लेखक अतिथि को कैसे विदाई देना चाहता था? - lekhak atithi ko kaise vidaee dena chaahata tha?

प्रश्न 10-1: लेखक अतिथि को कैसी विदाई देना चाहता था ?

उत्तर 10-1:
लेखक अतिथि को भाव‘-भीनी विदाई देना चाहता था, वह चाहता था कि जब अतिथि उसके घर से जाए तो वह यहाँ की एक अच्छी सी तस्वीर अपने मन में लेकर जाए वह उसको जबरदस्ती कुछ और दिन रुकने को कहेगा और अतिथि के न मानने पर वह सपरिवार उसें नम आँखों से रेलगाड़ी में बैठाकर आएगा।

प्रश्न 10-2: पाठ में आए निम्नलिखित कथनों की व्याख्या कीजिए।
(क) अंदर ही अंदर कहीं मेरा बटुआ काँप गया।
(ख) अतिथि सदैव देवता नहीं होता, वह मानव और थोडे अंशों में राक्षस भी हो सकता हैं।
(ग) लोग दूसरे के होम की स्वीटनेस को काटने न दौड़ें।
(घ) मेरी सहनशीलता की की वह अंतिम सुबह होगी।
(ङ) एक देवता और एक मनुष्य अधिक देर तक साथ नहीं रह सकते।

उत्तर 10--2: (क) जब लेखक के घर में अनचाहा अतिथि आ गया तो इस खयाल से कि उसे अतिथि की खूब खातिरदारी करनी पड़ेगी इस महँगाई के दौर में घर चलाना ही बड़ा मुश्किल हो रहा है ऐसी स्थिति में अंदर ही अंदर लेखक का बटुआ काँप गया।
(ख) हमारी भारतीय संस्कृति में अतिथि को देवता माना जाता है। वह इसलिए क्योंकि अतिथि जब भी किसी के घर आता है तो उसका आगमन किसी देवता के आगमन से कम नहीं माना जाता है और उसका सत्कार भी किसी देवता की भाँति किया जाता है। लेकिन जब वही अतिथि परेशानी का कारण बन जाए तो किसी हद तक मानव और धीरे-धीरे राक्षस का रूप धारण कर लेता है।
(ग) घर को स्वीट-होम इसलिए कहा जाता है क्योंकि व्यक्ति को अपने घर में जो खुशी का माहौल मिलता हैं वह अन्य कहीं नहीं मिलता है। यही माहौल जब किसी के कारण बिगड़ जाता है तो धीरे-धीरे खुशी भी कम होने लगती है। अतः लोग दूसरे के घर की खुशियों के माहौल कों खराब करने का करण न बनें।
(घ) लेखक अपने अतिथि को पिछले चार दिनों से झेल रहा था, और नौबत पकवान से लेकर खिचड़ी तक आ गई थी दोनों के मध्य वार्तालाप भी बंद हो गया था लेखक मन ही मन अतिथि को कोस रहा था। अब वह मानने लगा था कि अगली सुबह यदि अतिथि नहीं गया तो उसकी सहनशीलता जवाब दे जाएगी और हो सकता है कि वह उसे अपमानित करके भी विदा कर दे।
(ङ) देवता और मनुष्य दोनों अपने-अपने स्थान पर ही अच्छे लगतें हैं। देवता मंदिर में और मनुष्य समाज में अतिथि को देवता इसलिए कहते हैं कि वह कहीं पर भी थोड़ी देर के लिए जाकर वहाँ की खुशियों को बढ़ा देता है और वैसे ही चला जाता है जैसे कि भगवान भक्त को दर्शन देकर चले जाते हैं दोनों में दूरी के कारण की दोंनों में प्रेम भाव बना हुआ है साथ रहने से दोनों के बीच मन-मुटाव बढ़ सकता है।

1 लेखक अतिथि को कैसे विदाई देना चाहता था?

लेखक अतिथि को भाव'-भीनी विदाई देना चाहता था, वह चाहता था कि जब अतिथि उसके घर से जाए तो वह यहाँ की एक अच्छी सी तस्वीर अपने मन में लेकर जाए वह उसको जबरदस्ती कुछ और दिन रुकने को कहेगा और अतिथि के न मानने पर वह सपरिवार उसें नम आँखों से रेलगाड़ी में बैठाकर आएगा।

लेखक अतिथि को कैसी विदाई देना चाहिा िा िुम कब जाओगे अतिथि पाठ के आधार पर ललखखए?

लेखक अतिथि को भावभीनी विदाई देना चाहता था। लेखक यह समझ रहा था कि अतिथि उसके अधिक दिन तक नहीं रुकेगा। इसलिए जब अतिथि जाए तो वह अतिथि को छोड़ने रेलवे स्टेशन तक जाए और उसे बार-बार रुकने का आग्रह करें और उसका अतिथि नहीं रुके। ✎... 'अतिथि तुम कब जाओगे' पाठ में लेखक के घर में एक अतिथि आया।

लेखक अतिथि को भावभीनी विदाई देना चाहता था पर ऐसा हो ना सका क्योंकि?

उत्तर: लेखक अतिथि को भावभीनी विदाई देना चाहता था। वह अतिथि को विदा करने के लिए स्टेशन तक जाना चाहता था, परंतु ऐसा न हो सका क्योंकि अतिथि जाना ही नहीं चाहता था

लेखक ने अतिथि का स्वागत कैसे किया?

लेखक के घर जब अतिथि आता है तो लेखक मुसकराकर उसे गले लगाता है और उसका स्वागत करता है। उसकी पत्नी भी उसे सादर नमस्ते करती है। उसे भोजन के बजाय उच्च माध्यम स्तरीय डिनर करवाते हैं।