमारी सोच पर आश्रित है।
(ग) हममें आत्मविश्वास हो तो इससे हम विरोधी को आत्महीन कर सकते हैं।
उत्तर– भावार्थ– आत्मविश्वास होने से मनुष्य उत्साहपूर्वक अपने लक्ष्य में सफल होता है, जिसके द्वारा वह अपने दुश्मनों को आत्मबल से रहित बना देता है। साधनहीन पांडवों ने अपने आत्मबल से कौरवों को निराश और बलहीन कर दिया था।

भाषा अध्ययन

प्रश्न 1. निम्नलिखित शब्दों का शुद्ध उच्चारण कीजिए –
दुर्भाग्य, शक्तिशाली, आत्महीन, सर्वोत्तम, निश्चित, हतोत्साहित।
उत्तर – विद्यार्थीगण उपर्युक्त शब्दों को ठीक-ठीक सावधानी से पढ़कर उनका शुद्ध उच्चारण करें।

प्रश्न 2. 'जीवन में उतार भी है और चढ़ाव भी'– इस वाक्य में 'उतार' और 'चढ़ाव' परस्पर विलोम शब्द प्रयुक्त हुए हैं । इसी प्रकार एक ही वाक्य में निम्नलिखित शब्दों का प्रयोग कीजिए –
भला– बुरा
दाता– याचक
सपूत – कोपूत
निश्चित – अनिश्चित
भाग्यवान – भाग्यहीन
पाप – पुण्य
सुख – दुख।
उत्तर –(1) व्यक्ति को अपना भला-बुरा समझ कर किसी काम को करना चाहिए।
(2) ईश्वर और भक्तों की स्थिति दाता और याचक के समान होती है।
(3) सपूत और कपूत के लिए धन संचय करना व्यर्थ है।
(4) निश्चित और अनिश्चित की दशा मनुष्य में दुविधा पैदा करती है।
(5) मनुष्य अपनी सोच से स्वयं को भाग्यवान और भाग्यहीन समझ बैठा है।
(6) पाप – पुण्य की परिभाषा परिस्थितिगत होती है।
(7) सुख-दुख मन के विकल्प होते हैं।

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1. मित्र को पत्र कैसे लिखें?
2. परिचय का पत्र लेखन
3. पिता को पत्र कैसे लिखें?
4. माताजी को पत्र कैसे लिखें? पत्र का प्रारूप
5. प्रधानपाठक को छुट्टी के लिए आवेदन पत्र

प्रश्न 3. निम्नलिखित शब्दों के स्थान पर हिन्दी मानक शब्द लिखिए –
ताकत, विजिटिंग कार्ड, इशारा, मर्सिया।
उत्तर – ताकत =बल
विजिटिंग कार्ड = पहचान पत्र , वह कार्ड (पत्र) जिसमें स्वयं का परिचय रहता है
इशारा = संकेत
मर्सिया = शोक गति।

प्रश्न 4. निम्नलिखित शब्दों में प्रयुक्त प्रत्यय और उपसर्ग पहचान करके अलग–अलग कीजिए –
तल्लीन, दुर्भाग्य, शक्तिशाली, कायरता, एकाग्रता, खंडित, अभागा।
उत्तर – तल्लीन = तत् (उपसर्ग) + लीन
दुर्भाग्य = दुर् (उपसर्ग) + भाग्य
अभागा =अ (उपसर्ग) + भागा
शक्तिशाली = शक्ति + शाली (प्रत्यय)
कायरता = कायर + ता (प्रत्यय)
एकाग्रता = एकाग्र + ता (प्रत्यय)
खंडित = खण्ड + इत (प्रत्यय)

प्रश्न 5. निम्नलिखित सामासिक पदों का समास विग्रह करते हुए उनमें निहित समास पहचान कर लिखिए –
आत्मविश्वास, कूड़ाघर, खंदक-खाइयों, शक्तिहीन, यथापूर्व, विश्वविख्यात।
उत्तर –
क्र. सामासिक पद-समास विग्रह-समास नाम
1. आत्मविश्वास - आत्मा में विश्वास – तत्पुरुष
2. कूड़ाघर – कूड़े का घर – तत्पुरुष
3. खंदक - खाइयो – खंदक और खाइए – द्वंद
4. शक्तिहीन – शक्ति से ही – तत्पुरुष
5. यथापूर्व – पूर्व की तरह – अव्ययीभाव
6. विश्वविख्यात – विश्व में विख्यात – तत्पुरुष

हिन्दी व्याकरण के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।।
1. 'ज' का अर्थ, द्विज का अर्थ
2. भिज्ञ और अभिज्ञ में अन्तर
3. किन्तु और परन्तु में अन्तर
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5. सन्सार, सन्मेलन जैसे शब्द शुद्ध नहीं हैं क्यों
6. उपमेय, उपमान, साधारण धर्म, वाचक शब्द क्या है.
7. 'र' के विभिन्न रूप- रकार, ऋकार, रेफ
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प्रश्न 6. नीचे लिखे गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखिए –
काँच के एक विशाल महल में एक भटका हुआ कुत्ता घुस गया। इस महल में वह जिधर भी देखता, उधर ही उसे कुत्ते दिखाई देते थे । उसने उन कुत्तों को देखकर सोचा कि यहाँ सभी कुत्ते उस पर टूट पड़ेंगे और उसे मार डालेंगे। अपनी शान दिखाने के लिए जब उसने भौंकना शुरू किया तब उसके चारों और कुत्ते भोंकते सुनाई दिये। उसका दिल धड़कने लगा और बुरी तरह घबरा गया। वहाँ उन कुत्तों पर झपटा। तब उसने देखा कि वह कुत्ते भी उस पर झपट रहे हैं। वह जोर-जोर से भौंका, कूदा किंतु शीघ्र ही बेहोश होकर गिर पड़ा।
(क) उपयुक्त गद्यांश का शीर्षक लिखिए।
उत्तर – 1. काँच का महल 2. मूर्ख कुत्ता।
(ख) इस गघांश में प्रयुक्त मुहावरे छाँटिए और अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
उत्तर – प्रयुक्त मुहावरे –
(1) भटका हुआ
(2) टूट पड़ना
(3) शान दिखाना
(4) दिल धड़कना
(5) घबरा जाना
(6) झटपट पकड़ना।
वाक्य प्रयोग –
(1) मार्ग से भटका हुआ व्यक्ति देर में अपने स्थान पर पहुंचता है।
(2) राणा की सेना अपने शत्रुओं पर टूट पड़ी।
(3) अपनी झूठी शान दिखाना मँहगा पड़ता है।
(4) परीक्षा के दिनों में मेरा दिल धड़कने लगता है।
(5) अचानक आए समुद्री तूफान से नाविक घबरा गए।
(6) भूखे भेड़ियों की तरह सैनिक अपने शत्रुओं पर झपट पड़े।
(ग) महल में कुत्ते को अपने चारों ओर कुत्ते क्यों दिखाई दे रहे थे ?
उत्तर – महल काँच से बना हुआ था, काँच की दीवारों पर उस कुत्ते को अपना प्रतिबिंब दिखाई दे रहा थे।
(घ) कुत्ते ने भौंकना क्यों शुरू किया ?
उत्तर– अपने प्रतिबिंब को दूसरे कुत्ते समझकर उसने भौंकना शुरू कर दिया।
(ड) उपयुक्त गद्यांश में से साधारण वाक्य, मिश्रित वाक्य और संयुक्त वाक्य छाँटकर लिखिए।
उत्तर –साधारण वाक्य
(1) काँच के एक विशाल महल में एक भटका हुआ कुत्ता घुस गया।
(2) वह उन कुत्तों पर झपटा।
मिश्रित वाक्य
(1) एक महल में वह जिधर भी देखता, उधर ही उसे कुत्ते दिखाई देते थे ।
(2) अपनी शान दिखाने के लिए जब उसने भौंकना शुरू किया तब उसे चारों और कुत्ते भौंकते सुनाई दिये।
(3) तब उसने देखा कि वह कुत्ते भी उस पर झपट रहे हैं।
संयुक्त वाक्य –
(1) उसका दिल धड़कने लगा और वह बुरी तरह घबरा गया।
(2) वह जोर-जोर से भौंका, कूदा किंतु शीघ्र ही बेहोश होकर गिर पड़ा।

हिन्दी व्याकरण के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।।
1. शब्द क्या है- तत्सम एवं तद्भव शब्द
2. देशज, विदेशी एवं संकर शब्द
3. रूढ़, योगरूढ़ एवं यौगिकशब्द
4. लाक्षणिक एवं व्यंग्यार्थक शब्द
5. एकार्थक शब्द किसे कहते हैं ? इनकी सूची
6. अनेकार्थी शब्द क्या होते हैं उनकी सूची
7. अनेक शब्दों के लिए एक शब्द (समग्र शब्द) क्या है उदाहरण
8. पर्यायवाची शब्द सूक्ष्म अन्तर एवं सूची

आशा है इस पाठ की जानकारी विद्यार्थियों के लिए बहुत उपयोगी एवं महत्त्वपूर्ण होगी।
धन्यवाद।
RF Temre
infosrf.com

I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
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(संबंधित जानकारी नीचे देखें।)

आत्मविश्वास गद्य की कौन सी विधा है?

'आत्मविश्वास' पाठ गद्य की 'निबंध' विधा में लिखा गया पाठ है। 'आत्मविश्वास' पाठ के लेखक कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर हैं। 'आत्मविश्वास' इस निबंध के माध्यम से उन्होंने यह बताने का प्रयत्न किया है कि आत्मविश्वास जीवन की सफलता का सबसे बड़ा रहस्य होता है।

आत्मविश्वास क्यों जरूरी है?

आत्मविश्वास क्यों जरूरी है ? जब आपके अंदर आत्मविश्वास होता है तो आपकी सफलता आपके साथ हमेशा बना रहती है और आपको सफल बनाने के लिए प्रेरित करती रहती है। आत्मविश्वास के वजह से आप अपने लक्ष्य को आसानी से पूरा कर सकते है और जीवन की उन ऊंचाइयों तक पहुंच सकते है जंहा सफलता आपके पीछे पीछे आएगा।

सामने वाले की आधी ताकत अपने में खींच लेने की शक्ति हम सब में है कैसे?

उत्तर– सामने वाले की आधी ताकत अपने में खींच लेने की शक्ति हम सब मे हैं। यह शक्ति आत्मविश्वास की है। यह शक्ति हम सबको प्राप्त है, परंतु हम सबको अपनी आत्मशक्ति की पहचान नहीं है और न उसका उपयोग किया है। इससे आत्मशक्ति का विकास विश्वास से होता है।

आत्मविश्वास पाठ के लेखक के मित्र के गुणों पर प्रकाश डालते हुए बताइए कि हमें इससे क्या शिक्षा लेनी चाहिए?

'मित्रता' निबंध में आचार्य शुक्ल ने मित्रता से लाभ पर प्रकाश डालते हुए कहा है कि विश्वासपात्र मित्र जीवन की औषधि और खजाना होता है। मित्र हमारे संकल्पों को दृढ़ और दोषों को दूर, सद्गुणों का विकास करता है।

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